सिद्धू के मूड को भगवान भी नहीं समझ सकते हैं। कब मन में आए और क्या निर्णय ले लें, ये कोई नहीं जानता है। ठीक दो महीने पहले तक वो पंजाब में कांग्रेस का अध्यक्ष बनने के लिए एड़ी- चोटी का ज़ोर लगा दिया था। तब उनकी लड़ाई उस समय के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से थी और वो कैप्टन को किसी भी सूरत में पद से हटवाना चाहते थे। आलाकमान ने उनकी बात मानी। तब कैप्टन को सीएम पद से हटाया और सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष भी बनवा दिया। लेकिन दो महीने भी नहीं बीते सिद्धू ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। सिद्धू के इस्तीफे के बाद पंजाब में इस समय सियासी हलचल तेज हैं इस फैसले को भले ही सीएम पद से जोड़कर देखा जा रहा हो लेकिन वो क्रिकेट हो या इससे पहले जब बीजेपी में रहे उनके फैसले चौंकाने वाले रहे।
बात 1996 की है जब टीम इंडिया, इंग्लैंड दौरे पर थी। इस टीम के साथ सिद्धू भी थे। इस दौरे के दौरान नवजोत सिंह सिद्धू बिना किसी को बताए बीच दौरे में ही इंडिया लौट आए। उस वक्त टीम की कमान अजहरुद्दीन के हाथ में थी। सिद्धू के इस कदम के बाद बीसीसीआई की ओर जांच कमेटी बिठाई गई।
क्रिकेट के मैदान पर ही एक बात और मशहूर है कि 1987 के विश्वकप में सिद्धू ने बढ़िया बल्लेबाजी की थी। इस विश्वकप के कुछ ही महीने बाद टीम इंडिया का वेस्टइंडीज दौरा था। वह एक अच्छे ओपनर थे और तेज गेंदबाजों के सामने उनकी जरूरत थी। सिद्धू चोटिल होकर सीरीज से बाहर हो गए। इसको लेकर भी कई किस्से हैं। सिद्धू उसके बाद एक साल तक क्रिकेट नहीं खेले।
नवजोत सिंह सिद्धू का राजनीतिक सफर कोई बहुत पुराना नहीं है लेकिन 16-17 सालों के राजनीतिक जीवन में ही उन्होंने दल भी बदला और ऐसे फैसले लिए जिससे लोग सोचने पर मजबूर भी हुए। 2004 में उन्होंने अपना राजनीतिक सफर शुरू किया था। 2004 में अरुण जेटली ने उनको बीजेपी में शामिल कराया और इसी साल वो अमृतसर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ते हैं। सिद्धू ने उस वक्त कांग्रेस के बड़े नेता रघुनंदन लाल भाटिया को एक लाख से अधिक वोटों से हरा दिया। 2009 में भी वो वहां से जीते। 2014 में उन्हें वहां से टिकट नहीं मिला लेकिन वो उस वक्त पार्टी के स्टार प्रचारक थे। बीजेपी ने उन्हें राज्यसभा भेजा लेकिन 2017 में इस्तीफा देकर वो कांग्रेस में शामिल हो गए। नवजोत सिंह सिद्धू के बीजेपी से कांग्रेस में आने की बीच कुछ दिन अफवाहों का दौर भी चला। पंजाब में चुनाव होने वाले थे और आम आदमी पार्टी को इस चुनाव में जीत का प्रबल दावेदार बताया जा रहा था। उनके आम आदमी पार्टी जॉइन करने की खबरें आने लगी। सीएम फेस को लेकर भी बात शुरू हुई लेकिन बात बनते बनते बिगड़ गई। वो कांग्रेस में आ गए। चुनाव हुए तो वहां दोबारा से कांग्रेस की वापसी होती है। कैप्टन की सरकार में उन्हें स्थानीय निकाय मंत्री का पद मिला। लेकिन कुछ ही दिनों बाद सिद्धू ने कैप्टन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और 2019 में कैबिनेट से इस्तीफा भी दे दिया। इसके बाद सिद्धू और कैप्टन की लड़ाई खुलकर सामने आ गई। जिसका नतीजा आज कांग्रेस पंजाब के सामने है।