Friday, November 22, 2024
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पुण्यतिथि पर विशेष : हर रोल में हिट थे डॉ. कलाम

देश के पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न डॉ ए पी जी अबुल कलाम न सिर्फ बच्चों के बीच लोकप्रिय थे बल्कि एक स्वनामधन्य रक्षा वैज्ञानिक और सभी के चहेते राष्ट्रपति थे। भारत की प्रक्षेपास्त्र प्रोद्योगिकी को विकसित करने का श्रेय उन्हीं को है। विलक्षण प्रतिभा के धनी डॉ कलाम ने साइकिल पर अखबार बेचकर अपने जीवन की सुदृढ़ शुरुवात की और भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन एवं रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन होते हुए राष्ट्रपति भवन तक की दूरी तय की । एक साधारण परिवार में जन्म लेने वाले डॉ कलाम का व्यक्तित्व और कृतित्व हर भारतीय के लिए प्रेरणादायी और अनुकरणीय रहा है। आज यानि 27 जुलाई को उनकी पुण्यतिथि पर समूचा देश उनको नमन कर रहा है। आज ही के दिन 2015 में उनकी मृत्यु हुई थी ।

साल 2002 उनकी जिंदगी में टर्निंग पॉइंट साबित हुआ। इस साल तत्कालीन राष्ट्रपति के. आर. नारायणन का कार्यकाल खत्म हो रहा था। उस वक्त वाजपेयी सरकार के पास इतना बहुमत नहीं था कि वह अपनी पसंद का राष्ट्रपति बनवा सकें। ऐसे में समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव ने अब्दुल कलाम साहब का नाम प्रस्तावित किया । इसे वाजपेयी सरकार ने हाथों- हाथ लिया। कांग्रेस पार्टी के सामने मुश्किल स्थिति पैदा हो गई । अपने आप को गैर संप्रदायी बताने वाली पार्टी मुस्लिम समुदाय के एक बेहद योग्य एवं लोकप्रिय व्यक्ति की राष्ट्रपति पद की दावेदारी को खारिज करने का जोखिम नहीं उठा सकती थी। लेफ्ट पार्टियों ने भी कलाम साहब की उम्मीदवारी का समर्थन किया। इस तरह से वो देश के 11वें राष्ट्रपति बन गए।

कलाम साहब देश के पहले और इकलौते गैर राजनीतिक राष्ट्रपति थे। शायद इसलिए उन्हें जनता का भरपूर प्यार मिला. उनकी सादगी के किस्से काफी चर्चित रहे। वो डॉ राजेन्द्र प्रसाद के बाद दूसरे लोकप्रिय राष्ट्रपति माने जाने लगे। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम देश के उन राष्ट्रपतियों में से रहे, जिन्हें जनता का सबसे ज्यादा प्यार मिला। जब वो वैज्ञानिक थे, तब भी देशसेवा में उनके योगदान के लिए जनता ने उन्हें सिर आंखों पर बिठाया और जब वो राष्ट्रपति बने तो सर्वोच्च पद पर आसीन एक सादगी पसंद शख्स की जनता कायल हो गई।

एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर, 1931 को भारत के दक्षिणी राज्य तमिलनाडु के रामेश्वरम में हुआ था। उनका पूरा नाम अबुल पाकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम था. एक मछुआरे परिवार में जन्मे कलाम साहब का बचपन बेहद अभावों में बीता. गणित और भौतिक विज्ञान उनके फेवरेट सब्जेक्ट थे। पढ़ाई से उन्हें खासा लगाव था और शिक्षा प्राप्त करने के लिए उन्हें जीवन में काफी संघर्ष करना पड़ा। अपना खर्च चलाने के लिए उन्होंने अखबार तक बेचा।

मद्रास इंजीनियरिंग कॉलेज से उन्होंने एयरोनॉटिकल साइंस की पढ़ाई की। 1962 में उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो में नौकरी शुरू की. उनके निर्देशन में भारत ने अपना पहला स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान यानी पीएसएवी-3 बनाया और 1980 में पहला उपग्रह ‘रोहिणी’ अंतरिक्ष में स्थापित किया गया।

अंतरिक्ष अनुसंधान और मिसाइल टेक्नोलॉजी पर कलाम साहब ने खूब काम किया। उस दौर में मिसाइलों का होना उस देश की ताकत और आत्मरक्षा का पर्याय माना जाने लगा था लेकिन दुनिया के ताकतवर देश अपनी मिसाइल टेक्नोलॉजी को भारत जैसे देश के साथ साझा नहीं कर रहे थे. भारत सरकार ने अपना स्वदेशी मिसाइल कार्यक्रम शुरू करने का फैसला किया. इंटीग्रेटेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम की जिम्मेदारी कलाम साहब को सौंपी गई।

1992 से 1999 तक अब्दुल कलाम रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार रहे और इसी दौरान ही पोखरण में परमाणु परीक्षण हुआ. इसमें कलाम साहब की भूमिका बेहद खास थी। उनकी इन्हीं उपलब्धियों के चलते उन्हें 1997 तक भारत रत्न समेत सभी नागरिक सम्मान मिल चुके थे।

मिसाइलमैंन के रूप में प्रसिद्ध डॉ कलाम का देश को रक्षा प्रोद्योगिकी के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने में बेहद महत्वपूर्ण योगदान है। एक राष्ट्रपति के रूप में उनका कार्यकाल भी निसंदेह उपलब्धियों भरा रहा । उनके इस योगदान के लिए देश सदैव उनका ऋणी रहेगा।

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