मनीष शुक्ल
वरिष्ठ पत्रकार
दिल्ली के बाद गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव पारिणाम आ चुके हैं! गुजरात में 27 साल तक सत्ता में रहने के बाद भाजपा ने जीत का नया रिकार्ड बनाया है! इतने सालों में घर- परिवार और रिश्ते- नातों में भी मन मुटाव का दौर आ- जाता है लेकिन एक- दूसरे के प्रति प्यार और विश्वास में लगातार बढ़ोत्तरी रिश्तों की प्रगाढ़ता को भी बयान करता है! गुजरातवासियों ने भाजपा को विधान सभा चुनाव में एतिहासिक जीत दिलाकर यही सन्देश दिया! यह सन्देश है जनता को अपने पीएम पर प्यार और विश्वास न सिर्फ जारी है बल्कि समय के साथ और मजबूत हुआ है! गुजरात की इस जीत के मायने कुछ अलग हैं! ये मायने हैं कि भले ही सत्ता का ताज और रिवाज बदले या न बदले लेकिन लोगों की उम्मीद और विश्वास अब भी पीम मोदी पर अटूट है!
यह सच है कि साल 2022 के जाते- जाते गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधान सभा चुनाव समेत दिल्ली एमसीडी के चुनाव परिणाम भारतीय जनमानस को बहुत बड़ा राजनैतिक सन्देश दे गए हैं! यह सन्देश लोकतंत्र की मजबूती का है! चूँकि अब पूरे देश में हर साल कहीं न कहीं कोई न कोई चुनाव होता रहता है! और न्यूज चैनलों के जरिये देश ज्यादातर समय चुनावी मोड में रहता है! ऐसे में हर चुनाव परिणाम कुछ ख़ास सन्देश देकर जाता है! दिल्ली, गुजरात और हिमाचल प्रदेश की जनता ने भी अलग- अलग लेकिन अभूतपूर्व जनादेश दिया है! गुजरात ने जहाँ बता दिया है कि वो अपने देश के प्रधानमंत्री से मिले प्यार और विशवास के रिटर्न गिफ्ट देना जानती है! वहीँ एमसीडी चुनाव में 15 सालों बाद भाजपा को गद्दी से उतारकर आम आदमी पार्टी को बैठाकर बता दिया है कि वो विकल्पहीन नहीं है! जनता परिवर्तन करने का माद्दा रखती है! बस उसके सामने मजबूत विकल्प देने वाला राजनितिक दल होना चाहिए! यहाँ बात नेताजी यानी मुलायम सिंह यादव की विरासत के लिए हो रहे मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव का भी जिक्र जरुरी है जहाँ पर सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव की धर्मपत्नी डिम्पल yadav रिकार्ड वोटों से चुनाव जीत गई हैं! यहाँ की जनता ने साफ़ बता दिया है कि राजनीति में भले ही परिवारवाद को लेकर बहस चल रही हो लेकिन अपने नेता के प्यार के आगे आज भी सारे मुद्दे फीके पड़ जाते हैं! मैनपुरी के मतदाता ने ने डिम्पल यादव को जिताकर नेताजी को श्रद्धांजली देने का काम किया है!
