Saturday, November 23, 2024
Homeसांस्कृतिकगोमती को टेम्स बनाने का सपना भ्रष्टाचार और गंदगी के दलदल में...

गोमती को टेम्स बनाने का सपना भ्रष्टाचार और गंदगी के दलदल में फंसा

गोमा का पानी छूने योग्य तक नहीं

गोमा यानि गोमती को लंदन की टेम्स नदी बनाने का सपना प्रदेश में सपा की पूर्ववर्ती अखिलेश सरकार ने देखा था। इसके बाद 2015 में गोमती रिवर फ्रंट योजना बनाई गई। ताबड़तोड़ काम शुरू हुआ और आनन-फानन में 650 करोड़ रुपए गोमती के कायाकल्प के लिए दे दिये गए। पिछली सरकार ने सपना देखा कि टेम्स की तरह ही गोमती के किनारे बड़े- बड़े मॉल, होटल, पिकनिक स्पॉट बनेंगे। नदी तट के दोनों ओर सड़क होगी और लोग स्वस्थ जीवन के लिए यहाँ आकर मॉर्निंग वाक करेंगे। दो साल में फ्रंट तैयार होने के बाद लोग नदी में बोटिंग के साथ-साथ वाटर स्पोर्ट्स का भी मजा लेंगे। गोमती के चेहरे को निखारने के लिए सरकार इतनी ज्यादा उत्साहित और संकल्पबद्ध थी कि तुरंत बजट को 650 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 1500 करोड़ रुपए कर दिया गया। लेकिन इस सपने की खौफनाक हकीकत तब सामने आई जब नई सरकार के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने 19 मार्च 2017 को गोमती रिवरफ्रंट में अपने मंत्रियों के साथ दरबार लगाया। गोमती के जल का आचमन करते ही योगी के मुंह से निकला कि क्या सारे पैसे पत्थरों में खपा दिए? गोमती इतनी गंदी और बदबूदार क्यों है? अफसरों के पास इस सवाल का कोई जवाब नहीं था। आज तीन साल बाद भी गोमती की हालत वैसी ही है। 560 किमी लंबाई की ये नदी अब तक मृतप्राय है।  नदी का पानी पीने की बात छोड़िए, आज भी छूने योग्य नहीं है। इतना सब होने के बावजूद गोमती मैली क्यों है, इसके जवाब में सिर्फ जांच समिति की सिफ़ारिश ही सामने हैं।  सरकार के प्रयासों का अंदाजा इस प्रकार लगता है कि गोमती के जिस पानी की बदबू से तिलमिला कर मुख्यमंत्री ने अभियन्ताओं को लताड़ा था उस गोमती में रोजाना 3190 लाख लीटर सीवेज गिर रहा था। यह खुलासा एनजीटी की निगरानी समिति की 81 पृष्ठीय रिपोर्ट का है। दुख की बात यह है रिपोर्ट आने के बावजूद हालात बदतर हैं। फिलहाल गोमती का पानी पीने, या उससे नहाने की बात तो दूर वह लान की सिंचाई के काबिल भी नहीं है। यह हालात तब हैं जब नदी को साफ करने के लिए नमामि गंगे प्रोजेक्ट में केंद्र सरकार भी 298 करोड़ रूपये योगी सरकार को दे चुकी है। गोमती किस कदर गंदी होती जा रही है इसका एक प्रमाण जल निगम की एक आंतरिक रिपोर्ट से भी मिलता है। इस रिपोर्ट के मुताबिक गोमती से लखनऊ को पेयजल आपूर्ति करने वाले तीन वाटर वर्क्स में 2016 में 1119 मीट्रिक टन फालिक एल्युमिना फौरिक (फिटकरी) की खपत हुई थी जबकि 2017 में पानी को साफ करने वाले इस रसायन की खपत 1993 मीट्रिक टन हो गई जबकि 2020 आते- आते इस राशि में लगातार इजाफा ही हुआ है। इसी तरह गोमती के पानी को कीटाणु मुक्त करने वाली ब्लीचिंग और क्लोरीनेशन पर 2016-17 में एक करोड़ 10 लाख खर्च हुए जबकि अब ये धनराशि दुगने से ज्यादा हो रही है लेकिन पानी अब भी बदबूदार है।

