माता सीता के नाम पर बसी इस पवित्र भूमि के बारे में ऋषि वेद व्यास ने पुराण में लिखा है। नैमिषारण्य आए बिना चार धाम की यात्रा पूरी नहीं होती है। उसी प्रकार राजनीति के खिलाड़ियों को लखनऊ तक सत्ता का सफर तय कराने में यहाँ के वोटर अहम भूमिका निभाते हैं
महाराजा विक्रमादित्य के बसाए गए सीतापुर जिले ने न सिर्फ नव चेतना दी बल्कि सामाजिक, राजनैतिक और धार्मिक रूप से सशक्त किया। ऋषियों और सूफियों की इस भूमि में नौ विधानसभा क्षेत्र आते हैं। 2017 के विधान सभा चुनाव में भाजपा ने यहाँ जीत का परचम लहराकर सत्ता की कमान संभाली थी। इसके पहले 2012 के चुनाव में मतदाताओं ने नौ में से सात विधायक चुनकर सपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी। खैराबाद में हजरत मकदूम और हजरत गुलजार शाह का दरगाह साम्प्रदायिक सौहार्द का प्रतीक माना जाता हैं। ऐसे में यहाँ पर मतदाताओं के ध्रुवीकरण की संभावना कम ही रहती है। इस बार के चुनाव में भी मतदाता जिस राजनैतिक दल को सबसे ज्यादा सीटें जिताएंगे वहीं 2022 चुनाव का सिकंदर कहलाएगा।
फिलहाल यहाँ नामांकन दाखिल करने का वक्त समाप्त हो चुका है। सभी दल ताल ठोंककर चुनाव मैदान में हैं। सीतापुर सदर सीट में मुक़ाबला काफी रोचक है। यहाँ मौजूदा विधायक के खिलाफ पार्टी के बागियों ने मोर्चा खोल दिया है। भाजपा ने राकेश राठौर गुरु को टिकट दिया है जबकि विश्राम सागर राठौर और साकेत मिश्रा ने नामांकन कर पार्टी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। सदर विस क्षेत्र से समाजवादी पार्टी से राधेश्याम जायसवाल, आम आदमी पार्टी आनंद जायसवाल बसपा से खुर्शीद अंसारी और कांग्रेस से शमीना शफीक प्रत्याशी हैं। महोली सीट से भाजपा के शशांक त्रिवेदी, सपा के अनूप गुप्ता, कांग्रेस से आशीष मिश्र, बहुजन समाज पार्टी से राजेंद्र प्रसाद वर्मा, आप पार्टी से दीप्ति वर्मा उम्मीदवार हैं। हरगांव सीट से भाजपा के सुरेश राही व सपा के रामहेत भारती समेत बसपा से रानू चौधरी, कांग्रेस से ममता भारती, भाकपा माले से अर्जुन लाल प्रत्याशी हैं। लहरपुर से भाजपा से मौजूदा विधायक सुनील वर्मा, आप पार्टी से संतोष सक्सेना, कांग्रेस की अनुपमा द्विवेदी बसपा के बहुजन मो. जुनैद अंसारी प्रत्याशी हैं। बिसवां से भाजपा के निर्मल वर्मा, सपा के अफजाल कौसर, कांग्रेस की वंदना भार्गव प्रत्याशी हैं। सेवता सीट से भाजपा के ज्ञान तिवारी, सपा से महेंद्र कुमार सिंह कांग्रेस के विजय नाथ अवस्थी उम्मीदवार हैं। महमूदाबाद से भाजपा की आशा मौर्या, सपा से नरेंद्र सिंह वर्मा और कांग्रेस से ऊषा वर्मा उम्मीदवार हैं। सिधौली से भाजपा के मनीष रावत, सपा प्रत्याशी पूर्व विधायक डॉ. हरगोविंद भार्गव, कांग्रेस की कमला रावत, बसपा से पुष्पेंद्र कुमार प्रत्याशी हैं। मिश्रिख से भाजपा के रामकृष्ण भार्गव, कांग्रेस से सुभाष, बसपा से श्याम किशोर और आम आदमी पार्टी से बाबूराम प्रत्याशी हैं।
देखा जाए तो सीतापुर राजनीति के महारथियों का गढ़ रहा है लेकिन जनता ने राजनेताओं के नाकरा उत्तराधिकारियों को नकारने में चूक नहीं की। कभी सीतापुर में डाक्टर श्याम किशोर मिश्र की हनक थी लेकिन उनके गोद लिए पुत्र की आकस्मिक मौत के साथ ही विरासत समाप्त हो गई। कांग्रेस की दिग्गज नेता राजेंद्र कुमारी वाजपेई की ताकत का अहसास लखनऊ से लेकर दिल्ली तक बैठे सियासत दा को था लेकिन उनकी उत्तराधिकारी बहू को वो मुकाम नहीं नसीब हो सका। राजनीति के धुरंधर दौलत राम और भाजपा के कैबिनेट मंत्री रहे राजेंद्र गुप्ता भी राजनैतिक विरासत को आगे नहीं ले जा सके। हां, पूर्व केंद्रीय गृहराज्य मंत्री रहे राम लाल राही के पुत्र सुरेश राही 2017 के चुनाव में जीतकर भाजपा विधायक बने जबकि 2022 के चुनाव में ताल ठोंक रहे हैं। जबकि ओम प्रकाश गुप्ता के पुत्र अनूप गुप्ता एक बार फिर सपा से मैदान में हैं।
