Monday, May 12, 2025
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जम्मू-कश्मीर से गुजरात तक तकनीकी-वैज्ञानिक प्रतिष्ठानों की सुरक्षा बढ़ाई जाएगी

श्रीनगर और लेह में महत्वपूर्ण आईएमडी प्रतिष्ठानों की सुरक्षा बढ़ाई जाएगी

 नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर, पंजाब, चंडीगढ़ और राजस्थान तथा गुजरात के उत्तर-पश्चिमी इलाकों में स्थित तकनीकी और वैज्ञानिक प्रतिष्ठानों की सुरक्षा बढ़ाई जाएगी। इसके अलावा, श्रीनगर और लेह में महत्वपूर्ण आईएमडी प्रतिष्ठानों की सुरक्षा बढ़ाई जाएगी।

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधान मंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग और कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन, डॉ जितेंद्र सिंह ने मौजूदा सुरक्षा स्थिति के मद्देनजर देश भर में तकनीकी और वैज्ञानिक प्रतिष्ठानों की सुरक्षा तैयारियों की समीक्षा के लिए वरिष्ठ अधिकारियों और वैज्ञानिक और तकनीकी विभागों के प्रमुखों के साथ आज एक उच्च स्तरीय संयुक्त बैठक बुलाई।

बैठक में विशेष रूप से जम्मू और कश्मीर, पंजाब, लद्दाख और भारत के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र के सीमावर्ती और संवेदनशील क्षेत्रों में अनुसंधान और वैज्ञानिक सुविधाओं की सुरक्षा तैयारियों की समीक्षा पर धयान केंद्रित किया गया।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने विशेष रूप से सीएसआईआर-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीग्रेटिव मेडिसिन (आईआईआईएम)-जम्मू, सीएसआईआर-केंद्रीय वैज्ञानिक उपकरण संगठन (सीएसआईओ)-चंडीगढ़, डीबीटी-बायोटेक रिसर्च इनोवेशन काउंसिल (ब्रिक)-राष्ट्रीय कृषि-खाद्य और जैव विनिर्माण संस्थान (एनएबीआई)-मोहाली, श्रीनगर और अन्य प्रमुख क्षेत्रों में भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की इकाईओं तथा लद्दाख और आसपास के क्षेत्रों में पृथ्वी विज्ञान अनुसंधान केद्रों की तैयारिओं और सुरक्षा तंत्र की समीक्षा की।

इन संस्थानों के रणनीतिक महत्व को देखते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि मौसम पूर्वानुमान, आपदा तैयारी और महत्वपूर्ण अनुसंधान के क्षेत्र में विशेष रूप से वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर), जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी), भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत वैज्ञानिक सुविधाएं राष्ट्रीय बुनियादी ढांचे के प्रमुख स्तंभ है।

सभी वैज्ञानिक संस्थानों को मौजूदा स्थिति के मद्देनजर अपने सुरक्षा प्रोटोकॉल की समीक्षा करने और उन्हें बढ़ाने का निर्देश दिया गया है। निर्बाध समन्वय और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए संस्थानों को संबंधित जिला प्रशासन को तुरंत सूचित करना चाहिए।

इसके अतिरिक्त, प्रत्येक संस्थान को आपातकालीन प्रतिक्रिया के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार और प्रसारित करने की आवश्यकता है। साथ ही यह भी सुनिश्चित करना होगा की कर्मचारी और स्थानीय अधिकारी दोनों अच्छी तरह से तैयार हैं। अपने गृह राज्यों में वापस लौट चुके छात्रों और शोधकर्ताओं को नुकसान से बचाने के लिए, सभी आगामी परीक्षाएँ और शोध प्रस्ताव कॉल को अगली सूचना तक स्थगित कर दिया गया है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने आईएमडी के महानिदेशक को श्रीनगर, लेह और अन्य प्रमुख स्थानों पर अपने महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों और डेटा केंद्रों पर सुरक्षा व्यवस्था को तुरंत मजबूत करने का भी निर्देश दिया। डॉ. जितेंद्र सिंह ने बाहरी सुरक्षा के अलावा आंतरिक तत्परता और नागरिक समन्वय पर भी ध्यान केंद्रित करने पर जोर दिय। केंद्रीय मंत्री ने संस्थानों के लिए आंतरिक सुरक्षा प्रोटोकॉल तथा क्या करें और क्या न करें की भी समीक्षा की।

समीक्षा बैठक में स्वायत्त वैज्ञानिक संस्थानों के निदेशकों द्वारा प्रस्तुत सुझाव और स्थितिजन्य रिपोर्ट प्रस्तुत की गईं। रिपोर्ट्स में मनोबल बढ़ाने वाले उपाय और जिला प्रशासन के साथ समन्वय का महत्व को रेखांकित किया गया।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने वैज्ञानिक निकायों और स्थानीय अधिकारियों के बीच निरंतर संपर्क की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा, हमारे वैज्ञानिक संस्थान राष्ट्रीय लचीलेपन की रीढ़ हैं। ऐसे समय में, हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे सुरक्षित और अच्छी तरह से समन्वित हों साथ ही हर संभावित घटना के लिए तैयार हों।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने तैयारी की आवश्यकता के अनुरूप कर्मचारियों, संकाय और छात्र स्वयंसेवकों को शामिल करते हुए रक्तदान शिविर आयोजित करने का भी निर्देश दिया। केंद्रीय मंत्री ने परिसरों और अनुसंधान केंद्रों में आत्मरक्षा, आपातकालीन निकासी रणनीतियों और नियमित मॉक ड्रिल पर संवेदीकरण कार्यक्रम आयोजित करने को भी कहा।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के सचिव डॉ. अभय करंदीकर, जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) के सचिव डॉ. राजेश गोखले, सीएसआईआर के महानिदेशक एवं डीएसआईआर के सचिव डॉ.एन.कलैसेल्वी,आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के संयुक्त सचिव सेंथिल पांडियन और स्वायत्त वैज्ञानिक संस्थानों के निदेशक तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी हाइब्रिड मोड के माध्यम से बैठक में शामिल हुए।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने सभी वैज्ञानिक विभागों को विशेष रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में अपनी सुविधाओं की एक व्यापक सूची तैयार करने और उचित सुरक्षा के लिए इसे राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों के साथ साझा करने का निर्देश देकर बैठक का समापन किया।

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