Thursday, November 21, 2024
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लखनऊ शहर : “अटल” विरासत की हिफाजत को वोटर मैदान में

अदब और तहजीब के इस शहर ने देश और दुनिया को बड़े- बड़े नेता दिए हैं। देश के मौजूदा रक्षामंत्री राजनाथ सिंह उत्‍तर प्रदेश की राजधानी से सांसद हैं। भाजपा के दिग्गज नेता रहे लाल जी टंडन यहाँ लोगों के अभिभावक के तौर पर जाने- जाते थे। मेयर दिनेश शर्मा इस शहर का पढ़ा- लिखा चेहरा हैं लेकिन नवाबों के बाद लखनऊ की पहचान केवल अटल जी ही हैं। पुराने लखनऊ से लेकर शिया मुसलमान आज भी बार- बार अटल जी को याद करता है। देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई भले ही अब ब्रह्मलीन हों लेकिन भाजपा हो या फिर उसके धुर विरोधी दल, मतदाताओं के सामने अटल के नाम पर वोट मांगने में संकोच नहीं करते हैं। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपनी सरकार आने पर अटल विश्वविध्यालय बनाने का ऐलान किया है तो भाजपा विरासत को बचाने के लिए मैदान में है।

 लखनऊ शहरी क्षेत्र में नए परिसीमन के बाद उत्‍तर, पश्चिम, पूर्व, मध्‍य और कैंट विधान सभा क्षेत्रों का 2012 के चुनाव में उदय हुआ। 16वीं विधान सभा के चुनाव में यहाँ तीन सीटें सपा, एक कांग्रेस और एक भाजपा के हिस्‍से में आई। हालांकि पिछली बार 2017 के चुनाव में एकबार फिर यहाँ कमल खिला और भाजपा ने एक तरफा जीत हासिल कर इतिहास रच दिया। राम लहर के साथ 1991 में अवध में अटल आगमन के साथ अब तक भाजपा का ही पचरम लहराता रहा है। लखनऊ जिले की विधानसभा सीटों पर 1989 तक कांग्रेस का वर्चस्व रहा लेकिन उसके बाद बीजेपी ने यहाँ न सिर्फ जड़े जमाई बल्कि हर चुनाव में सबसे ज्यादा सीट जीतने में सफल रही। 2012 में सपा ने भले ही यहाँ जीत हासिल की हो लेकिन 2017 से भाजपा फिर अपने किले पर काबिज है। 2022 के विधानसभा चुनाव में पांचों विधानसभा सभा सीटों पर सभी दलों ने वीआईपी उम्‍मीदवार मैदान में उतारे हैं। एक से एक धाकड़ नेता विरोधियों को खुलकर चुनौती दे रहे हैं। मुकाबला तगड़ा है लेकिन लड़ाई हर सीट पर भाजपा से ही होनी तय है। लखनऊ मध्‍य विधानसभा सीट पर त्रिकोणीय मुक़ाबला नजर आ रहा है। पूर्वी सीट पर 20 फीसद मुस्लिम और 14 फीसद दलित आबादी के बावजूद यहां पर दलित- मुस्लिम फार्मूला फेल हो जाता है। भाजपा के वरिष्‍ठ नेता लालजी टंडन की इस परम्‍परागत सीट पर पुत्र गोपाल टंडन एकबार फिर जीत का परचम लहराने के लिए डटे हैं। लखनऊ पश्चिम सीट पर 28 फीसद मुस्लिम मतदाता सीधे तौर पर जीत और हार का फैसला करते हैं। यहाँ सपा के दिग्गज नेता मैदान में हैं। भाजपा को यहाँ तगड़ी चुनौती मिल रही है। लखनऊ उत्तर विधानसभा सीट पर प्रबुद्ध मतदाताओं का बोलबाला होने से भाजपा के डॉ नीरज बोरा दोबारा चुनौती दे रहे हैं। शहर की वीआईपी सीट कैंट विधानसभा है। यहां पर दिग्‍गज नेता ब्रजेश पाठक लगातार जनसभाएं कर रहे हैं। उनका मुक़ाबला विपक्ष के प्रत्याशियों से है। आईए नजर डालते हैं सभी विधानसभा क्षेत्रों के सियासी समीकरण पर।

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लखनऊ – शहरी विधानसभा क्षेत्र

कुल मतदाता  – 37.22 लाख

पुरुष मतदाता – 19.91 लाख

महिला मतदाता -17.31 लाख

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कौन कितने पानी में

सपा- गठबंधन

  • पाँच साल बाद पार्टी एकजुट
  • पिछले कार्यकाल का अखिलेश को अनुभव
  • भाजपा को सीधी टक्कर देने का दावा  

भाजपा

योगी- मोदी की डबल इंजन सरकार 

  • मजबूत कानून व्यवस्था का दावा     
  • ज़्यादातर सीटों पर नए चेहरों पर दांव  

बसपा

  • दलित- ब्राह्मण- मुस्लिम समीकरण पर दांव    
  • मायावती की कुशल प्रशासक की छवि
  • पार्टी के ज्यादा सक्रिय न होने का आरोप

कांग्रेस

  • प्रियंका वाड्रा का चेहरा
  • आधी आबादी पर दांव
  • बूथ स्तर पर संगठन का कमजोर होना

चुनावी मुददे

– मेट्रो शहर की सुविधा

– रोजगार के अवसर

– महंगी शिक्षा पर नियंत्रण

– करोना काल में बेहतर स्‍वास्‍थ्‍य सेवा

– कानून व्‍यवस्‍था

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अब तक विजेता

लखनऊ पश्चिम

1993 – राम कुमार शुक्‍ला- भाजपा

1996 – लाल जी टंडन – भाजपा

2002 – लाल जी टंडन- भाजपा

परिसीमन के बाद

2009 – एस के शुक्‍ला – कांग्रेस

2012 – मोहम्‍मद रेहान- सपा

2017-  सुरेश श्रीवास्तव- भाजपा  

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लखनऊ कैंट

1993 – सतीश भाटिया – भाजपा

1996 – सुरेश चंद्र तिवारी – भाजपा

2002  – सुरेश चंद्र तिवारी – भाजपा

2007  – सुरेश चंद्र तिवारी – भाजपा

2012 — रीता बहगुणा जोशी—कांग्रेस

2017 –  रीता बहगुणा जोशी—भाजपा

2019 – सुरेश चंद्र तिवारी – भाजपा

लखनऊ पूर्व

1993  – भगवती प्रसाद शुक्ल – भाजपा

1996  — विद्यासागर गुप्ता – भाजपा

2002 — विद्यासागर गुप्ता – भाजपा

2007  — विद्यासागर गुप्ता – भाजपा

2012  —  कलराज मिश्र – भाजपा

2014 उप-चुनाव – गोपाल जी टंडन – भाजपा

2017 — गोपाल जी टंडन – भाजपा

लखनऊ मध्य

1993– राम प्रकाश – भाजपा

1996— सुरेश श्रीवास्तव

2002 — सुरेश श्रीवास्तव

2007— सुरेश श्रीवास्तव

2012 – रविदास मेहरोत्रा सपा

2017 – ब्रजेश पाठक – भाजपा

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लखनऊ पश्चिमः मुक़ाबला होगा दमदार

यानि पुराने लखनऊ की इस विधानसभा सीट पर भाजपा का 1989 से 2007 तक के चुनाव में कब्जा रहा। 2009 में हुए उप चुनाव में कांग्रेस ने यह सीट उससे छीन ली। 2012 में हुए चुनाव में यह सीट सपा के पाले में चली गई। 2012 में सपा के मोहम्मद रेहान ने 49912 मत प्राप्त कर सीट जीती। दूसरे नंबर पर रहे भाजपा के सुरेश कुमार श्रीवास्तव को 42100 मत मिले। 2017 में बीजेपी ने एकबार फिर से यहां जीत दर्ज की । सुरेश कुमार श्रीवास्तव 2017 में यहां से विजयी हुए। हालांकि इस बार यहाँ से भाजपा ने नए चेहरे को मौका दिया। मुख्य रूप से भाजपा के दिग्गज नेता रहे लालजी टंडन की परंपरागत सीट को क्या भाजपा दोबारा जीत पाती है, ये देखने वाली बात है।

लखनऊ कैंटः ब्रजेश पाठक करेंगे कमाल!

