Sunday, June 8, 2025
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शिलांग में होगा 19वां अखिल भारतीय लेखक मिलन शिविर

शिलांग (संवाददाता)। पूर्वोत्तर भारत में हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए सक्रिय संस्था पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी विगत 35 वर्षों से लगातार लेखक मिलन शिविर के साथ-साथ विभिन्न सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थाओं के सहयोग एवं समर्थन से विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करती आ रही है। इसी क्रम में इस अकादमी ने शिलांग के अतिरिक्त पूर्वोत्तर राज्यों मिजोरम, नागालैण्ड, असम, सिक्किम, त्रिपुरा के साथ-साथ नेपाल, भूटान और गोवा में भी राष्ट्रभाषा हिंदी के प्रचार के अतिरिक्त हिंदी साहित्य के भी प्रचार किया है। इस बार दो वर्षों के बाद आगामी 30 मई से 1 जून तक एक बार फिर शिलांग में अखिल भारतीय लेखक एवं पर्यटक मिलन शिविर का आयोजन किया जा रहा है और इसकी तैयारियाँ अभी से शुरू कर दी गई है।

इस शिविर के संयोजक डॉ. अकेलाभाइ ने बताया कि इस बार 100 से अधिक लेखक एवं पर्यटक इस शिविर में सम्मिलित होने वाले हैं। पंजीकरण की प्रक्रिया संपन्न हो चुकी है। स शिविर में 18 राज्यों की प्रतिनिधियों की उपस्थिति का अनुमान है। उल्लेखनीय है कि यह शिविर डॉ. महाराज कृष्ण जैन के 89वीं जयंती के वसर पर प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है और प्रति वर्ष 100 से अधिक प्रतिनिधि हिस्सा लेते हैं। इस शिविर में कवि गोष्ठी, विचार गोष्ठी, सांस्कृतिक कार्यक्रम, पर्यटन और सम्मान समारोह का आयोजन किया जाता है। इस अकादमी के अध्यक्ष श्री बिमल बजाज एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं। उनके सहयोग और समर्थन से मेघालय की राजधानी शिलांग स्थित श्री राजस्थान विश्राम भवन में यह शिविर आयोजित किया जाता है।   

पूर्वोत्तर हिन्दी अकादमी के बारे में चर्चा करते हुए अध्यक्ष श्री बिमल बजाज ने बताया, पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी भारत के मेघालय में सामाजिक विकास के मुद्दों पर काम करने वाला एक गैर-सरकारी संगठन है। इसका संचालन मेघालय राज्य के दो जिलों अर्थात् जैंतिया हिल्स और पूर्वी खासी हिल्स जिले को कवर करता है।

पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी एक गैर-लाभकारी संगठन है जो उत्तर-पूर्वी राज्यों में हिंदी के साथ-साथ अन्य भारतीय भाषाओं के उत्थान के लिए समर्पित है। अकादमी में कोई वेतनभोगी कर्मचारी नहीं है। इसलिए हम प्रशासनिक व्यय के लिए न्यूनतम ओवरहेड रखने में सक्षम हैं। यह न्यूनतम ओवरहेड आम तौर पर स्वयंसेवकों और शुभचिंतकों के योगदान के माध्यम से कवर किया जाता है।

पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी का गठन सितंबर 1990 को रिन्ज़ा, शिलांग, मेघालय में एक शैक्षिक, साहित्यिक और सांस्कृतिक संगठन के रूप में किया गया था, और यह विभिन्न सरकारों की रचनात्मक सलाह और वित्तीय सहायता के तहत कार्य कर रही गैर सरकारी संगठन है । सामाजिक कार्यकर्ता श्री बिमल बजाज इसके अध्यक्ष हैं, सचिव (मानद) डॉ. अकेलाभाइ हैं और इसकी गतिविधियों में मार्गदर्शन के लिए वरिष्ठ विद्वानों और विभिन्न विभागों के प्रतिनिधियों का एक नामांकित निकाय है। अकादमी का मूल उद्देश्य विभिन्न सामाजिक-शैक्षणिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से भारतीय भाषाओं और साहित्य का प्रचार-प्रसार करना है।

पिछले 35 वर्षों के दौरान इस अकादमी ने नॉर्थ ईस्टर्न काउंसिल के सहयोग से पूरे भारत के छात्रों, लेखकों और कवियों के लिए 200 से अधिक सेमिनार, संगोष्ठी, हिंदी प्रशिक्षण, वाद-विवाद, प्रश्नोत्तरी, नृत्य, निबंध और ड्राइंग प्रतियोगिता, एक्सटेम्पोर और साहित्यिक बैठकें आयोजित की हैं। गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति, नई दिल्ली, तकनीकी शब्दावली आयोग, नई दिल्ली, भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद, शिलांग, गांधी शांति प्रतिष्ठान, नई दिल्ली, नागरी लिपि परिषद, नई दिल्ली, सीआईआईएल, मैसूर, केंद्रीय हिंदी निदेशालय, नई दिल्ली, यूनिसेफ, दिल्ली, कहानी लेखन महाविद्यालय, अंबाला कैंट, सीमा सुरक्षा बल, शिलांग, केंद्रीय हिंदी संस्थान, शिलांग आदि के सहयोग से यह अकादमी कार्यक्रमों का आयोजन करती रही है। यह अकादमी सभी साहित्यिक आलोचकों, कवियों, व्याख्याताओं, छात्रों और अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं को बढ़ावा देती है। एक स्वस्थ और समान समाज का निर्माण करना जहां राज्य का प्रत्येक व्यक्ति किसी भी आयु वर्ग, लिंग, जाति, पंथ और धर्म का भेदभाव किए बिना हिंदी भाषा बोल और लिख सके। उन्हें सुनिश्चित करें कि हिंदी बोलते समय उनमें आत्मविश्वास हो। स्वयं सोचने और अपने अनुभवों, ज्ञान और कल्पना का उपयोग करके अपने विचार व्यक्त करने के लिए प्रोत्साहित करें।

इस अकादमी के लक्ष्य और उद्देश्य हैं,  पूर्वोत्तर भारत के सभी राज्यों, विशेषकर मेघालय में हिंदी भाषा, साहित्य और नागरी लिपि को बढ़ावा देना। गैर-हिंदी भाषी लोगों के कल्याण के लिए विशिष्ट गतिविधियां शुरू करना और उन्हें हिंदी भाषा के माध्यम से आधुनिक भारतीय भाषाओं, साहित्य, कला और संस्कृति के क्षेत्र में शिक्षित करना। मेघालय में हिंदी भाषा, साहित्य, कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए गैर-हिंदी भाषी लोगों की सहज भावना को बढ़ावा देना। पुस्तकों, पत्रिकाओं का प्रकाशन, अन्य भारतीय भाषाओं के साहित्य से हिन्दी में अनुवाद। (अर्थात खासी, गारो, असमिया, बोरो, मणिपुरी, बंगाली आदि), अपने बहुभाषी साहित्यिक कार्यों और अन्य गतिविधियों के साथ भारतीय राष्ट्रीय के सभी लोगों को एक मंच पर लाना।, लोगों के मन में भाईचारे और समानता की भावना विकसित करना।, समान लक्ष्य और उद्देश्य वाले अन्य संगठन (गैर-राजनीतिक) से संबद्ध होना।, हिन्दी भाषा, कला एवं संस्कृति के क्षेत्र में नई प्रतिभाओं को मंच प्रदान करना।, हिन्दी भाषा एवं साहित्य के क्षेत्र में कार्य करने वाले वरिष्ठ नागरिकों को उनकी उपलब्धियों के लिए सम्मानित करना।

क्षेत्र, भाषा, संप्रदाय और हर देशवासी को जोड़कर आगे बढ़ रही भाजपा

पार्टी के स्थापना दिवस पर बूथ स्तर पर कार्यक्रम

लखनऊ । भारतीय जनता पार्टी के स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम दूसरे दिन सोमवार को प्रदेश में बूथ स्तर आयोजित किये गए। पार्टी प्रदेश अध्यक्ष श्री भूपेन्द्र सिंह चौधरी ने मुरादाबाद, उपमुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य अलीगढ, श्री ब्रजेश पाठक लखनऊ महानगर तथा प्रदेश महामंत्री (संगठन) श्री धर्मपाल सिंह ने लखनऊ जिला में स्थापना दिवस पर पार्टी पदाधिकारियों, स्थानीय नागरिको तथा कार्यकर्ताओं के साथ संवाद किया। इसके साथ ही प्रदेश में पार्टी के पदाधिकारी, जनप्रतिनिधि, वरिष्ठ नेता तथा पार्टी के कार्यकर्ता बूथ पर आयोजित कार्यक्रमों में पहुंचे और हर्षोल्लास के साथ पार्टी का स्थापना दिवस मनाया।

भाजपा प्रदेश महामंत्री (संगठन) श्री धर्मपाल सिंह ने राजधानी लखनऊ के बक्शी का तालाब के चिनहट ग्रामीण मंडल के बूथ क्रमांक 299 पर आयोजित पार्टी के स्थापना दिवस कार्यक्रम को सम्बोधित किया। श्री धर्मपाल सिंह ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी सिर्फ एक दल नहीं बल्कि एक विचार है। जो राष्ट्र की आराधना, मां भारती की साधना और सबके कल्याण की कामना के साथ काम करती है। भाजपा हर क्षेत्र, हर भाषा, हर संप्रदाय और हर देशवासी को जोड़कर आगे बढ़ रही हैं। भाजपा आज राष्ट्रहित की भी पार्टी है और क्षेत्रीय आकांक्षाओं की भी पार्टी है।

श्री धर्मपाल सिंह ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी अपने मूल्यों, सिद्धातों, नेतृत्व और कार्यकर्ताओं की वजह से आज दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी है। हमारे पास 18 करोड़ से ज्यादा समर्पित कार्यकर्ता है। देश की आबादी में 13 फीसदी से ज्यादा लोग हमारे सदस्य हैं। देश के 21 राज्यों में हमारी या हमारे गठबंधन की सरकार है। भारतीय जनता पार्टी आज जिस मुकाम पर खड़ी है उसमें असंख्य कार्यकर्ताओं का संघर्ष, हमारे नेताओं का बलिदान, त्याग और समर्पण शामिल है।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के तत्कालीन सरसंघचालक श्रद्धेय गुरु जी से मिलने के बाद डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी व प्रोफेसर बलराज मधोक जी के साथ मिलकर 21 अक्टूबर 1951 को दिल्ली में भारतीय जनसंघ की स्थापना की। देश आजादी के बाद भी ब्रिटिश औपनिवेशिक मानसिकता पर चल रहा था। ऐसे में पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी ने कहा कि पूंजीवाद हो या समाजवाद दोनों ही भारतीय भूमि की उपज नहीं हैं। हमारी संस्कृति से मेल नहीं खाते। दीन दयाल जी ने कहा कि हमें विवाद या संघर्ष नहीं समन्वय का रास्ता चुनना है। जहां व्यक्ति का व्यक्ति से संघर्ष ना हो बल्कि एकात्मता का भाव हो। पंडित दीनदयाल जी के इसी एकात्म मानववाद और अंत्योदय को लेकर भारतीय जनसंघ की यात्रा शुरू हुई और आज भाजपा रूपी विशाल वृक्ष के रूप में हमारे और आप सबके सामने खड़ी है।

