Saturday, June 7, 2025
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वेलेंटाइन डे…

लेखक : मनीष शुक्ल

कार्तिक आज वेलेंटाइन डे है। प्रेम करने वालों का दिन। इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा फिर। तुम मुझे तो प्रपोज करने से रहे तो आज सारा को ही प्रपोज कर ही देना। आभा कार्तिक के कंधे पर हाथ रखते हुए सारा को ‘आई लव यू’ बोलने की सलाह देती है। कार्तिक भीनी सी मुस्कराहट छोडता हुआ हाँ में अपना सिर जरूर हिला देता है लेकिन उसका दिल अभी तक ‘कनफ्यूज’ था कि वो अपने प्यार का इजहार करे या फिर रहने दे। सारा को वो बहुत पसंद करता था लेकिन आभा की तरह सारा उसकी बेस्ट फ्रेंड नहीं थी। कार्तिक सारा को अपना बनाना चाहता था लेकिन आभा वो लड़की थी जिसको कार्तिक के जीवन का हर राज पता था। यहाँ तक कि वो कार्तिक की चाहत और उसकी दुविधा के बारे में भी जानती थी। तभी तो बार- बार उससे ठिठोली करती थी।

‘देखो! कार्तिक अगर तुम सारा से प्यार करते हो तो ये दुविधा छोड़कर उससे इजहार कर दो, वरना क्या पता, ये वेलेटाइन बाबा चले जाएँ और फिर कल तक देर हो जाए।‘ यह कहकर वह कार्तिक के चेहरे को ताकने लगती है। कार्तिक उसकी गाल पर प्यार से थपकी देता हुआ कहता है,  

‘ओके! अब नो कन्फ़्यूजन, अगर तुम मेरे साथ चलो तो मैं आज सारा से अपने प्यार का इजहार कर ही दूंगा।‘

‘तो क्या सुहागरात भी मुझे साथ लेकर मनाओगे’।

‘अगर तुम चाहोगी तो मुझे कोई दिक्कत नहीं है।‘ आभा की चुहल पर कार्तिक यह जवाब देकर मुस्करा देता है। आभा के साथ चलने के बोलने के बाद कार्तिक सारा को शाम पाँच बजे लिटिल शेफ रेस्टोरेन्ट में कॉफी पीने के लिए बुलाता है। सारा भी कार्तिक को बेहद पसंद करती है तो उसकी डेट को मना नहीं कर पाती है। सारा को बुलाने के बाद कार्तिक आभा से शाम को रेस्टोरेन्ट में पहुँचने का वादा लेकर चला जाता था।

शाम पाँच बजे जब कार्तिक रेस्टोरेन्ट पहुंचता है तो वहाँ सारा उसका इंतजार कर रही होती है।

‘आज वेलेंटाइन डे के दिन मैं पूरी दुनियाँ को छोडकर यहाँ तुम्हारा इंतजार कर रही हूँ और तुम हो कि मेरे बाद यहाँ पहुँच रहे हो!‘ सारा की शिकायत पर कार्तिक कान पकड़कर सॉरी बोलता है और सारा के गालों पर किस करता हुआ, उसको गुलाब का फूल और गिफ्ट देता है।

‘आई एम इंप्रेस’!

सारा उसका ये अंदाज देखकर मुस्करा उठती है। वो कहती है ‘आज मुझे प्रपोज करने वाले हो क्या! तभी ये रेड रोज और गिफ्ट लाए हो!! अगर तुम प्रपोज करने आए तो फिर जल्दी करो! मैं उस पर विचार करूंगी!’

