लेखक : दिलीप कुमार
क्यूबा क्रांति से पहले फिदेल कास्त्रो अधिवक्ता थे, जिनकी कोई ख़ास पहिचान नहीं थी..समृद्ध परिवार में जन्मे फिदेल कास्त्रो चाहते तो आराम से अपना जीवन गुज़ार सकते थे, लेकिन कुछ लोग इतिहास लिखने के लिए ही पैदा होते हैं. यही कारण रहा विद्रोही स्वभाव के फिदेल कास्त्रो क्रांति करने से पहले अमेरिकी समर्थित ‘फुल्गेंकियो बतिस्ता’ तानाशाह के खिलाफ 1952 के चुनाव में खड़े हो गए. निरंकुशता को आंख दिखाना हर किसी के बस की बात नहीं होती. इससे पहले जनता वोट कर पाती, वोटिंग खत्म कर दी गई. तानाशाही चुनाव नहीं चाहती, हालांकि लोकतंत्र का भ्रम ज़रूर बांटती है. वैसे भी पहले ही अपने आसपास ग़रीबी एकाधिकार, पूंजीवाद, उपनिवेशवाद, और शोषण देखकर फिदेल कास्त्रो का झुकाव मार्क्सवाद की तरफ़ हो गया था.. और इस अति के बाद बहुत जल्द ही इस विचारशील युवक को लगा कि दक्षिणी अमरीकी महाद्वीप की समस्याओं से निपटने का सबसे कारगर उपाय सशस्त्र आंदोलन ही एकमात्र रास्ता है…
जनक्रांति शुरू करने के इरादे से 26 जुलाई को फिदेल कास्त्रो ने अपने 100 साथियों के साथ सैंटियागो डी क्यूबा में सैनिक बैरक पर हमला किया, लेकिन नाकाम रहे. इस हमले के बाद फिदेल कास्त्रो और उनके भाई राउल बच तो गए, लेकिन अन्य विद्रोहियों को जेल में डाल दिया गया. फिदेल कास्त्रो ने निरंकुश बतिस्ता के खिलाफ अभियान बंद नहीं किया. यह अभियान उन्होंने मेक्सिको में निर्वासित जीवन जीते हुए चलाया. फिदेल कास्त्रो को क्यूबा का विद्रोही निर्वासित नेता कहा जाता था.. वहां उन्होंने अपना संगठन बनाया. इसे ’26 जुलाई मूवमेंट’ नाम दिया गया. फिदेल कास्त्रो के क्रांतिकारी आदर्शों को क्यूबा में काफी समर्थन मिला. यहीं से फिदेल कास्त्रो जननायक बनकर उभरे.. 1959 में फिदेल कास्त्रो के संगठन ने बतिस्ता शासन को उखाड़ फेंका..और क्यूबा की गद्दी संभाली.. वो प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति तक बने.
फिदेल को क्यूबा में प्रशासनिक सुधारों, गरीबी, असमानता आदि के कारण अमेरिकी धनपशुओं का अड्डा बन चुके क्यूबा को विकासशील देशों में शुमार करा दिया. खेलों, चिकित्सा, सामजिक न्याय आदि में उन्होंने नज़ीर पेश की… कहते हैं कि क्रांतिकारियों को सत्ता नहीं संभालना चाहिए, अन्यथा पक्ष – विपक्ष में कमाई गई साख धूमिल हो जाती है.. हमारे मुल्क में नेहरू जी भी सत्ता संभालने से पहले क्रांतिकारी थे, जिन्हें भारत का आधुनिक निर्माता कहा जाता है…तो कुछ उन्हें भी तानाशाह कहते थे.. कुछ आज भी कहते हैं.. बहरहाल कहते हैं फिदेल कास्त्रो भी ज्यादा विरोधी आवाजों को सुनने के आदी नहीं थे, लेकिन उनके द्वारा किए गए सुधारों के लिए आज भी याद किया जाता है, बांकी सब राजनीतिक बातेँ हैं. फिदेल कास्त्रो दुनिया के तीसरे ऐसे हुक्मरान थे जो लम्बे वक़्त तक सत्ता में रहे लेकिन उनकी इज्ज़त एवं लोकप्रियता में सिर्फ बढ़ोत्तरी हुई है, और हो रही है.
