सत्ता पक्ष और विपक्ष के अड़ियल रवैये के चलते संसद के मानसून सत्र में न के बराबर काम हुआ है। पेगासस जासूसी से लेकर किसानों के मुद्दे पर चर्चा की मांग को लेकर विपक्ष ने सदन को अभी तक चलने नहीं दिया है जबकि सरकार नियमानुसार संसद के कार्य को संचालित करना चाहती है। ऐसे में जो सदन 107 घंटे के काम को निपटा सकता था उसमें 89 घंटे की बर्बादी हुई और करीब 140 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। ऐसे में सदन तय समय से पहले ही समाप्त किया जा सकता है।
मानसून सत्र की शुरुआत 19 जुलाई से हुई थी। सरकार को उम्मीद थी कि इस बार के सत्र में अहम मुद्दों पर चर्चा के साथ-साथ कई बिल भी पास हो जाएंगे, लेकिन विपक्ष के हंगामे के चलते संसद का कामकाज लगभग ठप पड़ा है. अब तक दोनों सदनों में कुल मिलाकर सिर्फ 18 घंटे का कामकाज़ हुआ है, जबकि इस दौरान संसद की कार्यवाही करीब 107 घंटे चल सकती थी. लिहाज़ा एक अनुमान के मुताबिक देश के खज़ाने को 133 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ है। लोकसभा में मौजूदा सत्र के दौरान सिर्फ 7 घंटे का कामकाज हुआ है, जबकि यहां 19 जुलाई से लेकर अब तक करीब 54 घंटे तक का काम हो सकता था. उधर ऊपरी सदन यानी राज्यसभा में भी अब तक महज 11 घंटे का काम हुआ है. जबकि यहां भी करीब 53 घंटे की कार्यवाही हो सकती थी. यानी हिसाब लगाया जाय तो दोनों सदनों में कुल मिलाकर अब तक कुल 89 घंटे की बर्बादी हुई है।