- यूपी में दोबारा विस चुनाव जीतकर भाजपा ने सारे मिथक तोड़े
- जनता ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल पर मुहर लगाई
- 2014 के बाद हर चुनाव में भाजपा ने जीत का नया रिकार्ड बनाया
- 2017 विधान सभा और 2019 लोकसभा का प्रदर्शन दोहराया
मनीष शुक्ल
दिल्ली में मोदी जी, यूपी में बाबा…आँख के आंधर पूछ्त राहे यूपी मा का बा…’ होली के पहले ही यूपी में भगवा रंग गुलाल उड़ाकर भाजपा कार्यकर्ता यही गाना गा रहे हैं। भाजपा ने उत्तर प्रदेश में एकबार फिर सारे मिथक तोड़ दिये हैं। योगी- मोदी की डबल इंजन सरकार पर जनता ने दोबारा मुहर लगा दी है। 18वीं विधान सभा के गठन के लिए भाजपा सत्ता की लहर में सवार हो गई है। तमाम मिथक तोड़कर योगी राज फिर लौट आया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दोबारा राजतिलक की तैयारी भी शुरू हो गई है।
यूपी में भाजपा सरकार की दोबारा एतिहासिक जीत ने बड़े- बड़े राजनीतिक पंडितों को फिर से सोचने पर मजबूर कर दिया हाई। पार्टी की यह यह जीत कुशल प्रबंधन, बूथ स्तर तक कार्यकर्ताओं की मजबूत टीम, सरकार की नीति और उद्देश्य को आम जनता तक पहुंचाने के कारण संभव हुई। प्रदेश सरकार के अगर मौजूदा कार्यकाल को देखें तो आखिरी दो साल सदी की सबसे बड़ी करोना आपदा झेलते हुए ही बीते। इस दौरान कोविड 19 से होने वाली मौते हों, बीमारी के भय की बात हो या फिर रोजगार पर संकट हो, दूसरे राज्यों से भारी संख्या में आने वाले मजदूरों के जीवन यापन का मुद्दा हो, हर मुख्यमंत्री खुद आगे आकार मोर्चे पर खड़े दिखे। सीएम खुद करोना का शिकार हो गए हों या फिर उनके पिता के निधन के बाद अंतिम संस्कार की, उन्होने अपने दुख और परेशानी को किनारे रखकर जनता के दुखों पर मरहम लगाने का काम किया। करोना काल में सीएम प्रदेश के हर जिले में गए और वहाँ राहत कार्यों का जायजा लिया। टीम 11 के जरिये उन्होने सभी कार्यों की मॉनिटरिंग भी की। अपने पिता के निधन पर न जाकर जनता की सेवा करने के फैसले ने मुख्यमंत्री के रूप में उनकी लोकप्रियता में और इजाफा किया। इस बीच विकास का काम भी जारी रहा।
विपक्ष ने इस बीच करोना काल में सरकारी कुप्रबंधन से लेकर महंगाई और बेरोजगारी को बड़ा मुद्दा बनाया। किसान आंदोलन को हवा दी लेकिन लोगों ने माना कि आपदा में भी राज्य में विकास के कार्य हुए हैं। यूपी में कानून व्यवस्था खासतौर पर महिला सुरक्षा हमेशा से बड़ा मुद्दा रहा है। लेकिन योगी सरकार के कार्यकाल में लंबे समय बाद लोगों ने माना कि कानून व्यवस्था बेहतर हुई है। सरकार ने माफिया और अपराधियों के खिलाफ बुलडोजर चलाया। इससे समर्थक और विरोधी दोनों ही सीएम को बुलडोजर बाबा कहने लगे। लोगों को सरकार की यह नीति पसंद आई। सबसे बड़ा फायदा सरकार को आपदा काल में गरीबों को मुफ्त राशन और सरकारी स्कीम देने से मिला। योगी सरकार ने 15 करोड़ से ज्यादा लोगों को मुफ्त में अनाज बांटा। फ्री राशन ने दलितों, पिछड़ों के बीच जाति का बंधन तोड़ दिया। इसके अलावा प्रधानमंत्री मकान योजना, उज्जवला योजना, शौचालय का निर्माण जैसे मुद्दे जनता के बीच चर्चा में रहे।