सारा के खुले आग्रह से कार्तिक के प्यार के इजहार का रास्ता पूरी तरह से साफ था। अब बस सिर्फ इंतजार था उन तीन शब्दों का जिस पर कार्तिक के भविष्य की इमारत टिकी थी। सारा और आभा दोनों ही कार्तिक की खास दोस्त थीं। दोनों ही कार्तिक को बेहद पसंद करती थी। लेकिन एक प्रेमिका के तौर पर कार्तिक के सपनों की रानी की तस्वीर अब भी साफ नहीं हो पाई थी। दोनों का उसको भरपूर साथ मिला था लेकिन तीनों ये समझ चुके थे कि प्यार को लेकर उनका फैसला तीनों कि ज़िंदगी में बदलाव ला देगा। तीनों की दोस्ती पर भी सीधा असर पड़ेगा। कार्तिक इस दुविधा में था कि अगर वो सारा से अपने प्यार का इजहार करता है तो क्या आभा उसकी बेस्ट फ्रेंड रह पाएगी। दूसरी ओर आभा को लगता था कि कार्तिक सारा को तहेदिल से चाहता है। ऐसे में अगर वह उन दोनों के प्यार के बीच में आएगी तो तीनों ही दुखी रहेंगे। सारा जानती थी कि आभा कार्तिक की बेस्ट फ्रेंड है लेकिन अगर ये दोस्ती प्यार में बदल गई तो फिर वो क्या करेगी। तीनों ही इस मकड़जाल में उलझे थे लेकिन आज वेलेंटाइन डे के दिन उनको भरोसा था कि उनके प्यार को मंजिल मिल ही जाएगी।

सारा यू नो ‘आई’….

सारा के खुले आफ़र के बाद जैसे ही कार्तिक अपने प्यार के इजहार के लिए ‘तीन मैजिक वर्ड्स’ बोलने ही वाला होता है कि तब तक आभा भी उनके पास पहुँच जाती है। वो दोनों को गले लगाती है और उनके साथ ही बैठ जाती है। सारा ने सपने में भी नहीं सोचा था आभा भी यहाँ आ जाएगी। वहीं ऐन मौके पर आभा की एंट्री से कार्तिक भी हैरान हो जाता है।

आभा तुम… !  सारा आश्चर्यचकित होकर आभा से पूछती है  तो वो हँसकर कहती है कि ‘कार्तिक ने आज के दिन तुमको प्रपोज करने के लिए मुझे बुलाया है। शायद तुम्हारे सामने उसकी हिम्मत न पड़ती तो मैं भी आ गई हूँ कार्तिक की ओर से तुमको आई लव यू बोलने के लिए। ‘ यह कहकर वो ज़ोर- ज़ोर से हँसने लगती है। उसकी खिलखिलाहट देखकर कार्तिक एकटक आभा को देखने लगता है और भूल ही जाता है कि वो सारा को आई लव यू बोलने वाला था। इसके बाद तीनों खिलखिलाकर हंस पड़ते हैं। तब तक कॉफी आ जाती है, तीनों मग को आपस में चीयर्स कर वेलेंटाइन उत्सव सेलिब्रेट करने लगते हैं वो भी बिना किसी को आई लव यू बोले!!

अबकी आना तो …

सीमा सिंह कि दो कवितायें

घाट की सीढ़ियों पे छोड़ आये थे 

जो अधूरा दिन 

चलो न उसे पूरा करते हैं  ! 

सुनो  ! अबकी आना 

तो इतवार की दोपहरी का 

इत्तमनान भी लेकर आना   , 

ढूँढनी है मुझे इस बार 

चुप्पियों में छिपी संभावनाएँ  , 

मौन के उस पार जो एक तुम हो 

मौन के इस पार जो एक मैं हूँ 

अपने अपने किनारों के साथ ,

मैं तुम्हारे कवि की तरह 

सन्नाटे का छन्द नहीं बनना चाहती 

न ही बुनना है मुझे 

कवि का कोई सन्नाटा  , 

बल्कि आवाज़ों के ताजमहल बनाने हैं 

जहाँ भीड़ भरे एकांत में शाहजहाँ 

गढ़ रहा अपने ऐतिहासिक अमर प्रेम को  , 

सुनो  ! अबकी आना 

तो कांधों पे बारिशें लिए मत आना 

मैंने अपना छाता खो दिया है 

और नदी के मुहाने पे 

ये जो बूढ़ा बरगद है न 

उसकी नम मिट्टी में 

खोज ली है मैंने 

तुम्हारे पैरों जितनी जगह ।

———————-

२) जीवन कहाँ कहाँ 

……………………..

