- सरकार ने तैयार किया जनसंख्या नियंत्रण का मास्टर प्लान
भारत भले ही आज दुनियाँ के जवान देशों की लाइन में खड़ा हो लेकिन महज छह साल बाद हमारी गिनती सबसे बूढ़े देश के रूप में होने लगेगी। हम 2027 के आस-पास चीन को पीछे छोड़ते हुए दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी वाले देश हो जाएंगे। यह संभावना संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक एवं सामाजिक मामलों के विभाग के ‘‘पॉपुलेशन डिविजन’’ ने जताई है। भारत की जनसंख्या में 2050 तक 27.3 करोड़ की वृद्धि हो सकती है। इस हिसाब से 2050 तक हमारी कुल आबादी 164 करोड़ होने का अनुमान है। निश्चित रूप से ये आंकड़ें चौंकाने वाले हैं।
अगर देखा जाए तो हम जनसंख्या के उस ज्वालामुखी पाए बैठे हैं जो कभी भी फट सकता है। इसकी चिंता यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर आसाम के मुख्यमंत्री हेमंत विश्वसरमा जता चुके हैं। यूपी और आसाम में नई जनसंख्या नीति को लागू करने की कवायद शुरू की गई है। हालांकि जब तक राष्ट्रीय स्तर प्रत्येक राज्य से जनसंख्या नियंत्रण की पहल नहीं होती है। उस समय तक जनसंख्या विस्फोट को रोकना संभव नहीं है। अगर जाति, धर्म और प्रांत के नाम पर जनसंख्या नियंत्रण का विरोध शुरू हुआ तो आने वाले समय में स्थिति भयावह होगी। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में बताया गया है कि 2050 तक वैश्विक जनसंख्या में जो वृद्धि होगी उनसे में से आधी वृद्धि भारत, नाइजीरिया, पाकिस्तान, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, इथियोपिया, तंजानिया, इंडोनेशिया, मिस्र और अमेरिका में होने की अनुमान है। संयुक्त राष्ट्र विभाग के डायरेक्टर जॉन विल्मोथ ने हाल ही में कहा कि ताजा अध्ययन में पाया गया कि अगले 30 साल में भारत की जनसंख्या में 27.3 करोड़ की वृद्धि हो सकती है। ऐसे में केंद्र सरकार के स्तर पर जनसंख्या नियंत्रण का मास्टर प्लान अभी से तैयार कर लिया गया है।
भाजपा खासतौर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारों में आरंभ से ही रहा है। राष्ट्र की उन्नति और सीमित प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग के लिए जनसंख्या का नियंत्रित होना जरूरी है। हालांकि इसके लिए आपातकाल (इन्दिरा गांधी सरकार) की तरह जबरिया नसबंदी पूरी तरह से गलत है। केंद्र सरकार का मानना है कि संतुलित कानून और सामाजिक जागरूकता से ही देश की आबादी को नियंत्रित किया जा सकता है। इस दिशा में कदम उठा भी लिए गए हैं। 19 जुलाई से मानसून सत्र में जनसंख्या नियंत्रण पर गंभीर मंथन होगा। संसद में पहुंचे बुद्धिजीवी पूरी तरह से तैयार हैं।
यूपी सरकार के जनसंख्या नियंत्रण बिल को लेकर चर्चाओं के बीच इस बार संसद के मॉनसून सेशन में भी जनसंख्या नियंत्रण कानून की आवाज बुलंद होगी। बीजेपी के कई राज्यसभा सांसद जनसंख्या नियंत्रण कानून के लिए प्राइवेट मेंबर बिल पेश करने वाले हैं। 6 अगस्त को इसी तरह के एक बिल पर राज्यसभा में चर्चा होनी है। भाजपा के राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा पहले ही राज्यसभा में जनसंख्या नियंत्रण के लिए प्राइवेट मेंबर बिल पेश कर चुके हैं। जब तक कोई राज्यसभा का सदस्य रहता है तब तक उनका पेश किया हुआ बिल भी लाइव रहता है, जब तक कि उसे चर्चा और वोटिंग से खारिज न कर दिया जाए। कब किस बिल पर चर्चा होगी यह बैलेट से तय होता है।
राकेश सिन्हा के अनुसार जनसंख्या नियंत्रण बिल में दो से ज्यादा बच्चे होने पर स्थानीय चुनाव सहित, विधानसभा और संसद का चुनाव लड़ने, साथ ही विधानपरिषद या राज्यसभा का मेंबर बनने पर रोक हो। सरकारी कर्मचारियों से एफिडेविट भरवाया जाए कि उनके दो से ज्यादा बच्चे नहीं होंगे। साथ ही इस बिल में कहा गया है कि दो से ज्यादा बच्चे होने पर बैंक में जमा राशि में इंटरेस्ट रेट भी कम मिलेगा और लोन में मिलने वाली सब्सिडी भी कम मिलेगी। इसी प्रकार भाजपा के एक और राज्यसभा सांसद हरनाथ सिंह यादव भी प्राइवेट मेंबर बिल लाने की तैयारी में हैं। उन्होंने बताया कि दो बच्चों से ज्यादा होने पर किसी भी तरह की सरकारी सुविधा नहीं दी जानी चाहिए। साथ ही कोई भी चुनाव लड़ने पर पाबंदी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर बिल पेश करने के लिए बैलेट में मेरा नंबर नहीं आया तो मैं जीरो आवर में भी यह मसला उठाऊंगा। इससे पहले भी मैं जनसंख्या नियंत्रण कानून की जरूरत का मसला चार बार उठा चुका हूं।
यूपी में योगी का मास्टर प्लान
उत्तर प्रदेश की आबादी इस समय 23 करोड़ हो चुकी है। यहाँ जन्म दर राष्ट्रीय औसत से 2.2% अधिक है। प्रदेश में आखिरी बार जनसंख्या नीति साल 2000 में आई थी। जिसमें जन्म दर 2.7% थी। अगर यही हालत प्रदेश में बने रहे तो यहाँ पर संसाधनों का उपयोग बहुत मुश्किल हो जाएगा। प्रदेश की योगी सरकार ने नई जनसंख्या नीति के जरिये 2026 तक 2.1% लाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। 2021-2030 के लिए प्रस्तावित नीति के माध्यम से परिवार नियोजन कार्यक्रम के अंतर्गत जारी गर्भ निरोधक उपायों की सुलभता को बढ़ाया जाना और सुरक्षित गर्भपात की समुचित व्यवस्था देने की कोशिश होगी। यूपी विधि आयोग चेयरमैन आदित्यनाथ मित्तल के अनुसार बिल पास होने के एक साल बाद कानून लागू होगा। कानून से प्रोत्साहन ज्यादा, हतोत्साहन नहीं होगा। सभी जाति-धर्म को देखते हुए मसौदे पर काम होगा। विशेष जाति को टारगेट नहीं किया जाएगा। नसबंदी स्वैच्छिक, जबरदस्ती नहीं की जाएगी। दो बच्चे वालों को ही सरकारी नौकरी का प्रस्ताव होगा। गरीबी रेखा से नीचे वालों को एक बच्चे का प्रोत्साहन होगा. नियम का पालन नहीं, तो सरकारी लाभ नहीं मिलेगा।