श्री धर्मपाल सिंह ने कहा कि हमारे मुद्दे थे समान नागरिक संहिता, गोहत्या पर प्रतिबंध और जम्मू-कश्मीर से धारा 370 की समाप्ति। एक देश में दो विधान, दो निशान, दो प्रधान के विरोध में डॉ श्याम प्रसाद मुखर्जी ने जम्मू-कश्मीर कूच करने का फैसला किया। जहां प्रवेश के लिए परमिट की आवश्यकता होती थी। डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने देश की एकता और अखण्डता के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया।

उन्होंने कहा कि 1977 में इमरजेंसी खत्म होने के बाद जनसंघ ने राष्ट्र सर्वाेपरि की भावना के साथ विपक्षी दलों के साथ वैचारिक मतभेदों को भुलाकर इंदिरा गांधी और कांग्रेस पार्टी की तानाशाही को जवाब देने के लिए खुद का जनता पार्टी में विलय कर दिया। मोरारजी देसाई की अगुवाई में जनता पार्टी की केंद्र में सरकार बनी, अटल बिहारी वाजपेयी जी विदेश मंत्री और लालकृष्ण आडवाणी जी सूचना एवं प्रसारण मंत्री बने। इंदिरा गांधी के खिलाफ विपक्षी एकजुटता का ये प्रयोग बहुत ज्यादा दिनों तक सफल नहीं हो सका। गुटबाजी और अंतर्विरोधों की वजह से 1979 में जनता पार्टी की सरकार गिर गयी।

श्री धर्मपाल सिंह ने कहा कि कांग्रेस पार्टी के खिलाफ देश को राष्ट्रवादी राजनीति का विकल्प देने के लिए 6 अप्रैल 1980 को दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान में भारतीय जनता पार्टी की स्थापना हुई। अटल बिहारी वाजपेयी जी इसके पहले अध्यक्ष बने। 6 अप्रैल 1980 को भाजपा के गठन के बाद पार्टी का पहला अधिवेशन दिसंबर 1980 को मुंबई में हुआ।

श्री धर्मपाल सिंह ने कहा कि भाजपा अपने कार्यकर्ताओं के त्याग, तपस्या से बनी हुई है। भाजपा ज़मीन पर काम करके आगे बढ़ी है। भाजपा गांव में, खेत खलिहानों में गरीबों के साथ कंधा से कंधा मिलाकर तपकर के आगे बढ़ी है। उन्होंने कहा कि तपेगा जो, गलेगा वो, गलेगा जो ढलेगा वो, ढलेगा जो बनेगा वो के मूलमंत्र पर चलते हुए भाजपा कार्यकर्ता राष्ट्र सर्वोपरि के भाव के साथ काम कर रहे हैं।

प्रेम मेहरोत्रा की पुस्तक ‘राम कथासार’ का विमोचन

लखनऊ। रामनवमी के अवसर पर प्रेम मेहरोत्रा लिखित पुस्तक ‘राम कथासार’ का विमोचन उ.प्र. हिन्दी संस्थान की प्रधान संपादक डा.अमिता दुबे, बेबियन इन के चेयरमैन कमलकांत मेहरोत्रा ने किया।

होटल बेबियन इन में आयोजित विमोचन समारोह में पुस्तक पर चर्चा करते हुए अमिता दुबे ने कहा श्रीराम की कृपा और मां सीता के आशीर्वाद से प्रेम मेहरोत्रा ने पुस्तक को रचा। भारतीय संस्कृति को जानने के लिए राम के चरित्र और जीवन का चिंतन मनन करने से अच्छी तरह समझ सकते है। केजीएमसी के पूर्व विभागाध्यक्ष डा.  गिरीश ने लंका दहन प्रसंग के उल्लेख के साथ कहा  कि दायित्व मिलने पर अस्वीकार न करके करने से ईश्वर सदा साथ रहता है। जैसे राम ने माता पिता के आदेश को सर्वोच्च माना और श्रीराम बने। अध्यक्षीय वक्तव्य में दयानंद लालजी कहा कि राम के आदर्श जीवन के मूल्य हैं, जो व्यक्तित्व को नवीन आयाम देते हैं। इस अवसर पर शशांक सागर ने राम भजन प्रस्तुत किए। अंत में आभार लेखक ने व्यक्त किया।

स्टार्टअप महाकुंभ में जनजातीय स्टार्टअप्स ने बिखेरा जलवा

आईआईएम कोलकाता और आईआईटी गुवाहाटी में इनक्यूबेट किए गए एसटी-लेड वेंचर्स को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला

नई दिल्ली : जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने नई दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित स्टार्टअप महाकुंभ में देश भर से 45 जनजातीय-नेतृत्व वाले स्टार्टअप को प्रदर्शित करके आदिवासी उद्यमिता को सशक्त बनाने में एक अहम पड़ाव हासिल किया। जनजातीय गौरव वर्ष के एक हिस्से के रूप में प्रमुख पहल, “धरतीआबाट्राइबप्रिन्योर्स 2025” के तहत आयोजित इस कार्यक्रम में, डीप टेक से लेकर जैविक खेती और हरित ऊर्जा तक के क्षेत्रों में नवाचार देखने को मिले।

प्रमुख संस्थानों-आईआईएम कोलकाता और आईआईटी गुवाहाटी में इनक्यूबेट किए गए दो जनजातीय-नेतृत्व वाले स्टार्टअप्स को माननीय केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल से प्रतिष्ठित राष्ट्रीय मान्यता मिली, जिसने भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम में आदिवासी उद्यमियों की बढ़ती भूमिका को स्थापित किया।

इस मौके पर, माननीय केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री जुएल ओराम और जनजातीय कार्य मंत्रालय में सचिव श्री विभु नायर ने विजेता स्टार्टअप को उनके अनुकरणीय नवाचार और समुदायिक-नेतृत्व वाले विकास के प्रति समर्पण के लिए बधाई दी। उन्होंने जनजातीय भारत की आकांक्षाओं और संभावनाओं का राष्ट्रीय मंच पर प्रतिनिधित्व करने के लिए इसमें भाग लेने वाले सभी उद्यमियों के प्रयासों की सराहना की।

सिक्किम के गंगटोक में स्थित, ऑवरगेस्ट ट्रेवल्स (www.ourguest.in ) को डी2सी (डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर) पुरस्कार से सम्मानित किया गया। पूर्वोत्तर भारत के पहले ऑनलाइन ट्रैवल एग्रीगेटर (ओटीए) के रूप में, यह सिक्किम, उत्तर बंगाल, असम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश और जम्मू और कश्मीर में होमस्टे, फ़ार्मस्टे, रिसॉर्ट और गाइडेड अनुभवों का एक क्यूरेटेड संग्रह प्रदान करता है। 600 से अधिक होमस्टे और 50 से ज्यादा गाइड के साथ, इस प्लेटफ़ॉर्म ने 6,000 से अधिक यात्रियों की सेवा की है और ग्रामीण आजीविका और इको-टूरिज्म को बढ़ावा देने में मदद की है। उनकी यह उपलब्धि एक मजबूत आदिवासी स्टार्टअप इकोसिस्टम बनाने के लिए मंत्रालय के 100-दिवसीय एजेंडे के तहत एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।

आदिवासी उद्यमियों की अगली पीढ़ी को सशक्त बनाना

3 दिवसीय कार्यक्रम का समापन 45 आदिवासी स्टार्टअप संस्थापकों, 100 ईएमआरएस (एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय) छात्रों, उच्च शिक्षा छात्रवृत्ति का लाभ उठाने वाले 150 आदिवासी छात्रों को भागीदारी प्रमाण पत्र वितरित करने के साथ हुआ।प्रतिभागियों ने आईआईटी दिल्ली में बूटकैंप में भी हिस्सा लिया और स्टार्टअप महाकुंभ के दौरान स्टार्टअप इकोसिस्टम में एक्सपोजर विज़िट में भाग लिया।

आत्मनिर्भर आदिवासी भारत की ओर

जनजातीय मामलों का मंत्रालय धरतीआबाट्राइबप्रिन्योर्स 2025 जैसी पहलों के ज़रिए आदिवासी नवोन्मेषकों के लिए एक सक्षम वातावरण बनाना जारी रखे हुए है – जिसमें मेंटरशिप, फंडिंग, क्षमता निर्माण और प्लेटफॉर्म एक्सपोजर का मिश्रण देखने को मिलता है। भारत के सबसे बड़े स्टार्टअप कॉन्क्लेव में आदिवासी उद्यमियों की मौजूदगी और उन्हें मिली मान्यता, आदिवासी भारत को राष्ट्र की विकास कहानी में एक प्रमुख हितधारक बनाने के लिए मंत्रालय की प्रतिबद्धता की पुष्टि करती है।

भारत के पहले वर्टिकल लिफ्ट सी ब्रिज – नए पंबन रेल ब्रिज का उद्घाटन

प्रधानमंत्री ने रामेश्वरम में 8,300 करोड़ रुपये के विकास कार्यों का शिलान्यास और उद्घाटन किया

 रामेश्वरम : प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज तमिलनाडु के रामेश्वरम में 8,300 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली विभिन्न रेल और सड़क परियोजनाओं का शिलान्यास लोकार्पण किया। इससे पहले, उन्होंने भारत के पहले वर्टिकल लिफ्ट सी ब्रिज – नए पंबन रेल ब्रिज का उद्घाटन किया और सड़क पुल से एक ट्रेन और एक जहाज को हरी झंडी दिखाई और पुल का संचालन देखा। उन्होंने रामेश्वरम में रामनाथस्वामी मंदिर में दर्शन और पूजा भी की। इस अवसर पर उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए श्री मोदी ने कहा कि आज श्री राम नवमी का पावन अवसर है। उन्होंने कहा कि आज ही अयोध्या में भव्य राम मंदिर में सूर्य की दिव्य किरणों ने रामलला को भव्य तिलक से सुशोभित किया। उन्होंने कहा, “भगवान श्री राम का जीवन और उनके शासनकाल से मिली सुशासन की प्रेरणा राष्ट्र निर्माण के लिए महत्वपूर्ण आधार का काम करती है।” उन्होंने कहा कि तमिलनाडु के संगम युग के साहित्य में भी भगवान श्रीराम का उल्लेख है, उन्होंने रामेश्वरम की पवित्र धरती से श्री राम नवमी के अवसर पर सभी नागरिकों को हार्दिक शुभकामनाएं दीं।

श्री मोदी ने कहा, “मैं आज रामनाथस्वामी मंदिर में प्रार्थना करके धन्य महसूस कर रहा हूँ”। उन्होंने कहा कि इस विशेष दिन पर उन्हें 8,300 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं को सौंपने का अवसर मिला। उन्होंने बल देकर कहा कि ये रेल और सड़क परियोजनाएँ तमिलनाडु में कनेक्टिविटी को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ावा देंगी। उन्होंने इन परिवर्तनकारी पहलों के लिए तमिलनाडु के लोगों को बधाई दी।

