Thursday, November 21, 2024
Homeआर्थिककेन्द्रीय बजट में सरकार की बदली दिशा आम आदमी को रास नहीं...

केन्द्रीय बजट में सरकार की बदली दिशा आम आदमी को रास नहीं आयी

आनन्द अग्निहोत्री

वरिष्ठ पत्रकार

उद्योग जगत भले ही वित्त वर्ष 2022-23 के केन्द्रीय बजट का स्वागत कर रहा है लेकिन ज्यादातर लोगों के लिए इस बार का बजट बेमन का रहा। सबसे ज्यादा मायूसी तो उन लोगों को हुई है जो यह उम्मीद पाले बैठे हुए थे कि इस बार आयकर सीमा की रेंज बढ़ेगी। आम लोगों की प्रतिक्रया तो यही थी कि यह बजट बेकार है और इससे चुनाव बाद महंगाई हर हाल में बढ़ने जा रही है। हम यह नहीं कहते कि बजट बिना लक्ष्य का है लेकिन जो दिशा बदली गयी है वह अभी आम आदमी की समझ के परे है।

सबसे ज्यादा तो टैक्स देने वाले मायूस हुए हैं। टैक्स स्लैब में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। बजट पेश करने के बाद प्रेस कांफ्रेंस में वित्त मंत्री का जवाब सरकार का इरादा जाहिर कर देता है। जब उनसे पूछा गया कि सरकार ने आयकर में कोई राहत नहीं दी है तो उनका कहना था कि हमने दो साल से आयकर की सीमा नहीं बढ़ायी क्या यह कम नहीं है। निश्चित रूप से अगर पांच राज्यों के चुनाव न होते तो सरकार आयकर की दर और बढ़ा देती। नौ साल से करदाता आयकर स्लैब में छूट की वृद्धि का इंतजार कर रहे हैं और उनके हाथ निराशा ही लग रही है। अगर नौकरीपेशा लोगों की बात की जाये तो उनके हाथ भी निराशा ही लगी है। वित्तमंत्री ने इस बारे में कोई ठोस ऐलान नहीं किया। कर्मचारियों को उम्मीद थी कि वर्क फ्रॉम होम कल्चर में ढल चुके इम्प्लॉइज को राहत मिलेगी, पर ऐसा नहीं हुआ। ऐसे इम्प्लॉइज की संख्या 82% से ज्यादा थी, जो दफ्तर नहीं जाना चाहते। कोरोना के वक्त सबसे ज्यादा प्रभावित कारोबारी हुए। सरकार ने पिछले साल एमएसएमई के लिए 15 हजार 700 करोड़ रुपए का ऐलान किया था। इस बार भी पैकेज का ऐलान किया गया। लेकिन जीएसटी ने इस पर मजा किरकिरा कर दिया है।

निर्मला की कई घोषणाएं भी उलझाव भरी हैं। मसलन वह कहती है कि ईवी में बैटरी स्वैपिंग करके लोग अपना सफर बढ़ा पायेंगे लेकिन वह गाड़ी सस्ती करने की कोई घोषणा नहीं करतीं। विद्यार्थी भी इस बजट से संतुष्ट नजर नहीं आये। यानि अब उन्हें टीवी चैनल से पढ़ना होगा। किसानों को भी कोई खास राहत नहीं दी गयी है। उन्हें उम्मीद थी कि किसान सम्मान निधि की राशि छह हजार से बढ़ाकर नौ हजार कर दी जायेगी लेकिन ऐसा कुछ नहीं किया गया। हालांकि कुछ अन्य राहतें दी गयी हैं लेकिन इससे किसान संतुष्ट नजर नहीं आये। निर्मला सीतारमण का कहना है कि किसान ड्रोन, नेचुरल फॉर्मिंग, लैंड डिजिटाइजेशन को प्रमोशन दिया जायेगा। एमएसपी का 2.37 लाख करोड़ सीधे किसानों के खाते में जाएगा। नाबार्ड के जरिये एग्रीकल्चर स्टार्टअप्स की फाइनेंसिंग होगी। गंगा के किनारे 5 किमी के दायरे में ऑर्गेनिक खेती पर फोकस। इनसे किसानों को निश्चित रूप से फायदा होगा लेकिन क्या होगा, यह अभी उनकी समझ के परे है।

निर्मला ऐलान करती हैं कि सरकार गरीबों के लिए 80 लाख नये घर बनायेगी लेकिन मकान पर मिलने वाली ब्याज छूट को लेकर कोई ऐलान नहीं करतीं। यानि सरकार जो घर बनायेगी और जो लोग लोन लेकर इन्हें खरीदेंगे उन्हें सरकार द्वारा तय राशि का पूरा भुगतान करना होगा। उन्हें ब्याज में किसी तरह की छूट नहीं मिलेगी। 45 लाख तक के मकान खरीदने पर मिलने वाली डेढ़ लाख तक की ब्याज की छूट को सरकार ने 2021 से बढ़ाकर मार्च 2022 तक किया था। यह फायदा सिर्फ उनको मिलता है, जो पहली बार घर खरीदते हैं।

महिलाएं इनकम टैक्स छूट, होम लोन और म्युचुअल फंड में इन्वेस्टमेंट पर रियायतों की उम्मीद कर रही थीं, लेकिन ऐसी कोई बड़ी घोषणा नहीं हुई, जिससे उनकी कमाई या खर्च में राहत पर असर हो। इसके विपरीत जब पेट्रोल और डीजल पर बढ़े हुए टैक्स लागू होंगे तो रसोई गैस इससे अछूती नहीं रहेगी। जाहिर है कि इसका असर उनकी किचन पर पड़ेगा। निर्मला की एक बड़ी घोषणा जरूर है वह है क्रिप्टो करेंसी को वैधानिकता जामा पहना देना। देश में 10 करोड़ से ज्यादा क्रिप्टो करेंगी प्रयोग करने वाले हैं लेकिन इसमें भी पेंच है। इस करेंसी से होने वाली कमाई पर 30 प्रतिशत टैक्स लगेगा। अगर कोई डिजिटली एसेट्स ट्रांसफर करता है तो उसे एक प्रतिशत टीडीएस देना होगा। रिजर्व बैंक इसी साल अपनी क्रिप्टो करेंसी लांच करेगा।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments