Friday, November 22, 2024
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लखीमपुर : जनता पहनाएगी ‘हार’ या उतार देगी ‘ताज’

  • किसान आंदोलन के दौरान हुई घटना के बाद जिले में पहली बार चुनाव
  • गृह राज्य मंत्री की प्रतिष्ठा दांव पर, विरोधियों से चुनौती 

हिमालय की तरार्इ में बसे गन्ना बेल्ट के रूप में मशहूर लखीमपुर-खीरी जिला किसान आंदोलन के बीच अचानक देश की राजनीति का नया अखाड़ा बनकर उभरा। यूपी में 2022 के विधान सभा चुनाव से चार महीने पहले यहाँ पर ऐसी दिल दहला देने वाली घटना हुई जिसने समूची राजनीति को हिला दिया। सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे आन्दोलकारी और समर्थकों के बीच हिंसक झड़प में 4 किसानों सहित 8 लोगों की मौत ने भूचाल ला दिया। आरोप केंद्र सरकार के मंत्री अजय मिश्र और उनके बेटे पर लगे। जिसके बाद समूचा विपक्ष खीरी में आकर डट गया। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी, समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव किसान नेता राकेश टिकैत ने भी लखीमपुर खीरी पहुँचकर सीधा प्रदेश और केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। योगी सरकार ने तुरंत जांच के आदेश दिये। नतीजे में मंत्री पुत्र जेल में है लेकिन चार महीने पहले लगी आग आज भी सुलग रही है। मतदाता इस आग पर पानी डालेंगे या फिर इसका खामियाजा सत्ताधारी पार्टी को भुगतना पड़ेगा। इसका नतीजा तो दस मार्च को ही पता चलेगा लेकिन आइये समझते हैं जिले की राजनीति और मतदाता के मिजाज को। 

यहां से गुजरने वाली शारदा, घाघरा, गोमती, कौडि़याला, उल्ल, सरायन, चौका, कठिना, सरयू व मोहाना नदियों की तरह जनता भी अपनी धारा बदलती रहती है। मतदाताओं ने पिछले विधानसभा चुनाव यहां की आठ विधानसभा सीटों पर कमल खिलाकर नया इतिहास रच दिया था। वहीं 2012 के चुनाव में चार पर सपा को जिताकर सत्‍ता की लहरों पर सवार कर दिया था। उत्तर प्रदेश के इकलौते राष्ट्रीय पार्क दुधवा नेशनल पार्क के टाइगर रिजर्व जोन की तरह उस समय बसपा को तीन सीटें देकर इज्‍जत बचाने का काम किया था।

खीरी जिले की सियासत का यह पुराना मिजाज है कि नेता अक्सर दल, दिल और नारे बदल लेते हैं। ये बात इंदिरा गांधी की सरकार में मंत्री रहे बालगोविन्द वर्मा के दौर से अब तक चली आ रही है। उनके बेटे रवि प्रकाश वर्मा सपा की राजनीति करके तीन बार सांसद बने तो बीडी राज कांग्रेस से विधायक बने लेकिन कांग्रेस का साथ छोड़ दिया और सपा में चले गए। सपा से भी वह विधायक रहे। 2012 में वह सपा छोड़कर फिर कांग्रेस में चले गए। कस्ता सीट से चुनाव लड़ा और हार गए। इसके बाद जब सूबे में सपा की सरकार बन गयी तो वह फिर सपा में शामिल हो गए। बीजेपी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे स्वर्गीय रामकुमार वर्मा के बारे में कहा जाता है कि एक समय वह मुख्यमंत्री के दावेदार थे लेकिन चुनाव हारने के बाद वर्मा का बसपा में चले गए। उनकी पत्नी लीला देवी 2007 के चुनाव में हैदराबाद- गोला से बसपा की उम्मीदवार बनीं और चुनाव हार गईं। बाद में रामकुमार वर्मा फिर बीजेपी में घर वापसी हुई और 2017 में वो फिर विधायक बने। 2018 में उनके निधन के बाद उनके पुत्र शशांक वर्मा अब विधायक हैं। इसी प्रकार पिछले चुनाव में भाजपा के टिकट पर धौरहरा विधायक बने बाला प्रसाद अवस्थी हाल ही में पाला बदलकर सपा में शामिल हो चुके हैं। दल बदलने में गोला से मौजूदा भाजपा विधायक अरविन्द गिरी का नाम भी प्रमुख है। गिरि सपा में रहे फिर बागी बन गये। 2012 में वह कांग्रेस में चले गए। 2014 का लोकसभा चुनाव आया तो गिरी बसपा में चले गए। चुनाव लड़े और हारे। फिलहाल वो भाजपा के वर्तमान विधायक और 2022 चुनाव में पार्टी उम्मीदवार हैं।

