Friday, November 22, 2024
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गाँव- गाँव दोबारा कमल खिलाने की चुनौती

अवध की धड़कन लखनऊ के गांव आजादी की क्रांति से लेकर आमों की मिठास के लिए दुनियाभर में जाने जाते हैं। अमराइयों का शहर मलिहाबाद,  ऐतिहासिक काकोरी,  मोहनलालगंज, गोसांईगंज, चिनहट और इटौंजा के लोग दल से ज्‍यादा दिलों पर भरोसा करते हैं। यहां के ग्रामीण क्षेत्र में मलिहाबाद, बख्‍शी का तालाब, सरोजनी नगर और मोहनलाल गंज विधानसभा सीटें आती हैं। दशहरी आम की तरह ही यहां  की राजनीति में कौशल किशोर, राजेश्वर सिंह, अभिषेक मिश्र, आरके चौधरी, गोमती यादव जैसे दिग्‍गज नेताओं का जलवा राजनैतिक दलों से कहीं ज्‍यादा है। आजादी के बाद से इस समूची बेल्‍ट में कांग्रेस ने लम्‍बे समय विजय पताका जरूर फहराई लेकिन यह क्षेत्र कभी कांग्रेस जैसी राष्‍ट्रीय पार्टी का गढ़ नहीं बन सका। भारतीय जनता पार्टी ने पिछली बार 2017 में यहाँ पहली बार कमल खिलाया था लेकिन मोहन लाल गंज फिर भी भाजपा के लिए अभेद्य रही।  

मोहनलाल गंज, मलिहाबाद और सरोजनी नगर के मतदाताओं ने राजनैतिक दलों से ज्‍यादा नेताओं की व्‍यक्तिगत छवि पर भरोसा जताया है। बख्‍शी का तालाब (मोहान) सीट पर भाजपा, सपा और बसपा का मुक़ाबला होता रहा है। पिछली बार ये सीट भाजपा ने छीन ली थी, हालांकि इस बार पार्टी ने एक बार फिर यहाँ से नए चेहरे पर दांव लगाया है। सरोजनी नगर विधानसभा सीट पर भी भाजपा ने मौजूदा विधायक स्वाती सिंह का टिकट काट दिया है। यहाँ पर अब पूर्व अधिकारी राजेश्वर सिंह भाजपा के लिए मोर्चे पर डटे हैं। तो सपा की में कैबिनेट मंत्री रहे शारदा प्रसाद शुक्‍ल भी भाजपा के समर्थन में जुटे हैं। इस विधानसभा चुनाव में भाजपा के सांसद और केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर की भी अग्नि परीक्षा होनी है। उनकी धर्मपत्‍नी और विधायक जयदेवी मलिहाबाद सीट से दोबारा मैदान में हैं इसलिए यहाँ मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। ग्रामीण क्षेत्र में भाजपा के लिए सबसे कठिन परीक्षा मोहनलाल गंज विधान सभा क्षेत्र के मतदाताओं के सामने होनी है। यहाँ पर अभी तक एक बार फिर कमल नहीं खिला है जबकि भाजपा को उम्मीद है कि इस बार लोग डबल इंजन की सरकार को ही ही वोट करेंगे।

प्रदेश की राजधानी के ग्रामीण इलाका होने के कारण यहाँ पर सबकी निगाहें लगी हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह लखनऊ के सांसद होने के साथ सबसे बड़े नेता हैं। उन्होने यहाँ पर कई जन सभाएं की हैं। मुखमंत्री योगी आदित्यनाथ भी ग्रामीण इलाकों में जाकर विकास और सुरक्षा की रफ्तार तेज करने का वादा कर चुके हैं। सपा अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने कार्यकर्ताओं में जोश भर सत्ता में वापसी का भरोसा दिलाया है। सपा गाँव- गाँव में जाकर वोट मांग रही है तो बूथ स्तर पर संगठन को मजबूत करने के लिए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने रणनीति बनाई है। बसपा को उम्मीद है कि सर्वजन हिताय के लिए उसके परंपरागत वोटर एकबार फिर यहाँ से सत्ता का द्वार खोलेंगे। कुलमिलाकर चारों प्रमुख राजनीतिक दल जीत के लिए ज़ोर आजमाइश कर रहे हैं। 