यह देखते हुए कि रामेश्वरम भारत रत्न डॉ. कलाम की भूमि है, जिनके जीवन ने दिखाया कि कैसे विज्ञान और अध्यात्म एक दूसरे के पूरक हैं, प्रधानमंत्री ने कहा, “रामेश्वरम के लिए नया पंबन पुल प्रौद्योगिकी और परंपरा के मिलन का प्रतीक है”। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि हजारों साल पुराना एक शहर अब 21वीं सदी के इंजीनियरिंग चमत्कार से जुड़ गया है। उन्होंने इंजीनियरों और श्रमिकों के समर्पण और कड़ी मेहनत के लिए आभार व्यक्त किया। श्री मोदी ने कहा कि यह पुल भारत का पहला वर्टिकल लिफ्ट रेलवे समुद्री पुल है, जो बड़े जहाजों को नीचे से गुजरने की अनुमति देता है और साथ ही तेज़ ट्रेन यात्रा को सक्षम बनाता है। उन्होंने आज एक नई ट्रेन सेवा और एक जहाज को हरी झंडी दिखाने का उल्लेख किया और इस उल्लेखनीय परियोजना के लिए तमिलनाडु के लोगों को बधाई दी।

इस बात को रेखांकित करते हुए कि इस पुल की मांग कई दशकों से चली आ रही थी, श्री मोदी ने कहा कि लोगों के आशीर्वाद से इस कार्य को पूरा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि पम्बन पुल व्यापार करने में आसानी और यात्रा में आसानी दोनों का समर्थन करता है, जिससे लाखों लोगों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर बल दिया कि नई ट्रेन सेवा रामेश्वरम से चेन्नई और देश के अन्य हिस्सों तक कनेक्टिविटी बढ़ाएगी। उन्होंने कहा कि इस विकास से तमिलनाडु में व्यापार और पर्यटन को लाभ होगा, साथ ही युवाओं के लिए रोजगार और व्यवसाय के नए अवसर भी उपलब्‍ध होंगे।

मोदी ने कहा, “पिछले 10 वर्ष में भारत की अर्थव्यवस्था का आकार दोगुना हो गया है”। उन्होंने इस कहा कि इस तीव्र वृद्धि का एक प्रमुख कारण देश का उल्लेखनीय आधुनिक बुनियादी ढांचा है। उन्होंने बल देकर कहा कि पिछले दशक में रेलवे, सड़क, हवाई अड्डे, बंदरगाह, बिजली, पानी और गैस पाइपलाइन जैसे बुनियादी ढांचे के लिए बजट में लगभग छह गुना वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा, “आज, देश भर में मेगा प्रोजेक्ट तेजी से आगे बढ़ रहे हैं”। उन्होंने कहा कि उत्तर में, जम्मू और कश्मीर में चेनाब ब्रिज का निर्माण किया गया है, जो दुनिया के सबसे ऊंचे रेल पुलों में से एक है। उन्होंने कहा कि पश्चिम में, मुंबई अब देश के सबसे लंबे समुद्री पुल, अटल सेतु का घर है। उन्होंने यह भी कहा कि पूर्व में, असम में बोगीबील ब्रिज प्रगति का प्रमाण है, जबकि दक्षिण में, दुनिया के कुछ ऊर्ध्वाधर लिफ्ट पुलों में से एक, पंबन ब्रिज का निर्माण पूरा हो चुका है। प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि पूर्वी और पश्चिमी समर्पित माल ढुलाई गलियारे पूरे होने वाले हैं। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि देश की पहली बुलेट ट्रेन पर तेजी से काम चल रहा है, जबकि वंदे भारत, अमृत भारत और नमो भारत जैसी आधुनिक ट्रेनें रेल नेटवर्क को और उन्नत बना रही हैं।

इस बात पर बल देते हुए कि जब भारत का हर क्षेत्र एक-दूसरे से जुड़ता है, तो विकसित राष्ट्र बनने का मार्ग मजबूत होता है, श्री मोदी ने कहा कि दुनिया भर के हर विकसित देश और क्षेत्र में ऐसा ही हुआ है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि जैसे-जैसे भारत का हर राज्य जुड़ता है, देश की पूरी क्षमता का एहसास होता है। उन्होंने कहा कि इस कनेक्टिविटी से तमिलनाडु सहित देश के हर क्षेत्र को फायदा हो रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा, “भारत के विकसित राष्ट्र बनने की यात्रा में तमिलनाडु महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है”। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जैसे-जैसे तमिलनाडु की क्षमता बढ़ती जाएगी, भारत का विकास और भी तेज होगा। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि पिछले एक दशक में केंद्र सरकार ने 2014 से पहले की अवधि की तुलना में तमिलनाडु के विकास के लिए तीन गुना अधिक धनराशि आवंटित की है। उन्होंने कहा कि इस बढ़ी हुई धनराशि ने तमिलनाडु के आर्थिक और औद्योगिक विकास में बहुत योगदान दिया है।

इस बात पर बल देते हुए कि तमिलनाडु में बुनियादी ढांचे का विकास भारत सरकार की प्राथमिकता है, श्री मोदी ने कहा कि पिछले एक दशक में तमिलनाडु का रेल बजट सात गुना से अधिक बढ़ा है। उन्होंने कहा कि 2014 से पहले तमिलनाडु में रेल परियोजनाओं को सालाना केवल 900 करोड़ रुपये मिलते थे, जबकि इस वर्ष तमिलनाडु का रेल बजट 6,000 करोड़ रुपये से अधिक है। उन्होंने यह भी बताया कि भारत सरकार राज्य के 77 रेलवे स्टेशनों का आधुनिकीकरण कर रही है, जिसमें रामेश्वरम स्टेशन भी शामिल है।

पिछले दस वर्षों में ग्रामीण सड़कों और राजमार्गों के विकास में हुई उल्लेखनीय प्रगति की ओर संकेत करते हुए, प्रधानमंत्री ने इस बात की जानकारी दी कि 2014 से, केंद्र सरकार के सहयोग से, तमिलनाडु में 4,000 किलोमीटर सड़कें बनाई गई हैं। उन्होंने कहा कि चेन्नई पोर्ट को जोड़ने वाला एलिवेटेड कॉरिडोर उल्लेखनीय बुनियादी ढांचे का एक और उदाहरण होगा। उन्होंने यह भी बताया कि आज लगभग 8,000 करोड़ रुपये की लागत वाली सड़क परियोजनाओं की आधारशिला रखी गई और उद्घाटन किया गया। उन्होंने कहा कि ये परियोजनाएं तमिलनाडु के विभिन्न जिलों में कनेक्टिविटी को बढ़ाएंगी और आंध्र प्रदेश के साथ संपर्क में भी सुधार करेंगी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि चेन्नई मेट्रो जैसी आधुनिक सार्वजनिक परिवहन प्रणालियाँ तमिलनाडु में यात्रा को आसान बना रही हैं, उन्होंने इस बात पर बल दिया कि व्यापक बुनियादी ढाँचे के विकास से विभिन्न क्षेत्रों में नई नौकरियों का सर्जन होता है।

पिछले दशक के दौरान भारत में सामाजिक बुनियादी ढांचे में रिकॉर्ड निवेश को रेखांकित करते हुए, श्री मोदी ने खुशी जाहिर की कि तमिलनाडु में करोड़ों परिवारों को इन पहलों से लाभ मिला है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि पिछले 10 वर्ष में, देश भर में गरीब परिवारों को 4 करोड़ से अधिक पक्के मकान उपलब्ध कराए गए हैं, जिनमें पीएम आवास योजना के तहत तमिलनाडु में बनाए गए 12 लाख से अधिक पक्के मकान शामिल हैं। उन्होंने यह भी कहा कि पिछले एक दशक में, लगभग 12 करोड़ ग्रामीण परिवारों को पहली बार पाइप से पानी मिला है। उन्होंने कहा कि इसमें तमिलनाडु के 1 करोड़ 11 लाख परिवार शामिल हैं, जिनके पास अब पहली बार अपने घरों में नल का पानी उपलब्ध है।

प्रधानमंत्री ने कहा, “नागरिकों को गुणवत्तापूर्ण और सस्ती स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना हमारी सरकार की प्रतिबद्धता है”। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि आयुष्मान भारत योजना के तहत, तमिलनाडु में 1 करोड़ से अधिक उपचार किए गए हैं, जिससे राज्य के परिवारों का 8,000 करोड़ रुपये का खर्च बचा है। उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि तमिलनाडु में 1,400 से अधिक जन औषधि केंद्र हैं, जहाँ 80% तक की छूट पर दवाइयाँ उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि इन सस्ती दवाओं के कारण लोगों को 700 करोड़ रुपये की बचत हुई है।

श्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि युवा भारतीयों को डॉक्टर बनने के लिए विदेश जाने की मजबूरी न महसूस हो। उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि हाल के वर्षों में तमिलनाडु में 11 नए मेडिकल कॉलेज खुले हैं। उन्होंने तमिलनाडु सरकार से तमिल भाषा में चिकित्सा शिक्षा के पाठ्यक्रम शुरू करने का आग्रह किया, जिससे गरीब परिवारों के कई बच्चों को मदद मिलेगी।

प्रधानमंत्री ने कहा, “सुशासन सुनिश्चित करता है कि करदाताओं द्वारा दिया गया प्रत्येक रुपया सबसे गरीब नागरिकों को भी लाभ पहुंचाए”। उन्होंने कहा कि पीएम किसान सम्मान निधि के तहत तमिलनाडु के छोटे किसानों को लगभग 12,000 करोड़ रुपये मिले हैं। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु के किसानों को पीएम फसल बीमा योजना से भी लाभ मिला है, जिसके तहत 14,800 करोड़ रुपये के दावे किए गए हैं।

श्री मोदी ने कहा, “भारत की नीली अर्थव्यवस्था देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी और इस क्षेत्र में तमिलनाडु की ताकत को वैश्विक स्तर पर पहचाना जाएगा।” उन्होंने तमिलनाडु के मत्स्य पालन समुदाय की कड़ी मेहनत की जानकारी दी और इस बात पर बल दिया कि केंद्र सरकार राज्य के मत्स्य पालन बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए सभी आवश्यक सहायता प्रदान कर रही है। उन्होंने कहा कि पिछले पांच वर्ष में तमिलनाडु को पीएम मत्स्य संपदा योजना के तहत पर्याप्त धनराशि मिली है, जिससे मछुआरों के लिए आधुनिक सुविधाएं प्रदान करने के सरकार के प्रयासों पर बल दिया जा रहा है। इसमें समुद्री शैवाल पार्क, मछली पकड़ने के बंदरगाह और लैंडिंग केंद्रों में सैकड़ों करोड़ रुपये का निवेश शामिल है। श्री मोदी ने मछुआरों की सुरक्षा के लिए सरकार की प्रतिबद्धता पर बल दिया और बताया कि पिछले एक दशक में श्रीलंका से 3,700 से अधिक मछुआरों को वापस लाया गया है, जिनमें से 600 से अधिक को पिछले वर्ष ही वापस लाया गया।

