सुपर स्टार राजेश खन्ना की जयंती पर विशेष
दिलीप कुमार पाठक
समुद्र की लहरे तो बहुत आती हैं एक ऐसी भी आती है, जो निशाँ छोड़ जाती है, वही स्टारडम राजेश खन्ना का है जो लकीर आज भी कोई क्रॉस कर नहीं कर सका, पहली बार किसी भी बॉलीवुड स्टार के लिए सुपरस्टार शब्द का प्रयोग किया गया, राजेश खन्ना 70-80 के दशक में वो स्टारडम हासिल कर चुके थे, बॉलीवुड में इस हद तक कि दिवानगी उनके प्रशंसकों में कभी देवानंद की हुआ करती थी, उस स्टारडम की लकीरें राजेश खन्ना ने क्रॉस किया,…. देवानंद के बाद पर्दे पर रोमांस को अपने अंदाज़ में पेश किया, और वह परिभाषा ही बन चुका था, यह करिश्मा राजेश खन्ना का था….यूँ तो उनकी पहली फिल्म आखिरी खत थी…. बट पहली फिल्म उनके लिए “आराधना ” रही जिसमें उनका छोटा सा रोल था… माँ केन्द्रित फिल्म शर्मिला टैगोर अभिनीत फिल्म फिर डबल रोल हो जाने के बाद राजेश खन्ना ने “आराधना ” तो अपने नाम की अपितु रातों – रात बुलंदियों तक पहुंच गए,
किसी भी अभिनेता के स्टार से सुपरस्टार तक के सफर में अच्छी स्क्रिप्ट मार्केट में विश्वसनीय निर्देशक एवं म्यूजिक डायरेक्टर, कंपोज़र, उससे भी ज्यादा प्लेबैक सिंगर ये सब सीढ़ियां होते हैं, जो सफलता का स्वाद चखवा सकते हैं, राजेश खन्ना ने सच में इस सब के साथ अच्छा सामंजस्य स्थापित किया था, एसडी आनन्द, किशोर कुमार एवं राजेश खन्ना की तिकड़ी ने बॉलीवुड में पार्श्व संगीत में सबसे ज्यादा हिट दिया… आज भी राजेश खन्ना अभिनीत सदाबहार गीत सबसे ज्यादा लोकप्रिय हैं,
साथी अभिनेत्रियों में शर्मिला टैगोर, मुमताज़, स्मिता पाटिल के साथ सबसे ज्यादा राजेश खन्ना को पसंद किया गया है, सीनियर वहीदा रहमान जी, आशा पारेख जी के साथ पर्दे पर रोमांस राजेश के लिए मील का पत्थर साबित हुआ, ऋषिकेश मुखर्जी, चेतन आनन्द यश चौपड़ा, बी आर चोपड़ा, जैसे टैलेंटेड निर्देशक का साथ भी राजेश खन्ना को बुलंदियों तक ले गया, लगातार 16 फ़िल्में सुपरहिट देने के लिए राजेश याद किए जाते हैं, आज भी वो रिकॉर्ड कायम है, जो टूटा नहीं है,आनन्द, अमरप्रेम, दाग, हाथी मेरे साथी, दो रास्ते, बावर्ची, सच्चा, झूठा, कटी पतंग, आराधना, जैसी उम्दा फ़िल्में ऋषिकेश मुखर्जी, यश चोपड़ा, बी आर चोपड़ा, चेतन आनन्द जैसे टैलेंटेड निर्देशक आदि की छत्रछाया में बनी जो इतिहास है।
ल़डकियों में दिवानगी देवानंद की रही है, वो काले कपड़े पहनकर फ़िल्में बनाने के लिए बैन कर दिए गए थे, क्योंकि लड़कियां काले कपड़े में देखकर जान देती थीं, इस कदर दूसरी दफा राजेश खन्ना को स्टारडम मिला… उनके दौर की महिलाएँ बताती हैं कि पर्दे पर राजेश खन्ना की फ़िल्म देखने सज-संवर कर ऐसे जाती जैसे वो राजेश खन्ना के साथ डेट पर जा रही हों उनकी ऐसे महसूस होता था कि वो डायलॉग मुझे बोल रहे हैं, यह उस दौर की हर लड़की की फिलिंग थी, वो व्यक्त भी करती रही हैं, राजेश खन्ना के गाड़ी की धूल से माँग भरती हुई लड़किया भी थीं.. उनकी सफेद कार को इस कदर चुंबन देती थीं, उनकी कार लाल हो जाती थी,… राजेश खन्ना को खून से खत लिखने वाली, एवं उनके फोटो से शादी करने वाली लड़कियां भी थीं, ऐसे स्टारडम स्नेह सपनों में ही हो सकता है… बट यह सच्चाई है,
ब्लॉकबस्टर फिल्म “आनन्द” जो राजेश खन्ना की सबसे बड़ी हिट मानी जाती है, जो बॉलीवुड की सफलतम फिल्म है, फिल्म के अन्त में राजेश यानी जिंदादिल युवक आनन्द की म्रत्यु होती है, तब अमिताभ को डॉ, दोस्त की भूमिका में रोने वाली ऐक्टिंग करना था, तो अमिताभ असहज हो गए थे। उन्होंने फिल्म डायरेक्टर से कहा कि मैं एक नया अभिनेता सुपरस्टार राजेश खन्ना के सामने रोते हुए कैसे अभिनय कर सकूँगा जो कि वो मर चुके होंगे। तब डायरेक्टर ने अमिताभ का आत्मविश्वास जगाया की समझो राजेश सचमुच मर गए… फिर अमिताभ का अभिनय एवं आनन्द फिल्म दोनों इतिहास हैं।
सुपरस्टार सलमान खान के पिता प्रसिद्ध रायटर सलीम खान एक किस्सा बताते हैं, कि मेरे आँखों देखा हाल है, एक बार मैं मुंबई ताज होटल में शामिल होने गया था, मैं अंदर जा रहा था, राजेश खन्ना निकल रहे थे, एक साथ दिलीप कुमार, देवानंद, राजकपूर सहित पूरे बॉलीवुड के दिग्गज खड़े पॉज दे रहे थे,इस तिकड़ी का मतलब ही बॉलीवुड होता था, एनाउंसमेंट हो रही थी, राजेश खन्ना आ रहे हैं, पूरे कैमरे राजेश खन्ना की ओर घूम गए थे, चाल – ढाल क्या थी अपनी हवा में बहने वाला नवयुवक जिसकी तब तीन फ़िल्में ही रिलीज हुई थीं, बाद में वही आत्मविश्वास से लबरेज युवा पहला सुपरस्टार बना।
राजेश खन्ना के बारे में फिल्म समीक्षक एवं उनके क़रीबी बताते हैं कि वो एरोगेंट थे, समय के पाबंद नहीं थे, वो अपनी हवा में बहते थे, आम तौर पर कहा जाता है कि इस स्वभाव का आदमी बहुत ज्यादा हासिल नहीं कर सकता… फिर भी उन्होंने अपने फिल्मी जीवन के लिए अपने लाइफस्टाइल में कोई बदलाव नहीं किया, यह भी उनके वक़्त बदलने या सितारे गर्दिश मे जाने का कारण रहा जिसे कहा जाता है, राजेश खन्ना अपने स्टारडम को बरकार नहीं रख सके… बहरहाल अपना – अपना मत एवं तजुर्बा है।
राजेश खन्ना के गिरते ग्राफ को लेकर अमिताभ बच्चन के बढ़ते स्टारडम को माना गया है… जिससे राजेश खन्ना डिप्रेस्ड हो गए… हकीकत यह है, कि कि इमर्जेंसी के दौरान एंग्रीयंगमैन अमिताभ ने रोमांस से हटकर सिनेमा को गढ़ा एवं राजेश खन्ना ने अपने आप से समझौता नहीं किया रोमांस करते रहे और उनका बॉलीवुड से लगभग पैक-अप हो गया…. राजेश खन्ना के परिवार के बारे में ज्यादा नहीं लिखूँगा पर्सनल लिखना मुझे लगता है लेखनी नहीं है, फिर भी उनके जीवन को देखकर लगता है, वो अपने दुःख के दिनों बहुत एकाकी हो गए थे.. कैंसर ने उन्हें दबोच लिया था…
राजेश खन्ना की जीवनी एवं उनके सामाजिक – पारिवारिक पृष्ठभूमि पढ़ने के बाद वैसे व्यक्तिगत रूप से कोई भी कहानी पढ़ते हुए उसमें खुद घुस जाता हूँ… कभी – कभी निकलना मुश्किल हो जाता है, राजेश खन्ना के साथ जो हुआ… उससे मुझे अपने आसपास के अनुबंधों पर से विश्वास उठने वाला था… विश्वास तो उठा नहीं अपितु उस सुपरस्टार के कैफ़ियत के दिनों को महसूस करना भी मुश्किल है,… गनीमत है मैं राजेश खन्ना नहीं…
राजेश का एक पुराना इंटरव्यू पढ़ रहा था… वो अपने कैफ़ियत के दिनों का जिक्र करते हैं, वो “साहिर लुधियानवी ” का शेर हर महफिल हर इंटरव्यू आदि बार – बार बोलते पाए गए हैं..
“इज्जत ए शोहरत ए उल्फत ए सब कुछ इस दुनिया में रहता नहीं,
आज मैं हूँ जहां कल कोई और था, ये भी एक दौर है वो भी एक दौर है ” राजेश खन्ना के घर जन्मदिन पर एक ट्रक गुलदस्ते आते थे, घर गुलजार हो जाता था, पता नहीं किस किस ने भेजे एक जन्मदिन सुपरस्टार ने ऐसा भी देखा गुलदस्ता तो एक भी नहीं आया, तब लगता है, शेर ठीक ही बोलते थे, सच ही किसी ने कहा है, प्रशंसक भी वक़्त के पाबंद होते हैं…एकाकी हो चुके राजेश खन्ना को कैंसर ने जकड़ ने लिया था, एक दिन कहा मैं राजेश खन्ना नहीं बन सकता, मेरा टाइम ओवर हो गया… बोलते हुए खामोश हो गए…