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विजयी प्रत्‍याशी

1993

मलिहाबाद से सपा के गौरीशंकर

सरोजनीगगर से श्याम किशोर यादव

मोहनलालगंज से सपा के संत बख्श रावत

1996

मलिहाबाद से सपा के गौरीशंकर

सरोजनीनगर से सपा के श्याम किशोर यादव

मोहनलालगंज से बसपा के आरके चौधरी

बक्‍शी का तालाब से गोमती यादव

2002

मलिहाबाद से निर्दलीय कौशल किशोर

सरोजनीनगर से मोहम्मद इरशाद खान

मोहनलालगंज से निर्दलीय आरके चौधरी

2007

मलिहाबाद से सपा के गौरीशंकर

सरोजनीनगर से बसपा मोहम्मद इरशाद

मोहनलालगंज से राष्ट्रीय स्वाभिमान पार्टी से आरके चौधरी

बक्‍शी का तालाब से बसपा के नकुल दुबे

2012

मलिहाबाद से सपा के इंदल कुमार

सरोजनीनगर से सपा के शारदा प्रताप शुक्ला

मोहनलालगंज से सपा की चंद्रा रावत

बक्‍शी का तालाब से गोमती यादव

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2017

मलिहाबाद से भाजपा की जय देवी

सरोजनीनगर से भाजपा की स्वाती सिंह

मोहनलालगंज से सपा के अमरीश पुष्कर

बक्‍शी का तालाब से भाजपा के अविनाश त्रिवेदी

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मलिहाबाद – किशोर के कौशल की होगी परीक्षा

आमों की बेल्‍ट के रूप में मशहूर मलिहाबाद का ऐसा ही मीठा अंदाज है जो दलों से ज्‍यादा दिलों को जोड़ने के लिए जाना जाता है। यहां पर सबसे ज्‍यादा एक लाख अनुसूचित जाति के वोटर हैं। इसके अलावा 24 हजार यादव, 18 हजार मौर्य, 20 हजार मुस्लिम मतदाता, 15 हजार सवर्ण और 20 हजार अन्‍य जातियों के मतदाता है। 2017 के चुनाव में पहली बार भाजपा ने यहाँ कमल खिलाया था। जय देवी ने यहाँ जीत हासिल की थी। इससे पहले इस सीट पर लंबे समय तक कांग्रेस और सपा  का दबदबा रहा है। भाजपा ने 2022 के चुनाव में एक बार फिर से अपनी सीटिंग विधायक पर ही भरोसा जताया है।  सपा ने जया देवी के विरुद्ध सुरेन्द्र कुमार को टिकट दिया है। यहाँ पर इस बार भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर की भी परीक्षा है। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा में शामिल होने से पहले स्‍वतंत्र रूप से राजनीति करने वाले सांसद कौशल किशोर ने यहां अपनी मजबूत जड़े जमाई है। मलिहाबाद सुरक्षित सीट पर 1984 और 2009 में हुए उप चुनाव में क्रमश: निर्दलीय और बसपा के प्रत्‍याशी विजयी हुए थे। उन्‍होंने इस सीट पर निर्दलीय उम्‍मीदवार के रूप में 2002 का चुनाव जीतकर अपनी ताकत का अहसास कराया था। इस बार उनकी धर्म पत्नी भाजपा को जीत दिलाने के लिए दोबारा मैदान में हैं।