भारत में बढ़ती वैश्विक रुचि और देश के बारे में जानने और समझने के लिए उत्सुक लोगों का उल्लेख करते हुए, श्री मोदी ने इस आकर्षण में भारत की संस्कृति और सॉफ्ट पावर की महत्वपूर्ण भूमिका पर बल दिया। उन्होंने कहा, “सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए लगातार काम कर रही है कि तमिल भाषा और विरासत दुनिया के हर कोने तक पहुंचे”। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि 21वीं सदी में इस महान परंपरा को और आगे बढ़ाया जाना चाहिए। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि रामेश्वरम और तमिलनाडु की पवित्र भूमि राष्ट्र को प्रेरित और ऊर्जा प्रदान करती रहेगी।

आज भारतीय जनता पार्टी के स्थापना दिवस को ध्यान में रखते हुए, श्री मोदी ने कहा कि मजबूत, समृद्ध और विकसित भारत के निर्माण का लक्ष्य प्रत्येक भाजपा कार्यकर्ता के अथक प्रयासों से प्रेरित है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि देश के लोग भाजपा सरकारों के सुशासन और राष्ट्रहित में लिए जा रहे निर्णयों को देख रहे हैं। उन्होंने इस बात पर गर्व व्यक्त किया कि देश के हर राज्य और कोने में भाजपा कार्यकर्ता जमीनी स्तर पर काम कर रहे हैं और गरीबों की सेवा कर रहे हैं। उन्होंने भाजपा के लाखों कार्यकर्ताओं के प्रति आभार व्यक्त करते हुए उन्हें अपनी शुभकामनाएं दीं।

इस कार्यक्रम में तमिलनाडु के राज्यपाल श्री आर एन रवि, केंद्रीय मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव, केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. एल मुरुगन सहित अन्य लोग मौजूद थे।

पृष्ठभूमि

प्रधानमंत्री ने नए पंबन रेल पुल का उद्घाटन किया और रामेश्वरम-तांबरम (चेन्नई) नई ट्रेन सेवा को हरी झंडी दिखाई। इस पुल का गहरा सांस्कृतिक महत्व है। रामायण के अनुसार, राम सेतु का निर्माण रामेश्वरम के पास धनुषकोडी से शुरू हुआ था। रामेश्वरम को मुख्य भूमि से जोड़ने वाला यह पुल वैश्विक मंच पर भारतीय इंजीनियरिंग की उल्लेखनीय उपलब्धि के रूप में खड़ा है। इसे 700 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से बनाया गया है। इसकी लंबाई 2.08 किमी है, इसमें 99 स्पैन और 72.5 मीटर का वर्टिकल लिफ्ट स्पैन है जो 17 मीटर की ऊंचाई तक उठता है, जिससे जहाजों की सुचारू आवाजाही की सुविधा मिलती है और साथ ही निर्बाध ट्रेन संचालन सुनिश्चित होता है। स्टेनलेस स्टील सुदृढीकरण, उच्च श्रेणी के सुरक्षात्मक पेंट और पूरी तरह से वेल्डेड जोड़ों के साथ निर्मित, पुल में अधिक स्थायित्व और कम रखरखाव की आवश्यकता है। इसे भविष्य की मांगों को पूरा करने के लिए दोहरी रेल पटरियों के लिए डिज़ाइन किया गया है। विशेष पॉलीसिलोक्सेन कोटिंग इसे जंग से बचाती है, जिससे कठोर समुद्री वातावरण में दीर्घायु सुनिश्चित होती है। प्रधानमंत्री ने तमिलनाडु में 8,300 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली विभिन्न रेल और सड़क परियोजनाओं की आधारशिला रखी और राष्ट्र को समर्पित किया। इन परियोजनाओं में एनएच-40 के 28 किलोमीटर लंबे वालाजापेट-रानीपेट खंड को चार लेन का बनाने का शिलान्यास और एनएच-332 के 29 किलोमीटर लंबे विलुप्पुरम-पुदुचेरी खंड को चार लेन का बनाने का कार्य, एनएच-32 का 57 किलोमीटर लंबा पूंडियनकुप्पम-सत्तनाथपुरम खंड और एनएच-36 का 48 किलोमीटर लंबा चोलापुरम-तंजावुर खंड शामिल हैं। ये राजमार्ग कई तीर्थस्थलों और पर्यटन स्थलों को जोड़ेंगे, शहरों के बीच की दूरी कम करेंगे और मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल, बंदरगाहों तक तेज पहुंच सक्षम करेंगे। इसके अलावा स्थानीय किसानों को कृषि उत्पादों को नजदीकी बाजारों तक पहुंचाने और स्थानीय चमड़ा और लघु उद्योगों की आर्थिक गतिविधि को बढ़ावा देने में सशक्त बनाएंगे।

भारत कुमार कहे जाने वाले अभिनेता मनोज कुमार का निधन

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मुंबई : शहीद, पूरब और पश्चिम, उपकार और क्रांति जैसी देशभक्ति की फिल्में देने वाले अभिनेता, निर्माता और निर्देशक मनोज कुमार का निधन हो गया| 87 साल की उम्र में भारत कुमार के नाम से चर्चित अभिनेता ने अस्पताल में अंतिम सांस ली| पद्मश्री मनोज कुमार के निधन से बालीवुड में शोक की लहर दौड़ पड़ी| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी ने उनके निधन पर शोक जताया है| फिल्मों से सन्यास लेने के बाद मनोज कुमार ने वर्ष 2004 में भाजपा का दामन थाम लिया था| ओम शांति ओम फिल्म में उनके चरित्र का मज़ाक बनाने पर अभिनेता शाहरुख खान से खासा विवाद भी चला था|

मनोज कुमार ने मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में अंतिम सांस ली| उनहोंने बॉलीवुड को उपकार, पूरब-पश्चिम, क्रांति, रोटी-कपड़ा और मकान, कलियुग की रामायण सहित कई ब्लॉक बस्तर   फिल्में दीं| मैदाने जंग उनकी अभिनीत आखिरी फिल्म थी जिसमें सुपरस्टार अक्षय कुमार भी थे| अक्षय ने एक्स पर लिखा, मैं उनसे सीखता हुआ बड़ा हुआ कि हमारे देश के लिए प्यार और गर्व से बढ़कर कोई भावना नहीं है और अगर हम एक्टर इस भावना को दिखाने में आगे नहीं आएंगे, तो कौन करेगा? इतने अच्छे इंसान और हमारे बिरादरी की सबसे बड़ी संपत्तियों में से एक. RIP मनोज सर. ओम शांति! जैकी श्रॉफ ने हाथ जोड़ने और टूटे दिल की इमोजी शेयर करते हुए सुपरस्टार मनोज कुमार की एक मुस्कुराती ब्लैक एंड व्हाइट फोटो शेयर की है, जिस पर फैंस रिएक्शन देते हुए श्रद्धांजलि देते दिख रहे हैं|  

फिल्म निर्माता विवेक रंजन अग्निहोत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट किया. उन्होंने पोस्ट में लिखा, “भारत के पहले सच्चे मौलिक और प्रतिबद्ध भारतीय फिल्म निर्माता, दादा साहब फाल्के पुरस्कार विजेता मनोज कुमार जी आज हमें छोड़कर चले गए. एक गौरवान्वित राष्ट्रवादी. दिल से एक कट्टर हिंदू. एक दूरदर्शी निर्देशक जिन्होंने भारतीय सिनेमा को एक नया व्याकरण दिया – गीतों के चित्रण का, सार्थक गीतों का, ऐसा सिनेमा जो न केवल मनोरंजन करता था, बल्कि उससे जुड़ाव भी महसूस कराता था.उन्होंने देशभक्ति को बिना शोरगुल के सिनेमाई बना दिया| उन्होंने राष्ट्रवाद को बिना किसी माफी के काव्यात्मक बना दिया| उधार की आवाजों और दूसरे दर्जे के सौंदर्यशास्त्र के दौर में, उन्होंने अपनी जड़ों से जुड़े रहने का साहस किया| देशभक्त और उनके जैसे कलाकार कभी नहीं मरते|अजय देवगन और आमिर खान ने भी दिवगंत मनोज कुमार के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए श्रद्धांजलि दी है|   गौरतलब है कि मनोज कुमार का जन्म 24 जुलाई 1937 को ऐबटाबाद में हुआ, जो बंटवारे के बाद पाकिस्तान का हिस्सा बना. बंटवारे के बाद मनोज कुमार के अभिभावकों ने भारत में रहने का फैसला किया. इसी के साथ वह दिल्ली आ गए. मनोज कुमार ने बंटवारे का दर्द बहुत नजदीक से देखा था. बताया जाता है कि वह दिलीप कुमार और अशोक कुमार की फिल्मों को देखकर इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने एक्टर बनने का निश्चय कर लिया. इसी के साथ ही उन्होंने अपना नाम हरिकिशन गिरि गोस्वामी  से बदलकर मनोज कुमार रख लिया|

रेलवे और दूरसंचार विभाग मिलकर खोजेंगे यात्रियों का खोया मोबाइल  

‘अमानत’ अभियान को मजबूत करते हुए, आरपीएफ को दूरसंचार विभाग के सीईआईआर पोर्टल पर शामिल किया गया, जिससे लाखों रेल यात्रियों को लाभ होगा

नई दिल्ली : खोए या गुम हुए मोबाइल फोन को वापस करके यात्रियों के अनुभव को बेहतर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) दूरसंचार विभाग के केंद्रीय उपकरण पहचान रजिस्टर (सीईआईआर) पोर्टल से सफलतापूर्वक जुड़ गया है। यह पहल पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (एनएफआर) में एक पायलट कार्यक्रम की सफलता के बाद की गई है। पूरे भारत में भारतीय रेलवे में इस कार्यक्रम के लागू होने से लाखों रेल यात्रियों को लाभ होगा।

आज आयोजित सीईआईआर पोर्टल के उद्घाटन और प्रशिक्षण कार्यक्रम में, रेलवे सुरक्षा बल के महानिदेशक श्री मनोज यादव ने आरपीएफ क्षेत्रीय इकाइयों की सभा को संबोधित किया, जबकि सचिव (दूरसंचार) डॉ. नीरज मित्तल ने मुख्य भाषण दिया। इस ऐतिहासिक कार्यक्रम के बारे में डीजी आरपीएफ श्री मनोज यादव ने कहा, “सीईआईआर पोर्टल के संचालन के लिए दूरसंचार विभाग के साथ आरपीएफ का सहयोग रेलवे सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। डिजिटल तकनीक का उपयोग करके, हमारा उद्देश्य यात्रियों को उनके खोए या गुम हुए मोबाइल फोन को वापस पाने के लिए एक पारदर्शी और प्रभावी तंत्र प्रदान करना है। यह पहल कानून प्रवर्तन क्षमताओं को मजबूत करती है और रेल यात्रियों के बीच अधिक विश्वास को बढ़ावा देती है। हम यात्रियों की संपत्ति की सुरक्षा और रेलवे नेटवर्क में सुरक्षित यात्रा अनुभव सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”

