Wednesday, June 4, 2025
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अंतर्राष्ट्रीय चाय सम्मेलन : चाय करे प्यार का इजहार

  • सम्मेलन में भारतीय चाय प्रशंसा क्षेत्र की विशेषता बताई गई

नई दिल्ली : अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस के अवसर पर 21 मई, 2025 को वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के वाणिज्य भवन में भारतीय चाय उद्योग के वर्तमान परिदृश्य और भविष्य की संभावनाओं पर पैनल चर्चा और विचार-विमर्श के साथ-साथ एक विशेष इंडियन टी एप्रिशिएशन जोन सम्मेलन का आयोजन किया गया।

इस अवसर पर भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री श्री जितिन प्रसाद मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हुए तथा अपने मुख्य भाषण के दौरान चाय उद्योग के हितधारकों के लिए प्रोत्साहन भरे शब्द कहे। उन्होंने देश के सामाजिक-आर्थिक ढांचे में चाय के महत्व को पहचानने तथा भारतीय चाय की ब्रांडिंग और विपणन के लिए नए-नए रास्ते तलाशने की आवश्यकता पर जोर दिया, ताकि चाय निर्यात में वैश्विक दिग्गज के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत किया जा सके। उन्होंने भारतीय चाय उद्योग को निर्यात परिदृश्य में और अधिक ऊंचाइयां हासिल करने तथा विशेष रूप से युवाओं और विशिष्ट बाजारों को ध्यान में रखकर चाय की नई और अभिनव किस्मों के साथ खुद को फिर से स्थापित करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने इस तथ्य पर भी जोर दिया कि हमें उत्पादक से लेकर उपभोक्ता तक पूरी आपूर्ति श्रृंखला में सभी हितधारकों के लिए सर्वोत्तम सुविधाएं सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के सचिव श्री सुनील बर्थवाल ने इस अवसर पर विशेष संबोधन देते हुए देश के विभिन्न चाय उत्पादक क्षेत्रों जैसे कांगड़ा, असम, दार्जिलिंग, उत्तराखंड आदि की अपनी यात्राओं के बारे में रोचक किस्से साझा किए। उन्होंने आम जनता के बीच विभिन्न प्रचार और जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से ‘चाय साक्षरता’ बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया ताकि वे भारतीय चाय की विभिन्न विशेषताओं और बारीकियों की बेहतर सराहना कर सकें। वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों और चाय उद्योग के हितधारकों सहित सम्मानित दर्शकों के लिए एक विशेष चाय चखने का सत्र आयोजित किया गया, जिसमें एक प्रसिद्ध पेशेवर चाय चखने वाले ने पेशेवर चाय चखने की बारीकियों के बारे में बोलते हुए एक ज्ञानवर्धक सत्र के साथ दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने माननीय वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री और वाणिज्य सचिव को एक व्यावहारिक प्रदर्शन भी दिया और उन्हें चाय चखने में अपने कौशल को आजमाने के लिए आमंत्रित किया।

दिलचस्प और संवादात्मक चाय चखने के सत्रों के बाद, विभिन्न विषयों पर पैनल चर्चाएँ आयोजित की गईं, जैसे कि “ऑर्गेनिक चाय: भविष्य का टिकाऊ रास्ता”, “वैश्विक उपभोग पैटर्न – नए युग की चाय और युवा जुड़ाव”, “भारतीय चाय – भविष्य की ओर देखना” आदि। चर्चाओं के दौरान कई बिंदुओं को उठाया गया और गुणवत्ता नियंत्रण उपायों के अलावा व्यापक ब्रांडिंग और विपणन पहलों के माध्यम से भारतीय चाय के लिए एक उज्जवल भविष्य को आकार देने के लिए अभिनव विचारों पर विचार-विमर्श किया गया। पैनलिस्ट और प्रतिनिधियों ने विश्व चाय परिदृश्य में भारतीय चाय के लिए समग्र रूप से ऊपर की ओर वक्र का अनुमान लगाया।

सम्मेलन के दौरान एक इंडिया टी एप्रिशिएशन जोन स्थापित किया गया था, जिसमें चाय उद्योग के विभिन्न वर्गों, जैसे उत्पादकों, निर्यातकों, छोटे चाय उत्पादकों (एसटीजी), किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ), स्टार्ट अप आदि का प्रतिनिधित्व करने वाले कई हितधारकों को अपनी चाय की विस्तृत श्रृंखला को प्रदर्शित करने और चाय के नमूने लेने के सत्र आयोजित करने के लिए आमंत्रित किया गया था। चाय प्रशंसा क्षेत्र में चाय हितधारकों ने देश के विभिन्न क्षेत्रों, जैसे दार्जिलिंग, असम, नीलगिरि, कांगड़ा, सिक्किम आदि से एकल मूल चाय सहित चाय की असंख्य किस्मों के साथ-साथ सभी प्रकार के चाय प्रेमियों की पसंद को पूरा करने के लिए अभिनव मिश्रण और विभिन्न प्रकार की स्वाद वाली चाय, मसाला चाय प्रदर्शित की। सम्मेलन के सभी प्रतिभागियों ने भारतीय चाय प्रशंसा क्षेत्र की बहुत सराहना की और पूरे दिन इसमें बड़ी संख्या में लोग आए, इस प्रकार यह भारतीय चाय की अद्भुत विविधता के लिए स्थायी लोकप्रियता और प्रेम का प्रमाण है।

प्राचीन ग्रंथों को मिलेगा आधुनिक डिजिटल रूप

  • वैकल्पिक चिकित्सा पर ध्यान देने की आवश्यकता – उपराष्ट्रपति
  • उपराष्ट्रपति ने जामनगर में विश्व पारंपरिक चिकित्सा केंद्र की सराहना की

गोवा : भारत के उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने आज गोवा राजभवन में आयोजित एक कार्यक्रम में प्राचीन ग्रंथों के साक्ष्य-आधारित सत्यापन, डिजिटलीकरण, अनुवाद और उन्हें आधुनिक संदर्भों में उपयोगी बनाने हेतु अनुसंधान व नवाचार पर बल दिया। उन्होंने कहा, “हम एक अलग प्रकार का राष्ट्र हैं… हम अपनी जड़ों को फिर से खोज रहे हैं और उन्हीं में दृढ़ता से स्थापित हो रहे हैं। मैं वैकल्पिक चिकित्सा पर विशेष बल देता हूँ क्योंकि भारत इसका जन्मस्थल है। यह आज भी व्यापक रूप से प्रचलित है… हमारे प्राचीन ग्रंथ केवल पुस्तकालयों की अलमारियों के लिए नहीं हैं। ये शाश्वत विचार हैं और इन्हें आधुनिक वैज्ञानिक उपकरणों की सहायता से पुनः जीवित करने की आवश्यकता है।”

कार्यक्रम के अपने संबोधन में उन्होंने कहा, “अपने वेदों, उपनिषदों, पुराणों और इतिहास में झांकने का समय आ गया है और हमें हमारे बच्चों को जन्म से ही हमारी सभ्यतागत गहराई की जानकारी देनी चाहिए।”

प्रतिमाओं के अनावरण के उपरांत श्री धनखड़ ने कहा, “आज हम उन महापुरुषों को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं जो ज्ञान के प्रतीक हैं — चरक और सुश्रुत। चरक कुषाण साम्राज्य में राजवैद्य थे और ‘चरक संहिता’ के रचयिता हैं, जो आयुर्वेद का मूल आधार है। वहीं सुश्रुत शल्य चिकित्सा के जनक माने जाते हैं। मुझे उनके समय के शल्य चिकित्सा उपकरणों की चित्रकारी देखने का अवसर मिला — अत्यंत दूरदर्शी सोच थी। हमें कभी नहीं भूलना चाहिए कि सुश्रुत धन्वंतरि के शिष्य थे, जो स्वयं एक प्रतिष्ठित आयुर्वेदाचार्य माने जाते हैं। चरक और सुश्रुत का जीवन आज की पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत बनना चाहिए।”

उपराष्ट्रपति ने कहा कि कुछ वर्गों में यह प्रवृत्ति देखी जाती है कि ‘भारतीय या प्राचीन कुछ भी पिछड़ा है’—यह मानसिकता अब आधुनिक भारत में स्वीकार्य नहीं है। “दुनिया हमारी प्राचीन प्रणाली की महत्ता को पहचान रही है — समय आ गया है कि हम भी इसे पहचानें। यह धारणा कि केवल पश्चिम ही प्रगतिशील है, अब चलन से बाहर होनी चाहिए। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी माना है कि भारत आज संभावनाओं का केंद्र है।”

उन्होंने आगे कहा, “पश्चिम चकित रह जाएगा यदि हम अपने प्राचीन ज्ञान को और गहराई से समझें। चरक, सुश्रुत, धन्वंतरि, जीवक (जो बुद्ध के निजी चिकित्सक थे) — ऐसे अनेक आयुर्वेदाचार्य हैं। गणित और खगोल विज्ञान में हमारे पास आर्यभट्ट, बौधायन, वराहमिहिर जैसे नाम हैं। चंद्रगुप्त विक्रमादित्य के समय वराहमिहिर उज्जैन वेधशाला में कार्यरत थे।”

उपराष्ट्रपति ने हमारे प्राचीन चिकित्सा विज्ञान की उपलब्धियों पर गर्व व्यक्त करते हुए कहा, “सैकड़ों साल पहले हम 300 से अधिक शल्य क्रियाएं, प्लास्टिक सर्जरी, अस्थि चिकित्सा और यहां तक कि सिजेरियन डिलीवरी भी करते थे। सुश्रुत के लेखन केवल शारीरिक रचना को नहीं दर्शाते, बल्कि वैज्ञानिक सोच, शुद्धता, प्रशिक्षण, स्वच्छता और रोगी देखभाल के उच्च मानकों को भी रेखांकित करते हैं।

