Sunday, September 8, 2024
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कोरोना वायरस जैसी महामारी की दस्तक फिर से

लेखक : डॉ आलोक चांटिया

आज भारत ही नहीं संपूर्ण विश्व के 186 देश करोना जैसे वायरस से पीड़ित होकर अपने देश में रहने वाले लोगों को जिंदा रखने के लिए हर प्रयास कर रहे हैं यह स्थिति नाजुक इसलिए बन गई है क्योंकि अभी तक इस वायरस के विरुद्ध कोई भी एंटी टोड नहीं बन सका है या वैक्सीन नहीं बनाई जा सकी है वैसे तो विश्व स्तर पर भारत सहित बहुत से देशों ने वैक्सीन बनाई है और वैक्सीन को लेकर अभी भी संशय की स्थिति बनी हुई है उस पर विमर्श हो रहा है उसके प्रभाव पर जांच चल रही है लेकिन यह भी सत्य है कि उस वैक्सीन के कारण मानव थोड़ा सा भयमुक्त हो गया है  हिंदी में वायरस को विषाणु कहते हैं इसलिए इसके  अणु में विष का होना ही सबसे गंभीर तथ्य है और विष के लिए दूसरा शक्तिशाली विष ही तैयार करना जरूरी है इसलिए अभी तक इस में सफलता मिलने में कोई अच्छी सूचना कहीं से प्राप्त नहीं हुई है ऐसी स्थिति में प्रत्येक देश सिर्फ बचाव के माध्यम से ही अपने देश में रहने वाले लोगों को करोना से बचाने का प्रयास कर रहा है क्योंकि यह वायरस सबसे पहले चीन के वुहान शहर में दिखाई दिया और वहां पर गए पर्यटक जब अपने अपने देशों में वापस लौटे तो उनके साथ यह वायरस भी उनके देशों में चला गया क्योंकि इस वायरस का परिपक्वता समय या इनक्यूबेशन पीरियड 2 से 14 दिन होता है इसलिए जब भी कोई व्यक्ति कहीं बाहर से विदेश से यात्रा करके अपने देश को लौटे तो उसे स्वयं अपने को क्वॉरेंटाइन करना चाहिए क्वॉरेंटाइन एक ऐसा शब्द है जिसका अर्थ है अपने को सामान्य कार्यकलाप जीवन से अलग रखना और ऐसा करने में व्यक्ति को 14 दिन तक अपना स्वयं निरीक्षण करना चाहिए जिससे उसे ही स्पष्ट हो सके कि उसके शरीर में करोना वायरस उपस्थित है या नहीं है यदि उसे खांसी आ रही हो छींक आ रही हो सबसे महत्वपूर्ण है सांस से संबंधित कोई तकलीफ हो रही हो तो तत्काल अस्पताल से संपर्क करना चाहिए भारत जैसे देश में जहां पर प्राइवेट और सरकारी अस्पतालों नर्सिंग होम को मिलाकर सिर्फ एक लाख आईसीयू बेड है वहां पर एक अरब 35 करोड़ के आसपास की आबादी के साथ करोना वायरस से लड़ना किसी महाभारत के युद्ध से कम नहीं था लेकिन विश्व के दूसरे विकसित देशों के सापेक्ष जिस तरह से भारत ने अपने देशवासियों को को रोना जैसी स्थिति से बचाने में सफलता हासिल की वह पूरे विश्व के लिए एक आदर्श बनकर उभरा और इसमें सबसे बड़ा बिंदु यह था कि  सरकार द्वारा 22 मार्च 2020 को जनता कर्फ्यू जैसे अवधारणा को सामने लाया गया इसमें सरकार द्वारा जनता को स्वयं शासन द्वारा अपने घरों में रहने का अवसर दिया गया जिसके पीछे यह दर्शन था कि  सतह पर यह वायरस 9 से 14 घंटे तक जीवित रहता है इसलिए यदि किसी व्यक्ति के शरीर पर वस्तु पर यह वायरस उपस्थित होगा तो वह स्वयं ही निष्क्रिय हो जाएगा लेकिन जैसा कि प्रधानमंत्री ने अपने