दूरसंचार विभाग द्वारा लॉन्च किया गया सीईआईआर पोर्टल एक महत्वपूर्ण डिजिटल टूल है, जिसे खोए या चोरी हुए उपकरणों को ब्लॉक, ट्रैक और प्रबंधित करके मोबाइल फोन को वापस पाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस प्लेटफ़ॉर्म का लाभ उठाकर, आरपीएफ अब खोए/गुम हुए मोबाइल फोन को उनके आईएमईआई नंबर को ब्लॉक करके अनुपयोगी बना देगा, जिससे इन उपकरणों के अवैध कब्जे और पुनर्विक्रय को रोका जा सकेगा। यह पहल उन्नत निगरानी क्षमताओं के माध्यम से खोए हुए फोन को तेज़ी से वापस पाने में भी मदद करेगी।

आरपीएफ ट्रेनों और स्टेशन परिसर में खोई या गुम हुई यात्री संपत्ति को वापस पाने के प्रयासों में सबसे आगे रहा है। आरपीएफ के अभियान ‘अमानत’ का एकमात्र उद्देश्य कीमती सामान को उसके असली मालिकों को वापस करना है, जिसके प्रभावशाली परिणाम सामने आए हैं। जनवरी 2024 से फरवरी 2025 के बीच आरपीएफ ने 84.03 करोड़ रुपये मूल्य की खोई या पीछे छूटी वस्तुओं को सफलतापूर्वक बरामद किया और उन्हें 1.15 लाख से अधिक यात्रियों को वापस किया, यात्रियों ने रेलवे के प्रति आभार व्यक्त किया। रेलवे सुरक्षा संचालन में सीईआईआर को शामिल करने से आरएफपी के प्रयासों को और मजबूती मिलने की उम्मीद है, जिससे खोए या पीछे छूटे मोबाइल फोन को उनके असली मालिकों को वापस किया जा सकेगा।

शिकायत दर्ज करने और पुनर्प्राप्ति (रिकवरी) की निर्बाध प्रक्रिया

सीईआईआर के साथ आरपीएफ का एकीकरण खोए या चोरी हुए फोन की रिपोर्ट करने वाले यात्रियों के लिए एक सुव्यवस्थित प्रक्रिया सुनिश्चित करता है:

‘रेल मदद’ के माध्यम से शिकायत पंजीकरण: यात्री रेल मदद प्लेटफॉर्म के माध्यम से खोए या चोरी हुए मोबाइल फोन की रिपोर्ट ऑनलाइन या 139 डायल करके कर सकते हैं। यदि वे एफआईआर दर्ज नहीं करना चाहते हैं, तो उन्हें सीईआईआर पोर्टल पर अपनी शिकायत दर्ज करने का निर्देश दिया जाएगा।

आरपीएफ द्वारा सीईआईआर पंजीकरण: आरपीएफ के जोनल साइबर सेल सीईआईआर पोर्टल पर शिकायत दर्ज करेंगे, आवश्यक विवरण दर्ज करेंगे और उपकरण को ब्लॉक करेंगे।

निगरानी और पुनर्प्राप्ति (रिकवरी): एक बार खोए हुए फोन को नए सिम कार्ड के साथ पहचाने जाने के बाद, उपकरण के उपयोगकर्ता को इसे निकटतम आरपीएफ पोस्ट पर वापस करने की सलाह दी जाएगी।

मालिक को वापस करना: उपकरण पुनः प्राप्त करने के लिए सही मालिक को सहायक दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे।

कानूनी कार्रवाई: गैर-अनुपालन के मामले में, एक प्राथमिकी दर्ज की जा सकती है, और मामला जिला पुलिस को आगे बढ़ाया जा सकता है।

उपकरण से ब्लॉक हटाना: पुनर्प्राप्ति के बाद, शिकायतकर्ता सीईआईआर पोर्टल के माध्यम से फोन से ब्लॉक हटाने का अनुरोध कर सकता है, यदि आवश्यक हो तो आरपीएफ की सहायता ली जा सकती है।

मई 2024 में, आरपीएफ ने सीईआईआर पोर्टल का सक्रिय रूप से उपयोग करने और आरपीएफ के लिए इसकी उपयोगिता का अध्ययन करने के लिए पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे में एक पायलट परियोजना शुरू की। इस प्रयोग के परिणामस्वरूप कई खोए हुए मोबाइल फोन की सफलतापूर्वक पुनर्प्राप्ति हुई और मोबाइल चोरी में शामिल व्यक्तियों को पकड़ा गया। इस पहल को पूरे देश में विस्तारित किए जाने के साथ, आरपीएफ को विश्वास है कि यह रेल यात्रियों के लिए तेज़ और अधिक कुशल पुनर्प्राप्ति समाधान प्रदान करने में सक्षम होगा। प्रौद्योगिकी-संचालित प्रगति और अंतर-एजेंसी सहयोग के साथ, भारतीय रेलवे ने यात्री सुरक्षा के लिए अपनी प्रतिबद्धता को मजबूत करना जारी रखा है, यह सुनिश्चित करते हुए कि हर यात्रा सुरक्षित और परेशानी मुक्त रहे।

विशेष : मेक इन इंडिया और कैपिटल गुड्स की क्रांति

घरेलू उत्पादन और तकनीकी नवाचार का उत्प्रेरण

नई दिल्ली :  भारत की कैपिटल गुड्स इंडस्ट्री औद्योगिक विकास और आर्थिक विकास को आगे बढ़ाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका के कारण काफी ध्यान आकर्षित कर रही है। इस क्षेत्र में विद्युत उपकरण, मशीनरी और निर्माण जैसे कारोबार शामिल हैं, जो देश के इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए जरूरी हैं। भारतीय विद्युत और इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माता संघ (आईईईएमए) के अनुसार, विद्युत उपकरण उद्योग ने घरेलू मांग और अंतर्राष्ट्रीय बाजार के विस्तार से प्रेरित होकर ऊर्जा उपकरणों, विशेष रूप से ट्रांसमिशन उपकरण और ट्रांसफार्मर में लगातार दोहरे अंकों की बढ़ोतरी देखी।

भारत निर्माण उपकरणों का तीसरा सबसे बड़ा बाजार है। पूंजीगत सामान क्षेत्र को मजबूत करने में सरकारी पहलों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारी उद्योग मंत्रालय ने घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहन देने और आयात पर निर्भरता कम करने के लिए कई नीतियां शुरू की हैं। ये पहल व्यापक मेक इन इंडिया अभियान (2014 में शुरू) का हिस्सा हैं, जिसका उद्देश्य सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण क्षेत्र का योगदान बढ़ाना, रोजगार पैदा करना और तकनीकी क्षमताओं में सुधार करना है। कैपिटल गुड्स सेक्टर भारत की आर्थिक रणनीति के लिए महत्वपूर्ण है, जो बड़े पैमाने पर विनिर्माण और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में सहयोग करता है। तेजी से शहरीकरण, व्यापक इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास और मजबूत सरकारी सहयोग के साथ, यह क्षेत्र संपोषित औद्योगिक विकास को प्रोत्साहन देने और वैश्विक बाजार में भारत की स्थिति को बेहतर करने के लिए तैयार है। भारी उद्योग मंत्रालय के अनुसार, कैपिटल गुड्स इंडस्ट्री में भारी इंजीनियरिंग और मशीन टूल्स क्षेत्र शामिल हैं।

भारी उद्योग और अभियांत्रिकी क्षेत्र का अवलोकन

हालिया अनुमानों के अनुसार, कैपिटल गुड्स इंडस्ट्री जीडीपी में लगभग 1.9% का योगदान देती है। भारी इंजीनियरिंग और मशीन टूल सेक्टर (कैपिटल गुड्स इंडस्ट्री) में निम्नलिखित प्रमुख उप-क्षेत्र: डाई, मोल्ड्स और प्रेस टूल्स; प्लास्टिक मशीनरी; अर्थमूविंग और माइनिंग मशीनरी; धातुकर्म मशीनरी; कपड़ा मशीनरी; प्रोसेस प्लांट उपकरण; प्रिंटिंग मशीनरी; और खाद्य प्रसंस्करण मशीनरी शामिल हैं। भारी उद्योग मंत्रालय के सहयोग के उत्प्रेरक प्रभाव के चलते, कैपिटल गुड्स सेक्टर का उत्पादन 2014-15 में 2,29,533 करोड़ रुपये से बढ़कर 2023-24 में 4,29,001 करोड़ रुपये हो गया है।

कैपिटल गुड्स सेक्टर के लिए नीतिगत परिवेश में निम्नलिखित शामिल हैं:

इस क्षेत्र के लिए किसी औद्योगिक लाइसेंस की जरूरत नहीं है।

भारत के साथ भूमिगत सीमा वाले देशों को छोड़कर, स्वचालित मार्ग (आरबीआई के जरिए) पर 100% तक एफडीआई की अनुमति है।

विदेशी सहयोगी को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, डिजाइन और ड्राइंग, रॉयल्टी आदि के लिए भुगतान की मात्रा सीमित नहीं है।

आयात और निर्यात पर कोई प्रतिबंध नहीं है।

केंद्रीय बजट 2025-26 में छूट प्राप्त पूंजीगत वस्तुओं की सूची में ईवी बैटरी निर्माण के लिए 35 अतिरिक्त पूंजीगत वस्तुओं और मोबाइल फोन बैटरी निर्माण के लिए 28 अतिरिक्त पूंजीगत वस्तुएं शामिल करने का प्रस्ताव है। इससे मोबाइल फोन और इलेक्ट्रिक वाहनों दोनों के लिए लीथियम-आयन बैटरी के घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहन मिलेगा।

राष्ट्रीय पूंजीगत वस्तु नीति (2016)

भारी उद्योग एवं सार्वजनिक उद्यम मंत्रालय की ओर से तैयार की गई राष्ट्रीय पूंजीगत वस्तु नीति, भारत में कैपिटल गुड्स सेक्टर को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से एक व्यापक रूपरेखा है। नीति में विनिर्माण गतिविधि में इस क्षेत्र के योगदान को 12% (2016) से बढ़ाकर 2025 तक 20% करने की परिकल्पना की गई है। यह भारत को शीर्ष पूंजीगत वस्तु उत्पादक देशों में से एक बनाने का प्रयास करती है, जिसका लक्ष्य उत्पादन को दोगुने से अधिक करना और निर्यात को कुल उत्पादन का कम से कम 40% तक बढ़ाना है। इसके अतिरिक्त, नीति का उद्देश्य इस क्षेत्र के भीतर प्रौद्योगिकी की गहराई को बढ़ाना है, जो बुनियादी और मध्यवर्ती स्तरों से उन्नत स्तरों तक ले जाएगा।

नीति की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:

कैपिटल गुड्स सेक्टर में प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने की योजना के बजटीय आवंटन और दायरे को बढ़ाना, जिसमें कौशल, क्षमता निर्माण, उन्नत विनिर्माण और क्लस्टर विकास जैसे घटक शामिल हैं।

प्रौद्योगिकी अधिग्रहण/ हस्तांतरण, बौद्धिक संपदा अधिकारों की खरीद/ डिजाइन और रेखाचित्र/ व्यावसायीकरण के लिए पीपीपी मॉडल के अंतर्गत प्रौद्योगिकी विकास निधि शुरू करना।

कौशल विकास के लिए क्षेत्रीय अत्याधुनिक ग्रीनफील्ड उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करना।