भविष्य के लिए सहायक नदियों को बचाएगी गंगा

  • आगरा में सीवरेज इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी अहम परियोजना को भी मंजूरी

नई दिल्ली : गंगा और उसकी सहायक नदियों के पुनरुद्धार की दिशा में एक ठोस और समग्र पहल के तहत राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन की 63वीं कार्यकारी समिति की बैठक आयोजित की गई। बैठक का फोकस था – स्थिरता और नवाचार – जो मिशन के मुख्य उद्देश्यों से पूरी तरह से जुड़े हुए हैं जैसे कि जल की गुणवत्ता में सुधार, सतत शहरी जल प्रबंधन और गंगा बेसिन में इकोसिस्टम को पुराने रुप में लाना।

इस अवसर पर विभिन्न परियोजनाओं को मंजूरी दी गई, जिनमें बुनियादी ढांचा परियोजनाएं, वैज्ञानिक अध्ययन, तकनीकी समाधान और कायाकल्प योजनाएं शामिल थीं। इनका उद्देश्य केवल अल्पकालिक सुधार नहीं है, बल्कि दीर्घकालिक और बड़े प्रभाव सुनिश्चित करना है, ताकि नदियों और जल निकायों का अस्तित्व भविष्य की पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रहे।

बैठक के दौरान उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक शहर आगरा में सीवेज प्रबंधन परियोजना को मंजूरी दी गई, जिसका कुल बजट 126.41 करोड़ रुपये है। इस परियोजना के अंतर्गत 21.20 किलोमीटर इंटरसेप्शन एवं डायवर्जन सीवर लाइनों के साथ-साथ 40 इंटरसेप्शन एवं डायवर्जन संरचनाओं का निर्माण किया जाएगा। इसके अलावा, 8 आधुनिक पम्पिंग स्टेशन स्थापित किए जाएंगे तथा जल स्रोतों को प्रदूषण से बचाने के लिए 5 प्रमुख ड्रेन में प्रभावी कचरा निगरानी स्क्रीन लगाई जाएंगी। यह परियोजना डिजाइन-निर्माण-संचालन-हस्तांतरण मॉडल पर आधारित है, जो इसे तकनीकी और प्रबंधकीय रूप से प्रभावशाली और दीर्घकालिक समाधान बनाता है।

पर्यावरणीय प्रवाह की गहन समझ को बढ़ावा देने के लिए, समिति ने दो प्रमुख परियोजनाओं को मंजूरी दी : “कोसी, गंडक और महानंदा नदियों का पर्यावरणीय प्रवाह आकलन” जिसकी लागत लगभग 6 करोड़ रुपये है और “घाघरा और गोमती नदी बेसिन में पर्यावरणीय प्रवाह आकलन” जिसकी अनुमानित लागत लगभग 8 करोड़ रुपये है। ये दोनों परियोजनाएं अगले तीन वर्षों में नदियों में सतत और अनुकूल प्रवाह व्यवस्था के विकास का मार्ग प्रशस्त करेंगी।

इसके अलावा, जोहकासौ प्रौद्योगिकी-आधारित और अन्य कॉम्पैक्ट प्लग एंड प्ले प्रौद्योगिकियों के घरेलू अपशिष्ट जल उपचार की प्रभावी निगरानी और दिशानिर्देश बनाने के लिए एक परियोजना को मंजूरी दी गई। इस परियोजना की शुरुआत भारत में ऑन-साइट सीवेज उपचार की गुणवत्ता और स्थिरता को मजबूत करने के उद्देश्य से की जा रही है।

बैठक में अगले दो वर्षों के लिए 2.47 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ “उत्तराखंड के देहरादून जिले में रामसर साइट ‘आसन वेटलैंड’ के संरक्षण और प्रबंधन” परियोजना को मंजूरी दी गई। इस पहल का लक्ष्य वेटलैंड की जैव विविधता और इकोलॉजिकल हेल्थ को पुनर्जीवित करना है। इसमें वेटलैंड इन्वेंटरी असेसमेंट और निगरानी प्रणालियों के विकास के लिए स्वीकृति के साथ-साथ संरक्षण उपायों की योजना बनाना भी शामिल है।

एनएमसीजी की यह बैठक महज योजनाओं के अनुमोदन का एक औपचारिक अवसर ही नहीं थी, बल्कि एक नए सफर की शुरुआत थी – जहां परंपरा की गहराई और आधुनिक तकनीक की उड़ान, प्रकृति की मृदुता, विज्ञान की ताकत, सतत विकास की भावना और जनभागीदारी ने अद्भुत संगम रचा। स्वच्छ, समृद्ध और जीवंत नदी की दिशा में उठाया गया हर कदम न केवल नमामि गंगे मिशन को नई ऊंचाइयों पर ले जा रहा है, बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण भी बन रहा है।

