Sunday, June 8, 2025
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दुनियाँ ने नम आँखों से कहा… भारत माँ के योद्धा जनरल रावत को अलविदा

भारत माँ के लाल के इस दुनियाँ से जाने पर देश ही नहीं पूरी दुनियाँ दुखी है। अमेरिका, रूस, इज़राइल, जापान, ब्रिटेन समेत दुनियाँ भर के देशों ने देश के पहले प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत की मृत्यु पर शोक प्रकट किया। यहाँ तक कि पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान ने भी श्रद्धांजली दी है। जनरल रावत के कार्यकाल के दौरान ही भारत ने अदम्य साहस का परिचय देकर पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक और बालकोट ऑपरेशन किया था। सीडीएस समेत उनकी पत्नी मधुलिका रावत और 11 अन्य सैन्य कर्मियों की तमिलनाडु के कुन्नूर में बुधवार (08 दिसंबर) को एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मृत्यु हो गई।

तीनों सेनाओं के प्रमुख 63 वर्षीय जनरल बिपिन रावत को इस महीने के अंत में नए पद पर रहते दो साल पूरे हो जाते। लेकिन उसके पहले ये दुखद घटना घटी। ‘हमारी सेना ढाई मोर्चों पर एक साथ जंग लड़ने के लिए तैयार है.’ जनरल बिपिन रावत ने जून 2017 में ये बयान तब दिया था जब वो आर्मी चीफ थे। इसका मतलब साफ था कि वो पाकिस्तान और चीन समेत देश में आतंकवाद से लड़ने को तैयार थे। उन्होने साफ कहा था कि हम पहली गोली नहीं चलाएँगे लेकिन दुश्मन ने गोली चलाई तो फिर हम गिनेंगे भी नहीं। जनरल रावत ने हाल में करोना के बाद जैविक युद्ध की भी आशंका जताई थी। उन्होने न सिर्फ बड़े फैसले लिए बल्कि सेना के आधुनिकीकरण को लेकर भी अहम भूमिका निभाई। हालांकि उनका थियेटर कमांड की स्थापना फिलहाल अधूरा ही है।

पीटीआई समाचार एजेंसी से बात करते हुए बिपिन रावत के बहनोई यशवर्धन सिंह ने कहा कि जनरल बिपिन रावत जनवरी 2022 में मध्य प्रदेश के शहडोल में अपनी पत्नी मधुलिका के पैतृक घर का दौरा करने आने वाले थे। और शहडोल जिले में एक ‘सैनिक स्कूल’ स्थापित करने का वादा किया था। उनका सपना अपने पैतृक गाँव में बसने का भी था लेकिन दुर्घटना ने उनको देश से छीन लिया।

सीडीएस जनरल रावत के निधन पर दुनियाँ भर के देशों ने शोक जताया है। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ट्वीट कर कहा कि, ”आज की दुखद दुर्घटना में मारे गए भारतीय चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल रावत, उनकी पत्नी और सहयोगियों की मृत्यु पर मेरी गहरी संवेदना। हम जनरल रावत को एक असाधारण नेता के रूप में याद करेंगे जिन्होंने अपने देश की सेवा की और अमेरिका-भारत रक्षा संबंधों में योगदान दिया”। भारत में अमेरिकी दूत ने जनरल रावत को “संयुक्त राज्य का मजबूत दोस्त और भागीदार” कहा। भारत में रूसी दूत निकोले कुदाशेव ने कहा कि वह संकट के इस समय में भारत के दुख के साथ दुखी हैं। रूसी दूत कुदाशेव ने ट्वीट कर कहा “अलविदा दोस्त! अलविदा, कमांडर!”

