कानपुर निवासी व एयर वार्निग रडार संचालन के प्रभारी रहे लेफ्टिनेंट कमांडर (रिटायर्ड) ईशान शुक्ल की कहानी
भले ही आप सेना में रहे या न रहें लेकिन एक सैनिक का दिल हमेशा देश की आन बान और शान के लिए धड़कता है… लेफ्टिनेंट कमांडर ईशान शुक्ल (रिटायर्ड) इसी सैनिक जज़्बे की बानगी है। ईशान 2012 में भारतीय नौसेना का हिस्सा बनें। तब उनको उस समय के एक मात्र विमानवाहक युद्धपोत आई एन एस विराट में अपना साहस और शौर्य दिखाने का अवसर मिला। इस दौरान उन्होने न सिर्फ अपनी तकनीकी क्षमता का प्रदर्शन किया रूस के तकनीक रक्षा विशेषज्ञों के साथ मिलकर भविष्य के लिए कारगर कार्य किया। ईशान अब नए सिरे से युद्ध के लिए तैयार हैं। इस बार वो अपने मेनेजमेंट कौशल के लिए देश की सेवा करने की पहल कर रहे हैं।
नौसेना में कार्य करते हुए ईशान ने राडार-रेडियो और हथियार उपकरणों के साथ आई एन एस विराट पर व्यावहारिक तकनीक का अनुभव प्राप्त हुआ | इसके बाद उन्हें रूसी मूल के विमानवाहक पोत आई एन एस विक्रमादित्य को सौपा गया | लगभग ढाई वर्षों से अधिक समय के लिये उन्होंने रूसी टेक्निशंस के साथ काम किया और पोत पर लगने वाले एयर वार्निग रडार संचालन के प्रभारी रहे |
गौरतलब है कि ये राडार विमानवाहक के डेक से मिग 29 लड़ाकू जेट उड़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ईशान की कड़ी मेहनत वा जज्बे के परिणाम स्वरूप उन्हे जल्द ही फ्लैग आफिसर कमांडिंग इन चीफ की प्रशंसा प्राप्त हुई | उनकी शेष सेवा के लिये उन्हें नेवल शिप रिपेयर यार्ड, कारवार, और नौसेना मुख्यालय, नई दिल्ली, सहित कई स्थानों पर तैनात किया गया | आज उनका लक्ष्य है कि भारतीय नौसेना में अर्जित किये अपने प्रौद्योगिकी अनुभव को आई एस बी में प्राप्त हो रहे प्रबंधन सम्बन्धी ज्ञान से जोड़ कर भारत में नयी औद्योगिक सम्भावनाये बनाए जो की समाज और देश दोनों की प्रगति में अपना योगदान दे।
लेफ्टिनेंट कमांडर (रिटायर्ड) ईशान कहते है, “चाहे वो कालेज प्लेसमेन्ट की बात हो या भारतीय नौसेना में चयन की या जीमैट या फिर एम बी ए परीक्षाओं की तैयारी हो, प्रक्रिया सदैव श्रमसाध्य थी लेकिन मुझे लगता है कि मैंने इन सभी चीजों से बहुत कुछ सीखा है और मैं युवाओं की सहायता कर सकता हूँ। मुझे लगता है कि केवल मार्गदर्शन प्रदान करने से, जिसका मेरे पास अभाव रहा है, मैं अगली पीढ़ी के लिये मददगार बनूँगा और इससे मुझे अत्यंत खुशी होगी।
ईशान बताते हैं कि खाली समय में टेनिस खेलना, लम्बी वाक पर जाना, संगीत सुनना और किताबे पढ़ना पसंद है। इसके अलावा अपने चार साल के बेटे एवम परिवार के साथ समय बिता कर तरो ताजा महसूस करते है। लेकिन इन दिनों वह यह सब मिस कर रहे हैं क्योंकि इस वर्ष ईशान ने देश के प्रतिष्ठित इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस (आई एस बी) के पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम इन मैनेजमेंट (पी जी पी) में दाखिला लिया है। कानपुर नगर में पले-बढ़े ईशान, इन दिनों, आई एस बी के अत्याधुनिक मोहाली परिसर में रात-रात भर जग कर अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित कर रहे है। उनका समय या तो असाइनमेंट्स करने या साथियों के साथ प्रोजेक्ट करने या फिर उन सभी कठिन परीक्षाओं की तैयारी में व्यतीत हो रहा है जो कि उन्हें इस कोर्स के दौरान पास करनी हैं। दस साल तक एक अधिकारी के रूप में भारतीय नौसेना में सेवा देने के बाद छात्र जीवन में वापस जाना उनके लिए आसान नहीं रहा। फिर भी, ईशान कहते हैं कि वह अपने परिवार, दोस्तों और कानपुर शहर को गौरवान्वित करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।
कानपुर के शांति नगर मोहल्ले के एक साधारण घर से आने वाले ईशान ने अपनी स्कूली शिक्षा सेठ आनंदराम जयपुरिया से की और केआईईटी, गाजियाबाद से इलेक्ट्रिकल इंजीनियर बन गए। यहॉँ तक का उनका सफर पूरी तरह से फोकस, निष्ठा और दृढ़ इच्छाशक्ति के बारे में था और ये आगे भी जारी रहा | जब इंजीनियरिंग के चौथे वर्ष के अंत में, उन्हें भारतीय नौसेना में शामिल होने का अवसर मिला तो उन्होंने अपने इंफोसिस जॉब प्लेसमेंट (जिसका कई बीटेक छात्र सपना देखते हैं) को छोड़ने का फैसला किया| यहाँ से एक नया सफर शुरू हुआ।