एनसीसी कैडेट्स ने फतेह की माउंट एवरेस्ट  

नई दिल्ली : राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) पर्वतारोहण दल ने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट (8,848.86 मीटर) पर सफलतापूर्वक चढ़ाई के बाद आज 19 मई, 2025 को सुरक्षित रूप से एवरेस्ट बेस कैंप पर वापसी की है। यह ऐतिहासिक उपलब्धि एनसीसी अभियान दल द्वारा माउंट एवरेस्ट पर तीसरी सफल चढ़ाई है, इससे पहले 2013 और 2016 में भी यह सफलता मिली थी।

इस वर्ष के अभियान की एक प्रमुख विशेषता दस सदस्यीय कैडेट टीम का उत्कृष्ट प्रदर्शन था, जिसमें नव प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले पर्वतारोही शामिल थे, जिन्होंने कठोर प्रशिक्षण प्राप्त किया था और कठिन राष्ट्रीय चयन प्रक्रिया के माध्यम से सावधानीपूर्वक उनका चयन किया गया था। टीम में बराबर संख्या में गर्ल्स और बॉयज कैडेट थे, जिनकी औसत आयु 19 वर्ष थी। सबसे कम उम्र का कैडेट की आयु केवल 16 वर्ष थी। निम्नलिखित वे कैडेट हैं जिन्होंने सफलतापूर्वक माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की है:

कैडेट मोनिका – राजस्थान

कैडेट प्रतिमा राय – पश्चिम बंगाल

कैडेट रिफाइनेस वारजरी – मेघालय

कैडेट कृतिका शर्मा – हिमाचल प्रदेश

कैडेट आबिदा आफरीन – लद्दाख

कैडेट मोहित नथिया – जम्मू और कश्मीर

कैडेट पद्मा नामगेल – चंडीगढ़

कैडेट वीरेंद्र सिंह सामंत – उत्तराखंड

कैडेट सचिन कुमार – उत्तराखंड

कैडेट मुकुल बंगवाल – उत्तराखंड उनकी असाधारण शारीरिक तैयारी और उच्च मनोबल के कारण उन्हें शेरपा गाइडों और साथी अंतर्राष्ट्रीय पर्वतारोहियों से प्रशंसा मिली। कठिन मौसम की स्थिति और जोखिम भरे इलाकों से गुजरने के बावजूद, टीम अपने दृढ़ संकल्प पर अडिग रही और माउंट एवरेस्ट पर राष्ट्रीय ध्वज और एनसीसी ध्वज को सफलतापूर्वक फहराया गया, जो राष्ट्रीय गौरव और युवा वीरता का प्रतीक है।

विकसित भारत के संकल्प को बीजेपी कार्यकर्ता सबसे जुड़कर करें कार्य

लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश महामंत्री (संगठन) श्री धर्मपाल सिंह ने रविवार को झांसी में कानपुर-बुन्देलखण्ड क्षेत्र के नवनिर्वाचित मंडल अध्यक्षों से संवाद किया। इसके साथ ही कानपुर-बुन्देलखण्ड क्षेत्र के जिलाध्यक्ष, जिला प्रभारी तथा मंडल चुनाव प्रवासियों की बैठक को सम्बोधित किया। श्री धर्मपाल सिंह ने कहा कि मंडल अध्यक्ष संगठनात्मक गतिविधियों की धुरी है। निष्ठावान कार्यकर्ताओं के परिश्रम से ही भाजपा विश्व का सबसे बड़ा राजनैतिक दल बना है। क्षेत्रीय प्रभारी व प्रदेश महामंत्री श्री अनूप गुप्ता, क्षेत्रीय अध्यक्ष श्री प्रकाश पाल तथा प्रदेश उपाध्यक्ष श्रीमती कमलावती सिंह ने भी बैठक को सम्बोधित किया।

प्रदेश महामंत्री (संगठन) श्री धर्मपाल सिंह ने मंडल अध्यक्षों से संवाद करते हुए कहा कि मंडल अध्यक्षों को संगठनात्मक कार्यों की दृष्टि से आदर्श मंडल का गठन करना है। मंडल कार्यसमिति में 61 सदस्य रहेगें। जिसमें 15 पदाधिकारी होंगे बाकी मंडल कार्यसमिति सदस्य बनाए जाएगें। सर्वव्यापी, सर्वस्पर्शी व सर्वसमावेशी मंडल कार्यसमिति में अनुसूचित जाति वर्ग, पिछड़ा वर्ग, महिलाओं सहित सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाना चाहिए। इसके साथ ही प्रत्येक शक्तिकेन्द्र से भी मंडल कार्यसमिति में नेतृत्व निर्धारित होना चाहिए। उन्होंने कहा कि संगठनात्मक कार्यों की नियमित समीक्षा तथा नियमित मासिक बैठकें भी मंडल अध्यक्षों को सुनिश्चित करना है। उन्होंने कहा कि मंडल अध्यक्ष संगठनात्मक कार्यों तथा अपने प्रवास की डायरी मेंटेन करने का स्वभाव विकसित करें।

श्री धर्मपाल सिंह ने कहा कि आदर्श मंडल कार्यसमिति से मजबूत शक्तिकेन्द्र की संरचना तैयार होगी जो मजबूत बूथ की संरचना का निर्माण करेगी और मजबूत बूथ से ही भाजपा की विजय सुनिश्चित होगी। उन्होंने कहा कि संगठनात्मक गतिविधियों के साथ ही चुनावी गतिविधियों का केन्द्र भी मंडल है। इसलिए मंडल कार्यसमिति गठन में समर्पित, परिश्रमी, अनुशासित एवं निष्ठावान कार्यकर्ताओं को दायित्व दिया जाना चाहिए। मजबूत बूथ की संरचना से ही संगठन की नीतियां, अभियान, कार्यक्रम तथा सरकार की योजनाएं हर घर तक पहुंचाना संभव होता है। श्री धर्मपाल सिंह ने कानपुर-बुन्देलखण्ड क्षेत्र के क्षेत्रीय पदाधिकारियों, जिलाध्यक्षों, जिला प्रभारियों, व मंडल प्रवासियों से संवाद करते हुए कहा कि प्रभावी मंडल कार्यसमिति गठन के साथ ही संगठन के सभी अभियानों एवं कार्यक्रमों के प्रभावी संचालन के लिए कार्ययोजना बनाकर काम करना हैं। इसके साथ ही सतत् प्रवास का स्वभाव भी विकसित करना है। उन्होंने कहा कि सतत सम्पर्क व सतत संवाद संगठन की मजबूती का मूल मंत्र है। इस समय एक देश-एक चुनाव अभियान के साथ ही भारतीय सेना के शौर्य को प्रणाम करती हुई तिरंगा यात्राएं भी निकाली जा रही है। इसके साथ पुण्यश्लोक अहिल्याबाई होल्कर जन्म त्रिशताब्दी स्मृति अभियान भी 21 मई से प्रारम्भ होना है। अभियानों एवं कार्यक्रमों के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए पार्टी के पुराने पदाधिकारी एवं नेताओं को भी जिम्मेदारी सौंपी जाय तथा सभी परिश्रमी कार्यकर्ताओं को अभियानों से जोड़ा जाय। इससे जबावदेही भी बढेगी और कार्यक्रमों की प्रभावशीलता भी बढ़ेगी। हमें संगठन को मजबूत करते हुए अपनी राष्ट्रवादी विचारधारा से जन-जन को जोड़ना है। मोदी जी के विकसित भारत के संकल्प को पूरा करने के लिए सबसे जुड़कर सबको जोड़ना है।

फिल्मी सितारों ने साइकिल चलाकर दिया फिट इंडिया का संदेश   

राष्ट्रव्यापी अभियान में ओलंपियन, शतरंज ग्रैंडमास्टर, अभिनेता और फिटनेस आइकन सहित प्रतिष्ठित हस्तियां शामिल हुईं

मुंबई : अभिनेता और फिटनेस आइकन सुनील शेट्टी ने फिट इंडिया मूवमेंट द्वारा सीबीआईसी-जीएसटी के सहयोग से आयोजित राष्ट्रव्यापी संडे ऑन साइकिल कार्यक्रम में निरंतर स्वस्थ रहने का जोरदार आह्वान करते हुए कहा, “सम्‍पूर्ण स्‍वास्‍थ्‍य बीमारी से कहीं सस्ता है। फिटनेस एक दिन की चीज नहीं होनी चाहिए, जैसे कि आज ही साइकिल चलाना, बल्कि समग्र स्वास्थ्य के लिए हर दिन इसका अभ्यास किया जाना चाहिए। तभी कोई फर्क दिखाई पड़ता है।” शेट्टी मुंबई में जीएसटी कमीश्‍नरेट में प्रतिभागियों के साथ शामिल हुए, इसमें अभिनेता की शक्ति और एक ऐसी पहल शामिल हो गइ्र जो तेजी से जन आंदोलन बन रही है।

इस कार्यक्रम में जीएसटी के आठ साल पूरे होने के अवसर पर स्वास्थ्य, समुदाय और स्वच्छ हवा की दिशा में एक समन्वित प्रयास में सीबीआईसी-जीएसटी केन्‍द्रों पर हजारों लोगों को एकजुट करते हुए फिटनेस के प्रति राष्ट्रव्यापी प्रतिबद्धता का जश्न मनाया गया।

तिरुवनंतपुरम में, इस कार्यक्रम को तीन प्रसिद्ध ओलंपियन और अंतरराष्ट्रीय एथलीटों – सुश्री जिस्ना मैथ्यू (रियो 2016, 4×400 मीटर), श्री एम.पी. जाबिर (टोक्यो 2020, 400 मीटर बाधा दौड़) और सुश्री अनु राघवन (एशियाई खेल और चैंपियनशिप पदक विजेता) ने हरी झंडी दिखाई। उनकी उपस्थिति ने 200 से अधिक प्रतिभागियों को जुनून और गर्व के साथ साइकिल चलाने के लिए प्रेरित किया।

साइकिल सवारों के समूह का नेतृत्व भारत के पांच शीर्ष साइकलिस्ट – सुश्री पूजा दानोले, सुश्री धन्यादा जेपी, सुश्री श्रीमति जे, सुश्री रेजिया देवी और सुश्री निरैमति जे कर रहे थे। प्रत्येक एक सम्मानित राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पदक विजेता हैं। उनके मार्गदर्शन ने संदेश को बल दिया: फिटनेस केवल एक स्प्रिंट नहीं है, यह एक मैराथन है जिसे हम एक साथ चलाते हैं।

इस बीच, नई दिल्ली में साइकिल चलाना इस अभियान का सिर्फ़ एक हिस्सा था। बुडापेस्ट में 2024 शतरंज ओलंपियाड में स्वर्ण पदक जीतने वाली शतरंज ग्रैंडमास्टर तानिया सचदेव भी इस अभियान में शामिल हुईं और फिटनेस को बढ़ावा देने वाले संदेश के साथ लोगों में जोश भर दिया। उन्होंने कहा, “फिटनेस के लिए किसी शानदार उपकरण या जिम की ज़रूरत नहीं होती – बस इच्छाशक्ति और अनुशासन की ज़रूरत होती है।” “शतरंज में भी सहनशक्ति बहुत ज़रूरी है। साइकिल चलाना अब मेरी फिटनेस के तरीके का एक बड़ा हिस्सा बन गया है।”

राजधानी के मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में आयोजित इस कार्यक्रम में जुम्बा, रस्सी कूद और योग सत्र शामिल थे, जिसने रविवार को शारीरिक गतिविधि और मानसिक सम्‍पूर्ण स्वास्थ्य के उत्सव में बदल दिया। यह कार्यक्रम देश भर में विभिन्न स्थानों पर आयोजित किया गया, जिसमें एसएआई आरसी, एसटीसी एनसीओई, खेलो इंडिया सेंटर और सभी प्रमुख सीबीआईसी-जीएसटी केन्‍द्र शामिल थे।

सीबीआईसी जीएसटी के विशेष सचिव और सदस्य श्री शशांक प्रिय ने कहा, “फिट इंडिया और जीएसटी के साथ यह सहयोग एक मजबूत संदेश है कि फिटनेस सभी के लिए है – न कि केवल एथलीटों के लिए। जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों और बेहतर खान-पान की आदतों और कम चीनी की ज़रूरत के बारे में इस तरह की जागरूकता देखना उत्साहजनक है।”

उन्होंने कहा, “हम क्या खाते हैं, यह भी महत्वपूर्ण है ताकि हम बहुत ज़्यादा चीनी और गैस बनाने वाले पेय पर नियंत्रण रख सकें। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है ताकि हम मोटापे से लड़ सकें। हम हृदय रोग से पीडि़त होने की संभावना से ग्रस्त हैं, इसलिए एक स्वस्थ और तंदुरुस्त भारत के इस लक्ष्य की ओर बढ़ना महत्वपूर्ण है।”

दिसम्‍बर 2024 में लॉन्च होने के बाद से साइकिलिंग पहल अब 5,500 से ज़्यादा स्थानों पर फैल चुकी है और 3 लाख से ज़्यादा नागरिकों तक पहुँच चुकी है। सोशल मीडिया पर सानिया मिर्ज़ा, मिलिंद सोमन, इमरान हाशमी, जॉन अब्राहम, इम्तियाज़ अली, शंकर महादेवन और दारा सिंह जैसे दिग्गजों के समर्थन की भरमार है, जो रोज़मर्रा की फ़िटनेस को प्रेरित करने के लिए अपनी आवाज़ दे रहे हैं।

शंकर महादेवन ने अपने वीडियो संदेश में कहा, “भारत साइकिल चलाकर फिटनेस की दिशा में एक कदम बढ़ाने के लिए एकजुट हो रहा है। मैं सभी से आग्रह करता हूं कि वे इस रविवार को हमारे अधिकारियों के साथ जुड़ें और इसे एक यादगार कार्यक्रम बनाएं।” मिलिंद सोमन ने कहा, “फिट हम, तो फिट इंडिया।”

बढ़ती गति के साथ, फिट इंडिया का संडेज ऑन साइकिल हमारे चलने के तरीके को फिर से परिभाषित कर रहा है, एक बार में एक पैडल स्ट्रोक – सार्वजनिक स्थानों को सम्‍पूर्ण स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र में बदलना, और नागरिकों को स्वास्थ्य का चैंपियन बनाना।

पंचमुखी हनुमान मंदिर मे बही काव्य धारा

लखनऊ : लक्ष्य साहित्यिक सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्थान द्वारा  दिनांक 18 मई  पंचमुखी हनुमान मंदिर में,  लक्ष्य साहित्यिक,सामाजिक, सांस्कृतिक संस्था  के द्वारा  काव्य संध्या का आयोजन किया गया। जेठ के  बडे मंगल के आयोजन की श्रृंखला मे पंचमुखी हनुमान मंदिर मे बीस से भी अधिक कवियो ने काव्य रसधार से  रामभक्त हनुमान का स्मरण किया| डॉ. शरद पाण्डेय “शशांक”, के संचालन और     गोबर गणेश, के संयोजन मे निशा सिंह अलका अस्थाना,  ज्योती किरन रतन,आर एस निगम ,भारती पायल सहित  कवियो ने पाठ किया।

रामभद्राचार्य, गुलजार को ज्ञानपीठ पुरस्कार

महामहिम राष्ट्रपति ने 58वां ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया

  • महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने आज (16 मई, 2025) नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित एक समारोह में संस्कृत विद्वान जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी को 58वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया।

इस अवसर पर अपने संबोधन में महामहिम राष्ट्रपति ने जगद्गुरु रामभद्राचार्य को बधाई दी। उन्होंने ज्ञानपीठ पुरस्कार के लिए गुलज़ार को भी बधाई दी, जो पुरस्कार समारोह में शामिल नहीं हो सके। उन्होंने कामना की कि गुलज़ार जी जल्द ही पूरी तरह स्वस्थ और सक्रिय होकर कला, साहित्य, समाज और देश के लिए अपना योगदान देते रहें।

राष्ट्रपति ने कहा कि साहित्य समाज को जोड़ता भी है और जगाता भी है। 19वीं सदी के सामाजिक जागरण से लेकर 20वीं सदी के हमारे स्वतंत्रता संग्राम तक, कवियों और रचनाकारों  ने  जन-जन को जोड़ने में महानायकों की भूमिका निभाई है। बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित ‘वंदे मातरम’ गीत लगभग 150 वर्षों  से भारत माता की संतानों को जागृत करता रहा है और सदैव करता रहेगा। वाल्मीकि, व्यास और कालिदास से लेकर रवींद्रनाथ ठाकुर  जैसे शाश्वत कवियों की रचनाओं में हमें जीवंत भारत का स्पंदन महसूस होता है । यह स्पंदन ही भारतीयता का स्वर है।

राष्ट्रपति ने 1965 से विभिन्न भारतीय भाषाओं के उत्कृष्ट साहित्यकारों को पुरस्कृत करने के लिए भारतीय ज्ञानपीठ ट्रस्ट की सराहना की। उन्होंने कहा कि भारतीय भाषाओं में उत्कृष्ट साहित्यकारों को पुरस्कृत करने की प्रक्रिया में भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार के चयनकर्ताओं ने श्रेष्ठ साहित्यकारों का चयन किया है तथा इस पुरस्कार की गरिमा का संरक्षण और संवर्धन किया है।

राष्ट्रपति ने कहा कि ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित आशापूर्णा देवी, अमृता प्रीतम, महादेवी वर्मा, कुर्रतुल-ऐन-हैदर, महाश्वेता देवी, इंदिरा गोस्वामी, कृष्णा सोबती और प्रतिभा राय जैसी महिला रचनाकारों ने भारतीय परंपरा और समाज को विशेष संवेदनशीलता के साथ देखा और अनुभव किया है तथा हमारे साहित्य को समृद्ध किया है। उन्होंने कहा कि हमारी बहनों और बेटियों को इन महान महिला रचनाकारों से प्रेरणा लेकर साहित्य सृजन में सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए तथा हमारी सामाजिक सोच को और अधिक संवेदनशील बनाना चाहिए।

महामहिम राष्ट्रपति ने श्री रामभद्राचार्य जी के बारे में कहा कि उन्होंने श्रेष्‍ठता का प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है। उनके बहुमुखी योगदान की प्रशंसा करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि दृष्टि बाधित होने के बावजूद उन्होंने अपनी दिव्य दृष्टि से साहित्य और समाज की असाधारण सेवा की है। उन्होंने कहा कि श्री रामभद्राचार्य ने साहित्य और समाज सेवा दोनों ही क्षेत्रों में व्यापक योगदान दिया है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि उनके यशस्‍वी जीवन से प्रेरणा लेकर आने वाली पीढ़ियाँ साहित्य सृजन, समाज निर्माण और राष्ट्र निर्माण के सही मार्ग पर आगे बढ़ती रहेंगी।