ब्रिटिश उच्चायुक्त एलेक्स डब्ल्यू एलिस ने कहा कि, ”रावत एक बुद्धिमान व्यक्ति, एक बहादुर सैनिक और एक पॉयोनीयर थे। हम उनकी और उनकी पत्नी की मौत और इस भयानक दुर्घटना में मारे गए सभी लोगों पर शोक व्यक्त करते हैं”। वहीं, जापानी दूत सतोशी सुजुकी ने कहा कि उन्हें इस खबर से गहरा दुख हुआ है। जनरल रावत की मौत की खबर के बाद इजरायल के प्रधानमंत्री नेफ्ताली बेनेट, पूर्व प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहु, कई देशों में स्थिति इजरायली दूतावास ने ट्वीट कर शोक व्यक्त किया है और जनरल रावत का महान नेता बताया है। इजरायल के पूर्व प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ट्वीट करते हुए कहा कि, ”मुझे उस घातक हेलीकॉप्टर दुर्घटना के बारे में जानकर बहुत दुख हुआ, जिसमें भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी और तमिलनाडु में 11 अन्य जवानों की मौत हो गई। मेरी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं पीड़ितों के परिवारों के साथ हैं। उनकी आत्मा को शांति मिले”। पाकिस्तानी सेना ने भी अपने आधिकारिक ट्वीटर हैंडल से ट्वीट करते हुए जनरल रावत को श्रद्धांजलि दी है। पाकिस्तानी सेना ने अपने ट्वीट में लिखा है कि, ”जनरल नदीम रजा, जनरल कमर जावेद बाजवा और सीओएएस (चीफ ऑफ द आर्मी स्टाफ) भारत में हेलीकॉप्टर हादसे के दौरान मारे सीडीएस जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी और अन्य लोगों को दुर्भाग्यपूर्ण मौत पर संवेदना व्यक्त करता है।”। सिर्फ पाकिस्तानी सेना ही नहीं, बल्कि पाकिस्तान के कई जर्नलिस्ट और कई पाकिस्तानियों ने भी जनरल बिपिन रावत और अन्य जवानों की मौत पर दुख का इजहार किया है।

गुल खिला सकती है प्रियंका गांधी की सक्रिय राजनीति में आमद

आनन्द अग्निहोत्री
कांग्रेस महासचिव और उत्तर प्रदेश के मामलों की प्रभारी प्रियंका वाड्रा गांधी उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव के पहले जिस तेजी के साथ राजनीतिक क्षितिज पर उभर रही हैं, उसके कुछ मायने हैं। जिस तरह कांग्रेस पतन की ओर गयी और जिस तेजी के साथ वह सुर्खियों में आ रही है, इस पर गौर करना लाजिमी है। हो सकता है राजनीति के पुरोधा इसे अतिश्योक्ति मानें लेकिन इतना तय है कि कांग्रेस इस बार चुनाव में ज्यादा सीटें हासिल न कर पाये लेकिन इतना तय है कि कांग्रेस का वोट प्रतिशत जरूर बढ़ेगा। और इसका सिर्फ एक कारण होगा और वह होगा प्रियंका गांधी की सक्रिय राजनीति में धमाकेदार आमद।
ऐसा नहीं है कि प्रियंका राजनीति का क, ख, ग पढ़ रही हों। वह राजनीति में पहले से हैं लेकिन उनकी राजनीति रायबरेली और अमेठी तक सिमटी रहती थी। वह हमेशा राजनीतिक गतिविधियों में अपनी मां सोनिया गांधी और अनुज राहुल गांधी के साये तले सक्रिय रही हैं। यह पहला अवसर है कि वह स्वतंत्र रूप से सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश का दायित्व संभाल रही हैं। सूबे में अभी चुनाव की घोषणा नहीं हुई है लेकिन चुनावी गतिविधियां तेजी के साथ जारी हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर सभी विपक्षी दलों के प्रमुख जिस अंदाज में जनसभाएं कर रहे हैं, यात्राएं निकाल रहे हैं, घोषणाएं कर रहे हैं, उससे साफ है कि ये सारे चुनावी कार्यक्रम हैं। इनका सिर्फ एक ही मकसद है और वह है मतदाताओं को अपने पाले में लाना।
कौन कितने मतदाताओं को प्रभावित करेगा, इस बारे में कुछ कह पाना राजनीतिक विश्लेषकों का विषय है। लेकिन प्रियंका गांधी जिस तरह लखनऊ को अपना मुख्यालय बनाकर मृतप्राय कांग्रेस में जान फूंकने की कोशिश कर रही हैं, उससे माना जा सकता है कि ये कोशिशें जरूर गुल खिलायेंगी। इन दिनों पार्टी संगठन के नाम पर कांग्रेस सचमुच मृतप्राय है। सत्तारूढ़ भाजपा और अन्य विपक्षी दलों के पास जिस तरह मजबूत और कुशल नेतृत्व है, कांग्रेस में उसका अभाव है। सक्षम नेतृत्व का कांग्रेस में अभाव नजर आता है। ऐसे में सूबे में पार्टी की बागडोर थामना साहस का ही काम है। प्रियंका गांधी की द्रुत राजनीतिक गतिविधियां इस बात का संकेत करती हैं कि जमीन से जुड़ी उनकी मेहनत एक बार फिर कांग्रेस में जान फूंक सकती है।
यूं तो पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के बाद ही कांग्रेस संगठन में प्रियंका गांधी को राजनीति में लाने की मांग उठने लगी थी लेकिन उनकी मां सोनिया गांधी ने प्रियंका के बजाय अपने पुत्र राहुल गांधी को सियासी मोर्चे पर उतारना ज्यादा श्रेयस्कर समझा। उन्होंने ऐसा क्यों किया, यह अलग विषय है। देर से ही सही, प्रियंका गांधी की राजनीति में आमद हो चुकी है और वह स्वतंत्र रूप से अपनी दूरदर्शिता का परिचय दे रही हैं। यूं तो कांग्रेस और देश में रही उसकी सरकार को लेकर विपक्षी दल तमाम तरह की टिप्पणियां करते हैं लेकिन जहां तक प्रियंका गांधी का सवाल है, व्यक्तिगत उनको लेकर किसी तरह की टिप्पणियां नहीं की जा रहीं। सूबे की राजनीति में फिलहाल राहुल गांधी की कोई भूमिका नजर आ रही हैं। सम्भवत: पिछले चुनावों के नतीजे और राहुल गांधी की छवि को लेकर इस बार बागडोर स्वतंत्र रूप से प्रियंका गांधी को ही सौंपी गयी है।
एक शाश्वत नियम है कि चरम के बाद पतन का दौर शुरू होता है और पतन के बाद चरम का। कांग्रेस के पास उत्तर प्रदेश में इस समय खोने के लिए कुछ नहीं है। यानि साफ है कि एक कमजोर पार्टी को एकदम से सत्ता में नहीं लाया जा सकता। लेकिन वह कभी सत्ता में नहीं आ पायेगी, यह कहना अनुचित होगा। प्रियंका गांधी ने भले ही अभी तक एक भी चुनाव नहीं लड़ा, लेकिन चुनावों और उनके नतीजों को करीब से देखा जरूर है। अपने इस अनुभव का लाभ वह सूबे में उठा सकती हैं। पार्टी को ज्यादा सीटें मिलें या नहीं, लेकिन उसका मत-प्रतिशत जरूर बढ़ेगा। बहुत सम्भव है कि प्रियंका गांधी कांग्रेस का ब्रह्मास्त्र साबित हों।

गुस्सा करना छोड़ दीजिये वरना होगा घातक परिणाम

अगर आपको बहुत गुस्सा आता है तो इस पर तुरंत नियंत्रण कीजिये वरना आपको अटैक यानि पक्षाघात हो सकता है। नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ आयरलैंड के शोध के अनुसार आपका गुस्सा या किसी बात को लेकर नाराजगी स्ट्रोक की वजह बन सकता है। स्टडी में कहा गया है कि गुस्सा और भारी शारीरिक परिश्रम की वजह से एक घंटे के भीतर स्ट्रोक आ सकता है।

आयरलैंड के वैज्ञानिकों के अनुसार  कई लोगों को स्ट्रोक या पक्षाघात से करीब घंटे भर पहले काफी गुस्सा आ रहा था या वे अवसाद में चले गए थे। इस स्टडी के नतीजों को यूरोपियन हार्ट जर्नल में प्रकाशित किया गया है। वैज्ञानिकों के अनुसार स्ट्रोक एक ऐसी इमरजेंसी सिचुएशन है जिसमें ब्रेन में ब्लड सप्लाई बाधित हो जाती है। या फिर दिमाग के अंदर कोई रक्त नलिका यानी ब्लड वेसल फट जाती है। इन दोनों ही सिचुएशन में ब्रेन तक पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती है। इसका नतीजा यह होता है कि ब्रेन की एक्टिविटी संचालित नहीं हो पाती हैं। ब्रेन की किसी नस के डैमेज होने से पीड़ित व्यक्ति को उस अंग विशेष का पक्षाघात  यानी लकवा भी मार सकता है।

मां मेरी यह कहती है…

— डॉ शिल्पी बक्शी शुक्ला

मां मेरी यह कहती है,

जिन पेड़ों पर फल लगता है,

उनकी शाखें झुक जातीं हैं,

करने प्रणाम अस्‍ताचल सूर्य को,

बहती नदियां रूक जातीं हैं,

गिरती हैं लहू की बूंदे तो,

बंजर धरती भी सोना हो जाती है,

सहती है बोझ ये धरती,

तभी ये सृष्टि चल पाती है,

मिलते हैं मेहनतकश हाथ,

तो पर्वत भी हिल जाते हैं,

उठ जाएं मिलकर भाल तो,

दुश्‍मन पीछे हट जाते हैं,

मिलने पर अंगुलियों की ताकत,

मज़बूत एक मुट्ठी बन जाती है,

सच्‍चा मानव वही धरा में,

परहित में जो मिट जाता है,

मां मेरी यह कहती है,

सच्‍चा धर्म वही जगती में, प्रेम का पाठ जो सिखलाता है…

आजादी के 55 साल बाद गणतन्त्र बन पाया बरबाडोस

ब्रिटेन की उपनिवेशवादी नियत का शिकार भारत जैसा विशाल देश हुआ तो छोटे- छोटे देशों पर भी बरतनिया ने गलत निगाहें रखी। कैरेबियन सागर में स्थित छोटा से देश बारबाडोस चार शताब्दी तक ब्रिटेन का गुलाम रहा। ब्रिटेन के 1625 ईस्वी में बारबाडोस पर कब्जा कर लिया था लेकिन अब जाकर हाल ही बरबाडोस ने ब्रिटेन की महारानी से खुद को आजाद कर एक गणतंत्र होने का ऐलान किया।

भारत से 14 हज़ार किलोमीटर दूर कैरेबियन सागर के किनारे स्थित इस यह देश महज 439 वर्ग किलोमीटर का है। यहाँ की आबादी चंद लाख है लेकिन क्रिकेट प्रेमियों के लिए यह एक प्रसिद्ध जगह है। जहां से वेस्टेंडीज के सुनहरे दौर के कई खिलाड़ी आते हैं। मशहूर पॉप सिंगर रियाना यहीं की हैं। रियाना का जन्म बरबाडोस में ही हुआ था। वो वर्ष 2005 में अमेरिका चली गईं थी। आज उनके पूरी दुनिया में करोड़ों चाहने वाले हैं।

इस छोटे से देश पर 396 वर्ष पहले यानी सन 1625 में ब्रिटेन के कब्ज़ा कर लिया था। अगर इसके क्षेत्रफल पर गौर किया जाए तो यह देश अपने भारत की राजधानी दिल्ली से भी छोटा है। इस देश ने हाल ही में अपनी मानसिक गुलामी की बेड़ियों को तोड़ते हुए ये ऐलान किया था कि अब वो ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ को अपना राष्ट्राध्यक्ष नहीं मानेगा बल्कि उनकी जगह देश के नए राष्ट्रपति को राष्ट्राध्यक्ष का दर्जा दिया जाएगा। गौतलब है कि बरबाडोस 341 वर्षों तक पूरी तरह से ब्रिटेन का गुलाम बना रहा। वर्ष 1966 में इस देश को ब्रिटेन से आज़ादी मिली लेकिन इसे गणतंत्र का दर्जा नहीं मिला। आज़ादी के बाद भी ब्रिटेन की महारानी ही यहाँ कि राष्ट्राध्यक्ष मानी जाती रहीं। हालांकि अब बारबाडोस पूर्ण रूप से गणतन्त्र बन गया है।

जनता की जय-जयकार, वोट की दरकार

मनीष शुक्ल

वरिष्ठ पत्रकार

जनता एकबार फिर जनार्दन है। चारों ओर उसकी जय जयकार हो रही है। चाहे कोई राजनीतिक दल हो या फिर नेता आजकल सपने में भी सारे मिलकर जनता का गुणगान गा रहे हैं। दिन हो रात, हर पल नेता जी जनता की सेवा में खुद को बिजी बता रहे हैं। मरहम लेकर जनता के दर्द के पीछे पीछे घूम रहे हैं। पाँच सालों तक जनता मोहल्ले की ओर मुंह भी न फेरने वाले अब जनता के पैर दबा रहे हैं। जी हाँ चुनाव का मौसम जो लौट आया है। नेताजी को वोटों की दरकार है, इसीलिए जनता की जय- जयकार है। तो आइये जनता से ही दो टूकबोल कर जानते हैं कि नेताजी जनता के दर्द पर कितना मरहम लगाया और उसको कितना मजा आया।

एंकर : जनता जनार्दन की तो आजकल चाँदी है। नेताजी तो आपको हर रोज नए- नए तोहफे दे रहे होंगे?

जनता : हाँ, जी ! पहिले तो कोई हमारी गली में झाँकने भी नहीं आ रहा था लेकिन आजकल तो हर दिन कोई न कोई नेता मिलने आ रहा है। कोई अम्मा के पैर छू रहा है तो कोई बेटे रिंकू की नाक पोंछ रहा है। मोहल्ले वाले कहि रहे हैं। चुनाव आने वाला है इसीलिए नेता और उनके चमचे मोहल्ले का चक्कर लगा रहे हैं।

एंकर : केवल चक्कर ही लगा रहे हैं या फिर कुछ तोहफा भी दे रहे हैं?

जनता : हाँ, भैया… एक नेता जी आए रहे बोले कि उनका वोट देयों तो अम्मा का फ्री मा तीर्थ भेजवा देंगे। दूसरे आए रहे कह रहे थे कि अगर वो चुनाव जीते तो बिटिया को स्कूटी देंगे। एक नेता जी हमारे लिए शूट-  कोट दिलवाए की बात कह रहे थे। तो एक नेता पप्पू के लिए लैपटॉप तो दूसरे रिंकू के लिए लालीपॉप दिलाने का वादा कार गए हैं।

एंकर : आपको क्या लग रहा है नेताजी अपना वादा पूरा करेंगे?

जनता : अब का बताई भईया! वादा तो पाँच साल पहले भी नेता लोग कर के गए रहे। एक नेता जी कहे थे कि तुम्हारे मोहल्ले को लंदन अमरीका की तरह चमका देंगे। नल से मिनरल वाटर पिलाएंगे। एक बोले थे उनकी सरकार आई तो घर में बैठ के खिलवाएँगे, दूसरे बोले थे कि जनता का राज लाएँगे लेकिन पाँच साल तो बीत गए। वादा पूरा होने का अभी भी इंतजार है। अब नए नेता भी वही सब वादे कर रहे हैं। शायद अबकी बार वादे पूरे करे सरकार।

एंकर : केवल वादे ही कर रहे हैं कि आपकी समस्याएँ भी सुन रहे हैं नेता जी?

जनता : हाँ, जो आता है पूछता है कौनों तकलीफ तो नहीं है, अगर है तो बताओ, हम दूर कर देंगे। हम नेता जी कहते हैं कि कोई खास समस्या तो नहीं है लेकिन नल से कभी- कभी साफ पानी नहीं आता है। हैंडपंप भी कभी- कभी खराब हो जाता है। सड़क के गड्डे भरे जाते हैं लेकिन फिर हो जाते हैं। सीजन में भी आटा, चावल, तेल दालें,  प्याज, आलू- टमाटर का रेट कम नहीं होता है। रोड लाइट चोर चुरा ले जाता है। बाकी और भी हैं लेकिन इत्ती ही  ठीक हो जाएँ तो कुछ राहत मिले। नेता जी कहते हैं बस, हमें वोट दो तो सारी समस्या दूर कर देंगे। मोहल्ले की  सड़क को कैटरीना कैफ के गालों की तरह चमका देंगे। 

एंकर : आपको लगता है कि नेता जी वादे पूरे करेंगे?

जनता : उम्मीद पे तो दुनियाँ कायम है। इत्ते साल भी विश्वास ही किया है। कुछ काम हुआ, कुछ नहीं। कुछ वादे पूरे हुए, कुछ सपने अधूरे ही रह गए। लेकिन उम्मीद है कि एक दिन नेताजी सारे वादे पूरे करेंगे।

एंकर : तो आप निराश नहीं हो। वोट जरूर दोगे?

जनता : भईया, अगर जनता ही निराश हो जाएगी तो देश आगे कैसे बढ़ेगा। हमें उम्मीद है कि एक दिन हमारी समस्याएँ खत्म होंगी। भारत एक दिन विश्व गुरु बनेगा। और दुनियाँ का नेतृत्व करेगा। इसीलिए हम वोट जरूर देंगे। अपने अधिकार का प्रयोग करेंगे।

एंकर : आप कैसा नेता चाहते हैं।

जनता : ऐसा नेता चाहते हैं जो सपने दिखाए तो अपने वादे पूरे भी करे। ऐसा नेता चाहते हैं जो चुनाव खत्म होने के बाद भी जनता का दुख दर्द जानने चला आए। सारी समस्याएँ भले ही न दूर कर सके लेकिन उनको दूर करने की कोशिश जरूर करे। केवल लालीपॉप थमाकर पाँच साल के लिए गायब न हो जाए।

एंकर : लेकिन सारे नेता अलग- वादे कर रहे हैं। कोई कार दे रहा है तो कोई स्कूटी तो कोई तीर्थ यात्रा कराने का वादा कर रहे हैं। ऐसे में आप क्या करेंगे, किसको वोट देंगे।

जनता : देखिये नेता जी हमसे वादे कर रहे हैं तो हम भी नेता जी से वादे कर रहे हैं। हम भी सबसे कह रहे हैं कि आपको ही वोट देंगे लेकिन वोट उसको ही देंगे जो देश, समाज और जनता का सही मायने में भला करने की शक्ति रखता होगा।

एंकर : अंत में आप अपने नेताजी को क्या संदेश देंगे?

