योगी आदित्यनाथ ने यूपी में वो चमत्कार किया है जो पहले लाभी नहीं हुआ। पाँच साल का कार्यकाल पूरा किया। भाजपा की पूर्ण बहुमत सरकार की वापसी कराई और एकबार फिर मुखमंत्री बनने की राह बनाई। लेकिन ये लक्ष्य हासिल करने के लिए उनको लंबा रास्ता तय करना पड़ा है।
बात 2014 की है। जब लोकसभा में प्रचंड बहुमत के बाद नरेंद्र मोदी देश की सत्ता के शिखर पर पहुँच गए थे। देश को 30 सालों बाद पूर्ण बहुमत का गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री मिला था। इसके बाद उत्तर प्रदेश में 12 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने जा रहे थे जिसमें भाजपा को ऐसे स्टार प्रचारक की जरूरत थी जो भविष्य में प्रदेश भाजपा का चेहरा बन सके। फिर क्या योगी आदित्यनाथ से पार्टी ने उपचुनाव में काफी प्रचार कराया गया लेकिन परिणाम निराशाजनक रहा। भाजपा को यूपी ही नहीं बल्कि दिल्ली और बिहार में भी हार का सामना करना पड़ा। यह समय था जब यूपी में विधान सभा को एक साल बचा था। ऐसे में एकबार फिर भाजपा को प्रदेश में नेतृत्व के लिया चेहरे की जरूरत थी और पार्टी के नीति नियंताओं की नजरें एक बाद योगी आदित्यनाथ की ओर गईं।
सन् 2016 में गोरखनाथ मंदिर में संत सभा में आरएसएस की मौजूदगी में यह निर्णय लिया गया कि योगी को मुख्यमंत्री बनाया जायें। इस सभा में संतो ने कहा कि 1992 में जब संतो ने इकट्ठा होकर राम मंदिर बनाने का निर्णय लिया था तब ढांचा तोड़ दिया गया था। अगर सुप्रीम कोर्ट का फैसला हमारे पक्ष में भी आया तो भी मुलायम या मायावती के रहते राम मंदिर नहीं बन पायेंगा। इसके लिए हमें योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाना होंगा। बस फिर क्या 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने योगी आदित्यनाथ से पूरा प्रचार कराया जिसके परिणाम स्वरूप 19 मार्च 2017 को उत्तर प्रदेश के बीजेपी विधायक दल की बैठक में योगी आदित्यनाथ को विधायक दल का नेता चुनकर मुख्यंमत्री पद को सौंपा गया।
उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार के दोबारा मुख्यमंत्री बनने जा रहे महंत आदित्यनाथ का असली नाम अजय सिंह है। उत्तराखंड में 5 जून 1972 को जन्मे अजय ने 22 वर्ष की उम्र में ही सांसारिक जीवन त्यागकर संन्यास ग्रहण कर लिया था। गढ़वाल विश्वविद्यालय से गणित में बीएससी करने के बाद वो गोरखपुर आ गए थे। महंत अवैद्यनाथ ने उनको न सिर्फ मठ में उत्तराधिकार दिया। बल्कि राजनीतिक उत्तराधिकारी बनाकर 1998 में सांसद भी बनवाया। योगी आदित्यनाथ बारहवीं लोकसभा के सबसे युवा सांसद थे। 1999 में यह दूसरी बार गोरखपुर से पुनः सांसद चुने गये। 2004 में तीसरी बार लोकसभा का चुनाव जीता। सन् 2009 में चौथी बार और 2014 मे पांचवी बार योगी आदित्यनाथ ने दो लाख से अधिक वोटों से जीतकर लोकसभा के सांसद चुने गये। इस बीच 2002 में योगी आदित्यनाथ ने अपना एक संगठन भी बनाया जिसका नाम हिन्दू युवा वाहिनी है। इस संगठन का मुख्य कार्य ग्राम रक्षा दल के रूप में हिंदू विरोधी, राष्ट्रवादी और माओवादी विरोधी गतिविधियों को नियंत्रित करना है। हिन्दू युवा वाहिनी के इन्ही कामों से गोरखपुर में शान्ति बढ़ने लगी है और वहीं दंगों की संख्या में भी कमी आने लगी है जिससे गोरखपुर के लोगों का योगी आदित्यनाथ पर विश्वास बढ़ने लगा जिसका परिणाम यह हुआ कि योगी पूर्वाञ्चल के भी सबसे बड़े नेता बन गए। पिछले पाँच वर्षों में उनके कार्यकाल के आधार पर ही भाजपा की दोबारा सत्ता में वापसी हुई है।