बख्‍शी का तालाब – सपा की भाजपा को चुनौती

बख्शी का तालाब सीट 2008 के परिसीमन से पहले महोना सीट हुआ करती थी। यहां पर शुरुआती दौर में कांग्रेस के प्रत्याशी जीतते रहे लेकिन राम लहर में पहली बार बीजेपी ने 1991 में खाता खोला। गोमती यादव बीजेपी से विधायक बने। उसके बाद 1993 में बीजेपी ने राजनाथ सिंह को प्रत्याशी बनाया लेकिन वह हार गए। इसकी वजह जातीय समीकरण का खेल माना गया। सवर्ण बीजेपी का कैडर वोट है लेकिन गोमती यादव का टिकट कट जाने से यादव और अन्य ओबीसी नाराज हो गए। उसके बाद 1996 में फिर गोमती यादव बीजेपी के टिकट से जीते। बीजेपी के सवर्ण कैडर वोट के साथ ओबीसी प्रत्याशी का संतुलन उसके लिए कामयाब रहा। यहां ओबीसी और खासकर यादव वोटर काफी होने से लंबे समय तक गोमती यादव और राजेंद्र यादव के बीच मुकाबला रहा है। यहां से बीएसपी का खाता पहली बार ब्राह्मण प्रत्याशी नकुल दुबे ने खोला। बख्शी का तालाब सीट बनने के बाद दो शहरी वार्ड इसमें आए हैं लेकिन उनमें वोटरों की संख्या बहुत ज्यादा नहीं है। ऐसे में ग्रामीण वोटर ही निर्णायक होंगे। बीजेपी ने मौजूदा विधायक का टिकट काट दिया है। बीजेपी ने इस सीट पर योगेश शुक्‍ला को उम्‍मीदवार बनाया है। वहीं समाजवादी पार्टी ने गोमती यादव का टिकट दिया है जबकि बसपा ने सलाउद्दीन सिद्दीकी को चुनाव मैदान में उतारा है। इसके अलावा कांग्रेस ने ललन कुमार को उम्‍मीदवार बनाया है।

सरोजनी नगर – राजेश्वर सिंह खिलाएँगे कमल या अभिषेक दौड़ाएंगे साइकिल!

लखनऊ की सरोजनी नगर विधान सभा सीट ऐसी है, जहां ग्रामीण वोटर हैं तो शहरी वोटरों की संख्या लगातार बढ़ रही है। दलित और ओबीसी भारी संख्या में हैं तो ब्राह्मण, ठाकुर और वैश्य वोटर भी कम नहीं हैं। ऐसे में जातीय समीकरण साधना आसान नहीं है। पिछली बार भाजपा नेता दया शंकर सिंह के बसपा सुप्रीमो पर बयान के बाद तूफान आ गया था। जिसके बाद बसपा के नेताओं ने पलटवार करते हुए दया शंकर की पत्नी और बेटी पर अभद्र टिप्पढ़ी कर भाजपा को मौका दे दिया था। अब भाजपा ने यहाँ नारा दिया था, बेटी के सम्मान में, भाजपा मैदान में। इसके बाद राजनीति में स्वाती सिंह का उदय हुआ और यहाँ भाजपा को चमत्कारिक सफलता मिली थी। हालांकि पिछले पाँच सालों में वो लगातार चर्चा में रहीं जबकि उनके पति से टिकट को लेकर विवाद भी हुआ। इसके बाद भाजपा ने यहाँ तेज तर्रार और साफ सुथरी छवि वाले अफसर रहे राजेश्वर सिंह को टिकट दिया है। इस सीट पर हमेशा सवर्ण-ओबीसी और सवर्ण-दलित फार्मूला हिट रहा है। शुरुआती दौर में यह सीट कांग्रेस का गढ़ रही। राजा विजय कुमार त्रिपाठी यहां से कई बार जीते। उसके बाद जनता पार्टी और जनता दल ने एक-एक बार जीत हासिल की। बाद में सपा और बीएसपी का विकल्प मिलने के बाद यह सीट उनके खाते में ही जाती रही। हालांकि भाजपा ने पिछले चुनाव में यहाँ सारे समीकरण बदल दिये थे। भाजपा के मुक़ाबले में सपा के पूर्व मंत्री और ब्राह्मण चेहरा अभिषेक मिश्र मैदान में हैं ऐसे क्या राजेशवर फिर से कमल खिला पाएंगे, ये रोचक होगा।

मोहनलाल गंज – इस बार भी सपा बचा पाएगी अपना किला!

अगर मोहनलालगंज सुरक्षित सीट की बात करें तो यूपी में इस सीट का नेतृत्व अब तक 10 चेहरों ने किया है। 70 के दशक में कांग्रेस के नारायण दास 67 से 74 तक लगातार विधायक हुए। इंदिरा विरोधी लहर में जनता पार्टी से संत बक्श रावत यहां विधायक बने। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1985 में हुए विधानसभा चुनाव को छोड़ दिया जाए तो 1977 से 1996 तक 19 साल संत बक्श का ही सिक्का मोहनलालगंज में चला। 1996 के विधानसभा चुनाव में आरके चौधरी ने मोहनलालगंज को बीएसपी के खाते में डाला। बाद में उन्होंने बीएसपी छोड़ी लेकिन मोहनलालगंज ने आरके चौधरी को नहीं छोड़ा। 2002 में वह निर्दलीय विधायक बने और 2007 में हैट्रिक बनाई। हालांकि, 2012 के चुनाव में सपा करीब 16 साल बाद फिर भी मोहनलालगंज में लौटी और चंद्रा रावत को कमान मिली।

