गोरखपुर तथा बस्ती मंडल
पिछली बार 41 विधान सभा सीटों में से 37 सीट भाजपा गठबंचन ने जीती थी
मनीष शुक्ल
बुद्ध की धरती पर राजनीतिक दलों का महसंग्राम आखिरी चरण में पहुँच चुका है। छठवें चरण के चुनाव में सबकी निगाहें पूर्वांचल के आंचल गोरखपुर तथा बस्ती मंडल पर लगी हैं। इस समूचे क्षेत्र में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ का गहरा प्रभाव देखने को मिलता है। भाजपा ने पिछली बार 2017 के चुनाव में समूचे पूर्वांचल में सीटों का शतक लगाया था। 2022 के चुनाव में मुख्यमंत्री और गोरक्षपीठ के महंत योगी आदित्यनाथ खुद यहाँ गोरखपुर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में भाजपा के सामने फिर से चमत्कारिक सफलता दोहरने की चुनौती है। दूसरी ओर इस मण्डल की तमकुहीराज सीट से कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू की प्रतिष्ठा दांव पर है तो सपा बसपा पर अपने पुराने गढ़ को जीतने की चुनौती है।
गोरखपुर-बस्ती मंडल में कुल सात जिले शामिल हैं। इनमें गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, बस्ती, महराजगंज, संतकबीर नगर और सिद्धार्थनगर की 41 विधानसभा सीटों पर प्रमुख राजनीतिक दलों के कुल 164 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। पिछली बार के विधानसभा चुनाव के छठे चरण में पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर तथा बस्ती मंडल की कुल 41 विधान सभा सीटों में से 37 सीट भाजपा व उसके सहयोगी दलों ने जीती थी। अकेले भाजपा के खाते में 35 सीट आई थी। इस बार यहाँ पर खुद मुख्यमंत्री ने मोर्चा संभाला है। योगी आदित्यनाथ गोरखपुर सदर सीट से भाजपा के उम्मीदवार हैं। चुनाव से पहले योगी के अयोध्या या मथुरा से चुनाव लड़ाने की अटकलें लग रही थी लेकिन पार्टी नेतृत्व ने पूर्वांवल में विपक्ष से मिल रही चुनौती को कुंद करने के इरादे से सीएम को ही यहाँ पर मोर्चे के लिए भेज दिया। योगी दावा कर रहे हैं कि चुनाव के आखिरी चरण तक भाजपा 300 प्लस सीटों के आंकड़ा पार कर लेंगे। वहीं उनके विरोधी सपा प्रमुख अखिलेश यादव दोनों मंडलों में 2012 की सफलता को दोहराने के साथ 10 मार्च को सीएम को गोरखपुर वापस भेजने की बात कह रहे हैं। इसीलिए सपा ने योगी के सामने भाजपा के दिवंगत नेता उपेन्द्र शुक्ला की पत्नी सभावती शुक्ला को चुनाव मैदान में उतारा है। बसपा ने मुस्लिम कार्ड खेलते हुये गोरखपुर सदर सीट से ख्वाजा समसुद्दीन को उम्मीदवार बनाकर मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश की है। दावों- प्रतिदावों के बीच इन दोनों मंडलों में एक से बढ़कर एक दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर है। चुनाव से पहले भाजपा का सत्थ छोडकर सपा की साइकिल पर बैठने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य के लिए गंभीर चुनौती है। वो अपनी परंपरागत पड़रौना सीट छोडकर सुरक्षित फाजिल नगर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे इन दोनों सीट पर हार या जीत मौर्य का भविष्य भी तय करेगी। पडरौना राज परिवार के आरपीएन सिंह दशकों तक कांग्रेस का साथ छोडकर भाजपा से मोर्चा संभाल रहे हैं। ऐसे में उनकी प्रतिष्ठा समूचे क्षेत्र में दांव पर है। इसके अलावा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू, बाहुबली हरी शंकर तिवारी के सुपत्र विनय शंकर तिवारी, कैबिनेट मंत्री सूर्य प्रताप शाही, मुख्यमंत्री के सलाहकार और पूर्व पत्रकार शलभ मणि त्रिपाठी की प्रतिष्ठा भी दांव पर है।
