साहित्यकार मनीष शुक्ल के कविता संग्रह निलंबित मौन के स्वर के स्वर का लोकार्पण और संवाद
- कानपुर मेट्रो और बुकलैंड बुक फेयर का आयोजन
मौन को आपकी एक मुस्कराहट निलंबित कर देती है| फिर जो स्वर निकलते हैं| वो दिल की आवाज होती है| कानपुर मेट्रो और बुक लैंड बुक फेयर की ओर आयोजित साहित्यकार मनीष शुक्ल के कविता संग्रह निलंबित मौन के स्वर कविता संग्रह के लोकार्पण और परिचर्चा के अवसर या बात मुख्य वक्ताओं ने कही|
कानपुर मेट्रो के साहित्यिक कार्यक्रम ‘संवाद’ कार्यक्रम में जाने- माने कलमकारों ने ‘निलंबित मौन के स्वर’ पर विचार प्रकट किये| कार्यक्रम का शुभारम्भ करते हुए वक्ताओं ने प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने किया| उन्होंने मेट्रो के जरिये यात्रा में साहित्य और कला के जरिये उत्साह और उमंग को जोड़ने का आह्वान किया| कविता संग्रह निलंबित मौन को युवा साहित्य की धड़कन करार दिया| कार्यक्रम के मुख्य वक्ता रक्ष मंत्रालय के निदेशक और वरिष्ठ व्यंग्यकार अनूप शुक्ल ने कहा कि कविता और पत्रकारिता दोनों ही अभिवयक्ति का संवेदनशील माध्यम हैं| ऐसे में पत्रकार मनीष शुक्ल को एक कवि के रूप में देखकर सुखद अनुभूति होती है| मुख्य वक्ता छत्रपति साहू जी महाराज विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर और मुस्कराए कानपुर के संस्थापक डॉ सिधांशु राय ने कहा कि मौन को तोड़ने के लिए एक मुस्कान ही काफी है| जो काम बड़े से बड़ा हथियार नहीं करता है वो आपकी मुस्कान कर देती है| मनीष के कविता संग्रह निलंबित मौन के स्वर में भी यही सन्देश दिया गया है| साहित्यकार मनीष शुक्ल ने कहा कि कविता को सुनने और महसूस करने के लिए भीड़ की नहीं दिल की जरुरत होती है| निलंबित मौन के स्वर की खूबी भी यही है वो सीधे दिल को छूती हैं| कविता शब्दों का गुलदस्ता है जिसमें राष्ट्रप्रेम है, नारी सम्मान है, पर्यावरण की चिंता है | डॉ कामायनी शर्मा ने कहा कि लेखन हमेशा समाज को जागरूक करने वाला और राष्ट्रहित में होना चाहिए| संचालक पंचानन मिश्र ने कहा कि निलंबित मौन ही जनता की मुखर आवाज है| कविता कल्पना लोक को हकीकत के रंगों से सामना कराती है| लेखक के अंतर्मन में कवि भी होता ये मनीष के कविता संग्रह को पढ़कर समझ आता है| इस मौके पर मुस्कराए कानपुर ने कानपुर मेट्रो के साथ सांस्कृतिक यात्रा आगे बढाने पर सहमति जताई| बुक लैंड बुक फेयर के अली हसन और और समीर ने आभार जताया|