सफल क्यूबा क्रांति से पूर्व क्यूबा में माफियाओं का बोलबाला था. वैश्विक परिदृश्य में क्यूबा जुआ, व्यसन, वेश्वावृत्ति के अड्डे तथा अमेरिकी मौज का केंद्र हुआ करता था.. अमेरिका के रईस अपना मन बहलाने के लिए मनोरंजन के उदेश्य से क्यूबा का रुख करते थे. क्यूबा खास तौर पर सोई हुई चेतना का एक भूभाग कहा जाता था.. गुलामी क्यूबा के लोगों का बेंचमार्क था.. गन्ने के बागानों वाला छोटा सा मुल्क अमेरिकी साम्राज्यवाद का अनोखा मॉडल था, जहां अमेरिकी राजदूत का जलवा क्यूबा में कुछ ऐसा ही था, जैसे ब्रिटेन में वहाँ के राजघराने का होता है… क्यूबा में सरकार बनाने से पहले राष्ट्रपति बनने वाले हर उस हुक्मरान को अमेरिकी राजदूत से अनुमति लेनी पड़ती थी…क्या कोई राजदूत इतना ताकतवर हो सकता था? या है? अमेरिका की एक फिल्म क्यूबा के शोषण की कहानी बयां करती है, इतना घृणित शोषण देखकर दुःख होता है. फिल्म में दिखाया जाता है, क्यूबा की तब तक क्या दयनीय स्थिति रही होगी समझा जा सकता है.. अमेरिकी पूँजीवादी लोगों एवं जुआ खेलने वालों को एक साथ बैठकर केक काटते हुए दिखाया गया है, जो मिलकर उस केक को कई हिस्सों में बांट लेते हैं और जोर जोर से सेलीब्रेट कर रहे हैं. केक का आकार बिल्कुल क्यूबा देश के नक्शे से मिलता है. सांकेतिक रूप से देखा जाए तो मतलब है कि क्यूबा को मिल बांटकर सभी लूट रहे हैं.. यह सच है, क्यूबा अमेरिकी पूंजीवाद का ऐसा मॉडल था, जहां साँस लेना भी मुश्किल था… लेकिन फिदेल कास्त्रो ने अपने कुछ चुनिंदा साथियो के साथ मिलकर ऐसी क्रांति किया, उस क्यूबा क्रांति की गूंज आज भी सुनाई देती है. वही फिदेल कास्त्रो आज भी पूरे अमेरिका के लिए एक खौफ़ का दूसरा नाम बना हुआ है.
फिदेल कास्त्रो की शख्सियत का कमाल यह भी है, एक छोटे से मुल्क के हुक्मरान होते हुए भी अपनी सदी के वैश्विक नेताओ में शुमार थे. फिदेल की गतिविधियों से पूरी दुनिया प्रभावित होती थी.. आदमी अपने द्वारा किए गए विलक्षण कामों के जरिए याद किया जाता है.. फिदेल कास्त्रो आज भी दुनिया में जब कहीं सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध, अधिकारों के लिए विद्रोह होता है, तो सबसे पहले फिदेल कास्त्रो का नाम प्रेरणा देता है. आज बहुत से लोगों को पता भी नहीं है फिदेल कास्त्रो, कौन है, लेकिन उन्हें हर किसी ने देखा है, जब भी कोई ज़ुल्म को ललकारता दिखे समझ लीजिए इसके अन्दर फिदेल कास्त्रो है…. यह तो वैचारिकी की बात है. वैसे फिदेल कास्त्रो को अधिकांश लोगों ने देखा होगा, उनका हुलिया आज भी युवाओं को आकर्षित करता है, बेतरतीब दाढ़ी वाली तस्वीर ने युवाओं को जितना प्रेरित किया. इन्हीं वजहों से फिदेल कास्त्रो और चे ग्वेरा पूरी दुनिया के युवाओं एवं क्रांतिकारियों के लिए रोल मॉडल बने हुए हैं. फिदेल कास्त्रो एवं चे ग्वेरा दोनों हमेशा पूंजीवाद के विरुद्ध खड़े रहे, लेकिन बिडम्बना देखिए आज वही पूंजीवाद उनसे प्रेरणा लेते हुए लेते हुए टीशर्ट, कैप, स्टीकर, बीयर की बॉटल आदि पर खूब मुनाफा कमा रहे हैं, वहीँ आज भी बहुतेरे युवाओं को भुजाओं में फिदेल कास्त्रो एवं चे ग्वेरा के टैटू बने देखे जा सकते हैं.. ये भी एक तरह का भ्रम है, वही पूंजीवाद आज भी फिदेल कास्त्रो की आड़ ले रहा है.
