जगदीश जोशी
वरिष्ठ पत्रकार
सेमी कंडक्टर उद्योग के प्रमोशन के लिए केंद्र सरकार द्वारा गुरुवार को लिए गए फैसले उम्मीद जगी है कि आने वाले पांच-छह महीने में चौपहिया वाहन, कंप्यूटर, मोबाइल आदि सस्ते हो सकते हैं। केंद्र सरकार ने करीब इस उद्योग के लिए 76,000 हजार करोड़ की व्यवस्था कर देश में ही सेमी कंडक्टर निर्माण, डिजाइन तथा उसके रॉ मटीरियल की राह आसान कर दी है। अगर सेमी कंडक्टर सस्ते होंगे तो अन्य उन उत्पादों को भी सस्ता होना ही है जिनमें सेमी कंडक्टर का उपयोग किया जाता है। सरकार की नई पॉलिसी के अनुसार दुनिया की बड़ी कंपनियां यहां फैक्ट्री लगाएंगी, देश के बड़े उद्योगपतियों को इस फील्ड आएंगे और स्टार्ट अप तथा एमएसएमई को एसेसरीज बनाने को प्रोत्साहित होंगी।
आप सोच रहे होंगे कि इस सेमी कंडक्टर का क्या फायदा होगा? मौजूदा वक्त में जितने भी इलेक्ट्रानिक उपकरण बन रहे हैं उन सभी में सेमीकंडक्टर का उपयोग किया जाता है। इन दिनों इलेक्ट्रानिक डिवाइस के बिना कोई भी इंडस्ट्री चाहे वह गैजेटस हों, घरेलू उपकरण, कंप्यूटर, मोबाइल हैंडसेट, ऑटोमोबाइल हो या कुछ और उसका विकास संभव नहीं। हवाई जहाज संचालन, ड्रोन, मेट्रो, अंतरिक्ष और रक्षा उपकरणों में सभी जगह इसका प्रयोग होता है। तभी तो हम लोगों के जीवन में नई-नई सुविधाएं जुड़ पाती हैं, तभी वह आर्टिफिसियल इंटैलीजेंस का इस्तेमाल कर पाते हैं। दरअसल, यह सेमी कंडक्टर को आम बोलचाल में इंटीग्रेटेड सर्किट या आईसी कहा जाता है। आईसी का उपयोग तो हम सभी कई वर्षों से करते आ रहे हैं, अक्सर कहते आते हैं आइसी बदल दी उपकरण काम करने लग गया। एलईडी बल्ब और टीवी रिमोट तक में इसका छोटा स्वरूप काम करता है। कोविड-19 और लद्दाख प्रकरण के बाद चीन से आयात काफी कम हो चुका है। ऑटोमोबाइल उद्योग भी इससे प्रभावित हुआ है, कहा जा रहा है कि इसके उपकरणों की मांग और आपूर्ति में छह माह की वेटिंग लगी हुई है।
सेमी कंडक्टर या आईसी को किसी भी पीसीबी यानि प्रिंटेड सर्किट बोर्ड में लगाया जाता है। इस पीसीबी का सबसे आसान उदाहरण हम घरों, दुकानों, कारों, कार्यालयों में उपयोग किये जाने वाले साउंड बॉक्स, टेलीविजन रिमोट कंट्रोल के रूप में देखते हैं। जब रिमोट टूट जाता है तो इसके भीतर एक हरे रंग की प्लास्टिक शीट देखती है, जिसमें कोई डाईग्राम बना होता है, उसके बीच-बीच में छोटे-छोटे उपकरण लगे होते हैं, जिन्हें डायोड, कैपेसिटर और रजिस्टर के नाम से जानते हैं। कभी आपने कंप्यूटर का खड़ा बक्सा यानी ‘सीपीयू’ खुला देखा हो तो उसके अंदर मदर बोर्ड होता है। उसमें कई आईसी लगी होतीं हैं, दर्जनों टांगों वाले चौकोर कीड़े की तरह दिखतीं हैं। अब सेमी कंडरक्टर के उपयोग का अंदाज लग गया होगा। कई इलेक्ट्रानिक तकनीशियन ‘पीसीबी’ लाकर उस पर लगे उपकरणों को असेम्बल कर देते हैं तो हमारे इलेक्ट्रानिक डिवाइस फिर से दुरुस्त हो जाते हैं।
अभी तक अपने देश को सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में महारत हासिल है। कई कंपनियां दुनिया की नामी कंपनियों में शरीक हैं। टाटा कंसेल्टेंसी सर्विसेज यानि टीसीएस, नारायण मूर्ति की इंफोसिस लिमिटेड, शिव नाडर की एचसीएल टेक्नोलॉजीज, अजीम प्रेम जी की विप्रो लिमिटेड, टेक महिंद्रा लिमिटेड आदि कंपनियां बहुराष्ट्रीय हो चुकी हैं। दुर्भाग्य यह था कि हार्डवेयर के क्षेत्र में हम उतना काम नहीं कर पाए। अमेरिका, दक्षिण कोरिया, चीन, ताइवान, जापान ने इस उद्योग में को अपने हाथ में ले रखा है। अब अगर सेमी कंडक्टर का रॉ मैटीरियल यहां आसानी से उपलब्ध हो जाए, उसकी सही डीजाइनिंग में हमारी महारथ हो जाए तो हार्डवेयर के क्षेत्र में भी भारत दुनिया को पीछे करने का दम रखता है। कुछ साल पहले तक भारत में मोबाइल हैंड सेट नहीं बनते थे, लेकिन कुछ साल पहले तक भारत में मोबाइल हैंड सेट नहीं बनते थे, लेकिन कुछ साल पहले यहां असेंबल होना शुरू हए। अब मोबाइल हैंड के हमारे उत्पाद दुनिया में अपनी पहचान बनाने लगे हैं। सैंमसंग जैसी कंपनी ने नोएडा में डिस्पले बनाने का कारखाना लगाया है। मोबाइल यूजर जानते ही हैं कि कुछ साल पहले तक हैंड सेट का डिस्पले बदलना कितना महंगा था, अब कितने कम दाम पर इसे बदला जा सकता है।
केंद्र सरकार ने जो पहल की है, उससे चीन की मॉनोपॉली तो खत्म होगी ही, भारत भी हार्डवेयर के क्षेत्र में नया मुकाम हासिल कर सकेगा। संभव है इस कदम से ‘सोलर सेल’ बनाने का सिलसिला भी शुरू हो सके। सौर ऊर्जा का उपयोग करने वाले या इस व्यवसाय में लगे लोग बेहतर जानते हैं कि सोलर सेल के उत्पादन में चीन का लगभग एक तरफा कब्जा है। भारत इस क्षेत्र में आए तो चीन पर निर्भरता तो कम होगी ही, ये उपकरण भी सस्ते होंगे। वैसे भी चीनी उपकरण चले तो चांद तक, नहीं तो रात तक। उम्मीद की जानी चाहिए कि सेमी कंडक्टर के क्षेत्र में आने वाले कुछ समय में अच्छी खबर सुनने को मिलेगी। इस क्षेत्र में भी रोजगार सृजित होगा।