ब्रिटिश-अमेरिकी लेखक सलमान रुश्दी पर कट्टरपंथियों ने किया जानलेवा हमला
लगभग 34 साल पहले ‘द सैटेनिक वर्सेज’ उपन्यास के बाद दुनियाँ भर के मुस्लिम संगठनों के निशाने पर आए भारतीय मूल के ब्रिटिश-अमेरिकी लेखक सलमान रुश्दी पर आखिरकार कट्टरपंथियों ने जानलेवा हमला कर ही दिया। पश्चिमी न्ययॉर्क में एक इवेंट के दौरान उनपर जानलेवा हमला हुआ। हमलावर ने कार्यक्रम में उनके संबोधन के दौरान चाकू से उनपर हमला कर दिया। रुश्दी अभी अस्पताल में भर्ती हैं।
द सैटेनिक वर्सेज रुश्दी का चौथा उपन्यास था जो ‘मिडनाइट्स चिल्ड्रन’ के सात बाद ब्रिटेन में प्रकाशित हुआ था, इस उपन्यास आशिंक रूप से पैंगबर मुहम्मद के जीवन से प्रेरित था। जिसने बुकर पुरस्कार फाइनलिस्ट में जगह बनाई और कोस्टा पुरस्कार अपने नाम किया। रुश्दी के इस उपन्यास पर काफी विवाद हुआ था, कई मुस्लिम संगठनों ने इस उपन्यास को ईशनिंदा करार दिया था। यहाँ तक उस समय ईरान के सर्वोच्च नेता ने रश्दी के खिलाफ फतवा भी जारी कर दिया था।
75 साल के सलमाल रुश्दी का जन्म मुंबई में साल 1947 में एक मुस्लिम कश्मीरी परिवार में हुआ था। उनके पिता कारोबार में आने से पहले एक वकील और उनकी मां एक टीचर थी। सलमान रुश्दी ने अपनी शुरुआती शिक्षा भारत और इंग्लैण्ड में की उसके बाद कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से इतिहास की पढ़ाई की। सलमान रुश्दी ने किताबों के जरिए दुनिया में अपनी पहचान बनाई है। वहीं, उनकी कुछ रचनाओं में उनकी अलग सोच के कारण वह विवादों में भी रहे हैं।
ब्रिटेन ने साल 2007 में सलमान रुश्दी को साहित्य जगत में उनकी सेवाओं के लिए नाइटहुड की उपाधि दी थी. रुश्दी ने इस उपाधि को लेकर उन्होंने उस समय कहा था, “मैं इस महान सम्मान को प्राप्त करने के लिए रोमांचित और विनम्र हूं, और मैं बहुत आभारी हूं कि मेरे काम को इस तरह से पहचाना गया है.” ब्रिटेन द्वारा रुश्दी को ‘नाइटहुड’ की उपाधि दिए जाने पर दुनिया भर के मुस्लिम देशों ने इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें पाकिस्तान और ईरान ने अपने ब्रिटिश दूतों को वापस कर औपचारिक रूप से अपना विरोध दर्ज कराया। साल 2010 में अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठन अल-कायदा ने अपनी एक पत्रिका में उसकी हिट लिस्ट को जारी किया। अल-कायदा की इस हिट-लिस्ट में सलमा रुश्दी का नाम भी शामिल था, जिन्हें आतंकवादी संगठन मारना चाहता था।