रौशनी में नहायी जगमगाती सड़क के 

एक किनारे लगी पान की गुमटी में 

लटके है जीवन के कुछ गुण सूत्र 

कुछ अनुलोम-विलोम 

जीवन जो भाग रहा सड़क पर 

आकर थिर हो गया है इस छोटी सी गुमटी में 

थका हारा राहगीर पूछता है रास्ता 

पान वाले से ,और लेता है दिशा ज्ञान 

जाना था उसे ध्रुव तारे की सीध में 

वह भटकता भटकता यहाँ आ पहुँचा ,

जैसे भटक जाता है जीवन 

और खो जाती हैं दिशाएँ 

किसी अनाम यात्रा की तैयारी में ,

पोटली में बाँध संशय और संभावनाओं को 

राहगीर निकल पड़ा है 

अबूझ प्रश्नों की खोज में ,

गुमटी से ही पैबस्त है 

एक सफेद भूरा धारीदार कुत्ता 

उसकी भोली आँखों का कौतुहल 

बाहर है ,घट रहे तमाम दृश्यों से 

वह कुअं-कुअं की आवाज़ के साथ 

हिलाता है दुम मानो जता रहा 

विशाल पृथ्वी पर होना अपना ,

सड़क के उस पार 

दूर क्षितिज पर डूब रहा सूरज 

एक दुनिया करवट बदल 

प्रवेश कर रही दूसरी दुनिया में 

जीवन अपनी साधारणयता में 

होता है इतना ही अद्वितीय ।

…………………………….. सीमा सिंह 

बड़े मैचों में हार, विज्ञापन की सरताज टीम इंडिया

मनीष शुक्ल

वरिष्ठ पत्रकार

कागजों में दुनियाँ की सबसे मजबूत हमारी क्रिकेट टीम एक बार फिर बड़े मैच में फेल हो गई है। स्टार खिलाड़ियों से सजी धजी टीम फाइनल मैच में तास के पत्तों की तरह बिखर गई है। यह पहली बार नहीं हुआ है जब खिताब के इतने करीब पहुँचकर टीम को हार का सामना करना पड़ा है। इस हार से न सिर्फ टीम का बल्कि टीम के प्रशंसकों को भी गहरा झटका लगा है। इसी हर पर बातचीत के लिए आज टीम के सुपर कप्तान खुद हमारे साथ मौजूद हैं। आइये उनसे ही जानते है कि इस हार के क्या कारण है।

एंकर : भाई हर बड़े मैच में आप की टीम फेल हो जाती है।

कैप्टन : देखिये। हम पूरी कोशिश करते हैं लेकिन जरूरी नहीं है कि हर मैच में जीत ही मिले। खेल में हार जीत चलती रहती है। कभी जीत तो कभी हार। हमारा ध्यान खेल पर रहता है। इस बार हारे हैं तो अगली बार जीत भी जाएंगे।

एंकर : सुना है आप कमाई के मामले में नंबर वन हो। इसीलिए आपका ध्यान क्रिकेट से ज्यादा विज्ञापन की दुनिया में लगता है।

कैप्टन : क्या कहना चाहते हैं आप? हम जो कुछ भी हैं आज क्रिकेट के कारण ही हैं। अगर विज्ञापन भी कर रहे हैं तो इसके पीछे क्रिकेट है। क्रिकेट खेलने के बाद जो समय मिलता है उसमें विज्ञापन भी कर लेते हैं। ऐसे में अगर कमाई हो रही है तो आपको क्या दिक्कत है।

एंकर : भाई, आप तो गुस्सा हो गए। चलिये भाभी की बात करते हैं। भाभी के आने के बाद आपमें भी ग्लैमर का तड़का गया है।

कैप्टन : क्रिकेट से ज्यादा ग्लैमर किस फील्ड में हैं। ठीक हैं मेरी पत्नी वालीवुड की प्रसिद्ध अभिनेत्री हैं। उन्होने कई ब्लाक बस्तर फिल्में दी हों लेकिन क्रिकेट के चाहने वाले दुनियाँ भर हैं। आज मेरा रुतबा किसी भी सुपर स्टार से कम नहीं है। पहले आपकी भाभी को भी मुझमें ग्लैमर दिखा ही होगा। तभी तो हमारी शादी हुई।

एंकर : तो क्या आप भी आगे चलकर फिल्मों में अपना हाथ आजमा सकते हैं।

कैप्टन : भविष्य में क्या होगा, ये किसी को नहीं पता है। अब आप ही देखिये महान बल्लेबाज सचिन पर फिल्म आ चुकी है। माही के जीवन पर बनी एम एस धोनी सुपर हिट फिल्म साबित हुई थी। इसके पहले भी कई क्रिकेटरों ने फिल्मों में अभिनय किया है। तो हो सकता है आने वाले समय में आप मुझे भी एक्टिंग करते देखे या मेरी भी बायोपिक आए।