जनता : हम तो यही कहेंगे कि चुनाव लोकतन्त्र का त्योहार है। सारे नेता इसको मिलकर मनाएँ न कि आपस में लड़कर और जनता को आपस मेँ लड़वाएँ। एक दूसरे पर कीचड़ न फेंके बल्कि प्रेम के रंग- गुलाल उड़कर पूरे देश का चेहरा खिलाए और मुस्कराहट लाएँ।

आरोग्य भारत : बथुआ साग नहीं एक औषधि है !

डॉ रजनीश त्यागी

सागों का सरदार है बथुआ, सबसे अच्छा आहार है बथुआ !

बथुआ को अंग्रेजी में Lamb’s Quarters कहते हैं  ! इसका वैज्ञानिक नाम Chenopodium album है  !

साग और रायता बना कर बथुआ अनादि काल से खाया जाता रहा है ! लेकिन क्या आपको पता है कि विश्व की सबसे पुरानी महल बनाने की पुस्तक शिल्प शास्त्र में लिखा है कि हमारे बुजुर्ग अपने घरों को हरा रंग करने के लिए पलस्तर में बथुआ मिलाते थे ! हमारी बुजुर्ग महिलायें सिर से ढेरे व फाँस (डैंड्रफ) साफ करने के लिए बथुए के पानी से बाल धोया करती थीं ! बथुआ गुणों की खान है और भारत में ऐसी ऐसी जड़ी बूटियां हैं तभी तो हमारा भारत महान है ! बथुए में क्या-क्या है ? मतलब कौन-कौन से विटामिन और मिनरल्स हैं ?

तो सुनें, बथुए में क्या नहीं है !

बथुआ विटामिन B1, B2, B3, B5, B6, B9 और C से भरपूर है तथा बथुए में कैल्शियम, लोहा , मैग्नीशियम, मैगनीज, फास्फोरस , पोटाशियम, सोडियम व जिंक आदि मिनरल्स हैं ! 100 ग्राम कच्चे बथुवे यानि पत्तों में 7.3 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 4.2 ग्राम प्रोटीन व 4 ग्राम पोषक रेशे होते हैं ! कुल मिलाकर 43 Kcal होती है !

जब बथुआ मट्ठा, लस्सी या दही में मिला दिया जाता है तो यह किसी भी मांसाहार से ज्यादा प्रोटीन वाला व किसी भी अन्य खाद्य पदार्थ से ज्यादा सुपाच्य व पौष्टिक आहार बन जाता है ! साथ में बाजरे या मक्का की रोटी, मक्खन व गुड़ की डली हो तो इसे खाने के लिए देवता भी तरसते हैं !

जब हम बीमार होते हैं तो आजकल डाक्टर सबसे पहले विटामिन की गोली खाने की सलाह देते हैं ! गर्भवती महिला को खासतौर पर विटामिन बी, सी व आयरन की गोली बताई जाती है ! बथुए में वो सब कुछ है ! कहने का मतलब है कि बथुआ पहलवानों से लेकर गर्भवती महिलाओं तक , बच्चों से लेकर बूढों तक, सबके लिए अमृत समान है !

यह साग प्रतिदिन खाने से गुर्दों में पथरी नहीं होती ! बथुआ आमाशय को बलवान बनाता है, गर्मी से बढ़े हुए यकृत को ठीक करता है ! बथुए के साग का सही मात्रा में सेवन किया जाए तो निरोग रहने के लिए सबसे उत्तम औषधि है !

बथुए का सेवन कम से कम मसाले डालकर करें ! नमक न मिलाएँ तो अच्छा है , यदि स्वाद के लिए मिलाना पड़े तो काला नमक मिलाएँ और देशी गाय के घी से छौंक लगाएँ ! बथुए का उबला हुआ पानी अच्छा लगता है ! तथा दही में बनाया हुआ रायता स्वादिष्ट होता है !

किसी भी तरह बथुआ नित्य सेवन करें !

बथुए में जिंक होता है जो कि शुक्राणु वर्धक होता है ! मतलब किसी  को जिस्मानी  कमजोरी हो तो उसको भी दूर कर देता है बथुआ ! बथुआ कब्ज दूर करता है और अगर पेट साफ रहेगा तो कोई भी बीमारी शरीर में लगेगी ही नहीं, ताकत और स्फूर्ति बनी रहेगी ! कहने का मतलब है कि जब तक इस मौसम में बथुये का साग मिलता रहे नित्य इसकी सब्जी खाएँ !