जिले की सभी सीटों पर भाजपा के उम्मीदवार मैदान में आ चुके हैं। पार्टी ने धौरहरा से पुराने कार्यकर्ता रहे विनोद शंकर अवस्थी को टिकट दिया है। जबकि अन्य सीटों पर कोई बदलाव नहीं किया है। भाजपा ने सदर विधान सभा से विधायक योगेश वर्मा, पलिया से विधायक हरविंदर सिंह उर्फ रोमी साहनी, निघासन से विधायक शशांक वर्मा, श्रीनगर से विधायक मंजू त्यागी, कस्ता से सौरभ सिंह सोनू, गोला से विधायक अरविंद गिरी और मोहम्मदी से विधायक लोकेंद्र प्रताप सिंह को टिकट दिया है।

यहाँ की पलिया विधान सभा सीट की बात करें तो 1991 में रामलहर के बाद समीकरण बदलने से कांग्रेस का वर्चस्‍व खत्‍म हो गया। पहली बार 1993 में बीजेपी ने इस सीट पर खाता खोला जबकि 1996 में सपा से मोतीलाल विधानसभा पहुंचे। इसके बाद बसपा ने लगातार 2002, 2007 और 2012 में जीत हासिल की। 2017 चुनाव से पहले बसपा के रोमी साहनी पाला बदलकर बीजेपी में आ गए। वो अब दोबारा विधायक बनने के लिए भाजपा से चुनाव लड़ रहे हैं।

निघासन विधानसभा सीट को जनसंख्या के नजरिये से देखने पर दलितों और मुस्लिमों का प्रभुत्व दिखता है। मगर साल 2017 में भाजपा के पटेल रामकुमार वर्मा ने बाजी मारते हुए यहां कमल का फूल खिलाया था।  2018 में उनकी मौत हो गई थी। इसके बाद उपचुनाव में उनके बेटे शशांक वर्मा को ही भाजपा से जीत हासिल हुई।

गोला गोकर्णनाथ सीट सबसे ज्यादा बार जीतने का रेकॉर्ड कांग्रेस के नाम दर्ज हैं। वहीं, बसपा इस सीट पर अभी खाता तक नहीं खोल पाई है। भाजपा और जनसंघ को जोड़ दिया जाए तो चार बार भाजपा और एकबार जनसंघ ने जीत दर्ज की। समाजवादी पार्टी ने भी यहाँ चार बार जीत दर्ज की है। इस बार भी यहाँ भाजपा की चुनौती अन्य दलों से हैं।

श्री नगर विधानसभा सीट पर 1993 में धीरेंद्र बहादुर सिंह सपा के टिकट पर विधायक बने। 1996 में बसपा-कांग्रेस गठबंधन से चुनाव लड़कर माया प्रसाद विधायक बने। फिर 2002 में भी बसपा जीती जबकि 2007 और 2012 में सपा ने जीत का परचम लहराया। 2017 के चुनाव की मोदी लहर में भाजपा की मंजू त्यागी विधायक बनीं। इस बार भी मंजू त्यागी को टिकट मिला है।

खीरी सदर विधानसभा की बार करें तो राम मंदिर आंदोलन के बाद यहाँ कांग्रेस का दौर संप्त हो गया। 1991 और 1993 में भाजपा जबकि 1996, 2002 और 2007 में कौशल किशोर सपा से विधायक बने। कौशल किशोर के निधन के बाद 2010 के उपचुनाव में सपा ने उत्कर्ष वर्मा पर भरोसा किया। जनता ने भी सपा के भरोसे को सही ठहराते हुए उप चुनाव जिताया साथ ही 2012 में उत्कर्ष को दोबारा विधायक बना दिया। हालांकि पिछली बार 2017 के चुनाव में में सपा के उत्कर्ष को हराकर भाजपा के योगेश वर्मा ने बाजी मार ली।

कस्ता विधानसभा सीट की बात करें तो 2012 में पहली बार सपा से सुनील कुमार लाला विधायक बने थे। लेकिन 2017 के चुनाव में इनको पराजय का सामना करना पड़ा। 2012 के चुनाव में उन्होंने बसपा के सौरभ सिंह सोनू को हराया था। जबकि 2017 के चुनाव में बसपा छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले सौरभ सिंह सोनू ने जीत हासिल की। इस बार भी यहाँ पर सपा और भाजपा के दोनों खिलाड़ियों का मुक़ाबला है।