विद्योत्तमा फाउंडेशन की नई कार्यकारिणी गठित, काव्य गोष्ठी का आयोजन

अलका प्रमोद लखनऊ शाखा की अध्यक्ष, डॉ मनीष व करुणा पांडे उपाध्यक्ष

लखनऊ : विद्योत्तमा फाउंडेशन विद्योत्तमा फाउंडेशन की लखनऊ शाखा की कार्यकारिणी का पुनर्गठन किया गया| संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुबोध मिश्रा की अध्यक्षता में वरिष्ठ साहित्यकार अलका प्रमोद को अध्यक्ष मनोनीत किया गया| उपाध्यक्ष पद पर वरिष्ठ पत्रकार, साहित्यकार डॉ मनीष शुक्ल व डॉ करुणा पांडे को सर्वसम्मति से नियुक्त किया गया| नवगठित कार्यकारिणी में महासचिव पद पर डॉ स्मिता मिश्रा, मीडिया प्रभारी श्रीमती आर्यावर्ती सरोज चुनी गई| सांस्कृतिक सचिव कविता काव्या सखी, सचिव सामाजिक कार्य श्री योगेश प्रताप सिंह, संयुक्त सचिव श्रीमती रश्मि शुक्ला शील, सहायक सचिव सौम्या मिश्रा एवं सहायक मीडिया प्रभारी पायल लक्ष्मी सोनी मनोनीत किए गए| संगठन सचिव के पद पर लेखिका जरीन अंसारी नियुक्त की गई| संस्था की राष्ट्रीय समन्वयक सुनीता माहेश्वरी और रागिनी वाजपेई ऑन लाइन कार्यक्रमों का संयोजन करेंगी| राष्ट्रीय अध्यक्ष सुबोध मिश्रा ने नई कार्यकारिणी को बधाई देते हुए कहा कि संस्था राष्ट्रीय स्तर पर समाज सेवा एवं साहित्य सेवा में संलग्न है| संस्था की वृद्ध जनों की सेवा के लिए निरंतर सेवा शिविरों का आयोजन होता है| इसके साथ वार्षिक समारोह में राष्ट्रीय स्तर पर देशभर के साहित्यकार सम्मानित किए जाते हैं| लखनऊ शाखा की अध्यक्ष अलका प्रमोद ने संस्था के आगामी कार्यों की रूपरेखा प्रस्तुत की| संचालन डॉ मनीष शुक्ल ने किया| आभार राष्ट्रीय सचिव डॉ सी पी मिश्र ने किया| इस अवसर पर काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें प्रमुख रूप डॉ अलका अस्थाना, आर्यावर्ती सरोज, कानपुर से अन्नपूर्णा वाजपेई व अर्चना त्रिपाठी, पूर्णिमा त्रिपाठी, रश्मि शील शुक्ला, नासिक से सुनीता माहेश्वरी, योगेश प्रताप सिंह आदि मौजूद रहे|  

आतंकवाद के खिलाफ एक हो विश्व की आवाज

लोकसभा अध्यक्ष ने पहलगाम आतंकवादी हमले को लेकर ऑस्ट्रेलिया के समर्थन के लिए अपने ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष को धन्यवाद दिया

नई दिल्ली : लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला ने ऑस्ट्रेलिया के हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स के अध्यक्ष के रूप में श्री मिल्टन डिक के पुनः निर्वाचन  पर बधाई दी है। आज श्री डिक के साथ एक टेलीफोनिक बातचीत के दौरान, श्री बिरला ने कहा कि “मैं ऑस्ट्रेलियाई प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष के रूप में आपके पुनः निर्वाचन पर भारत की संसद की ओर से आपको बधाई देता हूं। आपके नए कार्यकाल के लिए मेरी शुभकामनाएं।”

इस अवसर पर, श्री बिरला ने पहलगाम आतंकवादी हमले पर भारत के साथ एकजुटता दिखाने के लिए ऑस्ट्रेलिया को धन्यवाद दिया। उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत को ऑस्ट्रेलिया के समर्थन की सराहना की। श्री बिरला ने जोर देकर कहा कि दुनिया को आतंकवाद के सभी आयामों को समाप्त करने के लिए एक आवाज में बोलना चाहिए।

श्री बिरला ने प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी और ऑस्ट्रेलिया के प्रधान मंत्री श्री एंथनी अल्बनीज़ के बीच मित्रता को याद किया और विश्वास व्यक्त किया कि भारत-ऑस्ट्रेलिया द्विपक्षीय संबंध श्री अल्बनीज़ के इस कार्यकाल के दौरान और गहरे होंगे। श्री बिरला ने कहा कि भारत इस वर्ष बाद में क्वाड और द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन के लिए श्री एंथनी अल्बनीज़ का स्वागत करने के लिए उत्सुक है। उन्होंने उम्मीद जताई कि श्री डिक के इस कार्यकाल में भारत-ऑस्ट्रेलिया संसदीय सहयोग नई ऊंचाइयों को प्राप्त करेगा और दोनों देशों के बीच संबंध और मजबूत होंगे, जिसमें बहुपक्षीय मंच भी शामिल हैं।