एंकर  : इसका मतलब क्रिकेट के रिटायर होने के बाद का प्लान अभी से तैयार है

कैप्टन : क्या बेवकूफी भरा सवाल है आपका। अभी तो मेरा करियर और परिवार शुरू हुआ। क्रिकेट में अभी तक मैंने भले ही बड़े मैचों के फाइनल न जीतें हो लेकिन आने वाले समय में ऐसे मैच जीतने योजना है। परिवार में भी हाल ही खुशखबरी आई तो ऐसे में सन्यास की बात बचकानी है।

एंकर : इसी खुशखबरी को देखने- सुनने के लिए आप विदेश में चल रही सीरीज को छोडकर भारत वापस आ गए। आपकी जल्दबाजी के कारण टीम इतिहास के सबसे कम स्कोर पर आउट हो गई थी।

कैप्टन : देखये, मेरे लौटने का मैच के लो स्कोर से कोई भी लेना- देना नहीं है। वो एक खराब दिन था, जब टीम का कोई भी बल्लेबाज अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सका। सब तू चल मै आता हूँ गाने लगे। लेकिन दूसरे मैच में हमने विरोधियों को धूल चटा दी थी।

एंकर : लेकिन उस मैच में जब आपकी जरूरत थी तो आप नदारद थे।

कैप्टन : मैं पहले ही छुट्टी ले चुका था। ऐसे में मेरे न होने पर भी लड़कों ने शानदार खेल दिखाकर न सिर्फ मैच में वापसी की बल्कि भारत को विदेश में जितवा दिया। इसके लिए सभी खिलाड़ियों के योगदान की तारीफ भी हुई।

एंकर : आपको नहीं लगता है कि आप पर कप्तानी का कुछ ज्यादा ही बोझ है।

कैप्टन : बोझ कैसा। मुझे तो मजा आता है। सबको अपने इशारे पर नचाओ। जिसको चाहो खिलाओ, जिसको चाहो बाहर बैठा दो। जरूरत पड़ने पर विरोधी टीम को सबक भी सीखा दो। मेरे जैसा तेज तर्रार कप्तान और कौन होगा।

एंकर : ये बात तो सही है कि आप अग्रेसिव कप्तान हैं लेकिन क्या समय की जरूरत नहीं है कि क्रिकेट के अलग- अलग प्रारूप के लिए अलग अलग कप्तान होने चाहिए?

कैप्टन : हमने सभी अच्छे खिलाड़ियों को कप्तानी का मौका दिया है। टेस्ट मैच में मेरे न होने पर आपने शानदार कप्तानी देखी ही है। वन डे में भी आपको कभी कभी दूसरा कप्तान देखने को मिल जाता है। टी 20 में कप्तानी के लिए कई लड़के हैं लेकिन जब मेरे खेल में दम है तब तक मैं ही बाजीराव सिंघम यानि की कप्तान है।

एंकर : इसका मतलब आपके रहते किसी का चांस नहीं है?

कैप्टन : ये सवाल ही गलत है। मेरे रहते ही सबका चांस है। मैंने दुनियाँ को एक से बढ़ाकर एक खिलाड़ी दिये हैं। यहाँ तक हर बड़े मैच में दूसरी टीमों को जीतने का मौका भी दिया है। घरेलू से लेकर अंतर्राष्ट्रीय मैचों में नए खिलाड़ियों को चांस मिला है। और क्या चाहिए?

एंकर : आप आने वाले खिलाड़ियों को क्या संदेश देंगे? कैप्टन : यही की फिटनेस का ध्यान रखें। चेहरे- मोहरे पर ध्यान दें। अगर खेल के कारण आपका टीम में सेलेक्सन हो जाता है तो फिर आप ज्यादा से ज्यादा लाइम लाइट में आ सको। खूब विज्ञापन कर सको और खूब पैसा कमा के देश में अपना नाम रोशन कर सको। अगर अच्छा खेलोगे और कप्तानी करोगे तो भविष्य में आपकी बायोपिक बनने का चांस रहेगा।

