Monday, September 16, 2024
Homeआर्थिकसमूचे बौद्ध सर्किट में बिछाया जाए हवाई पट्टियों का जाल

समूचे बौद्ध सर्किट में बिछाया जाए हवाई पट्टियों का जाल

आनन्द अग्निहोत्री

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कुशीनगर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का उद्घाटन करते समय यह स्वीकार किया है कि उत्तर प्रदेश में पग-पग पर तीर्थ हैं और कण-कण में ऊर्जा है। कुशीनगर हवाई अड्डा निश्चित रूप से जहां पूर्वांचल के लोगों के हित में है, वहीं देश-विदेश के उन लोगों के लिए भी सुविधाजनक साबित होगा जो इस बौद्ध तीर्थस्थल का भ्रमण करना चाहते हैं। यह तो साफ है कि मोदी सरकार ने राज्य के धार्मिक स्थलों को आवागमन के साधनों से जोड़ा है और जन सुविधाएं बढ़ायी हैं लेकिन क्या उसे उस बौद्ध परिपथ का ध्यान है जिसकी कल्पना कुछ दशक पहले की गयी थी। अगर इस बौद्ध परिपथ को तैयार कर दिया जाये तो निश्चित रूप से हिन्दू धर्म के साथ-साथ बौद्ध और जैन धर्म के अनुयाइयों और पर्यटकों की इस क्षेत्र में आवागमन की संभावनाएं और बढ़ जायेंगी। सैलानियों की आमद बेरोजगारी दूर करने में कारगर साबित होगी।

याद करें समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह ने करीब तीन दशक पहले  अपनी सरकार के समय तीन हवाई पट्टियों का निर्माण कराया था। ये श्रावस्ती, लखीमपुर (पलिया साइड) और पिथौरागढ़ (अब उत्तराखंड) में बनायी गयीं थीं। हवाई पट्टियां तो अब भी तैयार हैं लेकिन इन्हें चालू होने की दरकार है। अगर धार्मिक पर्यटन बढ़ाना है तो इस ओर गम्भीरता के साथ ध्यान देना होगा।

बौद्ध परिपथ की बात करें तो चार नाम तेजी से उभरकर सामने आते हैं। श्रावस्ती, सारनाथ, कौशांबी और कुशीनगर। बौद्ध धर्म के प्रवर्तक गौतम बुद्ध का कुशीनगर परिनिर्वाण स्थल है जहां बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का लोकार्पण किया। श्रावस्ती वह महत्वपूर्ण स्थान है जहां गौतम बुद्ध ने 34 चातुर्मास व्यतीत किये थे। सारनाथ में उन्होंने पहला प्रवचन दिया था। कौशांबी की हालांकि ज्यादा चर्चा नहीं होती लेकिन प्रयागराज से कानपुर जाते समय यमुना किनारे स्थित इस स्थान पर भी गौतम बुद्ध ने प्रवचन किये थे। यह स्थान पुरातात्विक महत्व का भी है।

जैन धर्म के तीर्थंकरों की जन्म स्थली भी उत्तर प्रदेश रही है। इसके अलावा स्वामी नारायण सम्प्रदाय के प्रवर्तक की जन्म स्थली भी गोंडा जिले के छपिया में है। धार्मिक रूप से देखा जाये तो शाकंबरी, विंध्याचल, ललिता (नैमिष) में देवी के शक्ति पीठ हैं। दतिया में भी मां पीताम्बरा का शक्ति पीठ है। हालांकि यह मध्य प्रदेश में है लेकिन यह जिला उत्तर प्रदेश के झांसी जिले से जुड़ा हुआ है। काशी, प्रयागराज, नैमिषारण्य, मथुरा, अयोध्या, चित्रकूट आदि सनातन धर्म के प्रमुख स्थल हैं। काशी में तो अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है और अयोध्या में बन रहा है। आगरा में चार्टर्ड प्लेन उतरने की सुविधा है। अगर जेवर में हवाई अड्डा बन जाये तो मथुरा को लाभ हो सकता है। उड़ान योजना के तहत गाजियाबाद के हिंडन तथा त्रिशूल एयरपोर्ट का सीमित उपयोग तो हो रहा है मगर पश्चिमी और मध्य उत्तर प्रदेश को कैटर करने के लिए इन्हें भी अपग्रेड करना होगा। उधर उत्तराखंड सरकार पंतनगर हवाई अड्डे को सक्रिय करने के प्रयास में लगी है। इससे रामपुर तथा मुरादाबाद को भी लाभ होगा।

झांसी के पास ओरछा में रामराजा का ऐतिहासिक मंदिर है। इसकी सबसे खास बात यह है कि यहां राम को राजा माना जाता है। अयोध्या समेत अन्य जगहों में राम की कल्पना भगवान के रूप में की गयी है। बेतवा नदी के किनारे स्थित ओरछा ही एकमात्र ऐसा स्थान है जहां राम को भगवान न मानकर सिर्फ राजा माना जाता है। झांसी अथवा चित्रकूट में हवाई अड्डा बने तो इस पूरे सर्किल को धार्मिक पर्यटन से जोड़ा जा सकता है। बहराइच, गोंडा, बलरामपुर, बाराबंकी के तमाम लोग नेपाल और खाड़ी देशों में काम करते हैं। श्रावस्ती का हवाई अड्डा विकसित कर इन सभी के लिए जहां सहूलियत उपलब्ध करायी जा सकती है, वहीं पर्यटन को भी बढ़ावा दिया जा सकता है। सवाल यह है कि क्या मौजूदा सरकार अपने इस कार्यकाल में इस ओर ध्यान देगी और गम्भीरता के साथ इस परिपथ को जोड़ने की योजना बनायेगी।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments