बिहार की राजधानी पटना में नीतीश कुमार के आह्वान पर हुई विपक्षी दलों की बैठक में अभी तक तस्वीर साफ नहीं हुई है| दलों के आपसी हित से लेकर 2024 में नेतृत्व को लेकर फैसले पर नहीं पहुँच सकी| बैठक में बिहार के मुख्यमंत्री समेत कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी समेत 15 दलों के नेताओं ने भाग लिया। हालाँकि बैठक के बाद आयोजित प्रेस कांफ्रेस में आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, भगवनंत मान शामिल नहीं हुए। जबकि पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी भी बीच में चली गईं । जिसके बाद भाजपा विपक्षी एकता पर सवाल उठा रही है| कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बताया कि हम 10 या 12 जुलाई को शिमला में फिर से मिल रहे हैं जिसमें हम एक सामान्य एजेंडा तैयार करेंगे। हमें हर राज्य में अलग-अलग तरह से काम करना पड़ेगा।
विपक्षी दलों की बैठक पर राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने कहा कि सबने खुलकर अपने विचार रखे हैं और तय हुआ है कि अगली बैठक शिमला में होगी और उसमें आगे की रणनीति तय करेंगे। एक होकर हमें लड़ना है| सीताराम येचुरी ने कहा कि देश का रूप बदलना चाहते हैं, इसका चरित्र बनाना चाहते हैं, फासीवादी हिन्दू राष्ट्र के रूप में सामाजिक न्याय के ऊपर हमला हो रहा है। अब कई सारे जन आंदोलन भी होंगे, महंगाई, बेरोजगारी और राज्यों में बातचीत होगी। उमर अब्दुल्ला ने कहा कि इतने लोगों को इकट्ठा करना कोई मामूली बात नहीं है। ये सत्ता की लड़ाई नहीं लड़ी जा रही है, ये उसूल की लड़ाई है। हम मिल चुके हैं, इस देश को बर्बादी से बचाने के लिए। इस देश को इस मुसीबत से निकालने के लिए और सही मायने में इस देश में दोबारा जम्हूरियत को जिंदा करने के लिए। हम इस मुल्क के ऐसे बदनसीब इलाके से तालुक रखते हैं, जहां जम्हूरियत का दिनदहाड़े कत्ल हो रहा है| पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने कहा कि मुल्क के अंदर लोकतंत्र के लिए हम इकट्ठा हुए हैं। हमारी कोशिश रहेगी, हम गांधी के मुल्क को गोडसे का मुल्क नहीं बनने देंगे| उधर पूरे मामले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता स्मृति ईरानी ने आरोप लगाया कि जो राजनीतिक दल कभी एक दूसरे को आंखों नहीं सुहाते थे, वे भारत को आर्थिक प्रगति से वंचित करने के संकल्प से एकत्रित हुए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘कहा जाता है कि भेड़िये शिकार के लिए झुंड में आते हैं और यह राजनीतिक झुंड पटना में मिला। उनका ‘शिकार’ भारत का भविष्य है।’स्मृति ईरानी ने प्रस्तावित मोर्चे को ‘ बहु नेतृत्व वाला स्वार्थी गठबंधन करार दिया। उन्होंने कहा, ‘‘यह गठबंधन स्वार्थ का है। हम कतई भ्रमित ना हों कि निशाने पर मोदी हैं, बल्कि भारत की तिजोरी है। उन्होंने कहा, ‘‘जब भी ये एक साथ आए, भ्रष्टाचार लाए, परिवारवाद लाए और राष्ट्र की आर्थिक प्रगति को संकुचित करने का आरोप अपने संग लेकर आए।’’