ट्वीट में लिखा देश की जनता इस तरह की जनता कर्फ्यू के प्रति उतनी गंभीर नहीं दिखाई दी जितना उसे होना चाहिए था और उसके बाद दूसरी स्थिति को लागू किया गया और इसीलिए भारत जैसे देश में जहां जहां पर भी करोना वायरस से पीड़ित कोई भी व्यक्ति पाया गया था उन शहरों में लॉक डाउन व्यवस्था शुरू कर दिए इस व्यवस्था में सिर्फ उनकी सेवाओं को जारी रखा गया जो जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है जैसे मेडिकल की सेवाएं और खानपान की सेवाएं इसके अलावा सरकार ने देश के 75 से ज्यादा शहरों में सब कुछ प्रतिबंधित कर दिया  ताकि इस वायरस से लड़ा जा सके लेकिन इन सबसे इतर भारत में इस तरह की महामारी से लड़ने के लिए विधि में भी व्यवस्था काफी समय पहले से की गई है जब इस देश में अंग्रेज शासन करते थे  1897 में महामारी रोक अधिनियम बनाया गया था और इस महामारी रोक अधिनियम में किसी भी महामारी के फैलने पर शिक्षण संस्थाओं को बंद करना सार्वजनिक स्थानों को बंद करना लोगों की आवाजाही को प्रतिबंधित करना किसी भी व्यक्ति को बस स्टेशन रेलवे स्टेशन एयरपोर्ट से महामारी से संक्रमित होने की दशा में सीधे घर या अस्पताल में क्वॉरेंटाइन करना या घर अस्पताल एयरपोर्ट से सीधे ऐसे संक्रमित व्यक्तियों को इलाज के लिए ले जाना आदि का प्रावधान किया गया है लेकिन ऐसी भी स्थिति आ सकती है कि लोग अपने संक्रमण की स्थिति में भी सरकार द्वारा अपने के प्रतिबंधित किए जाने पर विरोध करें या बताए ही ना कि वह संक्रमित हैं  उस स्थिति में भारतीय दंड संहिता की धारा 188 में प्रावधान किया गया है कि यदि कोई व्यक्ति महामारी के संक्रमण की अवस्था में जानबूझकर किसी के जीवन स्वास्थ्य और सामाजिक जीवन सुरक्षा को प्रभावित करता है तो ऐसे व्यक्ति को 6 महीने की सजा और ₹1000 का जुर्माना किया जा सकता है  15 मार्च 2020 को उत्तर प्रदेश के आगरा के अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने महामारी रोक अधिनियम अट्ठारह सौ 97 के अंतर्गत एक रेलवे अधिकारी की भारतीय दंड संहिता की धारा 269 और 270 में शिकायत दर्ज कराई  यदि यह अधिकारी इन धाराओं में दोषी पाया जाता  तो उसे 2 वर्ष तक की जेल हो सकती थी भारतीय दंड संहिता की धारा 269 में यह व्यवस्था की गई है यदि कोई व्यक्ति महामारी के संक्रमण की स्थिति में विधि का पालन न करते हुए या जानबूझकर इस संक्रमण को फैलाने में कोई कार्य करता है तो उसे 6 महीने की कैद और दंड और जुर्माना दोनों किया जा सकता है जबकि धारा 270 में यह प्रावधान किया गया है कि कोई द्वेष रखते हुए या प्रति द्वेष रखते हुए किसी महामारी के संक्रमण होने की दशा में जानबूझकर या अधिक रूप से लोगों की जान को खतरा में रखने का कार्य करता है तो उसे 2 वर्ष तक की जेल हो सकती है और जुर्माना भी हो सकता है आज आवश्यकता इस बात की है कि जब भारत जैसे देश में हर कोई जान चुका है  कि कारो ना नामक वायरस से संपूर्ण देश को खतरा है और इस महामारी की वजह से बहुत लोगों की