Friday, November 22, 2024
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मृतप्राय पूर्वी काली नदी को फिर कर दिया जीवित

अगर इच्छा शक्ति हो और इरादों में मजबूती तो म्रतप्राय में जीवन फूंका जा सकता है। नदी पुत्र और नीर फाउंडेशन ने इस कहावत को अपनी मेहनत से सही साबित कर दिया है। कुछ वर्षों पहले पूर्वी काली नदी अपने उद्गम स्थल पर ही म्रतप्राय यानि सूख चुकी थी। इस सुखी नदी को जीवित करने का बीड़ा आज से दो साल पहले उठाया गया था जिसका परिणाम अब जीवंत नदी के रूप में सामने है।  

नदी पुत्र रमन कान्त बताते हैं कि कार्य कठिन था पर असंभव कतई नहीं।  नदी उद्गम की लगभग 200 बीघा (15 हेक्टेयर) कृषि भूमि हमारे प्रयासों के बाद किसानों द्वारा छोड़ी गई और हमने नदी का काम शुरू किया। बक़ौल नदी पुत्र आज मैं और नीर फाउंडेशन की पूरी टीम इस बात से बहुत खुश है कि नदी के उद्गम स्थल के जलाशय हमेशा से भरे पड़े हैं। उन्होने कहा कि  जल्द ही निराशा के बादल छंट जाएंगे और नदी फिर से अपनी गति से बहने लगेगी।

नदी पुत्र ने इस मौके पर नदी को जीवंत करने के प्रयास में योगदान देने वाले  डॉ संजीव कुमार बालियान (केंद्रीय राज्य मंत्री, भारत सरकार), डॉ अनिल जोशी, (संस्थापक HESCO), श्री संजय कुमार (सहारनपुर के पूर्व संभागीय आयुक्त), श्री वीरपाल निर्वाल (जिला पंचायत मुजफ्फरनार के अध्यक्ष), श्री आलोक यादव, (सीडीओ मुजफ्फरनगर, श्री आशुतोष सारस्वत (मेरठ का सिंचाई विभाग), एसडीएम खतौली, प्रधान अंतवाड़ा, श्री मुकेश कुमार (सामाजिक कार्यकर्ता), श्री नवीन कुहाड़, श्री मातरम नगर, इंद्रजीत सिंह, और श्री शुभम कौशिक (सामाजिक कार्यकर्ता) का आभार जताया।

काली नदी का इतिहास

“काली नदी ” नाम की दो नदियाँ हैं। पूर्वी काली नदी मुजफ्फरनगर, मेरठ, बुलंदशहर, अलीगढ़, एटा तथा फर्रुखाबाद जिलों में होकर बहती है। इसका उद्गम मुजफ्फरनगर जिले में है जहाँ यह ‘नागन’ के नाम से विख्यात है। मुजफ्फरनगर तथा मेरठ जिलों में इसका मार्ग अनिश्चित रहता है। परंतु बुलंदशहर पहुँचकर यह निश्चित घाटी में बहती है तथा वर्ष भर इसमें जल रहता है। यहाँ इसे काली नदी कहते हैं जो ‘कालिंदी’ का पारसी लेखकों द्वारा प्रयुक्त अपभ्रंश रूप है। यहाँ पर इसकी दिशा दक्षिण के बजाय दक्षिण-पूर्व हो जाती है। इसी ओर चलती हुई काली नदी कन्नौज से कुछ पहले ही गंगा में मिल जाती है। बुलंदशहर से एटा तक काली नदी में वर्षा तथा नहर से इतना अधिक जल प्राप्त होता है कि पहले यह भाग बाढ़ग्रस्त हो जाता था। अब सिंचाई विभाग ने इस समस्या का उचित उपाय कर दिया है। एटा जिले में निचली गंगा नहर इस नदी के ऊपर से नदरई ऐक्वेडक्ट द्वारा बहती है। काली नदी की कुल लंबाई ४६० किमी है।

पश्चिमी काली नदी उत्तर प्रदेश के सहारनुपर जिले में शिवालिक से २५ किमी दक्षिण से निकलकर दक्षिण-पश्चिम तथा दक्षिण की ओर सहारनपुर तथा मुजफ्फरनगर जिलों में बहती है। मेरठ जिले की उत्तरी सीमा पर यह हिंडन नदी में समा जाती हैं।

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