जिले की सीतापुर सदर सीट की बात करें तो 1952 से 1974 तक कांग्रेस का राज था। 1977 में जनता पार्टी के राजेंद्र कुमार यहां से विधायक बने। बाद में भाजपा से राजेंद्र गुप्ता 1980, 1985, 1989, 1991 और 1993 में विधायक बने। 1996 से 2012 तक चार बार यहां से सपा के राधेश्याम जायसवाल विधायक का चुनाव जीतते रहे। 2017 में एक बार फिर भाजपा के राकेश राठौर ने जीत हासिल की।
हरगांव में 1989 में बदले सियासी हालात में भाजपा मजबूत हुई। 1989 से 1993 तक यहाँ लगातार दौलत राम चुनाव जीतते रहे। 1996 में पहली बार समाजवादी पार्टी ने अपना खाता खोला। 2002 में बसपा से रामहेत भारती विधायक बने। 2007 और 2012 में भी यहां के मतदाताओं ने बसपा पर भरोसा जताया। लेकिन 2017 की मोदी लहर में भाजपा ने बसपा के इस किले को ढहा दिया। यहां से सुरेश राही विधायक बने।
लहरपुर विधानसभा सीट के सामाजिक समीकरणों की बात करें तो यहां हर जाति-वर्ग के लोग रहते हैं। इस विधानसभा क्षेत्र में ब्राह्मण और राजपूत के साथ ही अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाता भी अच्छी तादाद में हैं। यहाँ अनुसूचित जाति के मतदाता भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं। भाजपा ने इस बार मौजूदा विधायक सुनील वर्मा को अपना उम्मीदवार बनाया है। बिसवा सीट पर 1980 से 1991 तक कांग्रेस का प्रभुत्व रहा लेकिन साल 1993 के बाद से समीकरण बदलते रहे हैं। 2017 में बीजेपी के महेंद्र सिंह ने सपा के अफजाल कौसर को हराया था। सेवता विधानसभा क्षेत्र में पिछड़ा वर्ग के मतदाता अधिक होने के कारण सपा और बसपा का जोर ज्यादा है जबकि कांग्रेस का अपना परंपरागत आधार है। हालांकि 2017 के चुनाव में भाजपा के ज्ञान तिवारी ने भारी अंतर से जीत दर्ज की थी। इस बार भी पार्टी के उम्मीदवार हैं। महमूदाबाद विधानसभा सीट भाजपा और सपा का सीधा मुक़ाबला है। मिश्रिख विधानसभा सीट 2007 तक यह गैर आरक्षित थी लेकिन 2012 में सुरक्षित सीट घोषित कर दिया गया। साल 1991 तक कमोबेश यहां कांग्रेस का गढ़ रहा। उसके बाद 1993 से 2012 तक यह सीट समाजवादी पार्टी के पास रही। बीजेपी ने 2017 में यहाँ जीत का स्वाद चखा। देखना है कि जिले की नौ विधान सभा सीटों पर मतदाता इस बार किसकी जीत सुनिश्चित करते हैं।
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महोली
महोली सीट के अस्तित्व में आने के बाद से अब तक दो बार ही चुनाव हुआ है। जिसमें एक बार भाजपा और एक बार समाजवादी पार्टी ने मारी थी। 2017 में माहोली में कुल 33.49 प्रतिशत वोट पड़े। 2017 के विधान सभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी से शशांक त्रिवेदी ने समाजवादी पार्टी के अनूप कुमार गुप्ता को 3717 वोटों से हराया था। इस चुनाव में कुल 33.49 प्रतिशत वोट पड़े थे। 2012 में 16 वीं विधानसभा के चुनावों में अनूप गुप्ता ने बीएसपी के महेश चंद्र मिश्रा को मात दी थी। कांग्रेस के गया प्रसाद तीसरे स्थान पर रहे थे। जबकि पीइसीपी के आर ए सिंह चौथे स्थान पर रहे थे।
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महोली
विधानसभा संख्या 145
कुल मतदाता —- 323667
वर्तमान विधायक — शशांक त्रिवेदी (भाजपा)
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सीतापुर
इस सीट पर अर्से से समाजवादी पार्टी का कब्जा था लेकिन 2017 के विधान सभा चुनाव में यहाँ से भारतीय जनता पार्टी से राकेश राठौर ने समाजवादी पार्टी के राधे श्याम जयसवाल को 24839 वोटों से हराकर उलटफेर कर दिया था। इस चुनाव में कुल 42.21 प्रतिशत वोट पड़े। 2012 में 16 वीं विधानसभा के चुनावों में समाजवादी पार्टी के राधेश्याम जायसवाल ने बीएसपी के अयूब खान को हराया था। बीजेपी के साकेत मिश्रा तीसरे स्थान पर रहे थे। जबकि कांग्रेस के हाजी जलीस अहमद चौथे स्थान पर रहे थे। 2007 के चुनाव में भी समाजवादी पार्टी के राधेश्याम जायसवाल ने बीएसपी के राकेश कुमार को मात दी थी। बीजेपी के साकेत मिश्रा तीसरे स्थान पर रहे थे। चौथे स्थान पर कांग्रेस के आशीष मिश्रा रहे थे।