ऐसा नहीं है कि गोमती के उद्धार को लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री गंभीर नहीं दिखे। योगी ने न सिर्फ रिवरफ्रंट के भ्रष्टाचार के मामले में न्यायिक आयोग बनाया। आयोग ने पाया कि 1500 करोड़ की गोमती रिवर फ्रंट परियोजना के सेंटेज चार्ज में ही 100 करोड़ रुपये का घपला किया गया। इसके साथ ही नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना की अध्यक्षता में भी एक समिति बनी। इसके बाद सीएम ने रिपोर्ट के आधार पर सीबीआई जांच के भी आदेश दिये। सीबीआई की शुरूआती जांच में पता चला कि अखिलेश सरकार में टेंडर जारी करने तक के अधिकार भी चीफ इंजीनियरों को दिए गए थे। रिवर फ्रंट निर्माण के लिए जो अलग-अलग टेंडर किए गए थे उसमें सीबीआई को घपले के साक्ष्य मिले। ईडी ने भी फरवरी 2018 में रिवरफ्रंट घोटाले के मामले में मनीलांड्रिंग का केस दर्ज कर अपनी पड़ताल शुरू की। ईडी के तत्कालीन संयुक्त निदेशक राजेश्वर सिंह के निर्देश पर 4 जुलाई 2019 को रिवर फ्रंट निर्माण घोटाले में आरोपित इंजीनियर रूप सिंह यादव, अनिल यादव और एसएन शर्मासमेत आठ के खिलाफ कार्रवाई कर सम्पत्तियाँ अटेच की गई । कई ठेकेदारों से भी गहनता से पूछताछ की गई। इसमें निर्माण कार्य से जुड़ें इंजीनियरों पर दागी कम्पनियों को काम देने, विदेशों से मंहगा समान खरीदने, चैनलाइजेशन के कार्य में घोटाला करने, नेताओं और अधिकारियों के विेदेश दौरे में फिजूलखर्ची करने सहित वित्तीय लेन देन में घोटाला करने और नक्शे के अनुसार कार्य नहीं कराने का आरोप सामने आए। कंपनियों को काम देने में किस तरह की मनमानी हुई इसका प्रमाण 2019 की कैग रिपोर्ट से मिलता है। इसमें कहा गया है कि 662.58 करोड़ रूपए के कार्यों के लिए किसी भी तरह के टेंडर जारी नहीं किए गए। यानी अपनी चहेती कंपनियों को इनके सीधे ठेके दे दिए गए. लेकिन इतना सब होते हुए भी रिवरफ्रंट से जुड़े भ्रष्टाचार के मामलों में अभी तक बड़ी और निर्णायक कार्रवाई का इंतजार हो रहा है।

रही बात गोमती की तस्वीर बदलने की तो  केवल लखनऊ में 23 नालों से निकलने वाले मैले जल को साफ़ करने हेतु भरवारा में 345 MLD का एशिया का सबसे बड़ा सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की स्थापना सन 2011 में की गई और नालों को उससे जोड़ भी दिया गया पर वो आज तक सुचारू कार्य नहीं कर पा रहा है। राज्य सरकार ने यहाँ रख-रखाव के लिए हाल में सिंचाई विभाग को 38.32 करोड़ रुपये का बजट दिया लेकिन रख-रखाव तो दूर गोमती रिवरफ्रंट में जाना भी अब असुरक्षित और खतरनाक है। गंदगी और बदबू तो पहले से ज्यादा है ऑक्सीज़न लगातार कम होती जा रही है। पिछली सरकार में गोमती की सैर के लिए आई करोड़ों के नावें कबाड़ में बदल चुकी हैं और करोड़ों के फौव्वारे बदहाली से जाम हो गए। रिवरफ्रंट में बागवानी का काम लखनऊ विकास प्राधिकरण को सौंपते हुए इसके लिए भी 27 करोड़ रूपए दिए गए, मगर इस दिशा में भी जमीन पर कोई भी काम होता दिखाई नहीं दे रहा।

