नई दिल्ली : प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले दशक में भारत के शिक्षा क्षेत्र में हुए ऐतिहासिक परिवर्तन पर प्रकाश डालते हुए आज राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की सराहना की और इसे भारत का बौद्धिक पुनर्जागरण बताया, जिसने शिक्षा और नवाचार के माध्यम से विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी और आत्मनिर्भर राष्ट्र का मार्ग प्रशस्त किया है।
केंद्रीय मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान द्वारा एक्स पर की गई पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा:
“केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री @dpradhanbjp ने बताया कि पिछले दशक में भारत के शिक्षा क्षेत्र में किस तरह ऐतिहासिक परिवर्तन हुआ है। एनईपी 2020 एक सुधार से कहीं अधिक है; यह भारत का बौद्धिक पुनर्जागरण है, जो शिक्षा और नवाचार के माध्यम से एक आत्मनिर्भर और विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी राष्ट्र का मार्ग प्रशस्त करता है।”
छह दिवसीय विशाल कार्यक्रम 37वां कथक महोत्सव 2025 नई दिल्ली में संपन्न हुआ
नई दिल्ली : भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त निकाय, संगीत नाटक अकादमी की घटक इकाई कथक केंद्र, नई दिल्ली ने हाल ही में अपने 6 दिवसीय विशाल महोत्सव, 37वें कथक महोत्सव 2025 का समापन किया। यह विशाल महोत्सव एक ऐतिहासिक आयोजन था, जिसमें छह दिन तक विश्व का पहला कथक साहित्य महोत्सव, एक वॉक-थ्रू प्रदर्शनी के साथ-साथ कथक संगोष्ठी और कथक नृत्य संगीत कार्यक्रम का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया।
पूर्व संसद सदस्य और पूर्व अध्यक्ष, आईसीसीआर डॉ. विनय सहस्रबुद्धे; रीवा के महाराज पुष्पराज सिंह, पूर्व महानिदेशक (आईसीसीआर) डॉ. अमरेंद्र खटुआ (आईएफएस); प्रसिद्ध गायिका और लेखिका डॉ. सरिता पाठक, आदि स्थापित हस्तियों ने इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। इस महोत्सव में पं. रामलाल बरेठ (बिलासपुर), डॉ. पुरु दधीच और डॉ. विभा दधीच (इंदौर), डॉ. पूर्णिमा पांडे (लखनऊ), प्रोफेसर भरत गुप्त (गुड़गांव), श्रीमती सास्वती सेन और श्रीमती वासवती मिश्रा (दिल्ली), डॉ. नंदकिशोर कपोटे (पुणे), डॉ. शोवना नारायण (दिल्ली), श्री माता प्रसाद मिश्र और श्री रविशंकर मिश्र (बनारस), श्री मुरलीमोहन कल्वाकालवा (थाईलैंड), मुल्ला अफसर खान (पुणे), श्री विशाल कृष्ण (बनारस), प्रोफेसर डॉ मांडवी सिंह (लखनऊ), श्रीमती नंदिनी सिंह (दिल्ली), श्रीमती रोशन दात्ये (पुणे) जैसे प्रसिद्ध कलाकार और विद्वान शामिल हुए।
कथक केंद्र की निदेशक श्रीमती प्रणाम भगवती ने इस कार्यक्रम को नए आयाम और दृश्यता प्रदान करने में पूर्ण जिम्मेदारी निभाई तथा दूरदर्शी निर्देशन के साथ सभी प्रमुख घरानों – लखनऊ, जयपुर, बनारस और रायगढ़ – को सम्मानित किया, जिसमें प्रतिष्ठित कलाकारों ने मनमोहक प्रस्तुतियां दीं।
कमानी ऑडिटोरियम में अंतिम दिन संस्कृति मंत्रालय की संयुक्त सचिव श्रीमती अमिता प्रसाद साराभाई और संगीत नाटक अकादमी की चेयरमैन डॉ. संध्या पुरेचा ने कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। देश के विभिन्न भागों से आए प्रसिद्ध विद्वानों और प्रतिपादकों ने राजसी संरक्षण की भागीदारी, *बोल* के विकास और विविधता तथा पांडुलिपियों के महत्व जैसे विषयों पर अपने विचार साझा किए – जिसमें कथक की समृद्ध साहित्यिक विरासत पर भी प्रकाश डाला गया। इन मूल्यवान चर्चाओं को दस्तावेजित करने के लिए एक समर्पित प्रयास किया गया, जिसके परिणामस्वरूप नई प्रकाशित पुस्तकों का एक संग्रह तैयार किया गया, जिसे महोत्सव के उद्घाटन पुस्तक मेले में प्रदर्शित किया गया। इसने दर्शकों की अत्यधिक रुचि आकर्षित की।