पूंजीगत वस्तु उप-क्षेत्रों में, कंप्यूटर नियंत्रित और ऊर्जा कुशल मशीनरी के साथ मौजूदा आधुनिक सीजी विनिर्माण इकाइयों, विशेष रूप से एसएमई का आधुनिकीकरण करना।

परीक्षण और प्रमाणन बुनियादी ढांचे को उन्नत/ तैयार करना।

राष्ट्रीय पूंजीगत वस्तु नीति, 2016 में अन्य बातों के साथ-साथ पूंजीगत वस्तुओं की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने की योजना के बजटीय आवंटन और दायरे को बढ़ाने की सिफारिश की गई थी, जिसमें उत्कृष्टता केंद्र, सामान्य इंजीनियरिंग सुविधा केंद्र, एकीकृत औद्योगिक अवसंरचना पार्क और प्रौद्योगिकी अधिग्रहण निधि कार्यक्रम की स्थापना शामिल थी। इन सिफारिशों को योजना के चरण II में शामिल किया गया था।

भारत के कैपिटल गुड्स सेक्टर में प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने की योजना का चरण I

कैपिटल गुड्स सेक्टर के लिए कौशल अंतराल, इंफ्रास्ट्रक्चर विकास और प्रौद्योगिकी की जरूरतों को पूरा करने के लिए, पूंजीगत वस्तु योजना का चरण I नवंबर 2014 में शुरू किया गया था, जिसका कुल आउटले 995.96 करोड़ रुपये था। योजना के पहले चरण में सरकारी सहायता से प्रौद्योगिकी विकास को प्रोत्साहन देने के लिए शिक्षाविदों और उद्योग के बीच साझेदारी को बढ़ावा दिया गया। योजना के परिणामों ने प्रौद्योगिकी और औद्योगिक बुनियादी ढांचे के विकास के लिए अपनाई गई रणनीतियों के प्रभाव को सिद्ध कर दिया है।

उत्कृष्टता केंद्र (सीओई): 8 सीओई स्थापित किए गए हैं, जिनमें भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी), केंद्रीय विनिर्माण प्रौद्योगिकी संस्थान (सीएमटीआई) आदि जैसे प्रतिष्ठित राष्ट्रीय अनुसंधान संस्थानों में मशीन टूल्स, एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग, टेक्सटाइल मशीनरी, वेल्डिंग रोबोट और मिश्र धातु डिजाइन, अर्थ मूविंग मशीनरी और सेंसर प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में 30 विशिष्ट स्वदेशी प्रौद्योगिकियों को सफलतापूर्वक तैयार किया गया है।

सामान्य इंजीनियरिंग सुविधा केंद्र (सीईएफसी) – चार इंडस्ट्री 4.0 समर्थ केंद्रों और छः वेब-आधारित प्रौद्योगिकी नवाचार प्लेटफॉर्म (टीआईपी) सहित 15 सीईएफसी स्थापित किए गए हैं। इंडस्ट्री 4.0 समर्थ केंद्र बेंगलुरु में भारतीय विज्ञान संस्थान, पुणे में इंडस्ट्री 4.0 (सी4आई4) प्रयोगशाला केंद्र, बेंगलुरु में केंद्रीय विनिर्माण प्रौद्योगिकी संस्थान (सीएमटीआई) और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली में हैं।

छः वेब-आधारित ओपन विनिर्माण प्रौद्योगिकी नवाचार मंच भारत के सभी तकनीकी संसाधनों और संबंधित उद्योग को एक मंच पर लाने में मदद कर रहे हैं, ताकि भारतीय उद्योग के सामने आने वाली प्रौद्योगिकी समस्याओं की पहचान और उनके लिए व्यवस्थित तरीके से क्राउड सोर्स समाधान की सुविधा मिल सके, जिससे स्टार्ट-अप और भारत के नवाचारों के लिए एंजल फंडिंग की सुविधा मिल सके।

अब तक 76,000 से अधिक छात्र, विशेषज्ञ, संस्थान, उद्योग और प्रयोगशालाएं इन प्लेटफार्मों पर पंजीकरण करा चुके हैं।

प्रौद्योगिकी अधिग्रहण निधि कार्यक्रम (टीएएफपी) – टीएएफपी के अंतर्गत विदेशों से निम्नलिखित 5 प्रौद्योगिकियां प्राप्त की गई हैं:

सिरेमिक शेलिंग प्रौद्योगिकी के साथ टाइटेनियम कास्टिंग का विकास और व्यवसायीकरण;

हैवी-ड्यूटी उच्च विश्वसनीयता वाले विद्युत विशेषीकृत पावर केबल्स का विनिर्माण;

टर्न मिल सेंटर का विकास;

चार गाइडवे सीएनसी खराद का विकास;

कटिंग एज रोबोटिक लेजर क्लैडिंग प्रौद्योगिकी।

एकीकृत मशीन टूल्स पार्क, तुमकुरु: कर्नाटक के तुमकुरु में 530 एकड़ में मशीन टूल उद्योग के लिए एक विशेष औद्योगिक पार्क तैयार किया गया है। अब तक, आवंटन योग्य 336 एकड़ भूमि में से, 145 एकड़ भूमि मशीन टूल निर्माताओं को आवंटित की गई है।

भारतीय कैपिटल गुड्स सेक्टर में प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने की योजना के चरण-I के अंतर्गत, 583.312 करोड़ रुपये के बजटीय सहयोग के साथ 33 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई। पूंजीगत वस्तु योजना चरण II के शुभारंभ के बाद, पूंजीगत वस्तु योजना के चरण I को योजना के चरण II के साथ मिला दिया गया है।

भारतीय कैपिटल गुड्स सेक्टर में प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने की योजना चरण II

भारी उद्योग मंत्रालय ने 25 जनवरी, 2022 को योजना के चरण II को अधिसूचित किया, जिसका उद्देश्य पूंजीगत वस्तु योजना के पहले चरण I द्वारा सृजित प्रभाव को विस्तारित और व्यापक बनाना है, जिससे एक सुदृढ़ और वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी कैपिटल गुड्स सेक्टर के निर्माण के माध्यम से अधिक प्रोत्साहन मिल सके। इस योजना का वित्तीय आउटले 1207 करोड़ रुपये है, जिसमें 975 करोड़ रुपये का बजटीय सहयोग और 232 करोड़ रुपये का उद्योग का योगदान शामिल है। दूसरे चरण के अंतर्गत, अगस्त 2024 तक 1366.94 करोड़ रुपये (उद्योग द्वारा अधिक योगदान के कारण) की परियोजना लागत और 963.19 करोड़ रुपये के सरकारी योगदान वाली कुल 33 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। दूसरे चरण के तहत छः घटक हैं और अब तक स्वीकृत परियोजनाओं का विवरण इस प्रकार है:

नए उन्नत उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना और मौजूदा उत्कृष्टता केंद्रों का विस्तार: अनुसंधान और विकास गतिविधियों में शामिल प्रतिष्ठित शिक्षाविदों और निजी उद्योग का उपयोग करके अनुसंधान और विकास में तेजी लाना। अब तक 478.87 करोड़ रुपये के बजट वाली कुल 9 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई।

सामान्य इंजीनियरिंग सुविधा केंद्रों (सीईएफसी) की स्थापना और मौजूदा सीईएफसी का विस्तार: औद्योगिक इकाइयों के लिए प्रदर्शन और प्रशिक्षण, सलाह, सहायता और अनुसंधान एवं विकास सेवाएं तथा जागरूकता कार्यक्रम बनाना। अब तक 357.07 करोड़ रुपये के बजट वाली कुल 5 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई।

कैपिटल गुड्स सेक्टर में कौशल को प्रोत्साहन: कौशल स्तर 6 और उससे ऊपर के लिए कौशल परिषदों के सहयोग से योग्यता पैकेजों का निर्माण। अब तक 7.59 करोड़ रुपये के बजट वाली कुल 3 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई।

मौजूदा परीक्षण और प्रमाणन केंद्रों का विस्तार: मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, केमिकल, स्ट्रक्चरल, मेटलर्जिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि पहलुओं से संबंधित विभिन्न गुणों के संदर्भ में मशीनरी के परीक्षण के लिए कैपिटल गुड्स सेक्टर और ऑटो क्षेत्र की जरूरतों को पूरा करना। अब तक 195.99 करोड़ रुपये के बजट वाली कुल 7 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई।

प्रौद्योगिकी विकास के लिए उद्योग एक्सेलेटर्स की स्थापना: इसका उद्देश्य लक्षित स्वदेशी प्रौद्योगिकियों का विकास करना है, जो चयनित उद्योग क्षेत्र की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए हैं, जो अब तक आयात पर निर्भर रहे हैं। चयनित शैक्षणिक संस्थान/ उद्योग निकाय ऐसी प्रौद्योगिकियों के विकास को प्रोत्साहन देने के लिए एक्सेलेटर के तौर पर कार्य करेंगे। अब तक 325.32 करोड़ रुपये के बजट वाली कुल 8 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई।

प्रौद्योगिकी नवाचार पोर्टल के माध्यम से प्रौद्योगिकियों की पहचान: सीजी योजना चरण-I के अंतर्गत छः वेब-आधारित ओपन मैन्युफैक्चरिंग प्रौद्योगिकी नवाचार प्लेटफॉर्म तैयार किए गए हैं। इन्हें सीजी योजना चरण-II के तहत सहयोग किया जा रहा है।

भारतीय कैपिटल गुड्स सेक्टर में प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने की योजना के चरण-I और II के अंतर्गत आवंटित धनराशि और इसके इस्तेमाल का विवरण नीचे दी गई तालिका में दिया गया है:

कैपिटल गुड्स स्कीम की वर्तमान में उपलब्धियां

सिटार्क, कोयंबटूर ने कैपिटल गुड्स स्कीम के अंतर्गत स्वदेशी रूप से 6-इंच का बीएलडीसी सबमर्सिबल पंप तैयार किया है, जिसकी मोटर दक्षता 88% और पंप दक्षता 78% है। यह पहल ऐसे पंपों के आयात को 80% तक कम करके “आत्मनिर्भरता” को प्रोत्साहन देती है। इस नवाचार को संयुक्त राष्ट्र औद्योगिक विकास संगठन (यूएनआईडीओ) की ओर से पंप श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ उत्पाद के रूप में मान्यता दी गई थी।

सीएमटीआई ने 450 आरपीएम तक यार्न बुनाई में सक्षम एक हाई-स्पीड रैपियर लूम मशीन तैयार की है। इस मशीन को इटली के मिलान में आईटीएमए 2023 में लॉन्च किया गया था।

सीएमटीआई में समर्थ केंद्र के अंतर्गत, निवारक रखरखाव के लिए 64 मशीनों को नियंत्रित करने वाली टोयोटा इंजन मैन्युफैक्चरिंग लाइन में औद्योगिक इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईआईओटी) तकनीक लागू की गई है।

भारी उद्योग मंत्रालय के तत्वावधान में भारत में पहली बार एआरएआई, पुणे में बैटरी और बैटरी प्रबंधन प्रणाली (बीएमएस) के लिए एक परीक्षण सुविधा स्थापित की गई है।

