उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा योगी सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार सुनिश्चित हो गया है। रक्षाबंधन के बाद होने वाले योगी सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार हो सकता है। उम्मीद की जा रही है कि भाजपा सहयोगी दल के साथ पिछड़े वर्ग और ब्राह्मण नेताओं को कैबिनेट में जगह देकर कई निशाने साधने वाली है। इसके अलावा दलित, गुर्जर और जाट विधायक को मंत्री बनाया जा सकता है।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के आवास पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, सीएम योगी आदित्यनाथ, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और संगठन महामंत्री सुनील बंसल ने मंत्रिमंडल विस्तार पर चर्चा की। केंद्रीय नेतृत्व रक्षाबंधन के बाद किसी भी दिन मंत्रिमंडल विस्तार को हरी झंडी दे दी है।
यूपी कैबिनेट विस्तार में केंद्र की तरह ओबीसी चेहरों को तरजीह देने की योजना है। चुनाव से पहले ओबीसी वोटरों को लुभाने के लिए योगी कैबिनेट में कुर्मी, निषाद के अलावा राजभर समुदाय के प्रतिनिधित्व को मंत्री पद देने के कयास लगाए जा रहे हैं। पिछले दिनों केंद्र सरकार के कैबिनेट विस्तार में रेकॉर्ड 27 ओबीसी नेताओं को शामिल किया गया था। तब इसे यूपी चुनाव को देखते हुए केंद्र का दांव माना गया था। यूपी में पिछड़ों की आबादी कुल जनसंख्या की तकरीबन आधी बताई जाती है। सूत्रों के अनुसार जेपी नड्डा और अमित शाह के साथ हुई बैठक में योगी सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार और एमएलसी बनाए जाने के लिए चार नामों पर सहमति बन गई है। विस्तार में पांच से छह मंत्री बनाए जा सकते हैं। जिसमें 2022 का चुनाव देखते हुए बीजेपी नेताओं के साथ-साथ सहयोगी दलों को भी कैबिनेट में जगह देकर सियासी समीकरण साधने की कवायद में है। बीजेपी के केंद्रीय और उत्तर प्रदेश के शीर्ष नेताओं के बीच हुई बैठक में निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद का नाम फाइनल माना जा रहा है। वहीं, सूबे में ब्राह्मण समुदाय की नाराजगी को देखते हुए बीजेपी जितिन प्रसाद और लक्ष्मीकांत वाजपेयी को भी मंत्री बना सकती है। कैबिनेट में दलित समुदाय से आने वाले विद्यासागर सोनकर को भी मंत्री बीजेपी बना सकती है।