—————————-

सरकारी कवायद

प्राधिकरण बनाकर संतुलित विकास की कवायद

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने लखनऊ की लाइफ लाइन मानी जाने वाली गोमती नदी के संतुलित विकास के लिए कार्ययोजना को हरी झंडी दी है। जिसके बाद लखनऊ जिला प्रशासन ने गोमती नदी को गुजरात की साबरमती नदी के तट की तरह खूबसूरत और सांस्कृतिक केंद्र बनाने के लिए प्राधिकरण बनाने की कवायद तेज कर दी है। गोमती को निखारने की कवायद में नगर निगम भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। साथ ही अलग-अलग विभाग भी अपनी मदद कर रहे हैं। फिलहाल गोमती रिवरफ्रंट प्राधिकरण पहले चरण के अंतर्गत गऊघाट से ला मार्टिनियर कॉलेज के पीछे तक विकसित किया जाएगा।  इसके बाद दूसरे चरण में उन कामों को भी शामिल किया जाएगा, जहां तक नगर निगम सीमा का विस्तार होगा। दरअसल जिला प्रशासन गोमती रिवरफ्रंट के जरिए लखनऊ में पर्यटन की अपार संभावनाएं देख रहा है जिला अधिकारी के मुताबिक इसे पीपीपी मॉडल और सीएसआर फंड की मदद से भी विकसित किया जाएगा। वाटर स्पोर्ट्स और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन किए जाएंगे, जिससे शहर के लोगों का गोमती के साथ जुड़ाव बड़े और साथ ही राजस्व भी बढ़े। खास बात यह है कि गोमती किनारे किसी भी तरीके के राजनीतिक एजेंडे को अनुमति नहीं मिलेगी। यानी कि किसी भी राजनीतिक कार्यक्रम धरना-प्रदर्शन, रैली या गोष्ठी इन कार्यक्रमों पर पाबंदी लगी रहेगी।

———————————

नियमों का सख्त पालन जरूरी

प्रोफेसर  ए के दीक्षित

आईआईटी, पवई

न तो शोध की गुणवत्ता में कमी है और न ही सरकार की योजनाओं में, लेकिन सबसे बड़ी समस्या नदी सफाई योजनाओं के अमलीजामा पहनाने की है। आईआईटी के समूह ने केंद्र को समय- समय पर नदियों की सफाई को लेकर अपनी रिपोर्ट दी है। दीर्घकालीन योजनाओं को मूर्त रूप भी दिया गया है लेकिन जब तक जन सहभागिता और नियमों का सख्ती से पालन नहीं होगा, उस समय तक सारे प्रयास अधूरे ही रहेंगे।

———————–

गोमा के स्वरूप के छेड़छाड़ खतरनाक :

अनिल जोशी

पद्म भूषण, हेसको संचालक 

पर्यावरण विशेषज्ञ और हेसको के कर्ताधर्ता पद्म भूषण अनिल जोशी का कहना है कि गोमती समेत सभी नदियां मानव जीवन का आधार हैं। फिर चाहे, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक पहलू ही क्यों न हो, हमें सरकार से अधिक स्वयं के प्रयास पर निर्भर होना होगा। इसके लिए गोमती के स्वाभाविक और पर्यावरणीय प्रवाह का सटीक आकलन जरूरी है। सबसे जरूरी है कि इसके आस-पास की ज़मीन पर किसी तरह का निर्माण न हो, नदियों के मूल स्वरूप में किसी तरह की छेड़छाड़ न की जाए। रिवर फ्रंट के आसपास रियल स्टेट गतिविधियां खतरे की घंटी है। इसी प्रकार सफाई का दम्भ पाले हमारे इंजीनियर यह सोच लें कि नदियाँ अपने आपको खुद ब खुद साफ कर लेती हैं, अगर उनकी धारा से छेड़छाड़ न की जाय। अगर जल-प्रवाह की निरन्तरता के लिये गोमती और उसकी सभी सहायक नदियों में सालों भर जल भरा रहे, इसके लिये सामूहिक प्रयास किए जाएँ। कई स्थानों पर जल प्रबन्ध के लिये परम्परागत प्रणालियाँ, जल संरक्षण तथा वर्षाजल संग्रह एवं जल के दोबारा उपयोग की तकनीकों को अपनाया जाए। यह भी ध्यान रखा जाए कि नदियाँ अपना रास्ता बदलती हैं और बनाती रहती हैं। ऐसे में अगर हम नदियों के एक्टिव चैनल को बदलने या सीमित करने की कोशिश करेंगे तो वह रियेक्ट करेगी और जिसका नतीजा आपदा और मानव जाति का विनाश होगा।

