बीते कुछ समय में देशवासियों पर आए घनघोर संकट ने सबकी ज़िंदगी बदल दी है। करोना की दूसरी लहर मौत की तरह ज़िंदगी में घर कर गई है। ये दिन मौत के काले साये की तरह हमारे आसपास मँडराते रहे। लेकिन शुक्र है कि केंद्र सरकार ने तेजी से कदम उठाए, जिसके परिणामस्वरूप हालात अब सुधर रहे हैं। हालांकि अब तीसरी लहर का खतरा सर पर मंडरा रहा है। केंद्र सरकार ने इस जंग को जीतने के लिए दिसंबर तक सभी देशवासियों का टीकाकरण का लक्ष्य रखा है। सभी देशवासियों का वैक्सीनेशन हो जाए जिससे इस युद्ध को देश जीत सके।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद माना कि ‘100 साल बाद आई इतनी भीषण महामारी कदम-कदम पर दुनिया की परीक्षा ले रही है। हमारे सामने एक अदृश्य दुश्मन है। बीते कुछ समय से जो कष्ट देशवासियों ने सहा है, अनेकों लोग जिस दर्द से गुजरे हैं, तकलीफ से गुजरे हैं वो मैं भी उतना ही महसूस कर रहा हूं.’ पीएम मोदी ने कहा कि भारत हिम्मत नहीं हारेगा, ना ही कोई भारतवासी हिम्मत हारेगा, हम लड़ेंगे और जीतेंगे। निश्चित रूप से हम इस आपदा के दौर में डटकर खड़े रहे हैं और अपने जीवन को सुरक्षित रखने के लिए हर संभव बदलाव स्वीकार करते गए। हमने अपना और दूसरों का जीवन बचाने के लिए मास्क पहना, शारीरिक दूरी बनाई। धंधे- पानी को नुकसान होने के बावजूद सख्ती से लॉक डाउन का पालन किया। खुद भी बदले और भविष्य को भी बदलने का संकेत दिया।
कहते हैं कि हर पाँच साल में एक पीढ़ी पुरानी हो जाती है और नई ‘जनरेशन’ जन्म लेने लगती है। जिसके जीने का तरीका दूसरी पीढ़ी से भिन्न होता है। ये पीढ़ी परिवर्तन का प्रतीक होती है और दूसरी पीढ़ियों को बदलाव के लिए मजबूर भी करती है। वर्ष 2020- 21 इसी बदलाव के लिए याद किए जाएंगे। करोना काल में पिछले दिनों के भयावह अनुभव से साफ है कि अब हमारी ज़िंदगी पूरी तरह से बदल चुकी है। हम बहुत लेजी से बदले लेकिन अपने सुरक्षित भविष्य के लिए हमें और भी तेजी दिखानी होगी।
अब हमें पहले से कई ज्यादा जागरूक और सतर्क रहने की जरूरत है। अपने स्वास्थ्य को लेकर और अपनों की देखभाल को लेकर। जरा सी लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है। 2020 से लेकर अब तक हम करोना की दो लहरों का सामना कर चुके हैं। पहली लहर बुजुर्गों के लिए काल साबित हुई तो दूसरी लहर ने ज़्यादातर जवानों को निशाना बनाया। विशेषज्ञों का मानना है कि अक्टूबर तक देश को तीसरी करोना लहर से मुक़ाबला करना होगा। जिसमें ज़्यादातर बच्चे निशाने पर होंगे। विशेषज्ञों के संकेत से स्पष्ट है कि ये एक युद्ध है आम जनमानस के खिलाफ वायरस अटैक! इस युद्ध में पहले बुजुर्ग निशाना बने। फिर 30 से लेकर 45 आयु वर्ग के ज़्यादातर लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा। अब तीसरे युद्ध में वायरस के निशाने पर बच्चे होंगे। ऐसे में जरा सी चूक हम सभी के लिए कितनी घातक साबित होगी, ये अकल्पनीय है। ऐसे में हमें अभी से हथियार उठाने होंगे। इस हमले के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़नी होगी। ये लड़ाई जीवन शैली को लेकर भी होगी। तकनीकी भी होगी। सामाजिक तौर पर भी हमें एकजुट होकर लड़ना होगा। सरकार ने इस युद्ध को जीतने के लिए सभी के टीकाकरण कि योजना बनाई है। ऐसे में केंद्र सरकार ने दिसंबर तक भारत में 216 करोड़ कोरोना टीकों की मैन्युफैक्चरिंग का ऐलान किया है। नीति आयोग की स्वास्थ्य समिति के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने ने कहा है कि ‘देश में अगस्त से दिसंबर के दौरान कुल 216 करोड़ कोरोना टीके तैयार किए जाएंगे। ये टीके पूरी तरह से भारत और भारतीयों के लिए ही बनेंगे।’ उन्होंने कहा कि इस बात में कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि आने वाले समय में सभी को वैक्सीनेशन के तहत कवर किया जाएगा। नीति आयोग के सदस्य ने कहा कि एफडीए और विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से मंजूर की गई किसी भी दवा को भारत में अनुमति दी जा सकती है। इन दवाओं के आयात के लिए लाइसेंस भी एक से दो दिन में ही दिया जाएगा। फिलहाल हमारे पास कोई इंपोर्ट लाइसेंस का आवेदन लंबित नहीं है। उन्होंने कहा कि हमने विदेशी संस्थाओं को अपनी कंपनियों के साथ मिलकर काम करने का आमंत्रण दिया है। जॉनसन एंड जॉनसन ने काफी अच्छा काम किया है। उन्होंने कुछ ही दिनों में हमारे ऑफर को स्वीकार किया है।
पॉल ने बताया, ‘जॉनसन का कहना है कि वह अपने तरीके से काम कर रहे हैं। भारत में इस साल की तीसरी तिमाही में टीकों की उपलब्धता हो सकती है। हम उनसे संपर्क में हैं। हमें उम्मीद है कि वे भारत में टीकों की उपलब्धता को बढ़ाने के लिए काम करेंगे।’ भारत में विदेशी टीकों को मंजूरी के सवाल पर उन्होंने कहा कि डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नॉलजी एवं अन्य संबंधित विभाग फाइजर, मॉडर्ना, जॉनसन एंड जॉनसन जैसी कंपनियों के साथ शुरुआती दौर से ही संपर्क में हैं। हमने उनसे आधिकारिक तौर पर कहा है कि यदि वे भारत में वैक्सीन भेजना चाहेंगे या मैन्युफैक्चिंग को तैयार होंगे तो हम उन्हें मदद करेंगे और उनके लिए पार्टनर की भी तलाश करेंगे।
निश्चित तौर पर सरकार अपनी तैयारी कर रही है लेकिन जनता को भी आगे बढ़कर ये युद्ध लड़ना होगा। ऑक्सीज़न और दवा की कमी से मौतें न हों इसके लिए जीवन शैली से लेकर सभी सुरक्षा इंतजाम करने होंगे। अस्पतालों को तैयार करना होगा। सामने से लड़ने वाले सेनानियों को तैयार रखना होगा। जब तक करोना से हम सभी जीत नहीं जाते हैं तब तक युद्ध लड़ना ही एक मात्र रास्ता है। ये लड़ाई ही हमें जीत दिलाएगी।
वैक्सीन : उत्पादन ( दिसंबर तक)
कोविशील्ड : 75 करोड़
कोवैक्सीन : 55 करोड़
बायो ई सब यूनिट : 30 करोड़
जायडस कैडला डीएनए : 05 करोड़
नोवावैक्स : 20 करोड़
बीबी नजल वैक्सीन : 10 करोड़
जिनोवा एमआरएनए : 06 करोड़
स्पुतनिक : 15.6 करोड़