बथुये का रस, उबाला हुआ पानी पियें तो यह खराब लीवर को भी ठीक कर देता है ! पथरी हो तो एक गिलास कच्चे बथुए के रस में शक्कर मिलाकर नित्य पिएँ तो पथरी टूटकर बाहर निकल आएगी ! मासिक धर्म रुका हुआ हो तो दो चम्मच बथुए के बीज एक गिलास पानी में उबालें , आधा रहने पर छानकर पी जाएँ , मासिक धर्म खुलकर साफ आएगा ! आँखों में सूजन, लाली हो तो प्रतिदिन बथुए की सब्जी खाएँ ! पेशाब के रोगी बथुआ आधा किलो, पानी तीन गिलास, दोनों को उबालें और फिर पानी छान लें ! बथुए को निचोड़कर पानी निकाल कर यह भी छाने हुए पानी में मिला लें ! स्वाद के लिए नींबू , जीरा, जरा सी काली मिर्च और काला नमक डाल लें और पी जाएँ !

आप ने अपने दादा-दादी से ये कहते जरूर सुना होगा कि हमने तो सारी उम्र अंग्रेजी दवा की एक गोली भी नहीं ली उनके स्वास्थ्य व ताकत का राज यही बथुआ ही है ! मकान को रंगने से लेकर खाने व दवाई तक बथुआ काम आता है ! हाँ अगर सिर के बाल धोते हैं, क्या करेंगे शेम्पू इसके आगे ! लेकिन अफसोस !

हम ये बातें भूलते जा रहे हैं और इस दिव्य पौधे को नष्ट करने के लिए अपने-अपने खेतों में रासायनिक जहर डालते हैं ! तथाकथित कृषि वैज्ञानिकों (अंग्रेज व काले अंग्रेज) ने बथुए को भी कोंधरा, चौलाई, सांठी, भाँखड़ी आदि सैकड़ों आयुर्वेदिक औषधियों को खरपतवार की श्रेणी में डाल दिया है और हम भारतीय चूँ भी न कर पाये !

आईआईटीयन पराग बने ट्विटर के सीईओ

अतनू दास  

देश के लाल आजकल पूरी दुनियाँ में अपनी प्रतिभा से भारत का नाम रोशन कर रहे हैं। आईआईटी पवई से इंजीनियरिंग पास आउट पराग अग्रवाल माइक्रो ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ट्विटर के नए मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) नियुक्त किए गए हैं। को-फाउंडर और सीईओ जैक डोर्सी के पद से इस्तीफा देने के बाद उन्होने यह ज़िम्मेदारी संभाली है।

ट्विटर के नए सीईओ पराग अग्रवाल को माइक्रो ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ने 2018 में अपना नया चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर (सीटीओ) एप्वॉइंट किया था। पराग अग्रवाल ने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई भारत से की है। इसके बाद उन्होंने कंप्यूटर साइंस में पीएचडी अमेरिका की स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी से की। पराग ने ने 2011 में एक विज्ञापन इंजीनियर के रूप में ट्विटर ज्वाइन किया था। उनकी देखरेख में ट्विटर के विज्ञापन सिस्टम का विस्तार हुआ है। ट्विटर में पराग ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का इस्तेमाल कर यूजर्स के ट्वीट्स बढ़ाने का काम किया। ट्विटर ज्वाइन करने से पहले पराग अग्रवाल ने याहू, एटी एंड टी लैब्स, और माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च जैसी कई प्रमुख कंपनियों में बड़े पैमाने पर पैमाने पर डाटा मैनेजमेंट का काम किया है। पराग एडम मेसिंगर की जगह ली थी, जो 2016 में पांच साल काम करने के बाद इस कंपनी को छोड़ गए थे।

यूपी टीईटी लीक मामला : पाँच सालों में 16 परीक्षाओं के पेपर लीक

आनन्द अग्निहोत्री

सबसे सख्त हाकिम और उनकी ही सल्तनत में सबसे ज्यादा घालमेल। है न हैरत की बात। चौंकिये नहीं यह तस्वीर किसी और की नहीं उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार की है। यूपी टेट परीक्षा का पेपर लीक होने के बाद  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गर्जना की झड़ी लगा दी। दोषियों को बख्शेंगे नहीं, कितने भी रसूखदार हों उनके घर पर बुलडोजर चलवा देंगे और गैंगस्टर ऐक्ट और रासुका लगा देंगे। यह सही है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कारवाई होनी ही चाहिए लेकिन अब तक जितनी परीक्षाओँ के पर्चे लीक हुए हैं उनके दोषियों को क्या सजा दी गयी है। कितने अभियुक्त सजा काट रहे हैं। यह गंभीर सवाल है।