मोहम्मदी विधान सभा सीट पर आजादी के बाद पांच बार कांग्रेस ने जीत हासिल की लेकिन बाद में  भाजपा बसपा और सपा ने राजनीतिक समीकरण बदल दिया।  नए परिसीमन 2012 में यह सीट सामान्य हो गई। 2017 विधानसभा चुनाव यहाँ भाजपा के लोकेन्द्र प्रताप सिंह ने जीत हासिल की। इस बार भी वो भाजपा से उम्मीदवार हैं। आईए नजर डालते है जिले की प्रत्‍येक विधानसभा सीट के सियासी मिजाज पर।

जिला: लखीमपुर खीरी

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पलिया

पलिया विधानसभा क्षेत्र में पहली बार विधानसभा का चुनाव साल 1962 में हुआ था। वहीं पिछली बार 2017 के विधान सभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी से हरविंदर कुमार साहनी (रोमी )ने कांग्रेस के सैफ अली नकवी को 69228 वोटों से हराया था।2012 की 16 वीं विधानसभा के चुनाव में तब बीएसपी में रहे  हरविंदर कुमार साहनी ने समाजवादी पार्टी के कृष्ण गोपाल तिवारी को पराजित किया था। कांग्रेस के डॉ विनोद तिवारी तीसरे स्थान पर रहे थे। जबकि बीजेपी के राजकुमार वर्मा चौथे स्थान पर रहे थे।

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पलिया

विधानसभा संख्‍या — 137

कुल मतदाता  —- तीन लाख 50 हजार  

वर्तमान विधायक —- हरविंदर कुमार साहनी (रोमी ) भाजपा

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निघासन

निघासन विधानसभा क्षेत्र में 1956 में परिसीमन के बाद पहली बार विधानसभा का चुनाव साल 1957 में हुआ था। पिछली बार 2017 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी से रामकुमार वर्मा ने समाजवादी पार्टी के कृष्णा गोपाल पटेल को 46123 वोटों से हराया था। हालांकि 2018 में उनका निधन हो गया जिसके बाद उप चुनाव में उनके बेटे शशांक वर्मा को विधायक चुने गए थे।

2012 विधानसभा के चुनावों में बीजेपी के अजय मिश्र टेनी ने समाजवादी पार्टी के आर ए उस्मानी को हराया था। बीएसपी के दारोगा सिंह तीसरे स्थान पर रहे थे। जबकि कांग्रेस के अजय प्रकाश चौथे स्थान पर रहे थे। 2007 के चुनावों में समाजवादी पार्टी के कृष्ण गोपाल पटेल ने बीजेपी के अजय मिश्र टेनी को हराया था। बीएसपी के आर एस कुशवाहा तीसरे स्थान पर रहे थे।

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निघासन

विधानसभा संख्‍या — 138

कुल मतदाता     —- 327141

वर्तमान विधायक —– शशांक वर्मा (भाजपा)

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गोला गोकर्णनाथ

सीट के अस्तित्व में आने के बाद से अब तक दो बार विधानसभा चुनाव हुआ है। जिसमें एक- एक बार भाजपा और समाजवादी पार्टी को जीत मिली थी। पिछली बार 2017 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के अरविंद गिरि ने समाजवादी पार्टी के विनय तिवारी को 55017 वोटों से हराया था।

2012 में 16 वीं विधानसभा के चुनावों में समाजवादी पार्टी के विनय तिवारी ने बीएसपी की सिम्मी बानो को हराया था। कांग्रेस के अरविंद गिरी तीसरे स्थान पर रहे थे। जबकि बीजेपी के ईश्वरदीन चौथे स्थान पर रहे थे।

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गोला गोकर्णनाथ

विधानसभा संख्या — 139

कुल मतदाता    —- 395433

वर्तमान विधायक —- अरविंद गिरि (भाजपा)

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श्रीनगर सुरक्षित

1956 में परिसीमन के बाद यहां अगली साल बार चुनाव हुए थे।यहां अब तक हुए चुनावों में कांग्रेस व बसपा का दबदबा रहा है। इसी सीट पर कांग्रेस के सिंबल से आठ बार प्रत्याशी जीत कर विधानसभा पहुंचे हैं।1962 से 1991 तक कई बार कांग्रेस के प्रत्याशी चुनाव जीतते रहे। इसके बाद यहाँ समीकरण बदला तो जनसंघ के अलावा सपा तीन बार व बसपा के सिंबल पर दो बार विधायक चुने गए। इस सीट 2017 विधानसभा चुनाव में भाजपा ने पहली बार इंतिहास बनाया और पार्टी से मंजू त्यागी ने समाजवादी पार्टी के मीरा बानो को 54939 वोटों से हरा दिया। इस चुनाव में यहाँ कुल 50.68 प्रतिशत वोट पड़े थे।  2012 के विधानसभा चुनाव में यहाँ सपा के रामशरणचुनाव जीते थे।

