Tuesday, December 3, 2024
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खिलाड़ी और कोच को सुविधा देकर ही सच होगा खेलों इंडिया का सपना

प्रशांत कुमार

राष्ट्रीय स्तर के गोताखोर तैराकी कोच व शारीरिक शिक्षक

कॉमनवेल्थ गेम्स अभी चंद दिनों पूर्व ही सम्पन्न हुए हैं। इसमें भारत का प्रदर्शन अच्छा रहा है लेकिन अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन से मिलों दूर है। अगर कुश्ती जैसे परंपरागत खेलों को छोड़ दें तो तैराकी जैसे खेल अभी भी सुविधाओं के अभाव में मैडल से मिलों दूर है। यहाँ तक कि हम अपने 2018 के प्रदर्शन से भी पीछे रह गए हैं।

कोविड काल के बाद के समय को देखते हुए खिलाड़ियों का प्रदर्शन संतोष जनक है। पिछले तीन वर्षों के दौरान ज़्यादातर समय में स्वीमिंगपुल बंद रहे हैं। ऐसे में प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर खिलाड़ियों का प्रदर्शन ठीक रहा है लेकिन इन खेलों के प्रोत्साहन के लिए स्कूल स्तर से स्थायी नीति बनाने कि जरूरत है। अगर हम देखे तो पिछले तीन वर्षों के दौरान शारीरिक शिक्षा लगभग बंद रही। यहाँ तक कि कोच और शिक्षकों को घर बैठना पड़ा और वेतन तक नहीं मिला। जिसके बाद कई लोग दूसरा कार्य करने पर मजबूर हो गए। कई खिलाड़ी डिप्रेशन में चले गए। मेरठ में एक खिलाड़ी ने आत्महत्या कर ली। यह सबकुछ खिलाड़ियों और शिक्षकों को सुविधाएं या आर्थिक सुरक्षा न मिलने के कारण हुआ। इसका सीधा असर खेलों के प्रदर्शन पर भी पड़ता है। कनाडा ने बेहतर सुविधाओं के कारण कामनवेल्थ खेलों में इस बार भारत को पछाड़ दिया।

तैराकी जैसे खेल के रास्ते में सुविधाओं के साथ ही मौसम भी बाधा बनता है। उत्तर भारत के मौसम चक्र को देखते हुए यहाँ केवल छह महीने ही बच्चे प्रेक्टिस कर पाते हैं। बाकी सामी वो जिम या अन्य अभ्यास करते हैं। ऐसे में हर जिले में आलवेदर स्वीमिंग पुल की आवश्यकता है। केंद्र सरकार ने इन समस्याओं को देखते हुए खेलों इंडिया कार्यक्रम शुरू किया है। हालांकि इस अभियान को देश के प्रत्येक राज्य, जिले और गांव तक पहुंचाने की जरूरत है। तभी इस अभियान का उद्देश्य सफल होगा। अब आप उत्तर प्रदेश को ही देख लीजिये। यहाँ राजधानी लखनऊ का तैराकी हास्टल निष्क्रिय जबकि सैफई हास्टल में बनाए गए अंतर्राष्ट्रीय स्विमिंग पुल का खिलाड़ियों के लिए कोई खास महत्व नहीं है। जेएसके कारण वो पुल भी निष्क्रिय है। इसी प्रकर जेपी एनआईसी भी निष्क्रिय है। सरकार को इस ओर ध्यान देना होगा। कोच और खिलाड़ियों की सुविधाओं को भी सुनिश्चित करना होगा जिससे खिलाड़ी क्रिकेट जैसे खेल की तरह ही अन्य खेलों में भी पूरी तरह से ध्यान केन्द्रित कर प्रेक्टिस कर सकें।

कामनवेल्थ गेम्स के बाद अब देश में आजादी के अमृत महोत्सव में राष्ट्रीय खेलों का आयोजन होने रहा है। ये खेल गुजरात में अगले महीनों में होंगे। इसमें उत्तर प्रदेश से अवध यादव जैसे प्रतिभाशाली युवा भाग लेने जा रहे हैं। ऐसे में इन खेलों का प्रचार- प्रसार करके आने वाली पीढ़ियों को खेल से जोड़ा जा सकता है।

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