- अमेरिका से लेकर ब्रिटेन तक की शिलाएँ मंदिर निर्माण में लगीं
- दुनियाँभर से आए एक ईंट, एक रुपए के शुरू हुआ था राम मंदिर आंदोलन
- अगले 1000 वर्षों तक मंदिर को मजबूत रखने वाली शिलाएँ स्थापित
- नंदा, भद्रा, जया, रिक्ता और पूर्णा शिलाओं के साथ मिट्टी का प्रयोग
अयोध्या में राम मंदिर का भव्य शुभारंभ हो चुका है। निर्माण सर्वोत्तम हो, इसके लिए तीनों लोक यानि दुनियाँ भर में बसे राम भक्तों ने मिट्टी और शिला का दान किया है। सिर्फ भारत के कोने- कोने से ही नहीं बल्कि अमेरिका से लेकर ब्रिटेन और हालैण्ड तक से लाई गई शिलाओं का पूजन किया गया है। यही शिलाएँ अगले 1000 वर्षों तक रामलला के मंदिर को सुरक्षित रखेंगी। मंदिर निर्माण में कुल सवा चार लाख घनफुट पत्थरों का प्रयोग होगा। जिसमें एक लाख घनफुट से ज्यादा पत्थरों को तराशने का काम पूरा भी हो चुका है। 1989 से लेकर अब तक कारसेवकपुरम में रखी गई शिलाओं को दिल्ली की कंपनी 23 तरह के केमिकल से चमका रही है, जो महीने भर में शिलाओं की काई व अन्य गंदगी हटाकर पूरी तरह से चमका देगी। इंग्लैंड में बसे भारतवंशी भी अयोध्या शिला भेज चुके हैं। मंदिर निर्माण का सपना साकार होते ही वो जश्न मनाने में जुट गए हैं। उधर वास्तुकार चंद्रकांत सोमपुरा ने मंदिर को सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर बनाने के लिए अपने अनुभव और ज्ञान को दर्शाया है। वहीं नए माडल के अनुसार मंदिर अत्याधुनिक और दीर्घकाल के लिए सुरक्षित रखने लिए सोमपुरा परिवार की अगली पीढ़ी जुट गई है। उनके बेटे निखिल और आशीष सोमपुरा ने मंदिर को कालजयी बनाने के लिए नए दृष्टिकोण का सहारा लिया है।
कुछ समय पहले अयोध्या में सर्वार्थ सिद्धि योग के अभिजित मुहूर्त में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंदिर की नींव पूजा की थी । इसके साथ ही करोड़ों रामभक्तों का सपना भी पूरा होना शुरू हो गया था। अब नीव डालने से लेकर पत्थरों और शिलाओं की सफाई कटाई तेज कर दी गई गई। उम्मीद है अगले दो से तीन सालों में राम मंदिर भव्य स्वरूप में तैयार हो जाएगा।
राम मंदिर आंदोलन का शुभारंभ भी विश्व हिन्दू परिषद ने 36 साल पहले हर घर से एक ईंट और एक रुपया मांगकर की थी। जिसके मंदिर आंदोलन जनांदोलन में बदल गया था और 1989 में पहली शिलापूजन के साथ दुनियाँ भर से लोगों ने शिलाएँ भेजी थी जो आज नींव का पत्थर बन रही हैं। मंदिर निर्माण के लिए नंदा, भद्रा, जया, रिक्ता और पूर्णा नाम की पांच ईंटों (शिलाओं) की पूजा की गई थी। खासबात यह है नींव में इस्तेमाल की जाने वाली इन ईंटों के नाम हिन्दू तारीखों के नाम पर है। इसका मतलब साफ है कि ये तारीखें काल से भी मंदिर कि सुरक्षा करेंगी और हजारों साल तक मंदिर नया और मजबूत बना रहेगा। ये शिलाएँ देश के कोने- कोने से आई हैं तो 80 दशक के आखिरी