जेआरडी टाटा ने जब 1932 में टाटा एयरलाइंस की स्थापना की होगी तो कभी सोचा भी नहीं होगा कि उनकी कंपनी को सरकार ले लेगी। फिर एक दिन ऐसा भी आएगा जब उसी सरकारी कंपनी को एकबार फिर टाटा संस खरीद लेगा। 68 साल बाद ही सही लेकिन विमान क्षेत्र में देश कि नंबर वन कंपनी एयर इंडिया को टाटा खरीदने जा रहा है.खबरों के मुताबिक एयर इंडिया के लिए टाटा ने बोली जीत ली है। उम्मीद कि जा रही है कि दिसंबर तक टाटा को एयर इंडिया का मालिकाना हक मिल सकता है।
गौरतलब है कि जेआरडी टाटा ने 1932 में टाटा एयरलाइंस की स्थापना की थी। दूसरे विश्व युद्ध के वक्त विमान सेवाएं रोक दी गई थीं। जब फिर से विमान सेवाएं बहाल हुईं तो 29 जुलाई 1946 को टाटा एयरलाइंस का नाम बदलकर उसका नाम एयर इंडिया लिमिटेड कर दिया गया। आजादी के बाद 1947 में एयर इंडिया की 49 फीसदी भागीदारी सरकार ने ले ली थी। 1953 में इसका राष्ट्रीयकरण हो गया।
सरकार ने संसद में एक सवाल के जवाब में बताया था कि वित्त वर्ष 2019-20 के प्रोविजनल आंकड़ों के मुताबिक, एयर इंडिया पर कुल 38,366.39 करोड़ रुपये का कर्ज है। एयर इंडिया एसेट्स होल्डिंग लिमिटेड के स्पेशल पर्पज व्हीकल को एयरलाइन द्वारा 22,064 करोड़ रुपये ट्रांसफर करने के बाद की यह रकम है.सरकार ने संसद को बताया था कि अगर एयर इंडिया बिक नहीं पाती है तो उसे बंद करना है एकमात्र उपाय है। एयर इंडिया पहले टाटा ग्रुप की ही कंपनी थी. इस कंपनी की स्थापना JRD टाटा ने साल 1932 में की थी. आजादी के बाद उड्डयन क्षेत्र का राष्ट्रीयकरण हुआ और इसके चलते सरकार ने टाटा एयरलाइंस के 49 फीसदी शेयर खरीद लिए। बाद में ये कंपनी पब्लिक लिमिटेड कंपनी बन गई और 29 जुलाई, 1946 को इसका नाम एयर इंडिया रख दिया गया. साल 1953 में सरकार ने एयर कॉर्पोरेशन एक्ट पास किया और कंपनी के फाउंडर जेआरडी टाटा से मालिकाना हक खरीद लिया। इसके बाद फिर इस कंपनी का नाम एयर इंडिया इंटरनेशनल लिमिटेड रखा गया.इस तरह टाटा ग्रुप ने एक बार फिर 68 साल बाद अपनी ही कंपनी को वापस पा लिया है।