Thursday, November 21, 2024
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गोवर्धन के साथ पीएम मोदी ने केदारनाथ में की भोले बाबा की पूजा

गोवर्धन के साथ पीएम मोदी ने केदारनाथ में की भोले बाबा की पूजा

दीपावली के दूसरे दिन यानि आज पूरे देश में गोवर्धन पूजा हो रही है तो साथ ही साथ ॐ नमः शिवाय भी गुंजायमान हो रहा है। केदारनाथ से उज्जैन महाकाल तक भोले बाबा की जयकार है। इसकी पहल खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ने जयकार लगाकर की है। पीएम पहली बार अस्सी के दशक में केदारनाथ जी आए थे। तब उन्होने यहीं पर ध्यान योग किया था। आज भी उन्होने नव निर्मित शंक्राचार्य जी की प्रतिमा के समक्ष ध्यान किया। मोदी की शिव भक्ति इसी से समझी जा सकती है है कि वो प्रधानमंत्री के सैट वर्ष के कार्यकाल में पाँच बाद यहाँ आकर पूजा कर चुके हैं। पीएम के साथ ही सभी मठों, 12 ज्योतिर्लिंगों, अनेक शिवालयों, शक्ति धाम,अनेक तीर्थ क्षेत्रों पर ऋषि, मनीषी और अनेक श्रद्धालु ने भी भोले बाबा कि पूजा की। इस मौके पर पीएम मोदी ने शंकर शब्द का अर्थ भी समझाया।

पीएम मोदी ने कहा कि हमारे उपनिषदों में, आदि शंकराचार्य जी की रचनाओं में कई जगह नेति-नेति कहकर एक भाव विश्व का विस्तार दिया गया है. रामचरित मानस को भी हम देखें तो इसमें में अलग तरीके से ये भाव दोहराया गया है. रामचरित मानस में कहा गया है- ‘अबिगत अकथ अपार, नेति-नेति नित निगम कह’ अर्थात्, कुछ अनुभव इतने अलौकिक, इतने अनंत होते हैं कि उन्हें शब्दों से व्यक्त नहीं किया जा सकता. बाबा केदारनाथ की शरण में आकर मेरी अनुभूति ऐसी ही होती है.

प्रधानमंत्री ने ये भी कहा कि बरसों पहले जो नुकसान यहां हुआ था, वो अकल्पनीय था. जो लोग यहां आते थे, वो सोचते थे कि क्या ये हमारा केदार धाम फिर से उठ खड़ा होगा? लेकिन मेरे भीतर की आवाज कह रही थी की ये पहले से अधिक आन-बान-शान के साथ खड़ा होगा. इस आदि भूमि पर शाश्वत के साथ आधुनिकता का ये मेल, विकास के ये काम भगवान शंकर की सहज कृपा का ही परिणाम हैं. मैं इन पुनीत प्रयासों के लिए उत्तराखंड सरकार का, मुख्यमंत्री धामी जी का, और इन कामों की ज़िम्मेदारी उठाने वाले सभी लोगों का भी धन्यवाद करता हूं.

पीएम मोदी ने कहा कि शंकर का संस्कृत में अर्थ है- “शं करोति सः शंकरः” यानी, जो कल्याण करे, वही शंकर है. इस व्याकरण को भी आचार्य शंकर ने प्रत्यक्ष प्रमाणित कर दिया. उनका पूरा जीवन जितना असाधारण था, उतना ही वो जन-साधारण के कल्याण के लिए समर्पित थे. एक समय था जब आध्यात्म को, धर्म को केवल रूढ़ियों से जोड़कर देखा जाने लगा था. लेकिन, भारतीय दर्शन तो मानव कल्याण की बात करता है, जीवन को पूर्णता के साथ देखता है. आदि शंकराचार्य जी ने समाज को इस सत्य से परिचित कराने का काम किया।

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