देश का साहित्य मार्गदर्शी -हृदय नारायण दीक्षित
- भाजपा के प्रकाशन विभाग की विचार गोष्ठी
लखनऊ| भारत आज अमृत काल के पथ पर अग्रसर है| 2014 से देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के यशस्वी नेतृत्व से आशा का संचार हुआ है| पीएम मोदी के पांच सूत्र – पंच प्रण को अपनाकर विकसित भारत के सपने को पूरा किया जा सकता है| इसके साहित्यकार अपनी कलम से महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं| यह विचार भाजपा पत्र- पत्रिका प्रकाशन विभाग के राष्ट्रीय संयोजक डॉक्टर शिव शक्ति बख्शी ने प्रकट किए| भारतीय जनता पार्टी मुख्यालय लखनऊ में पत्र पत्रिका प्रकाशन विभाग उत्तर प्रदेश की ओर से आयोजित अमृत काल का साहित्य विषयक विचार गोष्ठी डॉक्टर बख्शी ने कहा कि हर समस्या का समाधान उत्तर प्रदेश से ही होता है और आधुनिक राजनीतिक युग में भी यूपी का ऐतिहासिक योगदान है ।
डॉ बख्शी ने कहा अमृत काल में साहित्य कैसा हो ? यह ध्यान देना जरूरी है, क्योंकि आने वाला समय राम राज्य के उत्सव का उद्घोष है। अमृत काल न केवल विश्व के लिए अपितु मानवता के लिए भी कल्याणकारी है। उन्होंने अमृत काल के पूर्व का भारत कैसा था ? की चर्चा करते हुए कहा कि 2014 से पूर्व भारत में कांग्रेस के राज्य में महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार आए दिन सुर्खियां बनती थी । विकास दर गिरती जा रही थी और कहीं से भी प्रेरणा के स्वर सुनाई नहीं पड़ते थे। लेकिन वर्ष 2014 के बाद जब नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने तो देश में निराशा और हताशा को दूर कर आशा की किरण पैदा हुई। उन्होंने लोगों का आह्वान किया तो लोग भी आगे बढ़ने लगे । श्री बख्शी ने मोदी के पांच सूत्र – पंच प्रण की चर्चा करते हुए साहित्यकारों का आवाहन किया कि वे अपनी कलम , साहित्य लेखन के माध्यम विकसित भारत 2047 को मजबूती दें ।
उत्तर प्रदेश विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि हमारे भारत देश का साहित्य मार्गदर्शी है, महर्षि वाल्मीकि का साहित्य राजनीति के सूत्र भी समझाता है और महर्षि वाल्मीकि का रामायण भी उत्कृष्ट साहित्य है और इसे लोगों को पढ़ना भी चाहिए। इतना ही नहीं महर्षि पतंजलि ने केवल योग सूत्र ही नहीं बल्कि मानवता का भी विश्लेषण किया। मोदी सरकार का करिश्मा है कि पूरी दुनिया ने योग को स्वीकार किया है और योग दिवस के रूप में मनाया जाता है । उन्होंने साहित्य की चर्चा करते कहा कि साहित्य का एक उद्देश्य मनोरंजन भी होता है लेकिन हमको यह स्वाभिमान होना चाहिए कि यह भारत का साहित्य है कि अमृत काल को बहुत ही आनंद में तरीके से मनाया जाना चाहिए। इस अवसर पर कार्यक्रम के सहसंयोजक, कमल ज्योति पत्रिका के कार्यकारी संपादक राजकुमार समेत साहित्यकार पत्रकार मनीष शुक्ल, श्रीधर अग्निहोत्री, आर्यावरती सरोज, प्रदेश उपाध्यक्ष संतोष सिंह, अरविंद पाण्डेय समेत प्रदेश के विभिन्न जिलों से लेखक, साहित्यकारों और प्रबुद्धजनों ने हिस्सा लिया।