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सीतापुर
विधानसभा संख्या- — 146
कुल मतदाता —- 342103
वर्तमान विधायक —- राकेश राठौर (भाजपा)
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हरगांव सुरक्षित
हरगांव सीट पर अर्से से बीएसपी का कब्जा था लेकिन 2017 के विधान सभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी से सुरेश राही ने बहुजन समाज पार्टी के रामहेत भारती को 44995 वोटों से हराया था। इस चुनाव में यहाँ कुल 45.95 प्रतिशत वोट पड़े थे। भाजपा के उलटफेर के बावजूद इस बार भी यहां बसपा की चुनौती नजर आ रही है। 2012 में 16 वीं विधानसभा के चुनावों में बीएसपी के रामहेत भारती ने समाजवादी पार्टी के आर पी चौधरी को मात दी थी। कांग्रेस के मंजरी राही तीसरे स्थान पर रहे थे। चौथे स्थान पर बीजेपी की किरन बाला चौधरी रही थीं। 2002 और 2007 के विधानसभा चुनाव में भी भारती ही विजयी रहे थे। 2007 के चुनाव में रामहेत भारती ने समाजवादी पार्टी के रमेश राही को हराया था। बीजेपी के राजेश कुमार तीसरे स्थान पर रहे थे। कांग्रेस के कमल किशोर चौथे स्थान पर रहे थे।
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हरगांव सुरक्षित
विधानसभा संख्या- — 147
कुल मतदाता —- सवा तीन लाख
वर्तमान विधायक — सुरेश राही (भाजपा)
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लहरपुर
इस विधानसभा क्षेत्र में पिछले तीन विधानसभा चुनाव में दो बार बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशियों को जीत मिली। जबकि एक- एक बार भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को जीत मिली। 2017 में भाजपा के सुनील वर्मा ने बहुजन समाज पार्टी के मोहम्मद जसमीर अंसारी को 9118 वोटों से हराया था। इस चुनाव में यहाँ कुल 34.62 प्रतिशत वोट पड़े थे। 2012 में 16 वीं विधानसभा के चुनावों में बीएसपी के जसमीर अंसारी ने कांग्रेस के अनिल कुमार वर्मा को हराया था। समाजवादी पार्टी के जहीर अब्बास तीसरे स्थान पर रहे थे। जबकि बीजेपी के प्रमोद कुमार वर्मा चौथे स्थान पर रहे थे। 2007 के चुनावों में भी जसमीर अंसारी ने समाजवादी पार्टी के अनिल कुमार वर्मा को हराया था। कांग्रेस के हाजी जलीस अहमद तीसरे स्थान पर रहे थे। जबकि बीजेपी के रामबख्श चौथे स्थान पर रहे थे। 2002 में कांग्रेस के अनिल कुमार वर्मा आखिरी बार यहां से चुनाव जीते थे।
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लहरपुर
विधानसभा संख्या- — 147
कुल मतदाता —- 339,731
वर्तमान विधायक —- सुनील वर्मा (भाजपा)
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बिसवां
बिसवां सीट पर पिछले चार विधानसभा चुनावों में दो बार समाजवादी पार्टी के प्रत्याशियों को जीत मिली है जबकि एक- एक बार भाजपा और बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी को जीत मिली है। फिलवक्त सीट पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है। 2017 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी से महेंद्र सिंह ने समाजवादी पार्टी के अफजाल कौसर को 10235 वोटों से हराया था। इस चुनाव में यहाँ कुल 35.92 प्रतिशत वोट पड़े।
2012 में 16 वीं विधानसभा के चुनावों में समाजवादी पार्टी के रामपाल यादव ने बीएसपी के निर्मल वर्मा को शिकस्त दी थी। तीसरे स्थान पर कांग्रेस के विजय कुमार मिश्रा रहे थे। जबकि बीजेपी के राजकुमार जैन चौथे स्थान पर रहे थे। 2007 के चुनावों में बाजी 2012 के परिणाम से ठीक उलट थी। यहां बीएसपी के निर्मल वर्मा ने समाजवादी पार्टी के रामपाल यादव को परास्त किया था। बीजेपी के अजीत कुमार मल्होत्रा तीसरे स्थान पर रहे थे। जबकि आरएसबीपी के सलमान अंसारी चौथे स्थान पर रहे थे।