कैंट विधानसभा सीट लखनऊ की सबसे हाई प्रोफाइल सीट मानी जा रही है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि भाजपा के बड़े- बड़े दिग्गज यहाँ से चुनाव लड़ने के लिए उत्साहित रहे। हालांकि पार्टी ने यहाँ कानून मंत्री ब्रजेश पाठक को मैदान में उतारकर सबको चौंका दिया। वो सुलझे हुए नेता के रूप में जाने जाते हैं। समाजवादी पार्टी ने सुरेंद्र सिंह गांधी उर्फ राजू गांधी को मैदान में उतारा है। राजू गांधी पार्षद रह चुके हैं और इलाके के लोगों पर उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है। ऐसे में माना जा रहा है कि योगी के मंत्री पाठक और पूर्व पार्षद गांधी में कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है। बहुजन समाज पार्टी ने अनिल पांडेय पर अपना भरोसा जताया है कांग्रेस के दिलप्रीत सिंह भी चुनौती दे रहे हैं। इस सीट पर रीता बहगुणा जोशी का भी प्रभाव देखा जाता है। वो अपने बेटे के लिए भाजपा से टिकट मांग रहीं थीं। अब जोरदारी से ब्रजेश पाठक का प्रचार कर रही हैं। मुलायम सिंह यादव की छोटी बहु अपर्णा यादव यहाँ से चुनाव लड़ चुकी हैं। वो अब भाजपा में हैं। वहीं विधायक सुरेश चंद्र तिवारी की मौजूदगी से भाजपा से यहाँ अन्य दलों की लड़ाई है।

लखनऊ पूर्वः भाजपा के अभेद किले पर सेंध की चुनौती

यह सीट 1991 से भाजपा के कब्जे में है। 2012 में यह सीट भाजपा के कलराज मिश्रा ने 68726 मत प्राप्त कर जीती। पिछले 30 सालों से भाजपा का गढ़ मानी जाने वाली इस सीट पर विधायक आशुतोष टंडन की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। समाजवादी पार्टी के अनुराग भदौरिया पिछली बार शिकस्त खाने के बाद इस बार भी ताकत लगा रहे हैं। कांग्रेस  ने दो बार प्रत्याशी का बदलाव करते हुए लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष मनोज तिवारी को उतारा है।बसपा ने आशीष सिन्हा के जरिए कायस्थ व सवर्ण वोटों में सेंध लगाने की जुगत की है। ठाकुर, ब्राह्मण, कायस्थ वोटरों के साथ गुप्ता, अग्रवाल, जायसवाल और चौरसिया बाहुल्य सीट पर इस बार भी कमल खिलेगा या फिर विपक्ष इस बार उलटफेर करेगा। 10 मार्च को ही इसका खुलासा होगा।

लखनऊ मध्यः भाजपा के लिए डगर नहीं आसान

मध्य विधानसभा क्षेत्र में करीब 1.20 लाख मुस्लिम मतदाता हैं। पिछले चुनाव में यहां भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी में सीधी टक्कर थी। इस बार भी तस्वीर इससे जुदा नहीं। कांग्रेस और बसपा उम्मीदवारों की चुनौती से यहाँ लड़ाई कांटे की है। सीएए आंदोलन में मुस्लिमों की आवाज बनीं कांग्रेस की उम्मीदवार सदफ जाफर मुस्लिम वोटों में बड़ी सेंध लगा सकती हैं। इसी तरह सवर्ण वोटों का एक हिस्सा बसपा प्रत्याशी आशीष चंद्र श्रीवास्तव के पाले में जा सकता है। पिछले विधानसभा चुनाव में लखनऊ मध्य क्षेत्र में ब्रजेश पाठक (इस बार कैंट से उम्मीदवार) सपा के रविदास मेहरोत्रा से सिर्फ 5094 वोटों से जीते थे। इस बार भाजपा ने पार्षद रजनीश गुप्ता को पहली बार प्रत्याशी बनाया है। पुराने शहर के कारोबारियों में उनकी पकड़ मानी जा रही है। कई पार्षद भी उनके समर्थन में हैं। 1989 से लेकर 2007 तक इस सीट पर भाजपा का कब्जा रहा था। पिछले चुनाव में भी भाजपा ने यहाँ जीत का परचम लहराया था। ऐसे में इस बार भी यहाँ मुक़ाबला रोचक है। 

