आनन्द अग्निहोत्री
उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव के चौथे चरण में भी मतदान में 3.43 फीसदी की गिरावट दर्ज की गयी। वर्ष 2017 के चुनाव में मतदान में बढ़ोत्तरी हुई थी। मतदान में वृद्धि का नतीजा विपक्ष की जीत के रूप में सामने आया था। तब भारतीय जनता पार्टी विपक्ष में थी और उसे सरकार बनाने का अवसर मिला था। लेकिन अब तक चारों चरणों के मतदान में वोटिंग प्रतिशत गिरा है। मतदान में गिरावट का यह रुख क्या नतीजा सामने लायेगा, गारंटी के साथ नहीं कहा जा सकता।
सामान्यत: माना जा रहा है कि यह भाजपा सरकार के पक्ष में है। लेकिन चुनावी रण में इस बार जितनी शिद्दत के साथ कांग्रेस भी मैदान में है, उससे इस धारणा को पूरी तरह सत्य मानना जल्दबाजी होगी। चुनावी रण में मुख्य मुकाबला भाजपा और सपा के बीच है लेकिन प्रियंका गांधी की सक्रियता से कांग्रेस भी मैदान में नजर आ रही है। बसपा सुप्रीमो मायावती तो अपने पारम्परिक वोट के दम पर पहले से ही खम ठोंकती नजर आ रही है। आंकड़े कुछ भी कहें, इस बार किसका गणित सही साबित होगा, कहा नहीं जा सकता।
चौथे चरण में करीब 59.12 प्रतिशत वोटिंग हुई है। 2017 में इन्हीं 59 सीटों पर 62.55% मतदान हुआ था, यानी इस बार करीब 3.43 प्रतिशत कम वोटिंग हुई है। 2012 में इन 59 सीटों पर 57.52% वोटिंग हुई थी। वहीं 2012 की तुलना में 2017 में वोटिंग में 5% का इजाफा हुआ था। पिछले 3 चुनावों में इन 59 सीटों का विश्लेषण करें तो पता चलता है कि जब-जब वोट प्रतिशत बढ़े तो उस समय के विपक्षी दलों को फायदा हुआ। 2012 में 8% बढ़ने पर सपा को 22 और 2017 में 5% वोटिंग बढ़ने पर भाजपा को यहां 48 सीटों का फायदा हुआ। इस बार इन 59 सीटों पर 4% वोटिंग घटी है। इस लिहाज से सत्ताधारी दल भाजपा को फायदा होने के आसार हैं।
2017 में 62.55% वोटिंग हुई तो भाजपा को इन 59 सीटों में से 51 पर जीत मिली थीं, जबकि 2012 में 57.52% वोटिंग हुई थी। तब भाजपा को इन 59 सीटों में से महज 3 सीटें मिली थीं। यानी 2017 में 5% वोटिंग बढ़ने पर भाजपा को 48 सीटों का फायदा हुआ था। सपा को 2012 में इस इलाके में 39 सीटें मिली थीं। 2017 में महज 4 सीटें मिलीं। यानी 5% वोटिंग बढ़ने पर सपा 35 सीटों का नुकसान हुआ। 2017 में बसपा को 2 और कांग्रेस को 2 सीट मिलीं। बसपा को 11 और कांग्रेस को 1 सीटों का नुकसान हुआ। 2012 में बसपा को यहां की 59 सीटों में से 13, कांग्रेस को 3 सीटों पर जीत मिली थी।
2012 में करीब 57.52% वोटिंग में इजाफा हुआ तो बसपा को 14 सीटों का नुकसान हुआ। 2007 में इन्हीं 59 सीटों पर करीब 49% वोटिंग हुई थी। तब भाजपा को 9 सीटें मिली थीं। सपा को 17 और बसपा को 27 सीटों पर जीत मिली थी और बसपा की सरकार बनी थी। 2012 में इन्हीं 59 सीटों पर 57.52% वोटिंग हुई थी। इस बार वोटिंग में तकरीबन 5% का इजाफा हुआ। इसका फायदा मुख्य विपक्षी दल सपा को हुआ। सपा को यहां 59 में से 39 सीटों पर जीत मिली यानी 22 सीटों का फायदा हुआ। वहीं बसपा को 13 सीटें मिलीं यानी 14 सीटों का नुकसान हुआ।
पहले चरण में 10 फरवरी को भी वेस्ट यूपी में ही वोटिंग हुई थी। तब यहां की 58 सीटों पर 62.4% वोटिंग हुई। 2017 में इन 58 सीटों पर औसतन 63.75% मतदान हुआ था यानी इस बार करीब 1.2% वोटिंग कम हुई है। 2012 में इन्हीं 58 सीटों पर 61.03% वोटिंग हुई थी। यानी 2017 में 2% से ज्यादा वोट का इजाफा हुआ था।