आई-4.0 इंडिया @ आईआईएससी, बेंगलुरु में डिजिटल ट्विन, वर्चुअल रिएलिटी, रोबोटिक्स, निरीक्षण, स्थिरता, एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग आदि में 6 स्मार्ट टेक्नोलॉजीज, 5 स्मार्ट टूल्स, 14 समाधान तैयार किए गए हैं;

एआरएआई-एडवांस्ड मोबिलिटी ट्रांसफॉर्मेशन एंड इनोवेशन फाउंडेशन (एएमटीआईएफ) में इंडस्ट्री एक्सेलेरेटर के अंतर्गत एक हाई-वोल्टेज मोटर कंट्रोलर तैयार किया गया, जिसने इंडस्ट्री पार्टनर रैप्टी एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड को इलेक्ट्रिक कार डीएनए के साथ एक हाई-वोल्टेज मोटरसाइकिल लॉन्च करने के योग्य बनाया।

एआरएआई-एडवांस्ड मोबिलिटी ट्रांसफॉर्मेशन एंड इनोवेशन फाउंडेशन (एएमटीआईएफ) में इंडस्ट्री एक्सेलेरेटर के अंतर्गत थर्मली स्टेबल सोडियम-आयन बैटरी तैयार की गई।

भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (बीएचईएल)

बीएचईएल देश के लिए इंजीनियरिंग और विनिर्माण क्षमता निर्माण में एक प्रमुख योगदानकर्ता है। कंपनी कैपिटल गुड्स योजना चरण II के अंतर्गत भारी उद्योग मंत्रालय के सहयोग से निम्नलिखित पहल कर रही है:

बीएचईएल ने वेल्डिंग प्रौद्योगिकी में कौशल विकास के लिए डब्ल्यूआरआई त्रिची में एक “कॉमन इंजीनियरिंग फैसिलिटी सेंटर (सीईएफसी)” की स्थापना की, साथ ही बीएचईएल की वाराणसी, रानीपेट, भोपाल, झांसी और हरिद्वार इकाइयों में इसके विस्तार केंद्रों की भी स्थापना की है।

बीएचईएल भारी उद्योग मंत्रालय के सहयोग से हैदराबाद में अपनी कॉरपोरेट अनुसंधान एवं विकास इकाई में औद्योगिक, नौसेना और विमान संबंधी प्रक्रियाओं के क्षेत्र में हार्डवेयर इन द लूप (एचआईएल) और सॉफ्टवेयर इन द लूप (एसआईएल) दोनों कार्य करने की क्षमता को शामिल करते हुए एक परीक्षण सुविधा स्थापित कर रहा है।

निष्कर्ष

‘मेक इन इंडिया’ पहल का भारी उद्योगों और इंजीनियरिंग क्षेत्र पर परिवर्तनकारी असर पड़ा है। तकनीकी प्रगति को प्रोत्साहन देकर, घरेलू उत्पादन में बढ़ोतरी करके, प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाकर और रोजगार पैदा करके, इस पहल ने भारत के औद्योगिक आधार को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। निरंतर नीति समर्थन और निरंतर निवेश के साथ, यह क्षेत्र आने वाले वर्षों में और अधिक विकास के लिए तैयार है।

वक्फ बिल : मुस्लिम समुदाय को डरा वोट बैंक खड़ा कर रहा विपक्ष  

मुस्लिम भाइयों के धार्मिक क्रियाकलाप और उनके बनाए हुए दान से जुड़े ट्रस्ट यानि वक्फ में सरकार कोई दखल नहीं करना चाहती

  • वक्फ बोर्ड में धार्मिक दान से जुड़े कार्यों में किसी गैर-इस्लामिक सदस्य को जगह नहीं मिलेगी
  • वक्फ बोर्ड या इसके परिसरों में जिन गैर-मुस्लिम सदस्यों को रखा जाएगा, उनका काम धार्मिक क्रियाकलापों से संबंधित नहीं होगा

नई दिल्ली : लोकसभा में सत्ता और विपक्ष के बीच चली लंबी बहस के के बाद वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 और मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक, 2024 वोटिंग के बाद पास हो गया| बहस के दौरान केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने कहा कि वक्फ एक अरबी शब्द है, जिसका इतिहास हदीसों से जुड़ा हुआ है। आजकल जिस अर्थ में इसका प्रयोग किया जाता है, उसका मतलब है अल्लाह के नाम पर संपत्ति का दान या पवित्र धार्मिक उद्देश्यों के लिए संपत्ति का दान। उन्होंने कहा कि वक्फ का समकालीन अर्थ इस्लाम के दूसरे खलीफा श्री ओमर के समय में अस्तित्व में आया। आज की भाषा में वक्फ एक प्रकार का Charitable Endowment  है, जहां कोई व्यक्ति धार्मिक या सामाजिक भलाई के लिए संपत्ति दान करता है। इसमें दान निजी चीज का ही किया जा सकता है। सरकारी संपत्ति या किसी और की संपत्ति का दान नहीं कर सकते।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि वक्फ बोर्ड में धार्मिक दान से जुड़े कार्यों में किसी गैर-इस्लामिक सदस्य को जगह नहीं मिलेगी। उन्होंने कहा कि धार्मिक संस्थाओं के संचालन में गैर-मुस्लिम व्यक्ति रखने का प्रावधान नहीं है और हम ऐसे प्रावधान करना भी नहीं चाहते। श्री शाह ने कहा कि विपक्ष भ्रांति फैला रहा है कि यह विधेयक मुस्लिमों के धार्मिक क्रियाकलापों और उनके द्वारा दान की गई संपत्ति में दखल के लिए लाया जा रहा। उन्होंने कहा कि विपक्ष अलसंख्यक  समुदाय को डरा कर अपनी वोट बैंक खड़ी करने की कोशिश कर रहा है।

गृह मंत्री ने कहा कि वक्फ बोर्ड या इसके परिसरों में जिन गैर-मुस्लिम सदस्यों को रखा जाएगा, उनका काम धार्मिक क्रियाकलापों से संबंधित नहीं होगा। वे सिर्फ यह सुनिश्चित करेंगे कि दान से संबंधित मामलों का प्रशासन नियम के अनुरूप हो रहा है या नहीं। उन्होंने कहा कि वक्फ भारत में ट्रस्ट की तरह है। ट्रस्ट में ट्रस्टी और एक मैनेजिंग ट्रस्टी होते हैं। वक्फ में वाकिफ और मुतवली होते हैं, जो इस्लाम के अनुयायी होते हैं। श्री शाह ने कहा कि वक्फ शब्द ही इस्लाम से आया है, इसलिए वक्फ वही कर सकता है जो इस्लाम का अनुयायी हो। उन्होंने कहा कि वक्फ धार्मिक चीज है, लेकिन वक्फ बोर्ड या वक्फ परिसर धार्मिक नहीं हैं। कानून के मुताबिक चैरिटी कमिश्नर किसी भी धर्म का व्यक्ति बन सकता है, क्योंकि उसे ट्रस्ट नहीं चलाना। उसे यह सुनिश्चित करना है कि चैरिटी कानून के हिसाब से बोर्ड का संचालन हो। श्री शाह ने कहा कि यह धर्म का नहीं, प्रशासन का काम है।

श्री अमित शाह ने कहा कि वक्फ बोर्ड का काम वक्फ की संपत्तियां बेच खाने वालों को पकड़ कर बाहर निकालने का होना चाहिए। उसे ऐसे लोगों को पकड़ना चाहिए जिन्होंने वक्फ के नाम पर औने-पौने दाम में संपत्तियों को सौ-सौ साल तक किराए पर दे रखा है। उन्होंने कहा कि वक्फ की आय कम होती जा रही है, जबकि वक्फ के पैसे से अल्पसंख्यक समुदाय का विकास होना चाहिए और इस्लाम धर्म की संस्थाओं को पुख्ता किया जाना चाहिए। इस पैसे की चोरी पर रोक लगाना ही वक्फ बोर्ड और उसके परिसर का काम होगा। उन्होंने कहा कि विपक्ष चाहता है उनके राज में चलने वाली मिलीभगत चलती ही रहे, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि अगर 2013 में वक्फ कानून में संशोधन नहीं किया गया होता, तो इस विधेयक को लाने की नौबत ही नहीं आती। लेकिन 2014 में चुनाव से पहले 2013 में रातों-रात तुष्टीकरण की खातिर वक्फ कानून को Extreme बना दिया गया, जिसके कारण दिल्ली में लुटियन्स ज़ोन की 123 वीवीआईपी संपत्ति वक्फ को दे दी गई। दिल्ली वक्फ बोर्ड ने उत्तरी रेलवे की भूमि वक्फ के नाम कर दी। वहीं, हिमाचल प्रदेश में वक्फ की संपत्ति बता कर उस जमीन पर अवैध मस्जिद बनाने का काम किया गया। तमिलनाडु के 1500 साल पुराने  तिरुचेंदूर मंदिर की 400 एकड़ भूमि को वक्फ की संपत्ति घोषित कर दिया गया। श्री शाह ने कहा कि कर्नाटक की एक समिति की रिपोर्ट के अनुसार, 29,000 एकड़ वक्फ भूमि व्यावसायिक उपयोग के लिए किराए पर दे दी गई। वर्ष 2001 से 2012 के बीच 2 लाख करोड़ रुपए मूल्य की वक्फ संपत्ति निजी संस्थानों को 100 साल की लीज पर सौंप दी गई। उन्होंने कहा कि बेंगलुरु में उच्च न्यायालय को हस्तक्षेप करना पड़ा, जिसके बाड़ 602 एकड़ भूमि के अधिग्रहण को रोका गया। विजयपुर, कर्नाटक के होनवाड़ गांव की 1500 एकड़ भूमि को विवादित बनाकर 500 करोड़ रुपए मूल्य की इस जमीन को फाइव-स्टार होटल को मात्र 12,000 रुपए प्रति माह के किराए पर दे दिया गया।

श्री अमित शाह ने कहा कि यह सारा पैसा गरीब मुसलमानों के कल्याण के लिए है, न कि धनकुबेरों की लूट के लिए। कर्नाटक में दत्तापीठ मंदिर पर दावा किया गया। तालीपरंबा में 75 साल पुराने एक दावे के आधार पर 600 एकड़ भूमि पर कब्जे की कोशिश की गई। ईसाई समुदाय की संपत्तियों पर भी कब्जा किया गया। उन्होंने कहा कि देश के कई चर्चों ने वक्फ बिल का विरोध किया है, क्योंकि वे इसे मुस्लिम समुदाय की सहानुभूति जीतने का जरिया मानते हैं। लेकिन चार साल में मुस्लिम भाइयों को भी पता चल जाएगा कि यह विधेयक तो उनके फायदे का है।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि तेलंगाना में 66 हजार करोड़ रुपए की 1700 एकड़ जमीन पर दावा कर दिया, वहीं असम में मोरीगांव जिले की 134 एकड़ भूमि पर दावा किया गया। गुरुद्वारे से संबंधित हरियाणा की चौदह मरला भूमि को वक्फ को सौंप दिया और प्रयागराज में चंद्रशेखर आजाद पार्क को भी वक्फ की संपत्ति घोषित कर दिया। महाराष्ट्र के वडांगे गांव में महादेव के मंदिर पर दावा किया और बीड में कंकलेश्वर की 12 एकड़ जमीन वक्फ बोर्ड ने जबरन ले ली।

श्री अमित शाह ने कहा कि मुस्लिम भाइयों के धार्मिक क्रियाकलाप और उनके बनाए हुए दान से जुड़े ट्रस्ट यानि वक्फ में सरकार कोई दखल नहीं करना चाहती। मुतवली, वाकिफ, वक्फ सब उनके ही होंगे, परन्तु यह जरूर देखा जाएगा कि वक्फ की संपत्ति का रखरखाव ठीक से हो रहा है या नहीं। वक्फ का संचालन कानून के हिसाब से हो रहा है या निजी उपयोग के हिसाब से हो रहा है। उन्होंने सवाल किया कि सैकड़ों साल पहले किसी बादशाह की दान की गई संपत्ति को 12 हजार रुपए के मासिक किराये पर पांच सितारा होटल बनाने के लिए देना कहाँ तक उचित है। वह पैसा गरीब मुसलमानों, तलाकशुदा महिलाओं, अनाथ बच्चों, बेरोजगार मुसलमानों के भलाई और उन्हें हुनरमंद बनाने के लिए किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि वक्फ के पास लाखों करोड़ों रुपए की भूमि है, लेकिन आय सिर्फ 126 करोड़ रुपए है।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि जब 2013 का संशोधन विधेयक पेश किया था, उस समय सरकार में रहे वरिष्ठ नेताओं ने वक्फ की संपत्ति की लूट-खसोट रोकने के लिए कड़े कानून बनाने और दोषियों को सलाखों के पीछे भेजने की वकालत की थी। श्री शाह ने कहा कि मौजूदा विधेयक से पारदर्शी ऑडिट हो सकेगा। उन्होंने कहा कि विपक्ष ने अपने संशोधन में लिखा था कि वक्फ बोर्ड के ऑडर को कोर्ट में चैलेंज नहीं कर सकते, लेकिन सच यह है कि इसे अदालत में चुनौती देने का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि यह विधेयक retrospective effect से लागू नहीं होगा लेकिन विपक्ष द्वारा मुस्लिमों को डराया जा रहा है।

श्री अमित शाह ने वक्फ से जुड़े विधेयक में जिला कलेक्टर की भूमिका पर कहा कि देश में जब किसी मंदिर के लिए जमीन खरीदनी होती है तो कलेक्टर ही यह तय  करता है कि जमीन का मालिकाना हक किसके पास है। उन्होंने कहा कि  फिर वक्फ की भूमि की जांच कलेक्टर द्वारा किए जाने पर आपत्ति क्यों है? गृह मंत्री ने कहा कि वक्फ की भूमि सरकारी है या नहीं, इसे कलेक्टर ही सत्यापित कर सकता है।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार का स्पष्ट सिद्धांत है कि वोट बैंक के लिए हम कोई कानून नहीं लाएंगे क्योंकि कानून न्याय और लोगों के कल्याण के लिए होता है। इसी सदन में मोदी सरकार महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण का कानून लाई और पिछड़ों को संवैधानिक अधिकार दिया गया। उन्होंने कहा कि सबको अपने धर्म का अनुसरण करने का अधिकार है, लेकिन लोभ, लालच और भय से धर्म परिवर्तन नहीं कराया जा सकता।

श्री अमित शाह ने कहा कि 2013 में लाए गए संशोधन विधेयक पर दोनों सदनों में कुल मिलाकर साढ़े 5 घंटे चर्चा हुई जबकि इस बिल पर दोनों सदनों को मिलाकर 16 घंटे चर्चा हो रही है। उन्होंने कहा कि हमने संयुक्त समिति बनाई, 38 बैठकें हुईं, 113 घंटे चर्चा हुई और 284 हितधारक बनाए गए। इन सबसे देशभर से लगभग एक करोड़ ऑनलाइन सुझाव आए जिनकी मीमांसा कर यह कानून बनाया गया और इसे ऐसे खारिज नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि सदन में हर सदस्य बोलने के लिए स्वतंत्र है यहाँ किसी एक परिवार की नहीं चलती है। सांसद जनता के नुमाइंदे हैं, किसी की कृपा से नहीं आए हैं और वे जनता की आवाज़ को रखेंगे।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि यह देश की संसद द्वारा बनाया गया कानून है जिसे सबको स्वीकारना पड़ेगा। यह भारत सरकार का कानून है जो सब पर बाध्य है औऱ सभी को इसे स्वीकारना होगा। उन्होंने कहा कि 1913 से 2013 तक वक्फ बोर्ड की कुल भूमि 18 लाख एकड़ थी, जिसमें 2013 से 2025 के बीच 21 लाख एकड़ भूमि और बढ़ गई। इस 39 लाख एकड़ भूमि में 21 लाख एकड़ भूमि 2013 के बाद की है। श्री शाह ने कहा कि लीज़ पर दी गई संपत्तियां 20 हज़ार थीं, लेकिन रिकॉर्ड के हिसाब से 2025 में ये संपत्तियां शून्य हो गईं। उन्होंने कहा कि ये संपत्तियां बेच दी गईं। गृह मंत्री ने कहा कि कैथौलिक और चर्च संगठनों ने इस कानून को अपना समर्थन दिया है और 2013 के संशोधन को अन्यायी बताया है।

श्री अमित शाह ने कहा कि यह विधेयक ज़मीन की सुरक्षा प्रदान करेगा, किसी की ज़मीन घोषण मात्र से वक़्फ़ नहीं बनेगी और उसे सुरक्षा मिलेगी। उन्होंने कहा कि पुरातत्व विभाग और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की ज़मीन को सुरक्षा देंगे और शेड्यूल 5 और 6 के अनुसार आदिवासियों की ज़मीन सुरक्षित हो जाएगी। इसके साथ ही आम नागरिक की निजी संपत्ति भी सुरक्षित हो जाएगी। श्री शाह ने कहा कि दान तो सिर्फ़ अपनी संपत्ति का ही किया जा सकता है इसीलिए स्वामित्व के बिना वक़्फ़ निजी संपत्ति नहीं ले पाएगा। उन्होंने कहा कि पारदर्शिता लाने के लिए वक़्फ़ अधिनियम में सूचना देने की प्रक्रिया को शामिल किया गया है।

गृह मंत्री ने कहा कि वक़्फ़ की संपत्ति घोषित करने के अधिकार को समाप्त कर दिया गया है और अब इसे कलेक्टर से सत्यापित करवाना होगा। इसके साथ ही नए वक़्फ़ का पारदर्शी तरीक़े से पंजीकरण भी करवाना होगा। उन्होंने कहा कि अब मुस्लिम भी वक़्फ़ ट्रस्ट एक्ट के अंतर्गत अपना ट्रस्ट रजिस्टर करवा सकते हैं। श्री शाह ने कहा कि इसके लिए वक़्फ़ क़ानून ज़रूरी नहीं है।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने ज़ोर देकर कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों में भय पैदा करना का फ़ैशन बन गया है। उन्होंने कहा कि राम जन्मभूमि मंदिर, ट्रिपल तलाक़ और नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के समय भी मुस्लिम समुदाय के लोगों में भय पैदा करने की कोशिश की गई, लेकिन मुस्लिम समुदाय भी जानता है कि भय की कोई बात नहीं थी। गृह मंत्री ने कहा विपक्ष कहता था कि CAA से मुसलमानों की नागरिकता चली जाएगी लेकिन दो साल हो गए किसी की नागरिकता नहीं गई। उन्होंने विपक्ष से कहा कि अगर CAA से किसी की नागरिकता गई है तो वह उसकी जानकारी सदन के पटल पर रखे। श्री शाह ने कहा कि धारा 370 हटाने पर भी मुसलमानों को डराने का प्रयास किया गया लेकिन आज वहाँ एक निर्वाचित सरकार है, आतंकवाद समाप्त हो गया, विकास शुरू हो गया और पर्यटन बढ़ गया।

श्री अमित शाह ने कहा विपक्षी पार्टी और उसके सहयोगी दलों ने मुसलमान भाइयों को डरा -डरा कर अपनी वोटबैंक खड़ी करने का काम किया है। गृह मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार का यह संकल्प है कि इस देश के किसी भी नागरिक पर, चाहे वह किसी भी धर्म का हो, कोई आँच नहीं आएगी।

“नीति एनसीएईआर स्टेट्स इकोनॉमिक फोरम” पोर्टल में 30 वर्षों का डाटा

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पोर्टल को नीति द्वारा एनसीएईआर के सहयोग से विकसित किया गया है

नई दिल्ली : वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज नई दिल्ली में “नीति एनसीएईआर स्टेट्स इकोनॉमिक फोरम” पोर्टल लॉन्च किया। इस पोर्टल को नीति आयोग ने नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लायड इकोनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) के सहयोग से विकसित किया है, जो लगभग 30 वर्षों (यानी 1990-91 से 2022-23) की अवधि के लिए सामाजिक, आर्थिक और राजकोषीय मापदंडों, शोध रिपोर्टों, शोधपत्रों और राज्य वित्त पर विशेषज्ञ टिप्पणियों से जुड़े डेटा का एक व्यापक भंडार है।

अपने मुख्य भाषण में श्रीमती निर्मला सीतारमण ने कहा कि नीति एनसीएईआर स्टेट्स इकोनॉमिक फोरम प्रामाणिक डेटा की उपलब्धता में लाभकारी होगा। उन्होंने कहा कि पोर्टल राज्यों को अधिक सार्थक हस्तक्षेप करने, राजस्व बढ़ाने, ऋणों का प्रबंधन करने और दूसरे राज्यों के अनुभवों से सीखने में मदद करेगा। उन्होंने लोगों पर बोझ डाले बिना राजस्व सृजन के बीच सार्वजनिक वित्त में संतुलन के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह फोरम वर्तमान समय में एक बहुत जरूरी कदम है जो राज्यों के साथ अधिक जुड़ाव में मदद करेगा।

नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकनोमिक रिसर्च (एनसीएईआर) की महानिदेशक डॉ. पूनम गुप्ता ने पोर्टल पर प्रस्तुति देते हुए राज्यों के राजकोषीय पथ की विविधता पर प्रकाश डाला। उन्होंने एक ऐसे पोर्टल की आवश्यकता पर जोर दिया, जिसमें सभी राज्यों का व्यापक डेटा हो, जिससे सूचित नीतिगत निर्णय लेते समय अन्य राज्यों की स्थिति की सराहना करने का अवसर मिले।

नीति आयोग के सीईओ श्री बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने अपने भाषण में इस बात पर जोर दिया कि यह फोरम न केवल लोगों को जानकारी देगा बल्कि राज्यों में जागरूकता और राजकोषीय समझ भी पैदा करेगा। उन्होंने आगे कहा कि यह फोरम मानव सेवा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और पूरे देश के लिए एक स्थायी संपत्ति होगा। नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन के बेरी ने कहा कि नीति एनसीएईआर स्टेट्स इकोनॉमिक फोरम डेटा-आधारित अनुसंधान, विशेष रूप से सार्वजनिक वित्त के लिहाज से एक महत्वपूर्ण कदम है।