सबसे रोचक चुनाव परिणाम हिमाचल प्रदेश से आए हैं! जहाँ जनता ने अपना रिवाज और परम्परा को कायम रखा है! जनता का यह फैसला कांग्रेस के लिए ऑक्सीजन साबित हुआ है! एक ओर जहाँ शीर्ष नेतृत्व ने पार्टी को गुजरात और हिमाचल में जनता के भरोसे छोड़कर खुद चुनाव प्रचार से किनारा कर लिया था! वहीँ जनता ने कंग्रेस को वोट देकर सन्देश दिया है! अभी भी मौका है! पूरे देश में आज भी सशक्त विपक्ष की जरुरत है! जनता ने कांग्रेस को एकबार फिर हिमाचल प्रदेश में सत्ता की भाभी सौपकर अपना रिवाज और जिम्मेदारी दोनों निभाई है! लेकिन अब जिम्मेदारी कांग्रेस की है कि वो टूटे नहीं! उसके विधायक पार्टी का साथ न छोड़ें और जनभावना पर खरी उतरे! क्योंकि हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के लिए 2024 के लोक सभा चुनाव का रास्ता खोल भी सकता है और बंद भी कर सकता है! ऐसे में कांग्रेस के शीर्ष नेता राहुल गांधी को भारत जोड़ों यात्रा के साथ ही नेता और कार्यकर्त्ता जोड़ों अभियान भी चलाना होगा क्योंकि चुनावी संघर्ष के बिना कांग्रेस की राजनीतिक यात्रा अधूरी ही रहेगी! भले ही पार्टी नेतृत्व कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक घूम ले! रही बात आम आदमी पार्टी की, जो देश में कांग्रेस का विकल्प बनकर भाजपा को चुनौती देने क दम भर रही है, उसके नेता अरविन्द केजरीवाल को भी लिखकर देने के राजनीति से हटकर गंभीरता दिखानी होगी! वरना ‘आप’ का एक ही तरह शो देखकर जनता भी गंभीर नहीं होगी!
एकबार फिर हम गुजरात की बात करें और भाजपा के सत्ता सफ़र पर नजर डालें तो भाजपा की इस एतिहासिक जीत के मायने खुद ब खुद समझ आ जाएंगे! बात वर्ष 2001 कि है, जब गुजरात में आए भूकंप के बाद राज्य की हालत बहुत ख़राब हो चुकी थी! तब विषम परिषथितियों में 7 अक्तूबर 2001 को भाजपा नेतृत्व नरेंद्र मोदी के हाथों में मुख्यमंत्री पद की कमान सौंपता है ! उस समय न तो लोगों को उम्मीद थी न ही भाजपा के शीर्ष नेतृत्व जानता था कि ये एक जननायक का उदय है जो आने वाले दशक में भारत की उम्मीद बनेगा और फिर दुनिया भर में भारत का नया झंडाबरदार होगा!
गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी ने एक से बढ़कर एक राजनीतिक चुनौती का सामना किया लेकिन कभी भी पीछे नहीं हटे! मई 2014 में देश का प्रधानमंत्री बनने तक मोदी जी लगातार 13 सालों तक जन भावना पर खरे उतरते रहे! गुजरात की जनता के दिलों में राज करते रहे! लगातार तीन कार्यकाल के लिए मुख्यमंत्री रहने के बाद गुजरात में आनंदीबेन पटेल पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं! इसके बाद विजय रूपाणी सीएम बनाए गए! तब लगा कि शायद अब भाजपा यहाँ कमजोर होगी! 2017 के विधान सभा चुनाव में कांग्रेस ने जिस तरह से 70 से ज्यादा सीटें हासिल की और जनता ने जिस कदर कांग्रेस के वोट बैंक में इजाफा किया! उससे लगा कि अब ये किला 2022 के विधान सभा चुनाव तक दरक जाएगा! हालांकि राजनैतिक पंडित यही फेल हो गए! उनको ये समझ ही नहीं आया कि नरेन्द्र मोदी गुजरात के लाल हैं! उनको यहाँ की हर गली और लोगों के मिजाज का पता है! दशकों से वो लोगों से सीधा संवाद करते आए हैं! यहाँ हर समस्या का समाधान कर भाजपा ने एक बार जनता के दिल में पहले से कहीं अधिक गहरी जगह बना ली! जिसका परिणाम भाजपा की एतिहासिक जीत के रूप में सामने आया है! गुजरात में राजनितिक दल और जनता दोनों ने सन्देश दिया है कि खुले मन से काम कर आगे बढ़ा जाए और गलतियों को ठीक कर लिया जाए तो प्यार और विश्वास में कभी कमी नहीं आ सकती है!