Monday, September 16, 2024
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गुरुनानक देव जी के पहले उपदेश का गवाह करतारपुर साहिब गुरुद्वारा

अतनु दास

पूर्व समाचार संपादक, पीटीआई (भाषा)

पाकिस्तान स्थित करतारपुर साहिब गुरुद्वारा भारत के लिए आस्था का प्रतीक है। क्योंकि यहीं पर सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव ने अपने जीवन के आखिरी 18 साल बिताए थे. ऐसी मान्यता है कि सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक 1522 में करतारपुर आए थे। सबसे बड़ी बात यह है कि गुरुनानक देव जी के साथ उनका पूरा परिवार करतारपुर में ही बस गया था। मान्यता है कि यहीं पर उन्होंने पहली बार सिख धर्म की स्थापना की थी।  उन्होंने पहली बार इसी जगह ‘नाम जपो, किरत करो और वंड छको’ (नाम जपें, मेहनत करें और बांटकर खाएं) का उपदेश दिया था। भारत सरकार ने इसी आस्था को ध्यान में रखते हुए पाकिस्तान के साथ मिलकर अंतरराष्ट्रीय सीमा में 4.5 किलोमीटर का कॉरीडोर बनाया जिससे सिख श्रद्धालु यहाँ आकर दर्शन कर सकें।  

गौतलब है कि ये कॉरीडोर नौ नवंबर 2019 में श्रद्धालुओं के लिए खोला गया था। इससे पहले लोग दूरबीन से करतारपुर साहिब के दर्शन किया करते थे और ये काम बीएसएफ की देखरेख में होता था। कॉरीडोर खुलने के बाद यहाँ पर भरी संख्या में श्रद्धालु आने लगे। हालांकि करोना के कारण मार्च 2020 में कॉरीडोर को बंद कर दिया गया था। अब गुरुपर्व से पहले मोदी सरकार ने करतारपुर कॉरिडोर को खोल दिया है। इस फैसले के ऐलान खुद गृह मंत्री अमित शाह ने किया था। बुधवार को सिखों का जत्था गुरुद्वारे के दर्शन के लिए रवाना हुआ। फैसले से सिखों में हर्ष की लहर दौड़ गई।  

मोदी सरकार के फैसले को सत्ता और विपक्ष सभी ने सराहा। गृहमंत्री शाह ने कहा कि यह फैसला गुरु नानक देव जी और सिख समुदाय के प्रति मोदी सरकार की अपार श्रद्धा को दर्शाता है। यह कदम ‘देश भर में खुशी और उत्साह को और बढ़ा देगा।’ पंजाब के मुख्यमंत्री चन्नी और पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने फैसले को सराहा।

गौरतलब है कि करतारपुर कॉरिडोर के बनने से पहले लोगों को वीजा लेकर लाहौर के रास्ते दरबार साहिब गुरुद्वारा तक जाना पड़ता था, ये एक जटिल और लंबा रास्ता था। लेकिन करतारपुर कॉरिडोर के बन जाने से यहां तक जाना आसान हो गया।  इसके बाद पंजाब स्थित डेरा बाबा नानक को करतारपुर स्थित दरबार साहिब गुरुद्वारा से जोड़ दिया गया। भारतीयों के लिए करतारपुर साहिब गुरुद्वारे तक जाने जाने का रास्ता पंजाब के गुरुदासपुर स्थित डेरा बाबा नानक से ही है। यहीं से कॉरिडोर के जरिए लोग वहां तक पहुंच पाते हैं। इस कॉरिडोर की कुल लंबाई 4.1 किलोमीटर है।

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