लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी पिछड़ा वर्ग मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष एवं राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री नरेन्द्र कश्यप की आज दिनांक 01 मई 2025 गुरूवार को भाजपा मुख्यालय पर संपन्न हुई प्रेस वार्ता के मुख्य बिन्दु:-
ऽ देश में जातीय जनगणना कराना मोदी सरकार का ऐतिहासिक फैसला।
ऽ मोदी सरकार में पिछड़ो को मिल रहा न्याय।
ऽ यह कास्ट सेंसस देश के वंचित, पिछडे़ और उपेक्षित वर्गों को समाज में अपनी एक सही पहचान दिलायेगा।
ऽ इस फैसले का प्रदेशवासियों की ओर से मैं स्वागत एवं सराहना करता हूं।
ऽ जाति जनगणना के यह निर्णय सामजिक न्याय की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।
ऽ 140 करोड़ देशवासियों की जीवनधारा को बदलने व उनके सामाजिक, शैक्षणिक, आर्थिक, राजनैतिक यह निर्णय कारगर साबित होगा।
ऽ प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में जाति जनगणना कराने का यह निर्णय देश व समाज हित में सफल होगा। चूॅंकि प्रधानमंत्री जी ‘‘सबका साथ, सबका विकास’’ की विचारधारा पर चलने वाले हैं उनका प्रत्येक निर्णय देश को विकास के नये शिखर तक ले जाने में कारगर साबित होगा।
ऽ माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का यह फैसला पिछड़े समाज के लिए विकास की एक नई इबारत लिखेगा। देश में पहली बार ऐसा होने जा रहा है, जिसमें पिछड़े व अति पिछड़ी जातियों की जनगणना होने जा रही है।
ऽ कांग्रेस अपने 60 वर्षों के शासनकाल में जातीय जनगणना कराने की हिम्मत नहीं जुटा पाई और पिछड़े समाज के लोगों को झूठ का पुलिंदा थमाकर छलावा करती रही।
ऽ कांग्रेस पिछड़ों के प्रति हमेशा से ही दो मुंहा रवैया अपनाती रही है।
ऽ हकीकत तो यह है कि कांग्रेस की सरकारों ने ही आज तक जातिवार गणना का विरोध किया है। इसका जीताजागता प्रमाण यह है कि आजादी के बाद सभी जनगणनाओं में जाति की गणना की ही नहीं गयी।
ऽ कांग्रेस ने 2010 में संसद में आश्वासन देने के बावजूद जातिवार गणना नहीं कराई। मंत्रिमंडल समूह की संस्तुति के बावजूद मनमोहन सरकार ने सामाजिक, आर्थिक, जातीय जनगणना के नाम पर सिर्फ सर्वे कराया।
ऽ ध्यान देने की बात यह है कि जातिवार गणना, 1931 की जनगणना के साथ हुई थी। तब से अभी तक जातिवार जनगणना नहीं हुई है।
ऽ 1931 की जनगणना के आंकड़ों के आधार पर ओबीसी आरक्षण के लिए मंडल कमीशन ने 1980 में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। मंडल कमीशन ने अनुमान लगाया कि कुल आबादी में से 52 फीसदी आबादी पिछड़ा वर्ग की है। जिसके आधार पर आयोग ने सरकारी नौकरी और शिक्षण संस्थानों में 27 फीसदी रिजर्वेशन की अनुशंसा की थी। हमारा मानना है कि यह जातीय गणना का निर्णय सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक रूप से पिछडे़ वर्ग के लोगों की गैर बराबरी दूर कर और अधिक सशक्त बनायेगा तथा वंचित और उपेक्षित वर्गों के लोगों के चहुमुखी विकास के लिए नये रास्ते खोलेगा।