आज भी अमेरिका क्यूबा में खूब दखल देता है. जब – जब राजनीतिक अस्थिरता फैलाने के लिए प्रयासरत रहता है. तब तब जियाले फिदेल कास्त्रो एक नाम क्यूबा सहित पूरी दुनिया में साम्राज्यवाद के विरुद्ध खड़े होने का हौसला देता है. अपने ज़िन्दा रहते हुए महानता के शिखर पर थे. फिदेल कास्त्रो दुनिया भर में गरीबों, शोषितों, के लिए एक रोशनी बने रहेंगे. सभी की अपनी – अपनी धारणा है, लेकिन मेरा अपना व्यक्तिगत रूप से मानना है कि फिदेल कास्त्रो अपनी सदी के सबसे महान क्रांतिकारी, समाज़ सुधारक, एक हुक्मरान होते हुए भी उनकी लोकप्रियता का आलम किसी सुपरस्टार से कम नहीं था.. फिदेल कास्त्रो पूरी दुनिया को प्रभावित करने वाली शख्सियत रहे हैं, उनसे पहले न उनके जैसा कोई था, और न उनके बाद उनके जैसा कोई हुआ है.
फिदेल कास्त्रो और चे ग्वेरा दोनों क्रांतिकारियों की दोस्ती युगों युगों तक प्रेरित करती रहेगी.. ‘चे ग्वेरा’ , फिदेल कास्त्रो के अंडर रहे, हमेशा से ही उनका ऑर्डर फॉलो करते थे, लेकिन अंतिम ज़ंग में जाने से पहले दूरदर्शी फिदेल कास्त्रो की बात अनसुनी कर दी…और शहीद क्या हुए, अमर हो गए… तब फिदेल कास्त्रो ने अपने जियाले दोस्त की शहादत पर कहा था – “हमसे जब पूछा जाएगा कि कैसा आदमी बनना हैं? तो हमारा जवाब चे ग्वेरा होना चाहिए.. चे ग्वेरा दोस्तों का दोस्त.. और दुश्मनों का दुश्मन ‘ दुनिया के लिए कुछ करने का ज़ज्बा, निरंकुशता को घुटनों के बल बिठा देने की दिलेरी… उन्हें चे ग्वेरा बनाती है, आज चे को मार दिया गया है! क्या चे को सचमुच मार दिया गया है? बिल्कुल नहीं चे ग्वेरा एक विचार का नाम है चे एक उम्मीद का नाम है, चे एक क्रांति का नाम है. रहती कायनात तक चे अमर रहेंगे”..
देखा जाए तो चे ग्वेरा फिदेल कास्त्रो की दोस्ती आज तक के क्यूबा का हासिल है. चे ग्वेरा ने अपने बॉस, मित्र क्यूबा क्रांति के जनक फिदेल कास्त्रो के लिए कहा था – “क्यूबा क्रांति की नीव डालने वाले, अपने इरादों से दुनिया को हिलाने वाले उस महान जियाले का नाम फिदेल कास्त्रो है. जो अपनी विलक्षण जीवन के कारण कुछ ही सालों में दुनिया को प्रभावित करने वाले शख्सियतो में शुमार हो गए. फिदेल कास्त्रो का व्यक्तित्व बहुआयामी, इतना प्रभावी है, लीडरशिप उनके अंदाज़ में है, जिस भी आंदोलन में शामिल होंगे उसका नेतृत्व खुद करेंगे.. ऐसा उन्होंने बचपन से लेकर क्यूबा और अमरीकी महाद्वीप की शोषित जनता के प्रमुख बनने तक वो लीडरशिप आज भी है. फिदेल कास्त्रो के अन्दर महानता के सारे गुण हैं. एक – एक पहलुओं पर बिना नजर हटाए, बिना किसी गतिविधि को समझने, परिस्थितियों के कारण भविष्य में क्या घटेगा, क्या बढ़ेगा, आने वाले दिनों का पूर्वानुमान लगाने की दृष्टि और घटना से पहले कार्रवाई करना, हमेशा अपने सहयोगियों का संकोच पढ़कर दूर करना, ये सब विशेषताएं उन्हें उत्तम, दूरदर्शी लीडर बनाती है. इन महान गुणों के साथ-साथ एक – एक लोगों को एकजुट करने तथा कमजोर करने वाली शक्तियों का विरोध करने के उनके हौसले ने उन्हें महान क्रांतिकारी बना दिया. अब पुनः कुछ ऐसा होता है तो बहुत से क्रांतिकारी आएंगे, जो फिदेल कास्त्रो से प्रेरणा लेंगे, मैं भी हमेशा उनको अपना लीडर मानता हूं.. ” चे ग्वेरा जैसा महान क्रांतिकारी उन्हें अपने शब्दों से ऐसे बयां करता था, क्योंकि उन्होंने यह सब जिया था… कोई कहानी के पात्रों के जैसा… सब गुजरी हुई परिस्थियों से निकले हुए शब्द थे.