—————————

नदियों से छेड़छाड़ न करे सरकार

नदी पुत्र, रमन कान्त

संचालक, नीर फाउंडेशन

गोमती जैसी नदियों के प्रदूषित होने के दो मुख्य कारण हैं। पहला तो यह नदी भूगर्भ के जल पर आधारित है। जो लगातार कम होता जा रहा है। ऐसे में गोमती और इसकी सहायक नदियों में बरसात की अलावा वर्ष भर पर्याप्त जल संकट रहता है। दूसरी गंभीर समस्या नदी में सीवेज और उद्योगों का कचरा प्रवाहित होने की है। 20 प्रतिशत सीवेज और 80 प्रतिशत औद्योगिक कचरा पानी को जहरीला कर रहा है। जबकि तमाम सरकारी योजनाओं के बावजूद ये समस्याएँ दूर नहीं हुई हैं। या तो सरकार इस दिशा में गंभीर रुख अपनाए या फिर नदियों को उनके प्राकृतिक स्वरूप में छोड़ दे जिससे वो खुद ही अपने को साफ कर लें।

……………………………..

प्वाइंटर

गोमती रिवर फ्रंट योजना का शुभारंभ – 2015

योजना की कुल अनुमानित लागत   – 2800 करोड़ 

कुल बजट                      – 1500 करोड़

शुरुआती बजट स्वीकृत            – 650 करोड़ रुपए

योजना का स्वरूप                – गोमती का सौंदर्यीकरण नदी किनारे बड़े- बड़े मॉल, होटल, पिकनिक स्पॉट, बोटिंग, वाटर स्पोर्ट्स)

रिवर फ्रंट घोटाला                – बिना टेंडर के 662.58 करोड़ रूपए के कार्य, मनीलांड्रिंग, दागी कम्पनियों को काम, विदेशों से मंहगा समान खरीदने, चैनलाइजेशन के कार्य में घोटाला, नेताओं और अधिकारियों के विेदेश दौरे में फिजूलखर्ची, वित्तीय लेन देन में घोटाला, नक्शे के अनुसार कार्य नहीं

योगी सरकार के सख्त कदम  – 19 मार्च 2017 को गोमती रिवरफ्रंट का दौरा, जांच के आदेश

जांच एजेंसियां                   – न्यायिक आयोग, मंत्री स्तर समिति, सीबीआई, ईडी

कारवाई                        इंजीनियर रूप सिंह यादव, अनिल यादव और एसएन शर्मासमेत आठ के खिलाफ कार्रवाई कर सम्पत्तियाँ अटेच की गई, एफआईआर ।

बदहाल गोमा

  • 960 किमी लंबाई की ये नदी अब मृतप्राय है।
  • गोमती में रोजाना 3190 लाख लीटर सीवेज प्रवाहित
  • एनजीटी की निगरानी समिति की 81 पृष्ठीय रिपोर्ट में खुलासा
  • गोमती का पानी सिंचाई के काबिल भी नहीं
  • लखनऊ में गोमती की सफाई के लिए 2000 मीट्रिक टन रसायन की खपत
  • लखनऊ में 23 नालों की सफाई के लिए भरवारा में 345 MLD का सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट
  • आज तक सुचारू कार्य नहीं हो पाने से हालात खराब

—————————-

आठ जिलों में जीवनदायनी गोमती

उत्‍तर प्रदेश के आठ जिलों को जीवन देने वाली गोमा का उद्गम स्थल पीलीभीत जिले के गाँव माधव टांडा में है। यहाँ के गोमत ताल से निकालकर यह नदी शाहजहांपुर, सीतापुर, लखनऊ होते हुए जौनपुर में गंगा नदी में जाकर मिल जाती है। करीब 960 किमी लंबी नदी से 25 सहायक नदियां भी जुड़ी हैं। इनका जिक्र पौराणिक काल से हो रहा है। हालांकि अब इस नदी को जन्‍म स्‍थान (पीलीभीत) में ही खोजना मुश्‍किल हो गया है। इसके पीछे कई कारण हैं, जिसकी वजह से यह नदी अपने जन्‍म स्‍थान पर ही मृतप्राय: हो गई है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments