आनन्द अग्निहोत्री
सबसे सख्त हाकिम और उनकी ही सल्तनत में सबसे ज्यादा घालमेल। है न हैरत की बात। चौंकिये नहीं यह तस्वीर किसी और की नहीं उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार की है। यूपी टेट परीक्षा का पेपर लीक होने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गर्जना की झड़ी लगा दी। दोषियों को बख्शेंगे नहीं, कितने भी रसूखदार हों उनके घर पर बुलडोजर चलवा देंगे और गैंगस्टर ऐक्ट और रासुका लगा देंगे। यह सही है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कारवाई होनी ही चाहिए लेकिन अब तक जितनी परीक्षाओँ के पर्चे लीक हुए हैं उनके दोषियों को क्या सजा दी गयी है। कितने अभियुक्त सजा काट रहे हैं। यह गंभीर सवाल है।
बीते वर्षों पर नजर डालें तो पिछले पाँच वर्षों में अब तक 16 परीक्षाएं पर्चे लीक होने के कारण रद्द की गयी हैं। सब इंस्पेक्टर परीक्षा 2017, यूपीपीसीएल परीक्षा 2018, यूपी पुलिस 2018, अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड 2018, स्वास्थ्य विभाग प्रोन्नति 2018, नलकूप आपरेटर 2018, सिपाही भर्ती 2018, शिक्षक भर्ती 2020, एनडीए 2020, बीएड प्रवेश परीक्षा 2021, पीईटी 2021, सहायता प्राप्त स्कूल शिक्षक/प्रधानाचार्य 2021, यूपीटीजीटी 2021, नीट मेडिकल परीक्षा 2021, एसएससी 2021 और यूपी टेट परीक्षा 2021 के पर्चे लीक हुए और ये परीक्षाएं रद करनी पड़ीं। सवाल इस बात का है कि इसके लिए जिम्मेदार कौन है सरकारी तंत्र में बैठे लोग या परीक्षा आयोजित करने वाली एजेंसियां। मोटे तौर पर देखें तो ये एजेंसियां ऐसा क्यों करने लगीं। ऐसा करने से तो उनकी साख पर बट्टा लगेगा और उन्हें परीक्षा आयोजन के दायित्व से मुक्त किया जा सकता है। शक की सुई कहीं न कहीं सरकारी तंत्र में बैठे मठाधीशों की ओर ही घूमती है। इस शक पर विश्वास की परत तब और जम जाती है जब पता चलता है कि अब तक जितनी परीक्षाओं के पर्चे लीक हुए उनमें शायद ही किसी को दोषी ठहराकर सजा दी गयी हो।
मान लिया कि कुछ लोग गड़बड़ी करते हैं लेकिन ऐसे दो-एक प्रकरणों के बाद तो सरकार को सबक ले लेना चाहिए था कि आगे से ऐसा न हो। अब इसका क्या किया जाये कि 16 परीक्षाओं के पेपर लीक हुए, परीक्षाएं रद्द हुईं, अभ्यर्थियों के सपने धूल-धूसरित हुए लेकिन सजा देना तो दूर की बात, किसी को दोषी तक नहीं ठहराया जा सका।
यूं तो पूरे देश की सार्वजनिक परीक्षा प्रणाली कटघरे में है। अकेले वर्ष 2021 में ही छोटी से लेकर बड़ी आर्मी, नीट, जेईई समेत कम से कम 10 परीक्षाओं के पर्चे लीक हो चुके हैं। केन्द्र से लेकर राज्य सरकारें तक व्यवस्था की इस खामी को दूर करने में विफल हो रही हैं। लेकिन यूपी में सबसे ज्यादा पेपर लीक हुए हैं। इतने प्रकरणों के बाद भी सरकार यह नहीं पता लगा पा रही है कि पेपर कैसे लीक हो रहे हैं। क्या सरकारी वेबसाइट हैक की जा रही है या किसी अन्य की गलती से ऐसा हो रहा है। यह तो माना जा सकता है कि लाखों उम्मीदवारों की प्रवेश और भर्ती परीक्षा आयोजित कराना आसान नहीं है। इस पूरी कवायद में शामिल लोगों के प्रयासों को निष्फल करने के लिए सिर्फ एक कमजोर कड़ी की जरूरत होती है। पेपर लीक होने से अभ्यर्थियों को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है, सरकार को भी वित्तीय नुकसान के साथ लांछन का भी सामना करना पड़ता है। सवाल यह है कि क्यों सरकार ऐसी पुख्ता व्यवस्था कायम नहीं कर पा रही है कि ऐसे प्रकरणों की पुनरावृत्ति न हो।
ऐसे हालात में बैंकिंग कार्मिक चयन संस्थान का उदाहरण दिया जा सकता है। यह संस्थान स्वायत्तशासी निकाय है और पूरे देश की बैंकों के लिए भर्ती परीक्षा आयोजित करता है। आज तक इस संस्थान की परीक्षा का एक भी पेपर लीक नहीं हुआ है। इसके पास सुचारु परीक्षण करने के लिए सक्षम तकनीक है अन्य संस्थानों के पास इसका अभाव है। जो भी हो यूपी टेट का पेपर लीक होने से सरकार पर एक बार फिर प्रश्नचिह्न लग गया है, जिसका समाधान उसे देना ही होगा।