हिंदुस्तान भले ही 15 अगस्त 1947 को आजाद हो चुका हो लेकिन देश के कई हिस्सों को भारत में मिलाने के लिए लंबा वक्त और सैन्य अभियान चलाना पड़ा। ऐसा की एक अभियान गोवा मुक्ति के लिए चलाया गया। आज देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गोवा मुक्ति दिवस में शामिल हो रहे हैं लेकिन यह सच्चाई है कि 19 दिसंबर 1961 के पूर्व गोवा भारत का हिस्सा नहीं बन पाया था। जब भारत ने अपनी स्वतंत्रता प्राप्त की तब गोवा 450 वर्षों के पुर्तगाली शासन के तहत दबा हुआ था। भारत ने लंबे समय टक कूटनीतिक प्रयास के जरिये गोवा के विलय की नीति अपनाई लेकिन उसका कोई असर नहीं हुआ अंत में 1961 में तत्कालीन केंद्र सरकार ने फैसला किया कि सैन्य हस्तक्षेप ही गोवा की आजादी का एकमात्र विकल्प रह गया है। इसके बाद गोवा मुक्ति के लिए 18 दिसंबर, 1961 से 36-घंटे के सैन्य अभियान को संचालित किया गया। जिसके बाद गोवा को मुक्ति दिलाई गई। उस सैन्य अभियान का नाम ‘ऑपरेशन विजय’ था और इसमें भारतीय नौसेना, वायु सेना, और सेना के हमले शामिल थे। भारतीय सैनिकों ने थोड़े प्रतिरोध के साथ गोवा क्षेत्र को पुनः प्राप्त किया, और जनरल मैनुअल एंटोनियो वासालो ई सिल्वा ने आत्मसमर्पण के प्रमाण पत्र पर हस्ताक्षर किए। इस क्षेत्र में 450 साल का पुर्तगाली शासन आधिकारिक तौर पर समाप्त हो गया और इस क्षेत्र को भारत ने 19 दिसंबर 1961 को वापस ले लिया। अब गोवा मुक्ति दिवस गोवा में जश्न और उत्सव की तरह मनाया जाता है। राज्य में तीन अलग-अलग स्थानों से एक मशाल जुलूस निकाला जाता है, ये सभी आजाद मैदान में मिलते हैं. यह वह जगह है जहां उन लोगों को श्रद्धांजलि दी जाती है, जिन्होंने गोवा के अधिग्रहण में अपनी जान गंवा दी।