
डॉ मनीष शुक्ल
तस्वीरें बहुत कुछ कहती हैं| चीन से आने वाली इन्हीं तस्वीरों के जरिये सशक्त भारत दुनियाँ को संदेश दे रहा है| यह संदेश है आतंकवाद के खिलाफ पूरी दुनियाँ को एकजुट होना होगा| विश्व के सभी देशों के लिए सुरक्षा, शांति और विकास जरूरी है| इस संदेश को शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन के घोषणा पत्र में शामिल किया गया है| पहली बार चीन ने भी स्वीकार किया है कि आतंकवाद पर दोहरा रवैया नहीं अपनाया जा सकता है| पिछले दो दिनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनफिंग के साथ साझा वार्ता भी वैश्विक राजनीति और आर्थिक परिदृश्य के परिवर्तित होने के संकेत दे रहे हैं|
प्रधानमंत्री मोदी ने शिखर सम्मेलन के पहले चीन के राष्ट्रपति शी जिनफिंग से वार्ता में परस्पर विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता को बढ़ाने का आह्वान किया| वहीं एससीओ सम्मेलन को नए सिरे से परिभाषित करते हुए एस का अर्थ सिक्योरिटी, सी को कनेक्टिविटी और ओ को अपॉर्चुनिटी यानि नए अवसरों से जोड़ दिया| पीएम ने आतंकवाद को दुनिया के लिए बड़ा खतरा बताया| पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को आईना दिखाते हुए कहा कि पहलगाम में दुनिया ने आतंक का घिनौना रूप देखा है| साथ ही चीन से दो टूक कहा कि आतंकवाद पर दोहरा रवैया नहीं चलेगा| इस संदेश को शिखर सम्मेलन के साझा घोषणा पत्र में आतंकवाद के मुद्दे को शामिल कर चीन ने भारत की चिंता को स्वीकार किया|
सम्मेलन के जरिये ‘नए वर्ल्ड ऑर्डर’ की झलक दिखाई दी है| इसमें भारत, चीन और रूस जैसी महाशक्तियाँ साझेदार हो सकती हैं| प्रधानमंत्री मोदी ने रूस के राष्ट्रपति पुतिन को अभिन्न सहयोगी बताते हुए कहा कि कठिन से कठिन परिस्थितियों में रूस भारत के साथ खड़ा रहा है| उन्होने रूस को साफ कह दिया कि यूक्रेन में जल्द से जल्द शांति का पूरी दुनियाँ को इंतजार है| पीएम मोदी पुतिन के करीबी मित्र हैं वहीं यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंसकी भी भारत पर भरोसा करते हैं| इसी कारण वो लगातार प्रधानमंत्री मोदी के साथ संपर्क में है|
पीएम मोदी ने चीन की धरती से दुनियाँ को संदेश दिया है कि “सुरक्षा, शांति और स्थिरता किसी भी देश के विकास का आधार है| आज आतंकवाद, अलगाववाद और अतिवाद बड़ी चुनौतियां हैं| आतंकवाद केवल किसी किसी देश की सुरक्षा के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी मानवता के लिए एक साझा चुनौती है| कोई देश, कोई समाज, कोई नागरिक इससे खुद को सुरक्षित नहीं समझ सकता| इसलिए, भारत ने आतंकवाद से लड़ाई में एकता पर जोर दिया है|
भारत का यह संदेश अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के लिए भी है| जिन्होने पाकिस्तान के सेना प्रमुख को न सिर्फ लंच पर बुलाकर आतंकवाद के खिलाफ दोहरा रवैया अपनाया| साथ ही भारत के खिलाफ टैरिफ वार का ऐलान कर दशकों में मजबूत हुए रणनीतिक संबंधों को तार- तार कर दिया| पिछले दो दिनों में चीन से आ रही तस्वीरों को देखकर अमेरिकी राष्ट्रपति भी बेचैन हो सकते हैं| ट्रम्प ने भारत को‘डेड इकॉनामी’कहा था लेकिन हम विश्व की चौथी बड़ी आर्थिक महाशक्ति है| शायद ये भूल गए| शिखर सम्मेलन में भारत- रूस और चीन का करीब आना वैश्विक शक्ति संतुलन का प्रतीक है| यही कारण है कि चीन ने बिना समय गवाए भारत की ओर तेजी से दोस्ती का हाथ बढ़ाया है| तो रूस भारत के और करीब आया है| हालांकि ये महज शुरुआत है| अमेरिका और चीन दो ऐसे देश हैं जो समूचे विश्व पर अपना नियंत्रण स्थापित करना चाहते हैं| दोनों ही देशों पर आँख बंद करके विश्वास करना नुकसान दायक साबित होता है| भारत दोनों ही देशों का भुक्त भोगी है| हालांकि अब बीती घटनाओं से सबक लेकर आगे बढ़ने का समय है|
सशक्त भारत की आवाज आज पूरी दुनियाँ सुन रही है| भारत के पास अवसर है कि हम आत्मनिर्भर होकर अपनी शर्तों पर आर्थिक और राजनीतिक संबंध स्थापित करें| चीन के साथ भी भारत के रिश्ते नए सिरे से परिभाषित करने की जरूरत है| इसमें सीमा पर शांति और विवाद का समाधान अनिवार्य है| पीएम मोदी ने अपने सम्बोधन में सीमा पर शांति का मुद्दा उठाया| शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में अधिकांश मुद्दों पर सहमति शुभ संकेत है| साथ ही नए वैश्विक परिदृश्य की तस्वीर है|