Sunday, September 8, 2024
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लन्दन- अमेरिका तक ‘एशा’ के आयुर्वेद की धूम

एशा वेलनेस के स्थापना दिवस पर डॉ मधुर रे ने हजारों वर्ष पुराणी आरोग्य पद्धति से रू- ब- रू कराया  

चार हजार वर्षों से भी अधिक प्राचीन और समृद्ध आरोग्य संपदा को संजोना और वैज्ञानिक मानकों पर खरा उतार कर जन सामान्य के स्वास्थ्य के लिए उपलब्ध कराना भले ही चुनौती भरा कार्य हो लेकिन एशा वेलनेस की संस्थापक डॉ मधुर रे के दृणसंकल्प ने यह संभव कर दिया है| डॉ मधुर सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीटयूट (सीडीआरआई) की सेवानिवृत उप निदेशक हैं| फार्मेसी के क्षेत्र में 36 से ज्यादा पेटेंट कराने के बाद उन्होंने आयुर्वेद औषधियों को वैज्ञानिक मान्यता दिलाई| विशेषज्ञ स्वास्थ्य उत्पादों को दुनियां भर में पहुचाने का कार्य किया| एशा वेलनेस के तीसरे स्थापना दिवस समारोह में डॉ मधुर रे सबको स्वस्थ जीवन देने के सपने से लेकर भविष्य की योजानाओं पर प्रकाश डाला| इस मौके जाने- माने गजल गायक सरबजीत सिंह ने सांस्कृतिक संध्या में समा बाँध दिया| उन्होंने गजल सम्राट जगजीत सिंह की मौशिकी पर जमकर तालियाँ बंटोरी| समारोह का संचालन लखनऊ विश्वविध्यालय के प्रोफ़ेसर राकेश माथुर ने किया|

समारोह  में बात करते हुए डॉ मधुर रे ने बताया कि हमारा आयुर्वेद हजारों वर्ष पुराना है| ऐसी कोई भी बीमारी नहीं है जिसका आयुर्वेद में इलाज न हो| हालांकि अपनी अमूल्य धरोहर को सदियों की गुलामी ने नुकसान पहुँचाया| काफी हद तक औषधियों के फार्मूले नष्ट हो गए| फिर दुनियां भर मेडिसिन की क्रांति ने हमारी अपनी औषधि पद्धति को नुकसां पहुंचाने का कार्य किया| लेकिन वक्त बदलता है| आज की बेतरतीब और भागमभाग भरी  जिन्दगी में लोग तमाम तरह की बिमारियों से घिर जाते हैं| ऐसे में लोग निरोगी जीवन के लिए भारतीय जीवन शैली की ओर देखते हैं| यही कारण है कि कुछ ही वर्षों में पूरी दुनियां भारतीय योग की दीवानी हो गई है| इसी प्रकार अमेरिकी और यूरोपीय देशों में आयुर्वेद का भी महत्व बढ़ा है|

डॉ मधुर बताती हैं कि आयुर्वेद आरोग्य स्वास्थ्य प्रणाली है| इसी कारण मैंने फार्मेसी के बाद आयुर्वेद का गहन अध्ययन किया| मुझे पहली सफलता हल्दी के तेल को लेकर मिली जब मैंने इसका यू एस पेटेंट कराया| आज हल्दी को वैज्ञानिक मानकों के अनुसार लोगों को आरोग्य करने के लिए प्रयोग कर रही हूँ| अब दूसरा पेटेंट भी हल्दी को नए रूप में करने का प्रयास है| यह पेटेंट होने के हार्ट अटैक के मरीजों को रहत मिल सकती है|

डॉ मधुर रे बताती हैं कि त्वचा को जवां रखने के लिए लेबनान में लोग साबुन के साथ स्वर्ण का इस्तेमाल करते हैं| यहाँ तक विवाह समारोह में यह लोगों को गिफ्ट दिया जाता है| भारत में आयुर्वेद में स्वर्ण भस्म हजारों सालों से इस्तेमाल होती रही है| अब इसी पद्धति को वैज्ञानिक मानकों के अनुसार इस्तेमाल कर एशा वेलनेस उपलब्ध करा रहा है| वेलनेस के तहत फिलहाल प्रोडक्ट ऑन डिमांड उपलब्ध कराए जाते हैं| जिसमें व्यस्थापना एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी फेस आयल, रोज एंड रोजशिप हाइड्रोसोल, ओरेंज ब्लोसम हाइड्रोसोल, वेट मैनेजमेंट सप्लीमेंट एब्डोमिनल ओबेसिटी रिडक्शन, माइंड एंड मेमोरी इन्हैंसर कटुकी: एसिडिटी मेनेजमेंट जैसे प्रोडक्ट शामिल हैं| भविष्य में योजना के बारे में बताते हुए डॉ रे कहती हैं कि सब निरोगी हों, बीमारियों से मुक्त हों खुशहाल जीवन रहे, इसी दिशा में प्रयास राजी रहेगा|     एशा वेलनेस के समारोह में डॉ मधुर रे ने ग़ालिब की गजल सुनाकर मंत्रमुग्ध कर दिया| समाजसेवी शालिनी माथुर ने बेगम अख्तर की गजल सुनाकर सुर साधा| इस मौके पर श्रीपरना गांगुली, उमा राय, दर्शन कौर,  मीतू महाजन, सायमा खान, कर्नल खान महमूद डॉ शुभ मेहरोत्रा, लवी मेहरोत्रा शामिल रहे|

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