अगर हम राजनीतिक के मोर्चे की बात करें तो भाजपा को एक नहीं बल्कि दो लोकप्रिय चेहरों का फायदा मिला। विपक्ष ने चुनाव से पहले योगी- मोदी के बीच मतभेद की बात फैलाने की कोशिश की लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुखमंत्री योगी आदित्यनाथ की कंधे पर हाथ रखकर साफ संदेश दे दिया। उन्होने यूपी और योगी दोनों को उपयोगी बताकर चुनाव से पहले ही साफ कर दिया कि जीत के बाद मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं बदला जाएगा। दोनों के लोकप्रिय चेहरों ने विपक्ष के तमाम दिग्गज चेहरों को चुनाव में पीछे छोड़ दिया। इसके साथ ही योगी के हिन्दुत्व एजेंडे ने भी भाजपा के परंपरागत मतदाता को जोड़े रखने का काम किया। ऐसे में भाजपा ने दोबारा चुनाव जीतकर कर नया इतिहास रच दिया।
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योगी का जादू चल गया
बेहद साधारण परिवार से निकलकर उत्तर प्रदेश को असाधारण नेतृत्व देने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का जादू पाँच वर्षों के कार्यकाल में जनता पर चल गया। योगी जी का राजनीति में उदय 90 के दशक में राममंदिर आंदोलन से हुआ। इस दौरान ही योगी उनकी मुलाकात गोरखनाथ मंदिर के महंत अवैद्यनाथ से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के एक कार्यक्रम में हुई। फिर योगी अपने माता-पिता को बताए बिना गोरखपुर आकार सन्यासी हो आगे। महंत अवैद्यनाथ ने अजय सिंह बिष्ट को अपना शिष्य बनाया फिर यहाँ से महंत योगी आदित्यनाथ के रूप में सामने आए। गोरखनाथ मंदिर के महंत की गद्दी का उत्तराधिकारी बनाने के चार साल बाद ही महंत अवैद्यनाथ ने योगी आदित्यनाथ को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी भी बना दिया। गोरखपुर से महंत अवैद्यनाथ चार बार सांसद रहे, उसी सीट से योगी 1998 में 26 वर्ष की उम्र में लोकसभा पहुंचे और फिर लगातार 2017 तक पांच बार सांसद रहे। इसके बाद पिछले पाँच साल में प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ ने नेतृत्व कि नई भूमिका निभाई।
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35 सालों बाद सत्ता में वापसी का करिश्मा
उत्तर प्रदेश में आखिरी बार साल 1989 में कांग्रेस की सरकार बनी थी। नारायण दत्त तिवारी मुख्यमंत्री थे। यह ऐसा दौर था जब उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का दबदबा था। साल 1980 में जनता पार्टी की सरकार के बाद हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने फिर से जीत हासिल की थी। विश्वनाथ प्रताप सिंह मुख्यमंत्री बने थे। इसके बाद 1985 में कांग्रेस की एकबार सरकार बनी जो साल 1989 तक चली थी। उत्तर प्रदेश में यह आखिरी मौका था जब कोई पार्टी लगातार दूसरी बार सत्ता में आई थी। 989 से लेकर 2017 तक कोई भी पार्टी एक कार्यकाल पूरा करने के बाद दोबारा सत्ता में नहीं लौटी। ऐसे में 35 सालों बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व भाजपा ने सत्ता में दोबारा वापसी का करिश्मा कर दिखाया है।
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नोएडा जाकर मिथक तोड़ा
सीएम योगी आदित्यनाथ नोएडा का दौरा कर मिथक तोड़ दिया। योगी की नोएडा यात्रा से पहले लोगों में यह मिथक था कि जो भी मुख्यमंत्री नोएडा की यात्रा करता है उसकी सत्ता में वापसी नहीं होती है। हालांकि इन सारे दावों को नकारकर उन्होने पहली बार 23 सितंबर, 2017 को नोएडा औद्योगिक केंद्र की यात्रा की। इसके दो दिन बाद ही 25 सितंबर को वह पीएम मोदी के साथ मेट्रो लाइन का उद्घाटन करने पहुंचे थे। —————————