सालों में मंदिर निर्माण के ऐलान के बाद यूनाइटेड किंग्डम में विराट हिन्दू सम्मेलन का आयोजित किया गया। जिसमें राम भक्तों ने ईंटें भेंट की जिनको 1989 में शिलान्यास के लिए भारत भेजा गया था। जन्म भूमि विवाद का मामला कोर्ट में होने के कारण इन शिलाओं को कारसेवकपुरम में रखा गया था। अब राम मंदिर निर्माण शुरू हो जाने से राजस्थान के भरतपुर जिले के बंशीपहाड़पुर और सिरोही के पिंडवाड़ा में जश्न का माहौल है। यहां के करीब सवा 4 लाख घन फीट पत्थर का इस्तेमाल मंदिर निर्माण में होगा। इसमें से करीब 2.75 लाख घन फीट पत्थर भरतपुर के बंशी पहाड़पुर का सैंड स्टोन होगा और करीब 1.25 लाख घन फीट पत्थर सिरोही जिले के पिंडवाड़ा का उपयोग में लिया जाएगा। अब तक करीब सवा दो लाख घनफीट पत्थर अयोध्या भेजा जा चुका है। साथ ही 1989 से भेजी गई शिलाओं और मिट्टी का इस्तेमाल मंदिर निर्माण में होने जा रहा है। भारत के यूके से नहीं बल्कि अमेरिका और मुस्लिम देशों से भी भक्तों ने मंदिर निर्माण के लिए ईंटें भेजी। इसमें विदेशों में मुख्य रूप से श्रीराम मंदिर हालैण्ड, साउथ हैंप्टन, सऊदी अरब, आस्ट्रेलिया आदि से सैकड़ों शिलाएँ पूजन के लिए आईं। भारत में पंचायत पुंडटोला से 1001 रामभक्तों ने ईंटें भेंट की। इसके अलावा डफलापुर, सांगली महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडू, तेलंगाना, पुडुचेरी, आंध्र प्रदेश, केरल समेत समस्त दक्षिण भारत, पूर्वोत्तर, उत्तर और पश्चिम भारत से लोगों ने शिलाएं और मिट्टी दान की। छपिया गुजरात से आए अजित शर्मा और राम कुमार गुप्ता बताते हैं जब वो बच्चे थे तो उनके पिता 1989 में यहाँ आकर शिलाएं दान की थी। उनका ये सौभाग्य है कि इस बार वो अपने गाँव कि मिट्टी मंदिर निर्माण के लिए दे रहे हैं। राम मंदिर माडल की देखभाल करने वाले हजारी लाल कहते हैं कि पूरा जीवन मंदिर के माडल कि रक्षा में बीत गया है। अब साक्षात मंदिर निर्माण का सपना सच होने जा रहा है। दिनरात मंदिर का निर्माण करने वालों कि सेवा में व्यतीत करना जीवन का अगला उद्देश्य है जिससे मरने से पहले दिव्य मंदिर के दर्शन कर सकूँ।
—————————————-
राम लला के मंदिर में
कुल पत्थर लगेंगे – सवा चार लाख घनफुट
स्थान से आए – 2.75 लाख घन फीट पत्थर भरतपुर के बंशी पहाड़पुर का सैंड स्टोन
स्थान से आए – 1.25 लाख घन फीट पत्थर सिरोही जिले के पिंडवाड़ा का
खान से निकाले – महलपुर चूरा, तिछरा, छऊआमोड़ और सिरोंधा की खानों के पत्थर
अब तक अयोध्या आए- करीब तीन लाख घनफीट पत्थर
तराशे गए – दो लाख घनफुट
शिला- पत्थरों की सफाई – 23 तरह के केमिकल
पत्थर का रंग- लाल, बलुआ, बादामी, सफ़ेद
निर्माण – ईंट-गारा की जगह पत्थरों से निर्माण कर कॉपर और सफेद सीमेंट से जोड़ा जाएगा
गर्भ गृह की नींव में शिलाएँ – 51 हजार (शुद्ध मटियारी)
समय – न्यूनतम ढाई वर्ष