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बिसवां
विधानसभा संख्या- — 149
कुल मतदाता —- 317,171
वर्तमान विधायक —– महेंद्र सिंह (भाजपा)
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सेवता
इस विधानसभा सीट के अस्तित्व में आने के बाद से दो बार चुनाव हुआ है। 2017 में भारतीय जनता पार्टी से ज्ञान तिवारी ने बहुजन समाज पार्टी के इंजीनियर मोहम्मद नासिम को 43659 वोटों से हराया था। इस सीएचयूएनएवी में कुल 44.23 प्रतिशत वोट पड़े थे। 2012 में 16 वीं विधानसभा के चुनावों में समाजवादी पार्टी के महेंद्र कुमार सिंह ने कांग्रेस के अमर रिजवी को शिकस्त दी थी। तीसरे स्थान पर बीएसपी की रंजना बाजपेई रही थीं। वहीं जेपीएस के शिव कुमार गुप्ता चौथे स्थान पर रहे थे। सेवता विधानसभा क्षेत्र से बसपा ने इस बार आशीष प्रताप सिंह को मैदान में उतारा है।
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सेवता
विधानसभा संख्या- — 150
कुल मतदाता —- 263543
वर्तमान विधायक —- ज्ञान तिवारी (भाजपा)
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महमूदाबाद
महमूदाबाद सीट के अस्तित्व में आने के बाद से अब तक दो बार विधानसभा चुनाव हुआ है। जिसमें दोनों बार समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी तो जीत मिली। 2017 में समाजवादी पार्टी से नरेन्द्र सिंह वर्मा ने भारतीय जनता पार्टी के आशा मौर्या को हराया था। 2012 में 16 वीं विधानसभा के चुनाव में समाजवादी पार्टी के नरेंद्र सिंह वर्मा ने बीएसपी के अहमद अंसारी को हराया था। कांग्रेस के मोहन प्रसाद तीसरे स्थान पर रहे थे। जबकि एडी के गोपीचंद्र वर्मा चौथे स्थान पर रहे थे।
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महमूदाबाद
विधानसभा संख्या- — 151
कुल मतदाता —- तीन लाख (लगभग)
वर्तमान विधायक —- नरेंद्र सिंह वर्मा (सपा)
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सिधौली सुरक्षित
पिछले चार विधानसभा चुनावों में सिधौली सीट पर दो-दो बार बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को जीत मिली है। 2017 के विधान सभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी से हरगोविंद भार्गव ने समाजवादी पार्टी के मनीष रावत को 2510 वोटों से हराया था। 2012 में 16 वीं विधानसभा के चुनावों में समाजवादी पार्टी के मनीष रावत ने बीएसपी के हरगोविंद भार्गव को हराया था। कांग्रेस के श्याम लाल रावत तीसरे स्थान पर रहे थे। 2007 के चुनावों में बीएसपी के हरगोविंद भार्गव ने समाजवादी पार्टी के श्याम लाल रावत को मात दी थी।
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सिधौली
विधानसभा संख्या- — 152
कुल मतदाता —- 301879
वर्तमान विधायक — हरगोविंद भार्गव (बसपा)
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मिश्रिख सुरक्षित
मिश्रिख विधानसभा सीट पर पिछली बार 2017 में 39.33 प्रतिशत वोट पड़े। तब भारतीय जनता पार्टी से रामकृष्ण भार्गव ने बहुजन समाज पार्टी के मनीष कुमार रावत को 20672 वोटों से हराया था। 2012 में 16वीं विधानसभा चुनाव में यहां से सपा के रामपाल राजवंशी विजयी रहे थे। उन्होंने बसपा के मनीष कुमार रावत को हराया था। राजवंशी को कुल 61,346 वोट मिले थे। 2007 में समाजवादी पार्टी के अनूप कुमार ने बसपा के गया प्रसाद को 3,144 वोट से हराया था। 2002 में सपा के ओमप्रकाश ने बसपा के राकेश सिंह को 18,611 वोटों से हराया था।
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मिश्रिख
विधानसभा संख्या- — 153
कुल मतदाता —- 3लाख 50 हजार
वर्तमान विधायक —- रामकृष्ण भार्गव (भाजपा)
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