शाम के प्रदर्शन में तीन स्तरीय स्वरूप: एकल, युगल और समूह गायन का पालन किया गया। कथक नृत्य कला के सभी घरानों ने अपनी दुर्लभ बारीकियों और पारंपरिक शैली से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। बड़ी संख्या में दर्शकों की उपस्थिति के साथ यह कार्यक्रम खासा सफल रहा और आगंतुकों को कथक की साहित्यिक और कलात्मक विरासत के बारे में नए ज्ञान और प्रशंसा से समृद्ध किया गया।
37वें कथक महोत्सव 2025 में देखी गई इस भव्यता और व्यापक सोच के साथ, कथक केंद्र, नई दिल्ली आकर्षक निष्पादन का एक उदाहरण प्रदर्शित करता है और एक अभिनव दृष्टिकोण के साथ कथक नृत्य के आयामों को बढ़ाने का वादा करता है।
देहारादून : नवरात्रि में उत्तराखंड की उस महिला का जिक्र जरूरी समझ रहा हूं जो मन को झकझोरती है। उस महिला के बच्चे शालीनतावश इसका जिक्र कहीं नहीं करते। लेकिन हमें आपको तो जानना ही चाहिए।
वह दौर जब प्रख्यात राजनेता एचएन बहुगुणा ने एक संदेश देकर सामाजिक अलख जगाने की कोशिश की थी कि ब्राहमणों और दलितों का आपसी विवाह संबंध होना चाहिए। एचएन बहुगुणा अपने प्रगतिशील विचारों के लिए जाने जाते थे। उनके इस आह्वान में सामाजिक समरसता का एक बड़ा संदेश था। जाहिर था कि इस बात की चर्चा दूर दूर तक हुई । वह जमाना सोशल मीडिया का नहीं था इसलिए ऐसी टिप्पणियां नहीं हुई जो समाज में किसी तरह विद्वेष फैलाए। एचएन बहुगुणा की यह बात उत्तर प्रदेश के पहाड़ी इलाकों में भी पहुंची। पहाड़ की एक महिला ने इसे सुनकर एचएन बहुगुणा को पत्र लिखा। मान्यवर बहुगुणाजी मेरी भी बेटी है और आपका भी बेटा है। दोनों विवाह की उम्र के हैं। आपका सुझाव बहुत अच्छा है। आप बड़े राजनेता है। आप यह कदम उठाकर हमें प्रेरित कीजिए। आप अपने बेटे ( यानी विजय बहुगुणा ) का विवाह भी किसी दलित परिवार के लड़की से कीजिए। और अगले ही दिन मैं भी अपनी बेटी की शादी किसी दलित युवा के साथ कराऊंगी। यह पत्र बहुगुणाजी तक पहुंचा। ये शादियां तो तब नहीं पाई। लेकिन एचएन बहुगुणा को इस पत्र ने झकझोर दिया। अब वो अपने बेटे की शादी किसी दलित युवती से नहीं करा सके ये एक अलग प्रसंग है। न जाने क्या परिस्थितियां आईं । लेकिन एच एन बहुगुणा की भी प्रशंसा करनी होगी कि उन्होंने इस पत्र चुपचाप पढकर छिपाया नहीं। उन्होंने प्रख्यात समाजवादी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मधु दंडवते से इस पत्र का जिक्र किया। आज के राजनेताओं में यह संभव नहीं। मधु दंडवते ने इसके बाद एक पत्र इन महिला को भेजा और कहा कि आपने देश के नेताओं को अच्छा संदेश दिया है।
उन्होंने यह बताने की कोशिश की थी कि राजनेता जिस बात को कहते हैं उसका आचरण भी कर सकें तो समाज आगे बढेंगा। इतना जरूर था कि जब उस पत्र के बाद एच एनबहगुणा पहाड़ों में आए तो वह उस महिला से मिलना नहीं भूले।
यह प्रसंग इस मायने में भी गौर किया जा सकता है कि समाजवादी पिछड़ों की आवाज कहे जाने वाले नेता मुलायम सिंह यादव ने अपने बच्चों का रिश्ता किया तो उत्तराखंड के समर्थ सवर्ण परिवारों में किया। जिस मुस्लिम वर्ग को साधते हुए वह राजनीति करते रहे या उनके वंशज कर रहे हैं उन मुस्लिम को तो दूर पिछड़े दलित परिवार की किसी बिटिया को बहू नहीं बनाया। जिस लालू को माडिया के एक वर्ग में जमीनी नेता कहकर पुकारा वंचित गरीब गुरबाओं का मसीहा कहकर ताज पहनाया, अल्पसंख्यकों का खेवनहार बताय उनके नौ बच्चों में एक भी मुस्लिम परिवार से विवाह नहीं हुआ। एक भी किसी गरीब परिवार की बिटिया को लालू अपने महल में बहू बनाकर नहीं लाए। शायद उस महिला ने पांच छह दशक पहले एचएन बहुगुणा को इसी बात का संकेत दिया था कि पहले आप अनुसरण करो। फिर समाज करेगा।
अजब थी उस महिला की दढ़ता और जुझारुपन । केवल आठवीं कक्षा तक पढी थी। लेकिन बेटे ने दसवीं की परीक्षा का फार्म भरा तो उन्होंने भी दसवीं की परीक्षा का फार्म भर लिया। बच्चे भी पास और मां भी परीक्षा में सफल। फिर बारहवीं में बच्चों ने बारहवीं की परीक्षा दी तो वह पीछे क्यों रहतीं। उन्होंने भी बारहवीं की परीक्षा दी और पास हो गई। अब विश्वविद्यालय में बीए की परीक्षा का समय आया। उन्हें कुछ संकोच हुआ कि एक ही समय में श्रीनगर विश्वविद्यालय में बच्चों के साथ परीक्षा देने कैसे जाएं। तो उन्होंने सेंटर बदल लिया। गोपेश्वर से फार्म भरा और वहीं से वह स्नातक भी हो गई। उनके पति का ट्रांसफर अलग अलग जगह होता रहता था । लेकिन उन्होंने स्पष्ट कहा कि मैं अपने बच्चो की शिक्षा के लिए श्रीनगर से कहीं नहीं जाऊंगी। यहीं बच्चों को पढाऊंगी।
लेकिन इतना भर नहीं एक बार हिंदी साहित्य अकादमी के जरिए चर्चित पत्रिका सरिता में कहानी प्रतियोगिता की तो उन्होंने एक कहानी लिख कर भेज दी। जबकि बड़े बडे साहित्य के दिग्गजों ने अपनी कहानी भेजी थी। इस महिला की कहानी का चयन हुआ तो वह दिल्ली बुलाया गया। वह अपने बेटे के साथ सम्मान ग्रहण करने गई। यह महिला और कोई नहीं दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो सुरेखा डंगवाल की मांजी शशि डंगवाल है। आठ साल पहले उन्होंने इस दुनिया को छोड़ दिया था । लेकिन अपने पीछे संघर्ष कौशल की ऐसी मिसाल छोड़ी है। उनका मार्गदर्शन और प्रेरणा है कि प्रो सुरेखा डंगवाल एक जानी मानी शिक्षाविद्द के रूप में है। सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायधीश रंजना देसाई के नेतृत्व में यूसीसी का ड्राफ्ट बनाने वाली समिति की वह सदस्य रही हैं। पर्वत की नारी संघर्ष और जीवटता के अलग अलग प्रसंगों में सामने आती हैं। शशि ध्यानी भी उनमें एक है। उनकी जिंदगी प्रेरणा देती है।
नागपुर : भारतीय नववर्ष के साथ नवरात्रि के शुभारंभ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को शुभकामना दी| साथ ही नागपुर में स्मृति मंदिर में दर्शन किए। इस दौरान उन्होंने डॉ. के बी हेडगेवार और श्री एम एस गोलवलकर को श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नवरात्रि के अवसर पर लोगों को शुभकामनाएं दी। उन्होंने पंडित जसराज जी द्वारा देवी मां की आराधना को समर्पित एक स्तुति भी साझा की।
उन्होंने एक्स पर पोस्ट में लिखा:
“देशवासियों को नवरात्रि की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। शक्ति-साधना का यह पावन पर्व हर किसी के जीवन को साहस, संयम और सामर्थ्य से परिपूर्ण करे। जय माता दी!” “नवरात्रि का शुभारंभ माता के उपासकों में भक्ति का एक नया उल्लास जागृत करता है। देवी मां की आराधना को समर्पित पंडित जसराज जी की यह स्तुति हर किसी को मंत्रमुग्ध करने वाली है…”
इसके साथ ही पीएम मोदी ने एक्स पर एक अलग पोस्ट में लिखा:
“नागपुर में स्मृति मंदिर के दर्शन करना बहुत ही विशेष अनुभव है।
आज की यात्रा को और भी खास बनाने वाली बात यह है कि यह वर्ष प्रतिपदा को हुई है, जो परम पूज्य डॉक्टर साहब की जयंती भी है। मेरे जैसे अनगिनत लोग परम पूज्य डॉक्टर साहब और पूज्य गुरुजी के विचारों से प्रेरणा और शक्ति प्राप्त करते हैं। इन दो महान विभूतियों को श्रद्धांजलि अर्पित करना सम्मान की बात है, जिन्होंने मजबूत, समृद्ध और सांस्कृतिक रूप से गौरवशाली भारत की कल्पना की थी।”
बलिया में स्वतंत्रता सेनानी चित्तू पांडेय की भूमि पर कच्चे तेल का भंडार
बलिया: कहते हैं तेल का खेल निराला है| यह रेगिस्तान को भी रोशन कर देता है| अरब देश इसका जीता जागता उदाहरण हैं लेकिन अगर यही तेल का भंडार भारत में मिल जाए तो हमारा देश तेल के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन सकता है| जी हाँ भारत में ऐसी ही उम्मीद की किरण उत्तर प्रदेश से आई है| यहाँ क्रांतिधरा बलिया जिले के सागरपाली स्थित रटूचक गांव में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी चित्तू पांडेय की भूमि पर कच्चे तेल का भंडार मिला है| ओएनजीसी ने दावा किया है कि इस क्षेत्र में करीब 300 किलोमीटर के दायरे में तेल के विशाल भंडार हैं| ओएनजीसी ने इस भूमि को किराए पर लिया है और यहां खुदाई का कार्य शुरू कर दिया है| इस क्षेत्र में लगभग 12 बीघा जमीन पर खुदाई की जा रही है| ओएनजीसी ने इस भूमि के लिए सेनानी परिवार को 10 लाख रुपये सालाना किराया देना तय किया है| पिछले छह महीनों से कार्य तेज गति से चल रहा है| आने वाले समय में यह क्षेत्र आर्थिक और विकास की दिशा में महत्वपूर्ण बदलाव का गवाह बन सकता है|
गौरतलब है कि क्रूड ऑयल आयात करने की वजह से भारत को भारी विदेशी मुद्रा खर्च करनी पड़ रही है| ऐसे में अपने क्षेत्र में कच्चे तेल का भंडार मिल जाता है तो यह देश के लिए एक बड़ा आर्थिक लाभ होगा| इससे स्थानीय स्तर पर जल, सड़क, शिक्षा और परिवहन की व्यवस्थाएं भी मजबूत होंगी|राष्ट्रीय स्तर पर भारत का तेज आर्थिक विकास संभव हो सकेगा|
क्रांतिधरा साहित्य अकादमी द्वारा वृंदावन धाम, भारत में तीन दिवसीय महोत्सव का आयोजन
वृंदावन : क्रांतिधरा साहित्य अकादमी, मेरठ, भारत और चारू साहित्य प्रतिष्ठान नेपाल द्वारा ‘गीता शोध संस्थान एवं रासलीला अकादमी’, वृंदावन, मथुरा के सहयोग से तीन दिवसीय ‘भारत नेपाल साहित्य व सांस्कृतिक महोत्सव’ का आयोजन गीता शोध संस्थान एवं रासलीला अकादमी, वृंदावन के भव्य सभागार में आयोजित किया गया । जिसमें नेपाल से 100 से अधिक शिक्षाविद्, लेखक, कवि, पत्रकार आदि शामिल रहे, इसके साथ ही समस्त भारत से 250 से अधिक नवोदित व वरिष्ठ लेखक, कवि, साहित्यकार, सामाजिक कार्यकर्ता व शिक्षाविद लोगों की सहभागिता रही ।
भारत नेपाल साहित्य सांस्कृतिक महोत्सव, वृंदावन उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता डा घनश्याम न्यौपाने कुलपति, बर्दघाट प्रज्ञा प्रतिष्ठान, नेपाल की रही| उन्होने अपने संबोधन में नेपाल और भारत के ऐतिहासिक संबंधों की मजबूती के लिए इस तरह के आयोजनों की बेहद महत्वपूर्ण भूमिका बताई ।
मुख्य अतिथि अतिथि श्री पद्मनाभ गोस्वामी सेवायत राधारमण मंदिर, वृंदावन और उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद के मुख्य कार्यपालक अधिकारी श्याम बहादुर सिंह रहे।
भारत नेपाल साहित्य सांस्कृतिक महोत्सव के आयोजक डॉ विजय पंडित और डा देवी पंथी, अध्यक्ष चारू साहित्य प्रतिष्ठान नेपाल ने सभी अतिथियों का रुद्राक्ष की माला पहनाकर स्वागत किया। सभी मंचासीन अतिथियों द्वारा आयोजन की स्मारिका पूर्वांचल दर्पण सहित एक दर्जन से अधिक पुस्तकों का विमोचन किया गया।
कार्यक्रम के आयोजक डॉक्टर विजय पंडित ने अपने संबोधन में कहा कि भारत नेपाल साहित्य एवं सांस्कृतिक महोत्सव वसुद्धैव कुटुम्बकम की भावना के साथ आयोजित किया जा रहा है जिसके माध्यम से दोनों देशों के मध्य ऐतिहासिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक, सामाजिक संबंधों को मजबूती प्रदान करना है। यह आयोजन दोनों देशों के लोगों के बीच परस्पर सहयोग की भावना, भाईचारा, प्रेम, साहित्य का अनुवाद व लेखन, पठन पाठन के दायरे को विस्तार प्रदान करते हुए एक सशक्त साहित्यिक सेतु का निर्माण करता है।
तीन दिवसीय भारत नेपाल साहित्य सांस्कृतिक महोत्सव का शुभारंभ सरस्वती प्रतिमा के सम्मुख दीप प्रज्वलन और सरस्वती वंदना इंदौर से पधारी कवयित्री शीतल राघव देवयानी द्वारा प्रस्तुत की गई।
कार्यक्रम संरक्षक :- डा. उमेश चन्द्र शर्मा ( ब्रज संस्कृति विशेषज्ञ ) ब्रज तीर्थ विकास परिषद, मथुरा ने ब्रज की महिमा पर विस्तार से प्रकाश डाला। विशिष्ट अतिथि: नेपाल की लघुकथाकार श्रीमति ममता मृदुल अध्यक्ष, लघुकथा समाज कोसी , विराटनगर , नेपाल रही और लघुकथाकार अलवर , राजस्थान से डॉ ममता शर्मा ‘अंचल’ , शारदा शर्मा, नारी स्रष्टा समाज, विराटनगर , नेपाल , ध्रुव मधिकर्मी सचिव,सिर्जना अभियान समूह, भक्तपुर, ध्रुवराज थापा, काभ्रे, नेपाल, दीपक लोहनी , विलोम समूह, काठमाडौं , नेपाल, शोभा लोहानी, काठमाडौं , नेपाल, धन्वन्तरी मिश्र “कात्यायन”, काठमाडौं , नेपाल, शुक्रराज कुँवर ,सुनसरी , नेपाल, रोशन पराजुली, सुनसरी , नेपाल, मनोहर पोखरेल, लघुकथा प्रतिष्ठान संस्थापक अध्यक्ष ,राजविराज , नेपाल, रमेन्द्र कोइराला, कोषाध्यक्ष लघुकथा समाज कोसी इनरुवा , नेपाल, बिंदिया लम्साल, नारी स्रष्टा समाज , काठमाडौं, नेपाल, ललिता दोषी, साहित्यकार ,काठमाडौं , नेपाल, एन्जल निलु , लघुकथा प्रतिष्ठान, सप्तरी, नेपाल, नारायण कैलाश सिक्देल,तनहुँ ,गण्डकी प्रदेश नेपाल, विमल शर्मा पौडेल ,पर्वत,गण्डकी प्रदेश नेपाल, सुष्मा आचार्य , भक्तपुर, बाग्मती प्रदेश नेपाल, बिक्रम भक्त जोशी ललितपुर शामिल रहे सभी ने लघुकथा पाठ किया।
बहुभाषी गजल, चारू, कवि सम्मेलन में ( पञ्चाङ्ग, उदक, बाछिटा, टुक्का, खोरिया, झिल्का) विधाओं की प्रस्तुति रही। बहुभाषी कवि सम्मेलन सत्र का संचालन नेपाल के डा देवी पंथी द्वारा किया गया इस विशेष सत्र में नेपाल से डा घनश्याम परिश्रमी, कुलपति बर्दघाट, नवलपरासी , नेपाल, अनुराग अरुण, बरिस्ठ गजलकार ,काठमाडौं , नेपाल, यज्ञलाल सुवेदी , चारु साहित्य प्रतिष्ठान , रुपन्देही, डा. देवी पंथी, पर्वतक चारु ,विराटनगर, ध्रुव गजुरेल , धरहरा अभियन्ता ,काठमाडौं नेपाल, गजल , सन्देश दीपक पनेरु ,बरिस्ठ चारुकार , सर्लाही , नेपाल, -चारु , . रिशव शर्मा, विराटनगर , नेपाल । चारु, बिनिता ढकाल , कोषाध्यक्ष चारु साहित्य प्रतिष्ठान विराटनगर , नेपाल । चारु, पवनकुमार बुढाथोकी , प्रतिनिधि स्रष्टा साँझ अमेरिका ,काठमाडौं, नेपाल । चारु, खगेन्द्र भट्टराई , सचिव चारु साहित्य प्रतिष्ठान , विराटनगर , नेपाल । चारु, टीकादेवी भट्टराई, विराटनगर,नेपाल। चारु र झिल्का, सोमनाथ लुइटेल , प्रवर्तक पञ्चाङ्ग, पाल्पा , नेपाल पञ्चाङ्ग र चारु, सविता के.सी. बोहरा , पञ्चाङ्ग अध्यक्ष, काठमाडौँ नेपाल । पञ्चाङ्ग र चारु,चन्द्रावती अधिकारी,पञ्चाङ्ग उपाध्यक्ष, कोहलपुर , पञ्चाङ्ग र चारु, राधेश्याम नगरकोटी, पञ्चाङ्ग सदस्य, भक्तपुर नेपाल पञ्चाङ्ग र चारु , पोम रेग्मी, चारु चारु साहित्य प्रतिष्ठान , तेह्रथुम , नेपाल । चारु र टुक्का, लक्ष्मी रेग्मी , तेह्रथुम , नेपाल । चारु, राधिका पन्थी, चारु साहित्य प्रतिष्ठान , विराटनगर , नेपाल । चारु , अरुण खड्का , काठमाडौं , नेपाल । गजल र चारु, राजेन्द्र बज्राचार्य , भक्तपुर , नेपाल । नेवारी चारु, लक्ष्मीप्रसाद मिश्र, चारु साहित्य प्रतिष्ठान , लमजुङ, नेपाल । चारु र खोरिया, स्वर्ण शिखा, स्वर्ण गजल पाठशाला ,दाङ ,नेपाल । गजल और चारु, खुसीराम डौलिया, लमजुङ , नेपाल । चारु, सत्यराज जोशी , कंचनपुर , नेपाल । गजल, भानु पोख्रेल , झापा , नेपाल । चारु र बाछिटा, सुरक्षा अधिकारी , काठमाडौं नेपाल । गजल( चारु), मेघनाथ बन्धु खनाल , झापा नेपाल, चारु र टुक्का, भगवती दवाडी , झापा नेपाल । चारु र झिल्का, काजी सुनुवार , पर्वत , नेपाल चारु, इनु पौडेल , भक्तपुर – चारु, पर्मेश्वरी बिस्ट, भक्तपुर – चारु ।
इसी सत्र में लुधियाना पंजाब की कवयित्री डा.जसप्रीत कौर फ़लक की पंक्तियों .. कृष्णा तेरी नगरी में , मैं आई हूँ पहली बार, प्रेम भरा , श्रद्धा भरा , प्रणाम करो स्वीकार ॥
चंडीगढ़ से पल्लवी शर्मा ने सुनाया … अजब सा था ख़ुमार, सदियों पुराने मार्ग ! ठुमकती ,चलती हुई बैलगाड़िया, ईश यहाँ छोढ़े हैं , अदभुत निशानियाँ ।।
निम्न पंक्तियों ने सभागार में उपस्थित जनसमूह द्वारा खूब सराही गई। प्रथम दिन के समापन पर आयोजक डॉ विजय पंडित ने सभी अतिथियों व श्रोताओं का आभार व्यक्त किया।
वृंदावन में आयोजित तीन दिवसीय भारत नेपाल साहित्य सांस्कृतिक महोत्सव के दुसरे दिन प्रथम सत्र में पुस्तकों के विमोचन और शोध पत्र प्रस्तुत किये गये। मंचासीन अतिथयों में मुख्य अतिथि प्रो रविन्द्र कुमार शर्मा पूर्व कुलपति और विशिष्ट अतिथि प्रो पुष्पा शर्मा रहे, डा महेश शर्मा रहे। सत्र संचालन डॉ देवी पंथी और डॉ हरेन्द्र हर्ष द्वारा किया गया।
हिंदी, नेपाली भोजपुरी, मैथली, अंग्रेजी, संस्कृत, मराठी, तमिल भाषा के कवि सम्मलेन में नेपाल से जया न्यौपाने , तनहुँ, नेपाल, सत्यप्रकाश , तनहुँ ,नेपाल, प्रकाश वाग्ले , तनहुँ, नेपाल, विमला भण्डारी , तनहुँ , नेपाल, कृष्ण अधिकारी , तनहुँ , नेपाल, मोहन बहादुर भुजेल,तनहुँ, नेपाल, द्वारिका कूईकेल ,काठमांडू, नेपाल, रश्मि रिमाल , झापा, नेपाल, इन्दिरा ढकाल , काठमाडौ ,नेपाल, ड. गोविन्दमानसिंह कार्की , काठमाडौंं,नेपाल, ममता कुमारी कार्की, काठमाडौं, नेपाल, राधा चालिसे , काठमाडौंं,नेपाल, डा बद्रीविशाल पोख्रेल , सुनसरी, नेपाल, वोधराज घिमिरे , उदयपुर, नेपाल, वसन्तराज खनाल , लमजुङ , नेपाल, युवराज घिमिरे लमजुङ , नेपाल, मातृका प्रसाद खनाल, लमजुङ, नेपाल ।
भारत से डा ममता शर्मा ‘अंचल’, अलवर, डॉ परमजोत सिंह ‘वेदी’, मधेपुरा, बिहार, जया मोहन श्रीवास्तव, प्रयागराज, ललित मोहन श्रीवास्तव, प्रयागराज, डॉ जयप्रकाश नागला, महाराष्ट्र, डॉ कृष्णा रावत, जयपुर , डा प्रवीण कुमार, लखनऊ, स्मिता सक्सेना, लखनऊ , उपमा आर्य, लखनऊ, दीनबंधु आर्य, लखनऊ, राजेश कुमार भटनागर, जयपुर , बलिराज चौधरी, भोपाल, डॉ मनोज कुमार फगवाड़वी, फगवाड़ा, पंजाब, डॉ दीनदयाल तिवारी ‘बेताल’, टीकमगढ़, अनुराधा सहस्त्रबुद्धे, मुंबई, डॉ भोलाप्रसाद आग्नेय, बलिया , डॉ आदित्य कुमार ‘अंशु’, बलिया, अणुव्रत सेवी प्रो डॉ ललिता बी जोगड़ , मुंबई, डॉ के पद्मिनी, तमिलनाडु, ए देविका कोयम्बटूर, टी प्रभाकरन कोयम्बतूर, कुसुम श्रीवास्तव, दिल्ली, एम महेंद्र जैन पोतदार सत्य, टीकमगढ़, सुभदा पांडेय, आगरा, इन्दु भूषण पांडेय ‘अजनबी’, शाहजहांपुर, डा सुधा पांडेय नालंदा, डा जयकांत पांडेय, नालंदा, साकार श्रीवास्तव फलक, जयपुर, डॉ रामप्रकाश, अकोला, महाराष्ट्र, हेमंत सक्सेना, मेरठ, राघव देवयानी, इंदौर, अर्चना आनंद, गाजीपुर, मोनिका अग्रवाल नागपुर, सिक्किम से राधा पांडेय, असम से विष्णु शास्त्री, असम से ही सागर सापकोटा शामिल रहे ।
तृतीय दिवस में समापन सत्र आयोजित किया गया जिसकी मुख्य अतिथि सुप्रसिद्ध फ़िल्म अभिनेत्री और मथुरा से माननीय सांसद हेमा मालिनी रही और अतिथियों को ‘ब्रज शिरोमणि सम्मान’ से सम्मानित किया ।
उन्होंने अपने सम्बोधन में आयोजन को नेपाल और भारत के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, सामाजिक संबंधों के लिए मील का पत्थर बताया और कहा की भविष्य में भी ऐसे आयोजन भारत और नेपाल में निरंतर होते रहने चहिये, आयोजक डॉ विजय पंडित, ब्रज संस्कृति विशेषज्ञ डॉ उमेश चंद शर्मा, उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद् के समन्वयक चंद्रप्रकाश सिकरवार आदि को विशेष रूप से बधाई देते हुए सभी अतिथियों का अभिनन्दन किया। कत्थक नृत्य, ब्रज और नेपाली सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ क्रांतिधरा साहित्य अकादमी मेरठ द्वारा आयोजित तीन दिवसीय भारत नेपाल साहित्य सांस्कृतिक महोत्सव का समापन हुआ।
लखनऊ। विचारों और आम जीवन की घटनाओं से उपजी खरे की कविताओं के संग्रह ‘नहर किनारे’ का विमोचन संगीतमय प्रस्तुतियों के बीच हुआ। विमोचन आज शाम एमबी क्लब के बाल रूम में अतिथियों के तौर पर किरण कौशिक, डा.सुनीता सक्सेना और विभूति कुमार सिन्हा ने किया।
इस अवसर पर अतिथि वक्ताओं ने कहा कि विज्ञान की शोधार्थी होते हुए डा.चारू ने संवेदनशील व्यक्तित्व और साहित्यिक अभिरुचि के नाते अनुभूतियों को कविताओं में अभिव्यक्त किया है। अपने लेखन पर डा.चारू ने कहा कि कविताओं की रचना स्वतः सुखाय ही प्रारंभ की, पर धीरे धीरे वह स्वभाव और आत्मभिव्यक्ति का जरिया बन गया। डा. रश्मि चतुर्वेदी ने बेबाकी से अपने विचार रखते हुए कहा कि डा चारू की रचनाओं में मां के रूप में स्त्री के कोमल और दृढ़ दोनों ही स्वरूपों के दर्शन होते हैं। समारोह में उस्ताद गुलशन भारती और उनके शिष्यों ने गजलों के संग कई रचनाओं को प्रस्तुत किया। आर्गन पर विजय सैनी और तबले पर थापा ने साथ दिया। अंत में आभार डा.डीसी करें ने व्यक्त किया। इस मौके पर अन्य अतिथियों में प्रभु झिंगरन, आलोक शुक्ला, अखिलेश मयंक व राजवीर रतन आदि उपस्थित थे।
लेह : आयुष मंत्रालय के तहत लेह स्थित स्वायत्त संस्थान राष्ट्रीय सोवा-रिग्पा संस्थान (एनआईएसआर) ने एक विशेष योग कार्यक्रम का आयोजन किया। यह संस्थान सोवा-रिग्पा के संरक्षण, संवर्धन और विकास के लिए है। योग के इस कार्यक्रम को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस – 2025 की 100 दिवसीय उल्टी गिनती कार्यक्रम के तहत आयोजित की जा रही गतिविधियों के एक भाग के रूप में संपन्न किया गया।
हिमालय की गोद में 11,562 फीट (3,524 मीटर) की ऊंचाई पर अपने कर्मचारियों और छात्रों सहित एनआईएसआर की टीम ने आयुष मंत्रालय के मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान की और से विकसित सामान्य योग प्रोटोकॉल (सीवाईपी) के अनुसार योग सत्र का आयोजन किया।
इस आयोजन के लिए बर्फ से ढकी चोटियों, ठंडी पहाड़ी हवा और शांति के माहौल के साथ लेह में एकदम सही जगह मिली। एनआईएसआर की निदेशक डॉ. पद्मा गुरमेत ने कहा, “योग महज एक अभ्यास नहीं, बल्कि जीवन का एक तरीका है जो शरीर और मन दोनों को पोषित करता है। आज की तेज़-रफ़्तार दुनिया में, योग आंतरिक संतुलन, मानसिक स्पष्टता और शारीरिक तंदुरुस्ती हासिल करने का एक शक्तिशाली उपकरण है। योग के माध्यम से, हम न केवल लोगों के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए लचीलापन, सद्भाव और समग्र स्वास्थ्य विकसित करते हैं। लेह की राजसी ऊंचाइयों पर, हम इस बात की पुष्टि करते हैं कि योग सीमाओं से परे है, जो हमें तंदुरुस्ती और शांति की खोज में एकजुट करता है।”
महाबोधि अंतर्राष्ट्रीय योग और ध्यान केंद्र लेह की योग प्रशिक्षक सुश्री त्सावांग ल्हामो ने भी इस कार्यक्रम में भाग लिया। उन्होंने कहा, “योग शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक स्पष्टता और भावनात्मक संतुलन को बढ़ावा देकर हमारे दैनिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। योग के नियमित अभ्यास से लचीलापन बढ़ता है, मांसपेशियां मज़बूत होती हैं, तनाव कम होता है और समग्र स्वास्थ्य में सुधार होता है। यह मन की शांति को भी बढ़ावा देता है, जिससे व्यक्ति को रोज़मर्रा की ज़िंदगी की चुनौतियों के बीच आंतरिक शांति और सामंजस्य बनाए रखने में मदद मिलती है।”
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस – 2025 के लिए 100 दिनों की उल्टी गिनती का उद्घाटन आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री प्रतापराव जाधव ने नई दिल्ली में आयोजित ‘योग महोत्सव- 2025’ के दौरान किया था। उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान आयुष मंत्री ने यह भी बताया था कि इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की गतिविधियां वैश्विक आयोजन के 11वें संस्करण को चिह्नित करने के लिए 10 अद्वितीय हस्ताक्षर कार्यक्रमों के इर्द-गिर्द घूमेंगी, जो इसे सबसे व्यापक और समावेशी बनाती हैं:
योग संगम – 10,000 स्थानों पर समन्वित योग प्रदर्शन, जिसका लक्ष्य विश्व रिकार्ड बनाना है ।
योग बंधन – प्रतिष्ठित स्थलों पर योग सत्र आयोजित करने के लिए 10 देशों के साथ वैश्विक साझेदारी।
योग पार्क – दीर्घकालिक सामुदायिक सहभागिता के लिए 1,000 योग पार्कों का विकास।
योग समावेश – दिव्यांगजनों, वरिष्ठ नागरिकों, बच्चों और हाशिए पर पड़े समूहों के लिए विशेष योग कार्यक्रम।
योग प्रभाव – सार्वजनिक स्वास्थ्य में योग की भूमिका पर एक दशकीय प्रभाव मूल्यांकन।
योग कनेक्ट – एक वर्चुअल वैश्विक योग शिखर सम्मेलन जिसमें प्रसिद्ध योग विशेषज्ञ और स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर शामिल होंगे।
हरित योग – एक स्थिरता-संचालित पहल जिसमें योग को वृक्षारोपण और सफाई अभियान के साथ जोड़ा गया है।
योग अनप्लग्ड – युवाओं को योग की ओर आकर्षित करने का एक कार्यक्रम।
योग महाकुंभ – 10 स्थानों पर एक सप्ताह तक चलने वाला उत्सव, जिसका समापन प्रधानमंत्री के नेतृत्व में एक केंद्रीय समारोह के साथ होगा।
संयोगम् – समग्र स्वास्थ्य के लिए आधुनिक स्वास्थ्य सेवा के साथ योग को जोड़ने वाली 100 दिवसीय पहल।