लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी पुण्यश्लोक अहिल्या बाई होल्कर जन्म त्रिशताब्दी स्मृति अभियान के माध्यम से विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करेगी। राजधानी लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में बुधवार को आयोजित अभियान की कार्यशाला में प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष श्री भूपेन्द्र सिंह चौधरी, उपमुख्यमंत्री श्री ब्रजेश पाठक, प्रदेश महामंत्री (संगठन) श्री धर्मपाल सिंह तथा अभियान की राष्ट्रीय सहसंयोजक श्रीमती कविता पाटीदार ने प्रशिक्षण दिया। प्रदेश महामंत्री एवं अभियान के प्रदेश संयोजक श्री संजय राय ने संचालन किया तथा महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष व अभियान की सहसंयोजक श्रीमती गीता शाक्य ने लोकमाता अहिल्या बाई होल्कर के प्रेरक जीवन की चर्चा की। कार्यशाला में प्रदेश पदाधिकारी, क्षेत्रीय अध्यक्ष, क्षेत्रीय प्रभारी, जिलाध्यक्ष, जिला प्रभारी, अभियान के जिला संयोजक, जिला मीडिया प्रभारी, जिला सोशल मीडिया संयोजक सम्मिलित रहे।
मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ ने लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर को धर्म, न्याय और राष्ट्रधर्म का सजीव स्वरूप बताते हुए कहा कि वे भारतीय सनातन संस्कृति की पुनर्स्थापना की अग्रदूत थीं। उन्होंने विदेशी आक्रांताओं के कालखंड में जिस साहस, भक्ति और समर्पण से काशी से लेकर रामेश्वरम् तक तीर्थस्थलों का पुनरुद्धार कराया, वह भारतीय इतिहास का अद्वितीय अध्याय है। मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अहिल्याबाई ने “धर्मों रक्षति रक्षितः” के वैदिक उद्घोष को न केवल जिया, बल्कि उसे मूर्त रूप भी दिया। जब देश विदेशी आक्रांताओं से त्रस्त था, मंदिर विध्वंस किए जा रहे थे, तब अहिल्याबाई ने बिना भय के, बिना किसी राजनीतिक समर्थन के, उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक सनातन धर्म की पुनर्स्थापना का विराट कार्य अपने हाथों में लिया था, आज हमें उनके जीवन से सद्प्रेरणा लेकर देश और सनातन संस्कृति के गौरव की पुनर्स्थापना के लिए पूरे मनोयोग से समर्पित हो जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर ने स्वयं घोषणा की थी ‘मेरा पथ धर्म का पथ है, धर्म का पथ ही न्याय का पथ है और न्याय का पथ ही हमें सर्वशक्तिमान और समर्थ बनाने में सहायक हो सकता है। उनके इस उद्घोष ने ही उनके शासन और जीवन के कार्यों को दिशा दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें आज जो भव्य काशी विश्वनाथ मंदिर दिखता है, वह उसी मंदिर का स्वरूप है जिसे अहिल्याबाई होल्कर ने 1777 से 1780 के बीच अपने निजी संसाधनों से बनवाया था। उन्होंने कहा कि जब प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर का निर्माण हुआ, तो स्वयं प्रधानमंत्री जी ने 13 दिसंबर 2021 को इसे अहिल्याबाई होल्कर के कार्य का ही विस्तारित रूप बताया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकमाता अहिल्याबाई केवल काशी तक सीमित नहीं रहीं। उन्होंने केदारनाथ धाम, रामेश्वरम, सोमनाथ, हरिद्वार, महिष्मति और देश के अनेक तीर्थस्थलों के जीर्णाेद्धार का कार्य किया। उन्होंने नदियों के घाटों, कुओं और बावड़ियों का निर्माण करवाया ताकि श्रद्धालुओं को सुविधा मिले और शुद्ध पेयजल की उपलब्धता बनी रहे।
श्री योगी आदित्यनाथ ने लोकमाता अहिल्याबाई को भारतीय नारीशक्ति की प्रतीक बताते हुए कहा कि उन्होंने न केवल राजनैतिक प्रशासन को धर्म-संगत और प्रजा-हितकारी बनाया, बल्कि सामाजिक न्याय और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में भी अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किए। उनकी प्रशासनिक दूरदृष्टि और साधु-संतों के प्रति श्रद्धा के साथ सेवा-भाव आज भी प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने बताया कि किस तरह लोकमाता अहिल्याबाई ने अपनी प्रशासनिक क्षमता और दूरदर्शिता से माहिष्मति में साड़ी उद्योग को बढ़ावा देकर महिलाओं को आत्मनिर्भर और स्वावलंबी बनाने का कार्य किया। साथ ही उन्होंने विधवा पुनर्विवाह को प्रोत्साहित और बाल विवाह पर रोक लगा कर नारी सशक्तिकरण की दिशा में अनुकरणीय कार्य किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें महारानी अहिल्याबाई के जीवन से प्रेरणा लेकर भारत के प्राचीन गौरव और सनातन संस्कृति के उत्कर्ष में संपूर्ण मनोयोग से समर्पित होना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस तरह सरदार वल्लभभाई पटेल ने स्वतंत्र भारत में सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण से एक सांस्कृतिक चेतना का सूत्रपात किया, उसी भावधारा की आधारशिला सैकड़ों वर्ष पहले लोकमाता अहिल्याबाई ने रखी थी। उन्होंने आदि शंकराचार्य की परंपरा को भी स्मरण करते हुए कहा कि भारत की सांस्कृतिक एकता चारों कोनों में स्थापित पीठों के माध्यम से आज भी कायम है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक अवसर है कि जब हम उनके योगदान को स्मरण कर रहे हैं, उसी समय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में काशी, अयोध्या, उज्जैन और अब मां विंध्यवासिनी धाम में भी भव्य परियोजनाएं आकार ले रही हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रयागराज में हाल ही में आयोजित महाकुंभ 2025, भारत की सांस्कृतिक चेतना और व्यवस्थागत क्षमता का अद्भुत उदाहरण रहा। यही वह श्रृंखला है जो लोकमाता अहिल्याबाई के कार्यों से प्रारंभ हुई और आज की पीढ़ी तक प्रेरणा बन कर पहुँच रही है। इस अवसर पर देश के कोने-कोने ही नहीं बल्कि लगभग 100 से अधिक देश से आये सनातन संस्कृति को मानने वाले श्रद्धालुओं ने न केवल पवित्र संगम में डुबकी लगाई बल्कि प्रयागराज से काशी विश्वनाथ, अयोध्या, चित्रकूट और नैमिषारण्य के पवित्र मंदिरों के भी दर्शन किये। इन सभी धार्मिक स्थलों का जीर्णाेद्धार सनातन संस्कृति के गौरव को पुनर्स्थापित कर रहे है।
मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि डबल इंजन की सरकार देश में नारी शक्ति के सम्मान और उनके स्वालंबन की कई योजनाओं का संचालन कर रही है। प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में चल रही लखपति दीदी योजना हो जिसने एक करोड़ से अधिक माताओं-बहनों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाया है। कन्या सुमंगला योजना हो या मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना, उज्जवाल योजना हो या मातृवंदन योजना ये सभी योजनाएं देश की आधी आबादी को पंचायत से लेकर संसद तक घर की दहलीज से लेकर सरहद तक अपनी योग्यता का प्रदर्शन करने का अवसर प्रदान कर रही हैं। अंत में मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर की स्मृति को नमन करना केवल एक ऐतिहासिक दायित्व नहीं है, बल्कि सनातन धर्म, भारतीयता और राष्ट्र के पुनर्निर्माण की उस चेतना को पुनः जागृत करने का अवसर है, जिससे भारत विश्वगुरु बने।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष श्री भूपेन्द्र सिंह चौधरी ने कहा कि आज की यह कार्यशाला महिला सशक्तीकरण की अनुपम उदाहरण, निर्भीक महिला, धार्मिक-सामाजिक प्रतिबद्धता की दूरदर्शी सोच को उजागर करने वाली एक महारानी के बारे में अपने समाज को जागरुक करने के लिये आयोजित है। अहिल्याबाई होलकर एक गांव को समृद्ध नगर में बदलने वाली मालवा की महारानी का नाम है। जिन्होंने जीवन पर्यन्त अपनी प्रजा और अपने परिवार और समाज के अस्तित्व के लिये निरंतर संघर्ष किया। महिला सशक्तीकरण की जो बातें आज 21वीं शताब्दी में हम कर रहे हैं उसकी अलख अहिल्या बाई होल्कर ने 17वी शताब्दी में जलाई था।
श्री भूपेन्द्र सिंह चौधरी ने कहा कि महारानी अहिल्या बाई होल्कर ने कठिन स्थितियों में भी प्रजा की आवश्यकताओं के लिये सोच-समझकर निर्णय लिया। लाभ-हानि के तर्क से हमेशा दूर रही जिसके कारण उनकी प्रजा उनको देवी और लोकमाता कहकर पुकारने लगी। आर्थिक प्रबंधन की कुशलता से ट्रस्ट बनाया जिसमें करोडो़ रुपये एकत्र करके जमा कराया। इसी धन से उन्होंने पूरे भारत में कन्याकुमारी से हिमालय तक द्वारिका से पुरी तक मंदिर, घाट, तालाब, धर्मशालायें, बावडिया, कुये, भोजनालय आदि बनबाये। केदारनाथ, वाराणसी, वृन्दावन, मथुरा, गंगोत्री, सहित 57 नगरों में लोकमाता अहिल्याबाई ने धार्मिक व सामाजिक निर्माण और पुनर्निमाण कराया। काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण कराया। काशी में मणिकर्णिका घाट का निर्माण कराया।