Sunday, September 8, 2024
Homeसाहित्यव्यंग्यव्यंग्य : राजा होगा भईया, बाकी जी हुजूर

व्यंग्य : राजा होगा भईया, बाकी जी हुजूर

मनीष शुक्‍ल

मै राजा नहीं बनूंगा। मैने आपको बार- बार कहा है कि किसी और को राजा दो। पर आप सुनेते ही नहीं हो। घुमा फिराकर मुझे ही राजा बना देते हो फिर कहते हो चोर का पता लगाओ। चिंटू आज आज अपनी दीदी पर कुछ ज्‍यादा ही गुस्‍सा था। जब भी अपने दोस्‍तों के साथ खेलता, उसकी दीदी खेल के बीच में आ जाती। दीदी चिंटू से बहुत प्‍यार करती थी। वो चाहती थी कि खेल में राजा हमेशा उसका भाई ही रहे। फिर चाहें उसके दोस्‍त चोर बनें या सिपाही, उससे कोई फर्क नहीं पड़़ता है। अगर कोई दोस्‍त बुरा मानकर चिंटू का साथ छोड़ भी दे तो कोई बात नहीं लेकिन खेल में राजा तो चिंटू ही रहेगा। दीदी ने यही बात प्‍यार से चिंटू को समझाते हुए कहा कि देख चिंटू तू तो निरा मूर्ख है। तुझे राजा होने की कीमत ही नहीं पता है। राजा वो है, जो प्रजा का पालनहार है। सबकी देखभाल करता है। शत्रुओं से लड़ता है, अपनी प्रजा और दोस्‍तों की रक्षा करता है। सभी राजा का सम्‍मान करते हैं। हमारे परिवार में भी सभी राजा ही बनें तो फिर तू राजा क्‍यों नहीं बनना चाहता है। मां भी यही चाहती है कि तू हर खेल में नंबर वन रहे लेकिन तेरे दिमाग में पता नहीं किसने क्‍या भर दिया है जो अपने दोस्‍तों को राजा बनाने पर तुला है। दीदी की नसीहत को नजरअंदाज करते हुए चिंटू बोला, देखों दीदी आप बड़ी हो। आपको बच्‍चे के खेल को डिस्‍टर्ब नहीं करना चाहिए। और आप सुन लो ये मेरे दोस्‍त हैं। ये सब मेरी टीम का हिस्‍सा हैं। इनका भी इन होता है कि कभी ये भी राजा बनें। ये भी दूसरों को हुक्‍म दें। ये भी अपनी टीम की रक्षा के लिए दुश्‍मन से लड़ें तो फिर उनको हराकर विजेता बन जाएं। ये सब अक्‍सर मुझसे शिकायत करते हैं कि तुम्‍हारे घर वाले हमारे खेल के बीच में आ जाते हैं। वो किसी और को राजा नहीं बनने देते हैं। अगर ऐेसा ही चलता रहा तो मेरे सारे दोस्‍त मेरी टीम को छोड़कर चले जाएंगे। फिर मै किसके साथ खेलूंगा। इसलिए मै या तो अब राजा नहीं बनूंगा या फिर खेल ही छोड़ दूंगा। ये सुनते ही चिंटू की दीदी डर गईं। घर- परिवार में अब चिंटू ही सबसे छोटा और प्‍यारा बच्‍चा था। अब उसकी जिद के आगे झुक जाते थे लेकिन परिवार राजवंश का था तो फिर युवराज खेल में राजा न हो, ये कैसे गंवारा होता। दीदी ने आखिर बीच का रास्‍ता निकाला। वो चिंटू से बोली चलो अब मै भी तुम सबके साथ खेलती हूं। मै देखती हूं कि तुम सब कैसा खेलते हो, फिर किसी एक को राजा बना दूंगी। चिंटू दीदी की बात मान गया। खेल शुरू हुआ। चिंटू के सभी दोस्‍तों को कुछ न कुछ जिम्‍मेदारी दे दी गई। सभी मन लगाकर खेल रहे थे। चिंटू खुश था कि अब वो राजा नहीं है। दोस्‍त भी खुश थे कि उनमें से किसी एक को राजा बनने का मौका मिलेगा। खेल चलता रहा। उसके हारने वाले दोस्‍त एक- एक करके आउट होते रहे। चिंटू ये तमाशा देखता रहा। उसके दोस्‍त इंतजार करते रहे कि शायद जीतने को अब राजा बनने का मौका मिला लेकिन दीदी हर बार चिंटू के दोस्‍तों को राजा बनाने का फैसला टाल देंती। आखिरकार दोस्‍तों के सब्र का बांध टूट गया। अब मिलकर दीदी के पास गए। चिंटू के दोस्‍तों ने पूछा, दीदी हर बार राजा बनाने का निर्णय टाल दिया जाता है। बिना राजा के टीम कब तक खेल पाएगी और दुश्‍मन से लड़ पाएगी। आखिर हम कब राजा बनेंगे। दीदी उनके सवालों पर मुस्‍कराई, उसने दोस्‍तों को प्‍यार से समझाया कि हम जिसको भी राजा बनाने का फैसला लेते हैं। वो राजा बनने से पहले ही आउट हो जाता है। या फिर दुश्‍मन की टीम से खेलने लग जाता है। ऐसे किसी व्‍यक्ति को राजा बनाने से हम खेल हार जाएंगे। इसलिए तुम सब खेलते रहो, जो बेहतर होगा, उसको जल्‍द ही राजा बना दिया जाएगा। लेकिन चिंटू के दोस्‍त फैसला करके आए थे कि आज तो वो राजा के नाम की घोषणा करवा कर ही जाएंगे। सभी एक सुर में राजा के नाम का ऐलान करने की मांग करने लगे। दीदी को लगा कि अगर ये लोग ऐसे ही चिल्‍लाते रहे तो पूरी टीम चिंटू के राजा बनने का विरोध करने लगेगी। ऐसे में दीदी गुस्‍सा कर बोली कि लगता है तुम सब विरोधी की टीम से मिल गए हो तभी अपनी टीम को मजबूत करने की जगह चिंटू का विरोध कर रहे हो। चिंटू को लगा कि वो तो खुद ही राजा नहीं बनना चाहता है। ऐसे में उसके दोस्‍तों को राजा बनने के लिए थोड़ा इंतजार करने में क्‍या दिक्‍कत है। ऐसे में चिंटू ने अपने दोस्‍तों को समझाया कि वो सब थोड़ा सब्र रखकर इंतजार करें वरना दीदी किसी और को राजा बना देंगी। फिर नया राजा सारे दोस्‍तों को खेल से बाहर कर देगा। यह सुनते ही चिंटू के दोस्‍त डर गए। उनको लगा कि नए राजा के आने से अच्‍छा है कि चिंटू ही उनका राजा बना रहे, वो कम से कम उनकी बात तो सुनता है। दूसरा आया तो पूरा खेल ही खत्‍म कर देगा। इसके बाद सबने आपस में बात की, और तय किया कि चिंटू को ही दोबारा राजा बनाया जाए। सभी चिंटू की जय- जयकार करने लगे। यह देखकर चिंटू की दीदी खुशी से उछल पड़ी।

RELATED ARTICLES

1 COMMENT

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments