Monday, May 5, 2025
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“फुलेरा का पंचायती राज”: आत्मनिर्भर दिल के साथ एक डिजिटल हिट

पंचायती राज मंत्रालय की तीन भाग की श्रृंखला “अल्हुआ विकास” का अंतिम एपिसोड स्थानीय करों से स्थानीय प्रगति को बढ़ावा देने पर प्रकाश डालता है

नई दिल्ली : पंचायती राज मंत्रालय की तीन-भाग की विस्तार श्रृंखला “फुलेरा का पंचायती राज” की तीसरी और अंतिम फिल्म “अल्हुआ विकास” डिजिटल दर्शकों को व्यापक रूप से उत्साहित कर रही है। इसके साथ ही देश भर में ग्राम पंचायतों को प्रभावित करने वाले मुद्दों के बारे में लोगों को जागरूक कर रही है। इसका तीसरा और अंतिम एपिसोड पहले राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस (24 अप्रैल, 2025) के अवसर पर जारी किया गया था। तब से अब तक इसे 6 मिलियन से अधिक बार देखा गया है। यूट्यूब पर भी इसे शानदार प्रतिक्रिया मिली है।

“अल्हुआ विकास” ग्रामीण स्थानीय निकायों द्वारा राजस्व के अपने स्रोत (ओएसआर) उत्पन्न करने के महत्वपूर्ण महत्व पर प्रकाश डालता है, जो ग्रामीण भारत में पंचायती राज संस्थाओं (पीआरआई) की आत्मनिर्भरता को मजबूत करने में मदद करता है। यह फिल्म स्थानीय करों के समय पर भुगतान पर नागरिक जागरूकता को बढ़ावा देती है। साथ ही,  इस पर प्रकाश डालती है कि इस तरह के योगदान से बेहतर सेवा वितरण और निरंतर गांव का विकास कैसे संभव होता है। इस फिल्म में नीना गुप्ता, फैसल मलिक, चंदन रॉय, दुर्गेश कुमार और मूल “पंचायत” कलाकारों समेत कई अन्य प्रसिद्ध कलाकार शामिल हैं।  इसने नागरिकों को स्थानीय करों का समय पर भुगतान करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए “जमा करके कर, बनाइये अपनी पंचायत को आत्मनिर्भर” संदेश पर जोर देने के साथ काफी लोगों का ध्यान आकर्षित किया है। गांवों में विकास कार्यों का समर्थन ही फिल्म का महत्वपूर्ण संदेश है। राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा पंचायतों को राजस्व के अपने स्रोत (ओएसआर) जुटाने में आत्मनिर्भरता के क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान को मान्यता देने के लिए पुरस्कार प्रदान करने के साथ शुरू हुई ग्रामीण स्थानीय निकायों को आर्थिक रूप से सबल और “आत्मनिर्भर” बनाने की दिशा में मंत्रालय के संकल्प की यह फिल्म पुष्टि करती है। पंचायती राज मंत्रालय का लक्ष्य ओएसआर को एक घरेलू शब्द बनाना और सक्षम नागरिकों को प्रासंगिक करों का भुगतान करने के लिए प्रोत्साहित करना है। ये योगदान पंचायती राज संस्थाओं को वित्तीय रूप से टिकाऊ और ग्रामीण भारत में जमीनी स्तर पर शासन की आत्मनिर्भर संस्थाएं बनाने के लिए आवश्यक हैं।

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