पिछली बार चौधरी भाजपा के साथ तो आए लेकिन उन्होने पार्टी का सिंबल लेने से इंकार कर दिया था। जिसके बाद एकबार फिर कमल खिलने से चूक गया। बहुत बार नजदीकी मुकाबलों में रहने के बावजूद भी बीजेपी को अभी मोहनलालगंज से जीत का इंतजार है। जातीय समीकरण को देखा जाए तो यहां सबसे ज्‍यादा एक पासी हैं। इससके बाद 35 हजार जाटव, 20 हजार कुर्मी, 20 हजार ब्राह्मण, 15 हजार क्षत्रीय और मुस्लिम, बनिया और अन्य मिलाकर 1.40 लाख लोग हैं। आइए देखते हैं लखनऊ के ग्रामीण क्षेत्र की चार विधानसभा सीटों में राजनैतिक समीकरण।

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मलिहाबाद (सुरक्षित)

दुनिया भर में आमों के लिए प्रसिद्ध इस सीट पर पिछली बार 2017 में पहली बार कमल खिला था।   पिछले चार विधानसभा चुनावों में दो बार समाजवादी पार्टी को जीत मिली है। जबकि एक- एक बार निर्दलीय और भाजपा प्रत्याशी को जीत मिली थी। 2017 में भारतीय जनता पार्टी से जय देवी ने समाजवादी पार्टी के राजबाला को 22668 वोटों से हराया था।तब यहाँ कुल 41.58 प्रतिशत वोट पड़े थे। 2012 में 16 वीं विधानसभा के चुनावों में समाजवादी पार्टी के इंदल कुमार ने आरसीपी के कौशल किशोर को पराजित किया था। बीएसपी के डॉ सिद्धार्थ शंकर तीसरे स्थान पर रहे थे। जबकि कांग्रेस के डॉ जगदीश चंद्र चौथे स्थान पर रहे थे। 2007 के चुनावों में समाजवादी पार्टी के गौरी शंकर ने बीएसपी के मेवालाल को पराजित किया था। आरसीपी के कौशल किशोर तीसरे स्थान पर रहे थे। जबकि बीजेपी के राम चौथे स्थान पर रहे थे। 2002 विधानसभा के चुनावों में निर्दलीय उम्मीदवार कौशल किशोर ने समाजवादी पार्टी के गौरी शंकर को हराया था। बीएसपी के छोटे लाल तीसरे स्थान पर रहे थे। जबकि बीजेपी के श्री दिवाकर सेठ चौथे स्थान पर रहे थे।

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मलिहाबाद

विधानसभा संख्‍या : 168

कुल मतदाता    — पौने चार लाख  

वर्तमान विधायक — जयदेवी भाजपा

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बक्‍शी का तालाब

2012 में नए परिसीमन के बाद बक्शी का तालाब सीट पर सपा को जीत हासिल हुई थी। हालांकि 2017 में भारतीय जनता पार्टी के अविनाश त्रिवेदी ने बहुजन समाज पार्टी के नकुल दुबे को 17584 वोटों से हराकर उलटफेर कर दिया था। तब यहाँ  कुल 36.44 प्रतिशत वोट पड़े थे। यहां ओबीसी और खासकर यादव वोटर काफी होने से लंबे समय तक गोमती यादव और राजेंद्र यादव के बीच मुकाबला भी रहा है। ये दोनों कई बार जीते भी हैं। यहां से बीएसपी का खाता पहली बार ब्राह्मण प्रत्याशी नकुल दुबे ने 2007 में खोला था। नकुल बसपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे और नगर विकास जैसा महत्‍वपूर्ण मंत्रालय भी मिला लेकिन 2012 के चुनाव में गोमती यादव ने दुबे को हरा दिया था। 16 वीं विधानसभा के चुनाव में समाजवादी पार्टी की गोमती यादव ने बीएसपी के नकुल दुबे को हराया था। कांग्रेस की सुनीता सिंह तीसरे स्थान पर रही थीं। जबकि बीजेपी के संजय कुमार सिंह चौथे स्थान पर रहे थे।

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बक्‍शी का तालाब

विधानसभा संख्या-  169

कुल मतदाता : 3.75 लाख   

वर्तमान विधायक —अविनाश त्रिवेदी (भाजपा)

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सरोजनी नगर

इस सीट से भाजपा ने अपने मंत्री स्‍वाती सिंह की जगह पूर्व अफसर राजेश्वर सिंह को चुनाव मैदान में उतारकर सबको चौंका दिया है। पिछली बार 2017 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी से स्वाति सिंह ने समाजवादी पार्टी के अनुराग यादव को 34179 वोटों से हराया था। तब यहाँ 2017 में सरोजनी नगर में कुल 37.31 प्रतिशत वोट पड़े थे। 2008 के परिसीमन में सीट के अस्तित्व में आने के बाद से अब तक दो बार विधानसभा चुनाव हुआ है। जिसमें एक एक बार भाजपा और सपा को जीत मिली है। 16 वीं विधानसभा के चुनाव में समाजवादी पार्टी के शरद प्रताप शुक्ला ने बीएसपी के शिव शंकर सिंह को हराया था। 2007 में बसपा के इरशाद खान ने सपा के श्याम किशोर यादव को 5,424 वोटों से हराया था। 2002 में बसपा के मोहम्मद इरशाद खान ने सपा के श्याम किशोर यादव को 2,592 वोटों से हराया था।

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सरोजनी नगर

विधानसभा संख्या-  170

कुल मतदाता       —-  चार लाख से अधिक

वर्तमान विधायक    —– स्वाती सिंह

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मोहनलालगंज सुरक्षित

मोहनलालगंज (सुरक्षित)-इस विधान सभा में पासी मतदाता काफी अधिक है। 2017 में मोहन लालगंज (सुरक्षित) में कुल 32.16 प्रतिशत वोट पड़े। पिछली बार 2017 के चुनाव में समाजवादी पार्टी से अंबरीश सिंह पुष्कर ने बहुजन समाज पार्टी के राम बहादुर को 530 वोटों से हराया था। कभी यहाँ आर के चौधरी का जलवा था पिछली बार वो भाजपा के समर्थन से चुनाव लड़े थे लेकिन कमल नहीं खिल सका था। 2012 में 16 वीं विधानसभा के चुनावों में समाजवादी पार्टी के चंद्रा रावत ने बीएसपी के अजय पुष्प रावत को हराया था। जबकि आरएसबीपी तीसरे स्थान पर रहे थे। जबकि कांग्रेस के हर्ष वर्धन शाह चौथे स्थान पर रहे थे। 2007 के चुनावों में आरएसपीबी के आऱ के चौधरी ने बीएसपी के पूर्णिमा वर्मा को मात दी थी। समाजवादी पार्टी के संत रावत तीसरे स्थान पर रहे थे। जबकि चौथे स्थान पर कांग्रेस की रीना चौधरी रही थीं। 2002 में भी निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर आर के चौधरी ने समाजवादी पार्टी की आर पी सरोज को हराया था। बीएसपी के परिदीन तीसरे स्थान पर रहे थे।

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विधानसभा संख्या   —  176

कुल मतदाता       —-  3.41 लाख    

वर्तमान विधायक   —- अमरीश पुष्कर (सपा)

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बख्शी का तालाब विस क्षेत्र संख्या 168

भाजपा – योगेश शुक्ल

सपा – गोमती यादव

बसपा – सलाउद्दीन सिद्दीकी

कांग्रेस – लल्लन कुमार

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मलिहाबाद विस क्षेत्र संख्या 169

भाजपा – जयदेवी

सपा – सोनू कनौजिया

बसपा – जगदीश रावत

कांग्रेस – इंदल रावत

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सरोजनीनगर विस क्षेत्र संख्या 170

भाजपा – राजेश्वर सिंह

सपा – अभिषेक मिश्र

बसपा – जलीस खान

कांग्रेस – रुद्रदमन सिंह

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मोहनलालगंज विस क्षेत्र संख्या 176

भाजपा अमरेश कुमार

सपा सुशीला सरोज

बसपा देवेंद्र सरोज

कांग्रेस ममता चौधरी

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