बीते वर्षों पर नजर डालें तो पिछले पाँच वर्षों में अब तक 16 परीक्षाएं पर्चे लीक होने के कारण रद्द की गयी हैं। सब इंस्पेक्टर परीक्षा 2017, यूपीपीसीएल परीक्षा 2018, यूपी पुलिस 2018, अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड 2018, स्वास्थ्य विभाग प्रोन्नति 2018, नलकूप आपरेटर 2018, सिपाही भर्ती 2018, शिक्षक भर्ती 2020, एनडीए 2020, बीएड प्रवेश परीक्षा 2021, पीईटी 2021, सहायता प्राप्त स्कूल शिक्षक/प्रधानाचार्य 2021, यूपीटीजीटी 2021, नीट मेडिकल परीक्षा 2021, एसएससी 2021 और यूपी टेट परीक्षा 2021 के पर्चे लीक हुए और ये परीक्षाएं रद करनी पड़ीं। सवाल इस बात का है कि इसके लिए जिम्मेदार कौन है सरकारी तंत्र में बैठे लोग या परीक्षा आयोजित करने वाली एजेंसियां। मोटे तौर पर देखें तो ये एजेंसियां ऐसा क्यों करने लगीं। ऐसा करने से तो उनकी साख पर बट्टा लगेगा और उन्हें परीक्षा आयोजन के दायित्व से मुक्त किया जा सकता है। शक की सुई कहीं न कहीं सरकारी तंत्र में बैठे मठाधीशों की ओर ही घूमती है। इस शक पर विश्वास की परत तब और जम जाती है जब पता चलता है कि अब तक जितनी परीक्षाओं के पर्चे लीक हुए उनमें शायद ही किसी को दोषी ठहराकर सजा दी गयी हो।

मान लिया कि कुछ लोग गड़बड़ी करते हैं लेकिन ऐसे दो-एक प्रकरणों के बाद तो सरकार को सबक ले लेना चाहिए था कि आगे से ऐसा न हो। अब इसका क्या किया जाये कि 16 परीक्षाओं के पेपर लीक हुए, परीक्षाएं रद्द हुईं, अभ्यर्थियों के सपने धूल-धूसरित हुए लेकिन सजा देना तो दूर की बात, किसी को दोषी तक नहीं ठहराया जा सका।

यूं तो पूरे देश की सार्वजनिक परीक्षा प्रणाली कटघरे में है। अकेले वर्ष 2021 में ही छोटी से लेकर बड़ी आर्मी, नीट, जेईई समेत कम से कम 10 परीक्षाओं के पर्चे लीक हो चुके हैं। केन्द्र से लेकर राज्य सरकारें तक व्यवस्था की इस खामी को दूर करने में विफल हो रही हैं। लेकिन यूपी में सबसे ज्यादा पेपर लीक हुए हैं। इतने प्रकरणों के बाद भी सरकार यह नहीं पता लगा पा रही है कि पेपर कैसे लीक हो रहे हैं। क्या सरकारी वेबसाइट हैक की जा रही है या किसी अन्य की गलती से ऐसा हो रहा है। यह तो माना जा सकता है कि लाखों उम्मीदवारों की प्रवेश और भर्ती परीक्षा आयोजित कराना आसान नहीं है। इस पूरी कवायद में शामिल लोगों के प्रयासों को निष्फल करने के लिए सिर्फ एक कमजोर कड़ी की जरूरत होती है। पेपर लीक होने से अभ्यर्थियों को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है, सरकार को भी वित्तीय नुकसान के साथ लांछन का भी सामना करना पड़ता है। सवाल यह है कि क्यों सरकार ऐसी पुख्ता व्यवस्था कायम नहीं कर पा रही है कि ऐसे प्रकरणों की पुनरावृत्ति न हो।

ऐसे हालात में बैंकिंग कार्मिक चयन संस्थान का उदाहरण दिया जा सकता है। यह संस्थान स्वायत्तशासी निकाय है और पूरे देश की बैंकों के लिए भर्ती परीक्षा आयोजित करता है। आज तक इस संस्थान की परीक्षा का एक भी पेपर लीक नहीं हुआ है। इसके पास सुचारु परीक्षण करने के लिए सक्षम तकनीक है अन्य संस्थानों के पास इसका अभाव है। जो भी हो यूपी टेट का पेपर लीक होने से सरकार पर एक बार फिर प्रश्नचिह्न लग गया है, जिसका समाधान उसे देना ही होगा।