अमेरिकी समर्थित निरंकुश सरकार को उखाड़ फेंकने के बाद अमेरिका फिदेल कास्त्रो का दुश्मन हो गया…फिदेल कास्त्रो को मारने की सैकड़ों साज़िशें कीं, जैसा कि चे ग्वेरा कहते थे, फिदेल कास्त्रो जितना आने वाली परिस्थितियों का आकलन करते थे, शायद ही कोई करता सकता है या कर सकेगा “.. लिहाज़ा हर बार बच जाते थे.. एक बार उनकी हत्या कि साज़िश में उनकी एक गर्लफ्रेंड भी शामिल रहीं. फिदेल कास्त्रो को मारने के लिए जहरीले कोल्ड क्रीम का जार उन तक पहुंचाना था. फिदेल कास्त्रो की पूर्व गर्लफ्रेंड मारिटा लॉरेंज इस साजिश के लिए राजी हो गई थी. इसकी जनकारी फिदेल कास्त्रो को हो गई थी… उन्होंने अपनी पूर्व प्रेमिका मारिटा को पिस्टल देकर कहा “ये लो गोली मार दो . जाहिर है मारिटा ने ऐसा नहीं किया.. एक दौर तो ऐसा भी आया एक बार फिदेल कास्त्रो अमेरिका किसी सम्मेलन में भाग लेने गए तब अमेरिका में उन्हें कोई होटेल जगह देने के लिए तैयार नहीं था… तब जियाले फिदेल कास्त्रो ने कहा -” मैंने अपनी आधी ज़िन्दगी जंगलों में बिताई है, लिहाजा मैं यूएनओ के बाहर तंबुओं को लगाकर भी रह लूँगा, लेकिन आप अपनी बची – कुची इज्ज़त बचा सकें तो बचा लीजिए.. फिर उन्हें होटेल में सम्मान सहित रखा गया.
जीवन के अन्तिम दिनों तक फिदेल कास्त्रो क्यूबा को संभालते हुए, उस छोटे से मुल्क को दिशा देते रहे, लेकिन अंतिम दिनों में स्वास्थ्य खराब होने एवं सत्ता भाई को सौंपने के बाद क्यूबा का अमेरिका के साथ समझौता भी उनकी आधुनिक सोच का परिचायक है. हालाँकि कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि फिदेल की यह गलती थी.. फिदेल कास्त्रो को क्रांति, सत्ता आदि दृष्टिकोण से नहीं समझा जा सकता.. फिदेल को लकीरों के अन्दर परिभाषित करना बड़ा मुश्किल है. आदर्श विचार, बेचारी आंखों में तैरते लाखों ख्वाबों का नाम फिदेल कास्त्रो है.. मजलूमो की आखों के ख्वाब किसी दायरे में नहीं आते. उनकी तमाम उपलब्धियों में.. एक अधिवक्ता, क्यूबा क्रांति के जनक, कमांडर इन चीफ़, महान नेता, आधी सदी से ज्यादा क्यूबा को संभालने वाला हुक्मरान, क्यूबा का आधुनिक निर्माता, पूरी दुनिया के समाज को नई दिशा देने वाला ग्लोबल लीडर, इन सभी अग्रणी भूमिकाओं का को निर्वहन करने वाले जियाले का नाम है.. फिदेल कास्त्रो… अपने सिगार की चिंगारी से क्रांति पैदा करने वाले महानायक को मेरा लाल सलाम..