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श्रीनगर सुरक्षित

विधानसभा संख्‍या 140

कुल मतदाता : तीन लाख से ऊपर  

वर्तमान विधायक —— मंजू त्यागी (भाजपा )

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धौरहारा

धौरहरा में पहली बार चुनाव 1957 में हुआ था, जबकि साल 1956 में परिसीमन के आदेश पारित हुए थे। 2017 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी से बाला प्रसाद अवस्थी ने समाजवादी पार्टी के यशपाल सिंह चौधरी को 3353 वोटों से हराया था। इस चुनाव में यहाँ कुल 36.06 प्रतिशत वोट पड़े थे। 2012 में 16 वीं विधानसभा के चुनावों में बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी शमशेर बहादुर ने समाजवादी पार्टी के यशपाल चौधरी को हराया था। कांग्रेस के कुंवर समर प्रताप सिंह तीसरे स्थान पर रहे थे। जबकि बीजेपी के विनोद शंकर चौथे स्थान पर रहे थे।

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धौरहारा

विधानसभा संख्या: 141

कुल मतदाता  —  307,467

वर्तमान विधायक —- बाला प्रसाद अवस्थी (भाजपा अब सपा में )

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लखीमपुर सदर

खीरी जिले की सदर सीट पर हुए पिछले चार विधानसभा चुनावों में तीन बार समाजवादी पार्टी का कब्जा रहा है। पिछले विधान सभा चुनाव 2017 में भारतीय जनता पार्टी से योगेश वर्मा ने समाजवादी पार्टी के उत्कर्ष वर्मा मधुर को 37748 वोटों से हराया था। तब यहाँ कुल 47.99 प्रतिशत वोट पड़े थे। 2012 में  16 वीं विधानसभा के चुनावों में समाजवादी पार्टी के उत्कर्ष वर्मा मधुर ने बीएसपी के ज्ञान प्रकाश बाजपेई को मात दी थी। पीईसीपी के योगेश वर्मा तीसरे स्थान पर रहे थे। जबकि बीजेपी के कुंवर राघवेंद्र बहादुर सिंह चौथे स्थान पर रहे थे। 2007 के चुनाव में समाजवादी पार्टी के कौशल किशोर ने एसडजी के ज्ञान बाजपेई को हराया था। बीएसपी के आर ए उस्मानी तीसरे स्थान पर रहे थे। जबकि कांग्रेस के दिनेश सिंह चौथे स्थान पर रहे थे।

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लखीमपुर

विधानसभा संख्या: 142

कुल मतदाता : 367,497

वर्तमान विधायक —- योगेश वर्मा (भाजपा)

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कसता सुरक्षित

कस्ता विधानसभा सीट पर 2008 में परिसीमन के बाद से अब तक दो बार विधानसभा चुनाव हुआ है। जिसमें एक– एक बार भाजपा और समाजवादी पार्टी विजयी रही थी। । 2017 में भारतीय जनता पार्टी से सौरभ सिंह ने समाजवादी पार्टी के सुनील कुमार लाला को हराया था। तब यहाँ कुल 44.20 प्रतिशत वोट पड़े थे। 2012 में 16 वीं विधानसभा के चुनावों में समाजवादी पार्टी के सुनील कुमार लाला ने बीएसपी के सौरभ सिंह सोनू को हराया था। कांग्रेस के बंशीधर राज तीसरे स्थान पर रहे थे। जबकि चौथे स्थान पर बीजेपी की कृष्णा राज रही थीं।

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कस्‍ता सुरक्षित

विधानसभा संख्‍या   —143

कुल मतदाता  —   तीन लाख  

वर्तमान विधायक — सौरभ सिंह (भाजपा)

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मोहम्‍मदी

सीट के अस्तित्व में आने के बाद से दो बार विधानसभा चुनाव हुआ है। जिसमें एक- एक बार भाजपा और बसपा के प्रत्याशी को जीत मिली थी। 2017 के चुनाव में में भारतीय जनता पार्टी से लोकेंद्र प्रताप सिंह ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के संजय शर्मा को 33918 वोटों से हराया था। 2012 में 16 वीं विधानसभा के चुनावों में बीएसपी के अवस्थी बाला प्रसाद ने समाजवादी पार्टी के इमरान अहमद को मात दी थी। बीजेपी के लोकेंद्र प्रताप सिंह तीसरे स्थान पर रहे थे। कांग्रेस के अशफ़ाक उल्लाह खान चौथे स्थान पर रहे थे।

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मोहम्‍मदी       

विधानसभा संख्‍या — 144

कुल मतदाता     — 337,664

वर्तमान विधायक — लोकेंद्र प्रताप सिंह (भाजपा )

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