बुद्धा पीस फाउंडेशन के द्वारा सयुक्त राष्ट्र दिवस के अवसर पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन
संयुक्त राष्ट्र को युद्ध से पूर्व शांति के लिए अपनी ताकत लगानी चाहिए बल्कि इसे सामाजिक क्षेत्र में भी बढ़ावा देना चाहिए । संयुक्त राष्ट्र दिवस के अवसर पर यह विचार डोम कंसल्टिंग और सैन जोस , कैलिफ़ोर्निया ने बुद्ध शांति फाउंडेशन के दूसरे अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी- वेबिनार में प्रकट किए। सरस्वती विद्या मंदिर, कमला नगर, आगरा में आयोजित द्वितीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी- वेबिनार में उन्होने कहा कि विश्व शांति के लिए यह न केवल महत्वपूर्ण है बल्कि मानवीय आवश्यकता है। इसमें दस देशों के प्रतिनिधियों के अतिरिक्त देश के विभिन्न क्षेत्रों से लोगों ने भाग लिया । सयुक्त तौर पर वक्ताओं द्वारा संयुक्त राष्ट्र संगठन के द्वारा वर्तमान विश्व परिदृश्य में शांति बहाली के लिए तत्काल सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया अन्यथा यह विश्व संगठन अपनी प्रासंगिकता खो देगा ।
श्रीमती भावना श्रीवास्तव, समाजसेविका और वॉर्सेस्टर , यूएसए से यूएनडीपी कार्यकर्ता के रूप में अपना अनुभव साझा किया, उन्होंने कहा कि शिक्षा द्वारा विश्व शांति को बढ़ावा देने के लिए दुनिया में शिक्षा को बढ़ावा देना बहुत महत्वपूर्ण है। पता चल जाता है कि क्या सही है और क्या गलत। उन्होंने स्वास्थ्य और चिकित्सा सेवाओं को बढ़ावा देने पर भी जोर दिया।
देहरादून की मानवाधिकार कार्यकर्ता श्रीमती शेवता राय तलवार ने संयुक्त राष्ट्र की बहुआयामी भूमिका पर जोर देते हुए कहा कि अगर गांधी और उनके अहिंसा प्रेम और स्नेह के सिद्धांत को सदस्य देशों के बीच बढ़ावा दिया जाए, तो विश्व शांति स्पष्ट रूप से महसूस की जा सकती है।
रवांडा के ट्रस्ट इंडस्ट्रीज के महाप्रबंधक हर्बर्ट बरसा काजय ने कुछ गृहयुद्ध संचालित अफ्रीकी देशों की स्थितियों की समीक्षा करते हुए जोर देकर कहा कि संयुक्त राष्ट्र को अशांत और अस्थिर देशों में अपनी शांति सेना को तैनात करने में संकोच नहीं करना चाहिए, और तब तक इंतजार नहीं करना चाहिए जब तक कि स्थिति और खराब न हो जाए। वर्तमान मे विश्व शांति के लिए ठोस सुधार की आवशकता है।
श्री री – बलूच बिलाल, यूरोपीय संघ में मान्यता प्राप्त पत्रकार और स्तंभकार, फ्रांस से संयुक्त राष्ट्र में चीन की भूमिका का वर्णन करने में बहुत साहसी थे, उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि चीन अपनी धन शक्ति से संयुक्त राष्ट्र को दृढ़ता से प्रभावित कर रहा है। और संयुक्त राष्ट्र चीन की कठपुतली मात्र है।
मुंबई से आर्ट ऑफ लिविंग के फैकल्टी एमएस जिग्नासा पांडे ने कहा कि व्यक्तिगत शांति और शांति विश्व शांति के लिए काफी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि यदि हम वेदों जैसे प्राचीन भारतीय शास्त्रों को पढ़ें, तो हम विश्व शांति में स्वयं सहायक होंगे।
डॉ. वीरेंद्र प्रकाश, पूर्व संयुक्त आयुक्त जीएसटी ने जोर देकर कहा कि विश्व शांति के लिए गरीबी, अभाव और निरक्षरता का उन्मूलन बहुत महत्वपूर्ण है, उन्होंने विश्व बैंक, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, आईडीए, आईएफसी, यूएनडीपी जैसे विभिन्न अंगों के माध्यम से संयुक्त राष्ट्र की भूमिका को बरकरार रखा। यूनिसेफ आदि ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र कुछ मामलों में विफल रहा है लेकिन साथ ही कुछ अन्य मामलों में काफी सफल रहा है।
प्रोफेसर पी के चौबे ने जोर देकर कहा कि संयुक्त राष्ट्र में एक लोकतंत्र होना चाहिए, उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में प्रचलित वीटो प्रणाली की निंदा की क्योंकि यह लोकतांत्रिक मानदंडों के खिलाफ है।
संगोष्ठी के अंत में संयोजक डॉ रजनीश त्यागी ने दिन के महत्व का वर्णन किया, और इस वर्ष संयुक्त राष्ट्र की थीम बिल्डिंग बैक टूगेदर फॉर पीस एंड प्रॉस्पेरिटी का वर्णन किया।
डॉ. राजीव उपाध्याय ने संयुक्त राष्ट्र दिवस पर बोलते हुए कहा कि यह अवसर जनता को चिंता के मुद्दों पर शिक्षित करने, वैश्विक समस्याओं को दूर करने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति और संसाधनों को जुटाने और मानवता की उपलब्धियों का जश्न मनाने और सुदृढ़ करने के लिए है।
डॉ. डीएस तोमर ने विभिन्न राष्ट्रों के नागरिकों से शांतिपूर्ण और समृद्ध भविष्य के लिए संगठित होने की अपील करते हुए सभी का आभार व्यक्त किया। डॉ वेद प्रकाश त्रिपाठी ने अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी / वेबिनार के लिए एक मॉडरेटर के रूप में काम किया। बुद्ध पीस फाउंडेशन के श्री रतीश शर्मा ने दूसरे अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी / वेबिनार तथा मृगांग त्यागी ने तकनीकी व्यवस्था का समन्वय किया।
आयोजन मे सर्व डा. बीर बल सिह , डा रेडुगा डंग, स्का. लीडर ए.के सिह , अयूब खान, आशीष गौतम, विकास शर्मा, संजना सिंह, मृगांग त्यागी, राहुल चौधरी, रोहित ट्विक्ले, डॉ नेहा, डॉ बीबीएस परिहार, डॉ टीआर चौहान, डॉ पुनीत मंगला, सचिन गोयल डॉ दीपक छोकर, डॉ श्रम वीर सिंह , योगेंद्र त्यागी , पलक आहूजा आदि अन्य प्रतिभागियों के रूप में वहां मौजूद थे।