लखनऊ उत्तर : नीरज बोरा के सामने त्रिकोणीय चुनौती

इस विधानसभा क्षेत्र में अलीगंज, कपूरथला, फजुल्ला गंज, केशव नगर कुर्सी रोड के इलाके आते हैं।  पुराने लखनऊ से लेकर गोमती के बंधे के सहारे यहाँ की राजनीति चलती है। बीजेपी ने यहाँ मौजूदा विधायक डॉ नीरज बोरा पर भरोसा जताया है। वहीं समाजवादी पार्टी ने युवा नेत्री पूजा शुक्ला को मैदान में उतारा है। इसके अलावा बसपा ने मोहम्मद सरवर मलिक को टिकट दिया गया है जबकि कांग्रेस ने अजय श्रीवास्तव उर्फ अज्जू को मोर्चे पर भेजा है। जातीय गणित के हिसाब से यह सीट उलझी है। यहां जितनी संख्या ब्राह्मण मतदाताओं की है। इतने ही मुसलमान और पिछड़ी जाति के वोटर हैं। क्षत्रिय और वैश्य मतों की संख्या भी काफी है। ऐसे में सीट पर लड़ाई दिलचस्प हो सकती है।

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लखनऊ पश्चिम

चौक, बालागंज और चौपटिया जैसे पुराने मोहल्‍लों और लखनऊ का दिल कही जाने वाली लखनऊ पश्चिम सीट को भाजपा का गढ़ माना जाता है। पिछली बार 2017 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के सुरेश श्रीवास्तव ने समाजवादी पार्टी के मोहम्मद रेहान को 13072 वोटों से हराया था। तब लखनऊ पश्चिम में कुल 42.76 प्रतिशत वोट पड़े थे। 2012 में 16 वीं विधानसभा के चुनावों में समाजवादी पार्टी के मोहम्मद रेहान ने बीजेपी के सुरेश कुमार श्रीवास्तव को हराया था। कांग्रेस के श्याम किशोर शुक्ला तीसरे स्थान पर रहे थे। जबकि बीएसपी के डॉ श्याद साहिद हुसैन चौथे स्थान पर रहे थे। लालजी टंडन के सांसद बनने के बाद 2009 के उप चुनाव में यहां कांग्रेस के एस के शुक्‍ला ने भाजपा को हरा दिया था। 2007 के चुनावों में बीजेपी के लालजी टंडन ने समाजवादी पार्टी के बुक्कल नवाब को हराया था। बीएसपी के डॉ नीरज बोरा तीसरे स्थान पर रहे थे। जबकि कांग्रेस के सुशील दुबे चौथे स्थान पर रहे थे। 2002 में भी भाजपा के टंडन ने सपा के वीरेंद्र भटिया को हराया था।

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विधानसभा संख्या   —  171

कुल मतदाता       —- करीब चार लाख  

वर्तमान विधायक   — सुरेश चंद्र श्रीवास्‍तव  

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लखनऊ उत्‍तर

सीट के अस्तित्व में आने के बाद से अब तक दो बार विधानसभा चुनाव हुए हैं। जिसमें एक बार भारतीय जनता पटरी और एक बार समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को जीत मिली है। पिछली बार 2017 के चुनाव में भाजपा के नीरज बोरा ने समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी अभिषेक मिश्रा को हराया था। परिसीमन के पहली बार सपा के अभिषेक मिश्रा यहां से विधायक चुने गए थे। 16 वीं विधानसभा के चुनाव में मिश्रा ने कांग्रेस के डॉ नीरज बोरा को हराया था। तब बीजेपी के आशुतोष टंडन तीसरे स्थान पर रहे थे। जबकि बीएसपी के अरुण द्धिवेदी चौथे स्थान पर रहे थे।

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लखनऊ उत्‍तर

विधानसभा संख्या-  172

कुल मतदाता       —- करीब चार लाख    

वर्तमान विधायक   —-  नीरज बोरा – भाजपा  

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लखनऊ पूर्वी

इस सीट पर पिछले चार विधानसभा चुनावों में बीजेपी के प्रत्याशियों को ही जीत मिली है। कमोबेश सीट पर बीजेपी का वर्चस्व लंबे अर्से है। 2017 के चुनाव में यहाँ भाजपा के गोपाल जी टंडन विजयी रहे थे। 16 वीं विधानसभा के चुनावों में बीजेपी के कलराज मिश्रा ने समाजवादी पार्टी की जूही सिंह को हराया था। तीसरे स्थान पर कांग्रेस के रमेश श्रीवास्तव रहे थे। बीएसपी के कैप्टन के.सी. त्रिपाठी चौथे स्थान पर रहे थे। कलराज मिश्रा के इस्तीफा के बाद 2014 में हुए उप-चुनाव में भाजपा के आशुतोष टंडन गोपाल जी ने 71640 मत प्राप्त कर पहली बार सीट जीती थी। दूसरे स्थान पर सपा की जूही सिंह को 45181 मत मिले। 2007 के चुनावों में बीजेपी के विद्यासागर गुप्ता ने समाजवादी पार्टी के फकीर सिद्दीकी को हराया था। तीसरे स्थान पर बीएसपी के गोपाल नरायण मिश्रा रहे थे। कांग्रेस के सुधीर एस हलवासिया चौथे स्थान पर रहे थे। 2002 के चुनाव में भी भाजपा को ही यहां जीत मिली थी।