यूपी में दो बच्चे वालों की होगी मौज, नसबंदी पर प्रमोशन

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के राज्य विधि आयोग ने यूपी जनसंख्या विधेयक 2021 का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। विधेयक के दो या कम बच्चे वाले माता पिता को तमाम सुविधा मिलेगी लेकिन दो से अधिक बच्चे वालों को 77 सरकारी योजनाओं व अनुदान से भी वंचित रखने का प्रावधान है। अगर विधेयक लागू हुआ तो एक वर्ष के भीतर सभी सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों स्थानीय निकाय में चुने जनप्रतिनिधियों को शपथ पत्र देना होगा कि वह इसका उल्लंघन नहीं करेंगे।

इसको वेबसाइट पर अपलोड कर जनता से 19 जुलाई तक राय मांगी गई है। उत्तर प्रदेश के राज्य विधि आयोग जनता की राय पर विचार करने के बाद राज्य सरकार को सौंप देगा। इस ड्राफ्ट में उत्तर प्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानूनी उपायों के रास्ते सुझाए गए हैं। दो या कम बच्चे वाले अभिभावकों को तमाम सुविधा दी जा रही है जबकि अधिक बच्चे वाले अभिभावकों को कई सुविधाओं से वंचित करने का प्रावधान है।

उत्तर प्रदेश सरकार ने विश्व जनसंख्या दिवस यानी 11 जुलाई को अपनी नई जनसंख्या नीति 2021-30 जारी करने की तैयारी भी कर ली है। सरकार इसको विश्व जनसंख्या दिवस पर जारी करेगी। विधि आयोग ने बकायदा इसका ड्राफ्ट सरकारी वेबसाइट पर अपलोड किया है। यह ड्राफ्ट ऐसे समय में पेश किया गया है जब 11 जुलाई को योगी आदित्यनाथ सरकार नई जनसंख्या नीति जारी करने जा रही है। आयोग के मुताबिक इस ड्राफ्ट को तैयार करने के लिए कोई सरकारी आदेश नहीं है। आयोग ने खुद की प्रेरणा से ड्राफ्ट तैयार किया है।

ऐसे में अगर यह एक्ट लागू हुआ तो दो से अधिक बच्चे पैदा करने पर सरकारी नौकरियों में आवेदन और प्रमोशन का मौका नहीं मिलेगा। इसके साथ ही दो से अधिक बच्चे वालों को 77 सरकारी योजनाओं व अनुदान से भी वंचित रखने का प्रावधान है। अगर यह लागू हुआ तो एक वर्ष के भीतर सभी सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों स्थानीय निकाय में चुने जनप्रतिनिधियों को शपथ पत्र देना होगा कि वह इसका उल्लंघन नहीं करेंगे। कानून लागू होते समय उनके दो ही बच्चे हैं और शपथ पत्र देने के बाद अगर वह तीसरी संतान पैदा करते हैं तो प्रतिनिधि का निर्वाचन रद करने व चुनाव ना लडऩे देने का प्रस्ताव होगा। इतना ही नहीं सरकारी कर्मचारियों का प्रमोशन तथा बर्खास्त करने तक की सिफारिश है।

नई जनसंख्या नीति में घर का मालिक अगर सरकारी नौकरी में हैं और नसबंदी करवाते हैं तो उन्हें अतिरिक्त इंक्रीमेंट, प्रमोशन, सरकारी आवासीय योजनाओं में छूट, पीएफ में एम्प्लॉयर कंट्रीब्यूशन बढ़ाने जैसी कई सुविधाएं देने की सिफारिश की गई है और दो बच्चों वाले दंपत्ति अगर सरकारी नौकरी में नहीं हैं तो उन्हेंं पानी, बिजली, हाउस टैक्स, होम लोन में छूट व अन्य सुविधाएं देने का प्रस्ताव है. एक संतान पर खुद से नसबंदी कराने वाले हर अभिभावकों को संतान के 20 वर्ष तक मुफ्त इलाज, शिक्षा, बीमा शिक्षण संस्था व सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता देने की सिफारिश है और इसके अंतर्गत सरकारी नौकरी वाले दंपती को चार अतिरिक्त इंक्रीमेंट देने का सुझाव भी है.अगर दंपती गरीबी रेखा के नीचे हैं और एक संतान के बाद ही स्वैच्छिक नसबंदी करवाते हैं तो उनके बेटे के लिए उसे 80 हजार और बेटी के लिए एक लाख रुपये एकमुश्त दिए जाने की भी सिफारिश की गई है.