इसके अलावा बस्ती जिले के रुधौली से भाजपा ने विधायक संजय प्रताप जायसवाल की पत्नी संगीता जायसवाल को प्रत्याशी हैं । हर्रैया से सपा के त्रयंबक पाठक चौथी बार चुनाव मैदान में हैं। देवरिया के सलेमपुर से भाजपा ने विजय लक्ष्मी पर फिर भरोसा जताया है। तो भाटपाररानी से सभाकुंवर पर भाजपा ने दांव लगाया है। कुशीनगर की रामकोला पर भी भाजपा ने पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष विनय प्रकाश गोंड को मोर्चे पर भेजा है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू कुशीनगर के तमकुहीराज से तो राष्ट्रीय प्रवक्ता अखिलेश प्रताप सिंह देवरिया की रुद्रपुर सीट से मुकाबिल हैं। देवरिया की भाटपार रानी सीट से कांग्रेस ने यूथ कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष केशव चंद यादव चुनौती दे रहे हैं। पडरौना से आरपीएन सिंह के भाजपा में जाने के बाद मनीष जायसवाल प्रत्याशी हैं।
बसपा ने सोशल इंजीनियरिंग का ख्याल रखते हुए निषाद वोट बैंक को साधने की कोशिश की है। तभी गोरखपुर ग्रामीण विधानसभा से दारा निषाद, कैम्पियरगंज से चंद्रप्रकाश निषाद मैदान में है। क्षत्रिय वर्ग को लुभाने के लिए सहजनवां से सुधीर सिंह तो चिल्लूपार से राजेन्द्र सिंह पहलवान को उतारा है। चौरीचौरा से भूमिहार ब्राह्मण वीरेंद्र पाण्डेय और पिपराइच से वैश्य वर्ग को साधने के लिए दीपक अग्रवाल को उतारा है। खजनी से पूर्व मंत्री सदल प्रसाद के भाई विद्यासागर और बांसगांव से पूर्व जिला अध्यक्ष राम नयन आजाद मोर्चे पर हैं। विपक्षी दलों में सपा ने सुभासपा से गठबंधन कर पूर्वांचल के राजभर वोटों में सेंधमारी करने की कोशिश कर भाजपा की चुनौती को बढ़ाया है। तो निषाद पार्टी के साथ भाजपा का गठबंधन उसे फायदा पहुंचाता दिख रहा है।
2022 के विधान सभा चुनाव में से 87 प्रत्याशी पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं। इसमें गोरखपुर मंडल में कुल 62 प्रत्याशी पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं। बस्ती मंडल में 25 प्रत्याशी नए हैं। नए चेहरों पर सबसे ज्यादा भरोसा बसपा और कांग्रेस ने जताया है। बसपा ने गोरखपुर-बस्ती मंडल की 41 में 30 सीटों पर नए प्रत्याशी खड़े किए हैं जबकि कांग्रेस ने 28 नए चेहरे मैदान में उतारे हैं। कुलमिलाकर इन दोनों मंडलों की जनता तय करेगी कि भाजपा का कमल एकबार फिर खिलेगा या फिर विपक्ष नई विधानसभा में सत्ता कि सवारी करेगा।
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राजनीतिक दल : नए चेहरे
भाजपा : 17
सपा : 12
बसपा : 30
कांग्रेस : 28
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जिलावार पहली बार चुनाव लडऩे वाले
गोरखपुर : 19
कुशीनगर : 18
देवरिया : 15
बस्ती : 10
महराजगंज : 10
संतकबीर नगर : 08
सिद्धार्थनगर : 07
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