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लखनऊ पूर्वी

विधानसभा संख्या  —    173 

कुल मतदाता       —-  356340

वर्तमान विधायक   —–  गोपाल जी टंडन – भाजपा

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लखनऊ मध्‍य

पिछले चार विधानसभा चुनावों में तीन बार भारतीय जनता पार्टी और एक बार समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को जीत मिली है। । पिछली बार 2017 के चुनाव में लखनऊ मध्य में कुल 40.20 प्रतिशत वोट पड़े थे । तब भारतीय जनता पार्टी के ब्रजेश पाठक ने समाजवादी पार्टी के रविदास मेहरोत्रा को 5094 वोटों से हराया था। 16 वीं विधानसभा के चुनावों में समाजवादी पार्टी के रविदास मेहरोत्रा ने बीजेपी के विद्यासागर गुप्ता को हराया था। कांग्रेस के फकीर सिद्दीकी तीसरे स्थान पर रहे थे। जबकि बीएसपी के मो. नसीम सिद्दीकी चौथे स्थान पर रहे थे। 2007 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के सुरेश कुमार श्रीवास्तव ने समाजवादी पार्टी के रविदास मेहरोत्रा को मात दी थी। कांग्रेस के मंजूर अहमद तीसरे स्थान पर रहे थे। जबकि बीएसपी के नागेंद्र मोहन चौथे स्थान पर रहे थे।

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विधानसभा संख्या-  174

कुल मतदाता       —- 3.5 लाख   

वर्तमान विधायक   — ब्रजेश पाठक (भाजपा )

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लखनऊ कैंट

सीट के अस्तित्व में आने के बाद से अब तक तीन बार विधानसभा चुनाव हुआ है। जिसमें दो बार भाजपा और एक बार कांग्रेस को जीत मिली है। 2012 में कांग्रेस की टिकट पर रीता बहुगुणा जोशी ने जीत दर्ज की थी। 2017 के चुनाव से पहले वो बीजेपी में शामिल हो गई थीं। इस चुनाव में भी उन्होने शानदार जीत हासिल की। हालांकि 2019 के चुनाव में जोशी को प्रयागराज से लोकसभा का टिकट दे दिया गया। यहाँ से सांसद बनने के बाद कैंट सीट पर उपचुनाव हुआ जिसमें एकबार फिर भाजपा के सुरेश चंद्र तिवारी ने जीत हासिल की।

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लखनऊ कैंट

विधानसभा संख्या-  175

कुल मतदाता       —-  340755

वर्तमान विधायक    — सुरेश तिवारी – भाजपा

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लखनऊ पश्चिम विस क्षेत्र संख्या 171

भाजपा – अंजनी श्रीवास्तव

सपा – अरमान खान

बसपा – कायम रजा

कांग्रेस – शहाना सिद्दीकी

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लखनऊ उत्तर विस क्षेत्र संख्या 172

भाजपा – नीरज बोरा

सपा – पूजा शुक्ला

बसपा – सरवर मलिक

कांग्रेस – अजय श्रीवास्तव

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लखनऊ पूर्व विस क्षेत्र संख्या 173

भाजपा – आशुतोष टंडन

सपा – अनुराग सिंह

बसपा – आशीष

कांग्रेस – मनोज तिवारी

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लखनऊ मध्य विस क्षेत्र संख्या 174

भाजपा – रजनीश गुप्ता

सपा – रविदास मेहरोत्रा

बसपा – आशीष श्रीवास्तव

कांग्रेस – सदफ जाफर

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लखनऊ कैंट विस क्षेत्र संख्या 175

भाजपा – ब्रजेश पाठक

सपा – राजू गांधी

बसपा – अनिल पांडेय

कांग्रेस – दिलप्रीत सिंह

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