अगर कोई सेवानिवृत्त (रिटायर्ड) अधिकारी अपने पूर्व संगठन के बारे में कुछ संवेदनशील लिखने की योजना बना रहे हैं तो अब उनके लिए नियम बदल गए हैं। सरकार ने ये बात संसद में कही। केंद्र ने पिछले महीने केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1972 में संशोधन किया, जिसके तहत सुरक्षा और खुफिया संगठनों के सेवानिवृत्त अधिकारियों को संगठन के डोमेन से संबंधित कुछ भी प्रकाशित करने से रोकना है। नियम के तहत किसी भी कर्मचारी और उसके पदनाम के बारे में संदर्भ या जानकारी, और उस संगठन में काम करने के दौरान मिली जानकारी या अनुभव को संगठन के प्रमुख की पूर्व मंजूरी के बगैर प्रकाशित नहीं किया जा सकता है। अगर कोई ऐसा करता है तो उसकी पेंशन रोकी जा सकती है।
कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने संसद में कहा कि संशोधन से पहले ये पूरी तरह अधिकारी पर निर्भर था कि वह तय करे कि प्रकाशित सामग्री निर्धारित निषिद्ध श्रेणी में आती है या नहीं, अगर अधिकारी को लगता था कि वो जो कुछ प्रकाशित करने जा रहा है वो निषिद्ध श्रेणी में नहीं आता है तो वो बगैर सरकारी अनुमति के उसे प्रकाशित कर सकता था।
सिंह ने कानून के बचाव में तर्क देते हुए कहा कि, आगे चलकर सरकार इस नतीजे पर पहुंची कि प्रकाशित सामग्री जो निषिद्ध श्रेणी में आती है उसके प्रकाशन से राष्ट्र की प्रतिष्ठा की क्षति पहुंचती है, ऐसा पहले हो भी चुका है. ऐसे हालात पर लगाम लगाने के लिए कानून में ये संशोधन किया गया है। कई सेवानिवृत्त अधिकारियों ने इस कानून के खिलाफ चिंता जाहिर करते हुए इसे अनुचित और भावनाओं पर पाबंदी लगाने वाला बताया।