जान जा सकती है ऐसी स्थिति में जानबूझकर अवैध कृत्य करते हुए यदि कोई भी व्यक्ति इस संक्रमण को फैलाने में कोई भी अप्रिय कार्य करता है तो भारतीय दंड संहिता की धाराओं में उन पर कड़ी कार्यवाही की जानी चाहिए क्योंकि जब देश सुरक्षित रहेगा तभी वहां के लोग सुरक्षित रहेंगे देश में किसी भी व्यक्ति के संक्रमित होने से सिर्फ वह व्यक्ति ही संक्रमित नहीं रहेगा बल्कि इस संक्रमण से अनेकों लोग प्रभावित हो सकते हैं क्योंकि यह संक्रमण सांस के द्वारा हो रहा है इसलिए इसे जाना भी नहीं जा सकता है क्योंकि इस संक्रमण के वायरस के परिपक्व होने में 2 से 14 दिन लग रहे हैं इसलिए हो सकता है कि आप के बगल खड़ा व्यक्ति संक्रमित हो लेकिन आपको वह स्वस्थ दिखाई दे ऐसी स्थिति में सिर्फव बचाव ही एक ऐसा उपाय है जिससे देश को समाज को परिवार को और आप स्वयं अपने को स्वस्थ रख सकते हैं इसलिए सरकार द्वारा बनाए गए किसी भी नियम का किसी भी घोषणा का गंभीरतापूर्वक पालन किया जाना चाहिए और सरकार द्वारा को रोना बचा से जो भी प्रयास किया जाए जा रहे हैं उनके प्रति हम सबको संवेदनशील होना चाहिए यही नहीं भारत सरकार विश्व में अग्रणी देशों में आकर खड़ी हो गई है जिसने वैक्सीन में अद्भुत प्रगति किया है और भारत के ही नागरिकों को नहीं विश्व के कई देशों में यह वैक्सीन वरदान बनकर खड़ी हुई है अभी भी जिन लोगों ने वैक्सीन नहीं लगवाया है और उसके बाद बूस्टर नहीं लगवाया है उनको अपने जीवन को सुरक्षित करने का प्रयास करना चाहिए यह भी एक डर लोगों के मन में पैदा हो गया है कि जिस तरह से हृदय रोग से पीड़ित होकर लोग मर रहे हैं वह वैक्सीन के कारण ही मर रहे हैं लेकिन अभी तक इस पर कोई ऐसा प्रमाण प्रस्तुत नहीं हो पाया है जिससे यह साबित हो कि वैक्सीन का कोई साइड इफेक्ट है लेकिन यह सच है कि कोरोना प्रभावित व्यक्तियों के जीवन में बाढ़ की स्थिति में स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याएं पैदा हुई है और हो रही है जिससे ना सिर्फ उनका मानव जीवन प्रभावित हुआ है बल्कि उनकी आर्थिक स्थिति पर भी बड़ा प्रभाव पड़ रहा है ऐसी स्थिति में अपने घर परिवार सभी को ध्यान में रखकर यदि सिर्फ सुरक्षा के द्वारा ही व्यक्ति अपने जीवन को अपने परिवार को अपने देश को खुशहाल बना सकता है तो कोरो ना कि जो दस्तक फिर से सुनाई दे रही है उस दस्तक को समय से पहले ही समझ ले और प्रगति रोज की जीवन  गतिविधियों को बंद होने से पहले ही हम सचेत हो जाएं जिस तरह से वर्तमान में कोरोना के प्रकरण बढ़ने लगे हैं मौत होने लगी है वह संकेत  है कि जीवन के प्रति हमें संवेदनशील होना चाहिए भारत सरकार इस पर फिर से महत्वपूर्ण कदम उठाने जा रही है लेकिन उन सबसे पहले हमें अपने जीवन के लिए संवेदनशील होना होगा क्योंकि जी है तो जहान है डॉ आलोक चाटिया अखिल भारतीय अधिकार संगठन (लेखक विगत दो दशकों से मानवाधिकार विषयक जागरूकता कार्यक्रम चला रहे हैं)

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