चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग तनाव के बीच पहली बार तिब्बत पहुंचे। दो दिन के इस दौरे पर शी जिनपिंग ने तिब्बत के कई इलाकों का दौरा किया। 2013 में चीन के राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार जिनपिंग ने तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र (टीएआर) की राजधानी ल्हासा की यात्रा की। इससे पहले 2011 में उपराष्ट्रपति के रूप में तिब्बत का दौरा किया था। दूसरी ओर चीन की गतिविधियों को देखते हुए भारत ने भी अपने कदम उठाए हैं। लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल यानि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी सेना की तैयारियों को देखते हुए भारतीय सेना ने ईस्टर्न लद्दाख एरिया में 15 हजार नए सैनिकों को तैनात कर दिया है।
जानकारों की मानें तो चीनी राष्ट्रपति की तिब्बत यात्रा का मकसद भारत को यह संकेत देना भी हो सकता है कि शी जिनपिंग चीन के साथ भारत की सीमा पर तनाव के मुद्दे को प्राथमिकता दे रहे हैं। भारत – चीन की सीमा पर बसे उन इलाकों का भी शी जिनपिंग ने दौरा किया जहां कई साल बाद कोई चीनी नेता गया हो। शी जिनपिंग न्यिंग्ची रेलवे स्टेशन भी गए जिसको लेकर भारत के कूटनीतिक और सामरिक मामलों के हलकों में भी सुगबुगाहट है।
उधर भारत ने लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर चीनी सेना की तैयारियों को देखते हुए ईस्टर्न लद्दाख एरिया में 15 हजार नए सैनिकों को तैनात कर दिया है। खास बात यह है कि लद्दाख में तैनात किए गए ये सैनिक जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ चलाए जा रहे ऑपरेशन का हिस्सा थे। काउंटर टेररिज्म डिवीजन के इन जवानों को पिछले कुछ महीनों में तैनात किया गया है। ये लेह में तैनात 14 कॉर्प्स की मदद कर रहे हैं। सरकार से जुड़े सूत्रों ने न्यूज एजेंसी को बताया कि इससे पहले कि चीन वहां आक्रामकता दिखाने के कोशिश करे, उससे निपटने के लिए लगभग 15,000 सैनिकों की डिवीजन को आतंकवाद विरोधी अभियानों से हटाकर लद्दाख एरिया में ले जाया गया है।
nice post.